Skip to main content

Posts

वीर बर्बरीक खाटू श्याम जी की कहानी _ महाभारत - Mahabharat _ barbarik ki kahani_transcript

कौन है बाबा खाटू श्याम जी क्या है उनकी कहानी राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू यहां विराजित हैं खाटू श्याम जी खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है यहां पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक यह मेला लगता है श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं आओ जानते हैं कि कौन है बाबा खाटू श्याम जी क्या है उनकी कहानी खाटू श्याम जी भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार हैं महाभारत के भीम के पुत्र घटोतकच और घटोतकच के पुत्र बर्बरिक थे बरबरी को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं इनकी माता का नाम हिडिंबा है बरबरी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे बरबरी के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे युद्ध के मैदान में भीम पौत्र बर्बरीक दोनों खेमों के मध्य बिंदु एक पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हो गए और यह घोषणा कर डाली कि मैं उस पक्ष की तरफ से लडूंगा जो हार रहा होगा बरबरी की इस घोषणा से श्री कृष्ण चिंतित हो गए भीम के पौत्र बरबरी के समक्ष जब अर्जुन तथा भगवान श्री कृष्
Recent posts

माँ गंगा की पृथ्वी पर आने की सम्पूर्ण कहानी _ How goddess ganga came to earth __transcript

चल के तेज से ब्रह्मा जी के कमंडल में मां गंगा का जन्म हुआ था कुछ समय बाद ब्रह्मा जी ने उन्हें पर्वत राज हिमालय को पुत्री के रूप में सौंप दिया था गंगा जी का विवाह हस्तिनापुर के महाराज प्रतीप को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उन्होंने उसका नाम शांतनु रखा हस्तिनापुर के इसी शांतनु से गंगा का विवाह हुआ गंगा से उन्हें आठ पुत्र मिले जिसमें से सात पुत्र को जन्म लेते ही बहा दिया गया यह सभी पुत्र वसु तार होने के साथ श्रापित थे गंगा ने इन्हें मुक्ति दी और आठवें पुत्र को पाला पोसा उनके आठवें पुत्र का नाम देवव्रत था यही आगे चलकर भीष्म पितामह कहे गए गंगा उत्पत्ति की अद्भुत कथा गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है गंगोत्री को गंगा का उद्गम माना गया है गंगोत्री उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगा का उद्गम स्थल है स सर्वप्रथम गंगा का अवतरण होने के कारण ही यह स्थान गंगोत्री कहलाया किंतु वस्तुतः उनका उद्गम 18 मील और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है 3900 मीटर ऊंचा गौमुख गंगा का उद्गम स्थल है इस गोमुख कुंड में पानी हिमालय

भारत से बाहर 15 फेमस हिन्दू मंदिर _ 15 Famous Hindu Temples Outside in India_transcript

भारत के बाहर स्थित 15 फेमस हिंदू मंदिर भारत सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से विश्व के सबसे प्रतिष्ठित देशों में से एक है जिसके धर्म का प्रसार लगभग आज पूरे विश्व में हो गया है यदि आप सोचते हैं कि हिंदू धर्म भारत की सीमाओं में ही बंद है तो आप गलत है हिंदू धर्म के लोग आज लगभग सभी देशों में निवास कर रहे हैं जिस वजह से हिंदू मंदिरों की संख्या भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी बढ़ती जा रही है और भारत के बाहर स्थित मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के साथ-साथ सभी धर्म के लोगों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं इस वीडियो में हम आपको इंडिया के बाहर दूसरे देशों में स्थित प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं यदि कभी उन देशों की यात्रा पर जाएं तो इन मंदिरों के दर्शन के लिए जरूर जाएं भारत के बाहर स्थित प्रसिद्ध हिंदू मंदिर अंगकोर वाट म मंदिर कंबोडिया उत्तरी कंबोडिया में अंगकोर वाट मंदिर भारत के बाहर प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है अंगकोर वट मंदिर को 12वीं शताब्दी के पूर्वार्ध के दौरान तत्कालीन सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के आदेश पर बनाया गया था आपको बता दें कि यह

भारत के 5 सबसे रहस्यमय मंदिर _ 5 Most Mysterious Temples In India _ The World's Mystery_transcript

सूर्य मंदिर ओड़ीशा का कोनार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है और कई रहस्यों से घिरा हुआ है नदी में कूदकर कारीगर ने दे दी थी जान सात घोड़े और 12 पहियों का क्या है रहस्य ओड़ीशा में स्थित प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बने इस मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है आइए इस मंदिर की मान्यताएं और रहस्य जानते हैं 1250 में बना था कोणार्क सूर्य मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर ओड़ीशा के पुरी में है यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है इस मंदिर का निर्माण 1250 ईसवी में गांग वंश राजा नरसिंह देव प्रथम ने कराया था रथ में है सात घोड़े और 12 जोड़ी पहिए इस मंदिर को पूर्व दिशा की ओर ऐसे बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है यह मंदिर कलिंग शैली में निर्मित है और इसकी संरचना रथ के आकार की है रथ में कुल 12 जोड़ी पहिए हैं एक पहिए का व्यास करीब 3 मीटर है इन पहियों को धूप घड़ी भी कहते हैं क्योंकि यह वक्त बताने का काम करते हैं इस रथ में सात घो

बिजली महादेव कुल्लू-हर बारह साल में शिवलिंग पर गिरती है बिजली _ Bijli mahadev temple_transcript

बिजली महादेव मंदिर यह कहना गलत ना होगा कि सृष्टि के कण-कण में शिव समाए हुए हैं और यह दुनिया उनकी शक्ति की एक अभिव्यक्ति मात्र है भगवान भोलेनाथ की महिमा असीम और अपार है वे स्वयं जितने निराले हैं तो उनके मंदिर भी उतने ही अनोखे हैं हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक ऐसा शिव मंदिर भी है जहां हर 12 साल बाद शिवलिंग पर भयंकर बिजली गिरती है बिजली के आघात से शिवलिंग खंडित हो जाता है लेकिन पुजारी इसे मक्खन से जोड़ देते हैं और यह पुनः अपने ठोस आकार में परिवर्तित हो जाता है यह नोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है और इसे बिजली महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है कुल्लू और भगवान शिव के इस मंदिर का बहुत गहरा रिश्ता है कुल्लू शहर में व्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर शिव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में यहां एक विशाल अजगर रहता था जगत के कल्याण के लिए भगवान शिव ने उसका वध किया था असल में वह एक दैत्य था उसका नाम कुलांत था वह रूप बदलने में माहिर था और अजगर का रूप भी धारण कर सकता था एक बार कुलांत अजगर का रूप धारण कर इस इलाके के मत्थान गांव में

त्रिपुरासुर तीन शहरों के असुरो का अंत भगवान शिव ने क्यों किया_ _ Why Lord Shiva Destroyed TRIPURA_transcript

त्रिपुरासुर तीन असुर भाइयों की तिकड़ी को संदर्भित करता है जिन्हें सामूहिक रूप से त्रिपुरासुर के नाम से जाना जाता था भाइयों के अलग-अलग नाम तारका विद्यु माली और कमलाक्षा कासुर के पुत्र थे उन्होंने तीन शहर बनाए और देवताओं पर हमला किया अंत में भगवान शिव ने उन्हें नष्ट कर दिया तारक के तीन पुत्र थे सबसे बड़ा तारका मंझला कमलाक्षा विद्यु माली था वे सभी समान शक्ति थे तारक की मृत्यु के बाद वे मेरू पर्वत पर गए और तपस्या की समय बीतने के साथ-साथ उन्होंने धीरे-धीरे अपनी तपस्या की गंभीरता को बढ़ाया उन्होंने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के उद्देश्य से हजारों वर्षों तक यहां तपस्या जारी रखी अंत में ब्रह्मा देव प्रसन्न हुए देवताओं और राक्षसों के साथ उनके सामने प्रकट हुए उन्होंने उनसे वरदान मांगने को कहा भाइयों ने कहा हे भगवान ब्रह्मा कृपया हमें अविनाश प्रदान करें ताकि कोई भी जीवित प्राणी हमें मार ना सके ऐसा करो कि हम बुढ़ापे मृत्यु या बीमारी से पीड़ित ना हो हम अमृता की कामना करते हैं ब्रह्मा ने अनुरोध किया हे असुरों अमृता और अविनाश अप्राप्य है ब्रह्मांड में हर कोई एक बिंदु पर मरता है जन्म और मृत्यु के च

तिरुपति बालाजी मंदिर के रहस्य _ Tirupati Balaji Most Mysterious Temples of India_The World's Mystery_transcript

[संगीत] तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी रहस्यमय बातें भारत में बहुत से चमत्कारिक और रहस्यमय मंदिर हैं जिसमें दक्षिण भारत में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर भी शामिल है भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है यह मंदिर भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु हैं मान्यताओं के मुताबिक श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं कलयुग के प्रारंभ होने पर आदि वराह वेंकटाकृष्ण जी को पुनः लाने के लिए कहा नारद एक दिन गंगा के तट पर गए जहां पर ऋषि इस बात को लेकर भ्रम में थे कि हमारे यज्ञ का फल त्रिदेव में से किसे मिलेगा नारद जी ने उनकी शंका के समाधान हेतु भृगु को यह कार्य सौंपा उन्होंने तीनों देवों की परीक्षा लेने का सोचा महर्षि भृगु जो कि ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं उनको इस कार्य के लिए चुना गया महर्षि भृगु सर्वप्रथम ब्रह्मलोक