Suvichar _ Emotional Kahaniyan _ New Emotional Motivational Hindi Story Written _ Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम अवंतिका है मेरी शादी को 3 साल
हो गए थे हम लोग शहर में रहते थे और हमारी
जिंदगी बहुत अच्छी गुजर रही थी मेरे पति
बहुत अच्छे थे और मेरे पास तो अब एक छोटी
सी बेटी भी आ गई है मैं अपनी बेटी के साथ
बहुत खुशी-खुशी जिंदगी गुजार रही थी मेरा
मायक भी यहीं का था लेकिन मेरे पति की
फैमिली गांव में रहती थी क्योंकि मेरे पति
काफी सालों से यहां पर नौकरी कर रहे थे
इसलिए उन्होंने मेरे साथ शादी करके शहर
में ही अपना बंदोबस्त कर लिया था एक दिन
मेरे सास ससुर हमारे घर पर आ गए मेरे पति
ने बताया कि यह मेरे माता-पिता है लेकिन
एक बड़ी अजीब ही बात थी कि मेरे पति ने
अपने पिता को कमरे में बंद कर दिया था व
कभी कमरे से बाहर नहीं निकलते थे एक दिन
मैं अपनी सास के साथ किचन में खाना बना
रही थी तभी मेरे पति गुस्से से कमरे के
अंदर आए और मेरी सास पर चिल्लाने लगे
मम्मी पिताजी को खाना किसने दिया मैं अपने
पति के इस बिहेवियर पर बड़ी हैरान थी मेरे
पति अपनी मां से किस तरह से बात कर रहे थे
जब से मेरे सास ससुर घर पर आए थे मेरे पति
का बिहेवियर बहुत ही गुस्से से भरा हो गया
था मुझे तो उनसे बात करते हुए भी अब डर
लगता था मेरी सास के चेहरे से साफ लग रहा
था कि वह भी डर गई है जिसकी वजह से मेरी
सास के चेहरे का रंग बदल गया था मेरी सास
ने घबराते हुए कहा कि किसी ने भी नहीं आज
तो तुम्हारे पिता को खाना भी नहीं दिया है
मेरी सास ने मेरे पति की घूरती हुई नजरों
को देख कर घबराकर कह दिया था लेकिन मेरे
पति ने मेरी सास का बिहेवियर देखकर आईडिया
लगा लिया था कहने लगे कि आप झूठ बोल रही
हो या सच आप ही जानती हो ना कि झूठ का
अंजाम क्या है मैं काफी दिनों से अपने घर
में यह सब कुछ होता हुआ देख रही थी लेकिन
मेरी कुछ भी समझ नहीं आता था और इनमें से
कोई भी मुझे इस सब की वजह नहीं बताता था
मेरी सास ने फिर मेरे पति के सवाल पर
इंकार करते हुए सिर हिला दिया और तेजी से
कहा कि बेटा सच में मैंने तुम्हारे पिता
को खाना नहीं दिया तुम चाहो तो अपने पिता
से पूछ सकते हो मेरी सास ने कहा तो मेरे
पति ने इग्नोर कर दिया और कहने लगे कि ठीक
है उनको खाना देने की कोई जरूरत भी नहीं
मैं उनसे कुछ पूछना नहीं चाहता और खबरदार
जो मेरे कहे बिना किसी ने भी उनके कमरे
में जाने की कोशिश की तो मेरे पति ने
हुक्म दिया तो मेरी सास डर कर हिलने लगी
और फिर मेरे ससुर के बंद कमरे के दरवाजे
की तरफ देखा मैंने भी एक नजर अपने ससुर के
कमरे के दरवाजे की तरफ देखा जो 24 घंटे
बंद रहता था और मेरे ससुर कमरे से बाहर ही
नहीं आते थे मेरे पति हाथ मुंह धोने के
लिए चले गए थे और जाने से पहले मुझसे कहने
लगे कि खाना कमरे में लेकर आ जाओ मैं कमरे
में ही खाना खाऊंगा अपने पति के जाने के
बाद मैंने जल्दी से खाना ट्रे में किया और
उनके लिए कमरे में लेकर चली गई थी मैं
दोबारा पानी लेने के लिए जब किचन में आई
तो मैंने देखा मेरी सास वहीं पर जमकर खड़ी
हुई थी मैंने जल्दी से अपनी सांस का बाजू
पकड़ा और उनको हिलाया और कहा कि मम्मी जी
क्या हुआ है आप अभी तक यहीं पर खड़ी हुई
हो मेरी सास जो लगातार अपने पति के कमरे
को ताके जा रही थी मेरे इस तरह से पुकारने
पर अचानक होश में आई थी और कहने लगी कि
कुछ नहीं हुआ बहू जिस पर मैंने दबे दबे
शब्दों में कहा कि मैं आपसे कितने दिनों
से पूछ रही हूं यह सब कुछ क्या है और
अविनाश पापा जी को खाना खिलाने की परमिशन
क्यों नहीं देते मैं बहुत ही धीमी आवाज
में बोल रही थी ताकि मेरे पति ना सुन ले
अगर वह सुन लेते तो वह मुझ पर भी चिल्लाना
शुरू कर देते वैसे भी इन दिनों वह बहुत
गुस्से में रहने लगे थे क्योंकि मैं जानती
थी कि अगर उन्हें पता चल गया तो वह मुझसे
झगड़ा कर लेंगे जैसे वह अपनी मम्मी को
डांट दिया करते थे और उनसे झगड़ा करते थे
मेरी सास कहने लगी कि चुप करो बहू कितनी
बार तुमसे कहा है कि इस मामले में मत बोला
करो तुम जानती हो कि तुम्हारा पति भी इस
बात पर कितना नाराज हो जाता है तुमसे
लेकिन फिर भी तुम बास नहीं आती हो तुम
अपना घर खराब करना चाहती हो जो इस मैटर
में पढ़ना चाह रही हो जो हो रहा है बस
खामोशी से देखती रहो उसमें टांग अड़ने की
कोशिश मत करो तुम्हारे पति की मर्जी वह जो
चाहे अपने पिता के साथ वैसा कर सकता है अब
तुम्हें ज्यादा दिमाग चलाने की कोई जरूरत
नहीं चलो जाकर अपने पति के साथ खाना खाओ
ऐसा ना हो कि उसके पिता के बारे में जानने
के चक्कर में तुम अपना ही घर खराब कर लो
मैंने अपनी सास से कहा आखिर मैं भी तो आप
लोगों के घर की ही मेंबर हूं आप में से
कोई भी मुझे कुछ बताता क्यों नहीं है तो
मेरी सास कहने लगी क्योंकि बात तुम्हारे
बताने के लायक ही नहीं है इसलिए कोई
तुम्हें कुछ नहीं बताता मैं नहीं चाहती कि
मेरे बेटे का घर खराब हो बहू मैं तुम्हारे
आगे हाथ जोड़ती हूं तुम खामोश रहो और जैसा
तुम्हारा पति कर रहा है उसे वैसा ही करने
दो मैं नहीं चाहती कि उसे तुम पर गुस्सा आ
जाए और वह गुस्से में कोई गलत कदम उठा ले
अपनी सांस के जुड़े हुए हाथ देखकर मैं
खामोश हो गई थी और अपने ससुर के बंद कमरे
के के बंद दरवाजे को देखने लगी थी और अपने
कमरे में चली गई थी मेरे पति का गुस्सा
कुछ कम हो गया था आज फिर से मैंने अपने
पति से इस बारे में पूछने की कोशिश की और
कहा कि आप मम्मी के साथ इस तरह का
बिहेवियर क्यों करते हो उनसे गुस्से में
बात क्यों करते हो अपनी मां से इस तरह से
बात नहीं करनी चाहिए और तो और अगर वह अपने
पति को खाना देती भी है तो इसमें कौन सी
बड़ी बात है वो उनके पति हैं लेकिन तभी
अचानक मैं डर कर रह गई थी क्योंकि मेरे
पति ने अपनी बड़ी-बड़ी आंखें बाहर निकाल
ली थी और वह गुस्से से मुझे देखने लगे थे
मेरे पति ने कहा कि तुमसे कितनी बार कहा
है कि इस टॉपिक पर बात मत किया करो इससे
पहले वह आगे कुछ और कहते मैंने कहा अच्छा
ठीक है आप गुस्सा मत करो मैं आगे से ऐसी
कोई बात नहीं कहूंगी क्योंकि मुझे अपनी
सास की बात याद आ गई थी उन्होंने मुझसे
कहा था कि तुम्हारा पति कहीं गुस्से में
कोई गलत कदम ना उठा ले इसी वजह से मैं
खामोश हो गई थी और सोच लिया था कि आगे से
कभी मैं इस बारे में उनसे कुछ नहीं
पूछूंगी क्योंकि इससे पहले भी कई बार मैं
अपने पति से इस मैटर में बात कर चुकी थी
और हर बार वह मुझसे लड़ना शुरू कर देते थे
मेरी सास सही कहती थी कि मुझे अपना घर
खराब नहीं करना चाहिए यह उनके और उनके
पिता का मैटर है वह खुद ही सॉल्व कर ले तो
बेहतर है मुझे उनके बीच नहीं बोलना और ना
ही मैं अपना घर खराब करूंगी मेरी छोटी सी
बच्ची है अगर मेरे पति ने कभी मुझे गुस्से
में घर से बाहर निकाल दिया तो मैं अपनी
बच्ची को लेकर कहां जाऊंगी इसलिए जो हो
रहा है उसे खामोशी से देखते रहो यही मेरे
लिए बेहतर है लेकिन मैं जब भी अपने आगन
में होती तो मेरी नजर बार-बार अपने ससुर
के बंद कमरे की तरफ जाती थी मेरी सास
दूसरे कमरे में रहती थी और वह अकेले ही
रहती थी वह अपने पति से मिल तक नहीं सकती
थी कई बार तो मेरे पति ने भी मुझे मेरे
ससुर के कमरे को घूरते हुए देखा था और
उन्होंने मुझे डांट भी दिया था कि क्या है
वहां क्या देख रही हो अचानक अपने पति की
कड़क आवाज सुनकर तो मैं घबरा जा ती थी मैं
हड़बड़ा करर अपने पति से कहती कि कुछ नहीं
मैं जब भी आंगन में होती तो मैं नोटिस
करती कि मेरे पति की नजर मुझ पर ही रहती
है कि कहीं मैं अपने ससुर के कमरे को देख
तो नहीं रही हूं और हर बार वह मुझे टोक
दिया करते थे इसलिए मैं अपने पति के सामने
बड़ी ही सावधान रहती थी मेरे पति तो बहुत
ही गुस्से भरे हो गए थे अब तो उन्होंने
मुझसे प्यार भरी बातें करना भी बंद कर दी
थी ना जाने उन्हें किस बात का गुस्सा रहता
था ऐसा लगता था जैसे उनके चेहरे की
मुस्कान उड़ गई है मेरी बेटी को भी अब
उन्होंने प्यार करना बंद कर दिया था उसके
सारे काम मैं ही किया करती थी मेरे पति को
तो शायद अपनी बेटी की भी परवाह नहीं थी
मुझे ऐसा लगता था जैसे मेरे पति किसी बहुत
बड़ी टेंशन के शिकार हैं मेरी सास बहुत
अच्छी थी घर के काफी सारे काम कर लिया
करती थी और मैं अपनी बेटी के साथ बिजी
रहती थी क्योंकि मेरी बेटी बहुत छोटी थी
और बहुत ही ज्यादा रोने वाली थी वह
छोटी-छोटी बात पर रोती रहती थी क्योंकि
मेरी बेटी की काफी दिनों से तबीयत खराब चल
रही थी मैं अपनी सांस के साथ ही उसे
अस्पताल लेकर जाती थी मेरे पति मेरे साथ
डॉक्टर के यहां भी नहीं जाते थे और फिर
आकर हम दोनों सास बहू घर का काम निपटा
लेते थे लेकिन मेरा ध्यान अभी भी मेरे
ससुर पर ही था मुझे बार-बार अपने ससुर का
ख्याल आ रहा था जो बेचारे भूखे प्यासे
अपने कमरे में बंद रहते थे ना जाने
उन्होंने कितने दिनों से खाना नहीं खाया
था मेरा दिल अपने ससुर के लिए परेशान रहता
था मगर ऐसा पहली बार नहीं था कि वो भूखे
सो रहे थे बल्कि इससे पहले भी कई बार ऐसा
हो चुका था कि मेरे पति ने मेरे ससुर को
खाना खिलाने के लिए मना कर दिया था और अगर
मेरी सास चुपके से उनको खाना खिला भी दिया
करती थी तो मेरे पति को ना जाने किस तरह
से पता चल जाता और जिस दिन मेरी सास मेरे
ससुर को खाना देती उस दिन मेरे पति अपनी
मां से बहुत झगड़ा करते थे और उन्हें धमकी
देते थे कि मैं तुम दोनों को गांव छोड़
आऊंगा मेरी सास को इस बात का बहुत डर था
ना जाने व क्यों मेरे पति से इतना डरती थी
कि जब भी मेरे पति उनसे गांव जाने की बात
करते तो उनके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लग
जाती थी और वह गांव जाने के लिए मना कर
देती थी मेरे पति ने मेरे ससुर के कमरे को
ताला लगाना शुरू कर दिया था मुझे हमेशा
अपने ससुर की परवा रहती थी और मेरे घर के
किसी काम में भी मन नहीं लगता था और मैं
दिन रात अपने ससुर की फिक्र करती रहती थी
भगवान से प्रार्थना करती कि भगवान कोई ऐसा
रास्ता निकाल दे कि मेरे ससुर को पेट भर
के खाना मिल सके और मेरे पति का बिहेवियर
उनके साथ बिल्कुल ठीक हो जाए मेरे घर में
जिस तरह से पहले खुशहाली थी वही खुशहाली
मेरे सास ससुर के आने के बाद भी लौट आए एक
दिन मुझे अपनी बेटी को डॉक्टर के यहां
लेकर जाना था मेरे पति अपनी दुकान पर गए
हुए थे उस दिन मेरी सास की तबीयत ठीक नहीं
थी तो मैं अकेली ही अपनी बेटी को लेकर
डॉक्टर के पास चली गई थी मैं वहां से आई
तो देखा कि मेरे ससुर का कमरा अभी भी बंद
ही था मैं सीधा अपनी सास के पास गई और
उनसे पूछने लगी कि आपने पापा जी को खाना
खिलाया था या नहीं जिस पर मेरी सास ने
इंकार करते हुए अपना सिर हिला दिया फिर
मैं अपनी बेटी को लेकर अपने कमरे में आ गई
थी और उसे सुलाने की कोशिश करने लगी मेरी
बेटी सो गई तो मैं बाहर आई तो देखा मेरी
सास किचन में खाने की ट्रे में खाना
निकालकर मेरे ससुर के कमरे में जा रही थी
जिस पर मैं बेफिक्र हो गई और दोपहर का
खाना खाने लगी मेरे पति आ गए और अचानक मैं
घबरा गई थी किचन में सिर्फ मुझे अकेला
देखकर मेरे पति ने मेरी सास को आवाज लगाई
कि तभी घबराकर मेरी सास भी मेरे ससुर के
कमरे से बाहर निकल आई थी मगर मेरे पति ने
उन्हें देख लिया था और वह समझ गए थे कि
मेरी सास अपने पति को खाना देने के लिए गई
थी मेरे पति गुस्से से मेरी सास की तरफ
बढ़े और उनसे कहा कि आप मेरी मां हो मैं
आपको बेसहारा नहीं कर सकता फिर मैं ही इस
घर को छोड़कर जा रहा हूं यह बात सुनकर तो
मेरी चीख निकल गई थी मैं घबरा गई थी मेरे
पति ने फौरन जाकर बैग निकाला और अपने
कपड़े पैक करने लगे थे मैं अपने पति को
समझा समझाने की बहुत कोशिश कर रही थी कि
आप क्या कर रहे हो कहां जा रहे हो लेकिन
उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी और लगातार
अपने कपड़े पैक करते रहे मैं उनसे कहने
लगी तो फिर मैं भी आपके साथ जाऊंगी
उन्होंने कहा कि तुम यहीं पर रहो मैं इस
घर को छोड़कर और तुम लोगों को छोड़कर
हमेशा के लिए जा रहा हूं अपने पति की बात
सुनकर तो मेरे होश उड़ गए थे मैं अपने पति
के बिना जिंदगी नहीं गुजार सकती थी मेरी
सास जल्दी से आगे आई और उन्होंने हाथ
जोड़कर मेरे पति से माफी मांगी और कहने
लगी बेटा मैं आगे कभी ऐसी गलती नहीं
करूंगी तुम रुक जाओ कहीं मत जाओ मैं कभी
तुम्हें शिकायत का मौका नहीं दूंगी मेरी
सास के आंसू देखकर मेरे पति का दिल पिघल
गया था और वह अपनी मां से बहुत प्यार करते
थे थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपने गुस्से
को शांत करने की कोशिश की और कमरे से बाहर
निकल आए थे मैं भी उनको तसल्ली देने लगी
थी लेकिन इधर मेरी सास के रोने की आवाज आ
रही थी मेरे पति ने ससुर जी के कमरे को
बाहर से ताला लगा दिया था मगर मैं जानती
थी कि कुछ दिन बाद यह ताला वह खुद ही खोल
देने वाले थे क्योंकि इससे पहले भी जब
मेरी साथ ससुर जी को खाना देने जाती थी
फिर मेरे पति उन पर बहुत गुस्सा करते थे
और वह गुस्से में ही कमरे को ताला लगा
दिया करते थे लेकिन फिर खुद ही कुछ दिनों
के बाद उस ताले को खोल देते थे शायद उनके
दिल में अपने पिता के लिए रहम आ जाता होगा
मैं सब कुछ देखकर हमेशा की तरह आज भी बहुत
परेशान हो गई थी कि मेरे पति भला ऐसा
क्यों करते हैं
मेरे ससुर उनके पिता थे और वह अपने ही
पिता को खाना क्यों नहीं खिलाने देते थे
वह इतने अत्याचारी क्यों बन गए क्योंकि
मेरे ससुर जी लाचार थे अगर मेरी सास उनका
ख्याल नहीं रखती तो फिर उनका ख्याल कौन
रखता यह सारे सवाल पहले की तरह आज भी मेरे
दिमाग में घूम रहे थे मगर मेरे पास हमेशा
की तरह इन सवालों का कोई भी जवाब नहीं था
मेरे पति का बिहेवियर मुझे ना जाने क्यों
बुरा लगने लगा था एक तो वह मेरे ससुर का
ख्याल तक नहीं रखने देते थे ऊपर से जब
मेरी सास उनका ख्याल रखती तो वह पूरे घर
में हंगामा मचा देते थे कि उन्होंने ससुर
जी को खाना दिया ही क्यों जबकि मेरे पति
ने उनसे मना भी किया था मेरी सास ने अपने
आप को कमरे में बंद कर लिया था और वह बहुत
रोई थी यहां तक कि शाम तक वह कमरे से बाहर
भी नहीं निकली तो मैंने रात का खाना बनाकर
मेरी सास को उनके कमरे का दरवाजा बजाकर दे
दिया था मेरा दिल मेरे ससुर की तरफ से
बहुत ज्यादा नरम पड़ने लगा था मैं उनका
ख्याल रखना चाहती थी और इस बात के बारे
में कई बार अपनी सास और पति से भी कह चुकी
थी मगर वो मुझे सख्ती से मना कर देते थे
कि मैं उनके कमरे में ना जाऊं वो ना जाने
ऐसी क्या बात थी कि वह मुझे मेरे ससुर के
कमरे तक जाने से मना कर देते थे वो ना तो
खुद ख्याल रखते थे और ना ही किसी और को
रखने देना चाहते थे बल्कि अगर मैं अपने
ससुर की सेवा करना भी चाहती तो वह मुझे
सख्ती से रोक देते अपने पति के डर की वजह
से मैं उनसे अब डर डर के बात करने लगी थी
मैं अपने ससुर के कमरे में जाती तो नहीं
थी थी लेकिन मुझे उनकी हमेशा फिक्र सताने
लगी थी कि आखिर ऐसा क्या है जो मेरा पति
मुझे अपने पिता के कमरे में जाने नहीं
देता अब इस बात की गहराई तक पहुंचने में
मेरा इंटरेस्ट बढ़ते बढ़ते बहुत आगे तक
निकल गया था मैंने सोच लिया था कि मैं अब
हरहाल में अपने ससुर के कमरे में जाकर ही
रहूंगी कि शायद मेरे ससुर ही मेरे सवालों
के जवाब मुझे दे सके कल से मेरे पति ने
ससुर जी के कमरे को ताला लगाया हुआ था
मतलब कि कल से ही मेरे ससुर भूखे थे शाम
के टाइम मेरे सास किचन में रोटी पका रही
थी जबकि मेरे पति खाना खा रहे थे मैं अपने
पति को देखकर सोच रही थी कि वह खाना खाकर
कब घर से बाहर जाएंगे क्योंकि मेरे पति की
आदत थी कि वह रात को खाना खाने के बाद
अपने दोस्तों के पास जाते थे क्योंकि
मैंने सोच लिया था कि मुझे क्या करना है
मेरी सास मेरे पति के सख्ती से मना करने
के बावजूद भी अपने पति को इस तरह यूं भूखा
मरने के लिए नहीं छोड़ सकती थी मेरे पति
अभी भी घर से बाहर नहीं गए थे वह अभी अपने
मोबाइल में बिजी थे मुझे अपने पति के
कपड़े चेंज करने का इंतजार था क्योंकि
मेरे पति अक्सर कपड़े चेंज करने के बाद ही
घर से बाहर जाते थे और आज मैं मौका देखकर
उनके कपड़ों से चाबी निकालने वाली थी जो
मेरे ससुर के कमरे के ताले की चाबी थी मैं
अपने पति को बातों में लगाने लगी और
आखिरकार मेरे पति बाथरूम में कपड़े चेंज
करने के लिए चले ही गए थे मैंने जल्दी से
अपने पति के कपड़ों से बड़ी ही सावधानी के
साथ चाबी निकाल ली थी इसी चाबी से तो मैं
मैं अपने ससुर के कमरे के अंदर जा सकती थी
तैयार होने के बाद मेरे पति घर से बाहर
चले गए थे मुझे अपनी सास से भी छुपकर जाना
था मैं नहीं चाहती थी कि इस बारे में मेरी
सास को भी कुछ पता चले मेरी नजर बार-बार
घर के दरवाजे पर थी कि कहीं मेरे पति घर
के अंदर ना आ जाए मैं शुरू से ही अपने पति
का बिहेवियर उनके पिता के साथ इस तरह से
देख रही थी मेरी सास ससुर को यहां शहर में
आए हुए ौ महीने हो गए थे उससे पहले यह
गांव में अपने भाइयों के साथ रहते थे और
यहां हमारे पास कभी नहीं आए थे और ना ही
कभी मैंने अपनी सास ससुर को देखा था लेकिन
9 महीने पहले अचानक ऐसा क्या हुआ कि मेरे
साथ ससुर अचानक ही हमारे घर पर आ गए
उन्हें इस तरह से देखकर तो मेरे पति भी
शॉक्ड रह गए थे मेरी सास के कहने पर मेरे
ससुर शहर आए थे वह तो अब भी हमारे साथ
नहीं रहना चाहते थे कुछ सालों पहले मेरे
ससुर गांव में ही ऊंचाई से गिरने की वजह
से लाचार हो गए थे उनके एक हाथ और पैर में
चोट आई थी और मेरे ससुर दिमागी तौर पर
इतने ज्यादा बीमार हो गए थे कि वह बोलने
लायक भी नहीं रहे थे इसके बाद मेरी सास के
कहने पर और कुछ गांव वालों की बात मानकर
मेरी सास मेरे ससुर के साथ यहां पर आ गई
थी हमारे घर में अपने घर में तो सिर्फ मैं
मेरे पति और मेरी बेटी ही रहते थे हमारा
घर काफी बड़ा था क्योंकि यह मेरे पति की
मेहनत की कमाई से चल रहा था मेरे पति की
दुकान बहुत अच्छी चलती थी जिसका आधा
हिस्सा वह अपने माता-पिता को गांव भेज बते
थे और आधे हिस्से से हम अपना खर्च चलाते
थे भगवान का शुक्र था जिंदगी अच्छी गुजर
रही थी मेरा तो अपना कोई भी नहीं था मैं
अपने नाना-नानी के घर में रहती थी क्योंकि
मेरे माता-पिता जब मैं 6 साल की थी तभी मर
गए थे उसके बाद मेरी नानी मुझे अपने घर ले
आई थी और उन्होंने ही मेरी परवरिश की थी
मैं जिस कॉलेज में पढ़ती थी उसके सामने ही
मेरे पति की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान थी
वह मुझे रोज स्कूल से आते-जाते देखते थे
और उन्होंने मुझे पसंद कर लिया था हम
दोनों ने अपने मोबाइल नंबर एक्सचेंज कर
लिए थे और इस तरह से हम दोनों की बातचीत
होने लगी थी अविनाश मुझसे बहुत प्यार करते
थे उन्होंने मुझसे शादी करने का फैसला
किया था अविनाश ने अपनी मां की बात मेरी
नानी से करवा दी थी जिसके तहत हमारा
रिश्ता पक्का हो गया था लेकिन मेरी शादी
पर मेरे सास ससुर नहीं आ सके थे क्योंकि
मेरी शादी बहुत सिंपल तरीके से हुई थी
मेरे नाना तो मेरी शादी से दो महीने पहले
ही मर चुके थे और अभी हाल फिलहाल में मेरी
नानी का भी देहांत हो चुका था मेरे एक ही
मामा थे और उनकी फैमिली कनाडा में रहती थी
बाकी मेरा इस दुनिया में कोई नहीं था और
इस शहर में तो सिर्फ मेरे पति के अलावा
मेरा कोई भी नहीं बचा था हमारी शादी के 3
साल इसी तरह से बहुत अच्छे गुजर गए थे
लेकिन जब से मेरे सास ससुर आए थे हमारे घर
में एक अजीब सा हंगामा होने लगा था मेरे
इतने प्यार करने वाले पति का बिहेवियर
अपने माता-पिता के आ जाने से बिल्कुल बदल
गया था वोह ना तो खुद अपने पिता की सेवा
करते थे और ना ही किसी को करने दिया करते
थे ना ही अपने पिता को वक्त पर खाना देने
दिया करते थे और जब कभी मेरी सास खुद ही
अपने पति को खाना देने उनके कमरे में जाती
तो मेरे पति अपना एक अलग ही रूप धारण कर
लिया करते थे मुझे अच्छे से याद है मेरे
सास ससुर के इस घर में आने से पहले मेरे
पति ऐसे बिल्कुल भी नहीं थे मेरे पति अपनी
मां की बहुत इज्जत करते थे और फोन पर उनके
हालचाल पूछते रहते थे लेकिन यहां आने के
बाद तो वह अपनी मां पर बहुत ज्यादा गुस्सा
करने लगे थे मगर जब से मेरे सास ससुर यहां
आए थे मेरे पति का बिहेवियर उनके साथ
बिल्कुल बदल गया था अब मुझे अपना पति
अत्याचारी लगने लगा था मैं चाहती थी कि
मेरी फैमिली में सब कुछ ठीक हो जाए और हम
लोग एक साथ प्यार मोहब्बत से रह मगर मुझे
तो इस सब की उम्मीद ही नजर नहीं आती थी
क्योंकि मेरे ससुर के मामले में तो मेरे
पति बहुत ही सख्त थे मेरी सारी जिंदगी
अपने माता-पिता के प्यार के लिए तरसती रही
थी क्योंकि मैं जानती ही नहीं थी कि मेरी
मम्मी कैसी थी और मेरे पापा कैसे थे मेरी
परवरिश तो मेरे नाना नानी ने ही की थी
इसलिए जब से मेरी सास घर में आई थी मैं
उन्हें अपनी मां समझने लगी थी और अपने
ससुर को अपना पिता जिस दिन मेरे सास ससुर
घर में पहली बार आए थे उनको देखकर मैं
बहुत खुश हो गई थी कि अब मैं अपने सास
ससुर की सेवा करके उनसे माता-पिता जैसा
प्यार पा सकूंगी मेरी सास तो मुझसे बहुत
प्यार करती थी वह मुझे अपनी बेटी ही समझती
थी लेकिन अपने ससुर से पिता जैसा प्यार
प्यार मुझे नहीं मिल रहा था क्योंकि मेरे
ससुर को मेरे पति ने एक कमरे में बंद कर
दिया था और वह मेरे ससुर के साथ बिल्कुल
गैरों जैसा बिहेव करते थे जब कभी मैं अपने
ससुर के बारे में अपने पति से बात करती तो
वह मुझे घूर करर डांट दिया करते थे और
कहते थे कि उनके बारे में मुझसे बात मत
किया करो इस सबसे तंग आकर जब मैं अपने
ससुर की सेवा करना चाहती या अपने पति के
सामने अपने ससुर की कोई भी बात करती तो
मेरे पति मुझे सख्ती से मेरे ससुर के कमरे
में जाने से मना कर देते थे जिस पर मेरा
दिमाग उलझ जाता था यही वजह थी कि मैं अपने
ससुर के लिए हमेशा परेशान रहने लगी थी और
आज मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपने पति
के कपड़ों से चाबी चुरा ली और बिल्कुल भी
जाहिर नहीं होने दिया कि मैंने चाबी को
चुरा लिया है अगर मेरे पति को जरा भी शक
हो जाता तो ना जाने मेरे साथ क्या होना था
रात का खाना खाने के बाद जब मेरे पति अपने
दोस्तों के पास चले गए थे तो मैं कुछ देर
अपने कमरे में ही ठहरी रही कहीं मेरे पति
किसी काम से घर दोबारा वापस ना आ जाए मुझे
लगभग 15 मिनट हो गए थे फिर मैं जल्द से
जल्द अपने ससुर के कमरे में पहुंचना चाहती
थी मुझे पक्का यकीन हो गया था कि अब मेरे
पति दो घंटे बाद ही घर पर आएंगे क्योंकि
अक्सर वह दो या तीन घंटे बाद ही घर पर आते
थे मैं हाथ में चाबी थामकर दबे पैरों से
किचन की तरफ चली गई थी जल्दी-जल्दी मैंने
अपने ससुर के लिए खाना ट्रे में किया और
फिर धीरे-धीरे चलती हुई अपने ससुर के कमरे
के बाहर पहुंच गई मेरे एक हाथ में ट्रे थी
और दूसरे हाथ में ताले की चाबी मैंने
जल्दी से ताले को खोला और फिर कुंडी भी
खोल ली मैं जैसे ही अंदर दाखिल हुई तो
मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी
क्योंकि जमीन पर मेरे ससुर बेहोश पड़े हुए
थे मैं जल्दी से ट्रे को साइड पर रखकर
उनकी तरफ बढ़ी और उनको उठाने के लिए सहारा
देने लगी मगर जैसे ही मेरी नजर उनके पैर
पर पड़ी तो मैं हैरान हो गई थी क्योंकि
पहले मैंने गौर नहीं किया था मगर अब ध्यान
से देखकर हैरान रह गई थी मेरे ससुर बहुत
कमजोर हो गए थे मैंने उनको जमीन से उठाकर
बैड पर बैठा दिया और उनको पानी पिलाया जो
दर्द से तड़प रहे थे और गहरी गहरी सांस भर
रहे थे जैसे उनको सांस लेने में परेशानी
हो रही हो पानी पीकर उन्होंने कांपते हुए
हाथों से गिलास मुझे दे दिया मैंने गिलास
को एक तरफ रखा और उनको देखने लगी जो बहुत
ज्यादा कमजोर थे उनका चेहरा कहीं से भी
मेरे पति से नहीं मिलता था अविनाश तो पूरे
के पूरे अपनी मां को चले गए थे मेरे ससुर
का चेहरा झुरियों से भरा पड़ा था वह बहुत
ज्यादा बूढ़े लग रहे थे लगातार कांप रहे
थे और उनकी आंखों के नीचे काले घेरे थे
मुझे उन पर बहुत तरस आ रहा था लेकिन पता
नहीं मेरे पति उनके मामले में इतने
अत्याचारी क्यों बन जाते थे हालांकि वह
मेरे पति के पिता थे और पिता के साथ तो
कोई भी ऐसा सुलूक नहीं करता उन्होंने मेरे
सर पर हाथ रखा और कहने लगे जीती रहो मैं
जो अपनी ही सोचो में गुम थी उनकी आवाज
सुनकर मैं चौक गई थी और मुझे उनकी आवाज पर
यकीन नहीं आ रहा था मेरी सास ने तो बताया
था कि किसी हादसे का शिकार होने की वजह से
वह बोल नहीं सकते थे मगर वह तो बोल रहे थे
इसका मतलब यह था कि मेरी सास मुझसे झूठ
बोल रही थी मगर क्यों जैसे-जैसे बात खुलती
जा रही थी वैसे ही नए-नए सवाल मेरे दिमाग
में पैदा हो रहे थे मैंने कभी अपने ससुर
की आवाज भी तो नहीं सुनी थी क्योंकि कमरे
से बाहर कभी उनकी आवाज आती ही नहीं थी जिस
पर मुझे यही लगता था कि मेरे ससुर सच में
बोल नहीं सकते थे मगर अब मुझे पता चल गया
था कि वह बोल सकते हैं मेरे ससुर ने मुझसे
कहा तुम यहां क्यों आई हो बहू तुम्हारे
पति को अगर पता चल गया तो वह तुम पर बहुत
गुस्सा करेगा तुम जानते हो ना इसका अंजाम
कितना बुरा होगा जब यह बात मेरे ससुर ने
कांपते हुए शब्दों में कही तो मैं चौक कर
होश में आ गई थी और फिर खाने की ट्रे उनके
आगे कर दी और कहा कि मैं आपके लिए खाना
लेकर आई हूं क्योंकि आप कल से भूखे हो
इसीलिए आप अविनाश के फिक्र मत करो वह घर
से बाहर गए हुए हैं दो-तीन घंटे से पहले
नहीं आएंगे मेरी बात सुनकर मेरे ससुर मुझे
नजर भरकर देखने लगे थे मेरे ससुर ने
धीरे-धीरे खाना शुरू किया मैंने उनसे कहा
मैं आपकी बेटी समान हूं मुझे आपकी बहुत
फिक्र रहती है मेरे ससुर कहने लगे कि मुझे
तो मेरे किए की सजा मिल रही है तुम बहुत
भाग्यशाली हो जिसे अविनाश जैसा पति मिला
है वह बहुत अच्छा इंसान है यह सुनकर तो
मैं चौक गई थी मेरे ससुर रो रहे थे मैंने
परेशान होकर उनसे रोने की वजह पूछी मगर
उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया मुझे तो सोच
सोचकर हैरानी हो रही थी कि मेरे ससुर
कितने अच्छे हैं अपने इतने अत्याचारी बेटे
की कितनी तारीफ कर रहे हैं जबकि अपने बेटे
की वजह से ही उन पर बहुत सारे अत्याचार हो
चुके हैं खाना खत्म होते ही अपने ससुर के
कमरे को ताला लगाकर मैं किचन में बर्तन
रखने के लिए चली गई थी और फिर वापस अपने
कमरे में आ गई मुझे अब बहुत सुकून मिला था
कि अब अब मैं इस तरह से ही अपने ससुर का
ख्याल रख सकती हूं और किसी को कुछ पता भी
नहीं चलेगा अब यह मेरा रोज का रूटीन बन
गया था कि मैं रोज ही अपने ससुर को रात का
खाना देने उनके कमरे में चली जाती थी मैं
रोज अपने पति के घराने पर जब वह कपड़े
चेंज करते तो उनके कपड़ों से चाबी चुरा
लेती और उनके जाने के बाद अपनी ससुर के
कमरे में खाना लेकर चली जाती थी और चाबी
वापस अपने पति के उन्हीं कपड़ों में रख
देती थी जिनसे चाबी निकाली होती थी ताकि
मेरे पति को शक ना हो जिस दिन मेरे पति ने
घर छोड़ने की धमकी दी थी तब से तो मेरी
सास ने अपने पति के कमरे में जाने की
कोशिश ही नहीं की थी दिन धीरे-धीरे इसी
तरह से गुजरने लगे थे मैंने हर रोज अपने
ससुर से इस बारे में बहुत पूछा कि मेरे
पति आपके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं
मेरे ससुर ने मुझे कुछ नहीं बताया था
बल्कि वह तो रोना शुरू कर देते थे जिसकी
वजह से मैंने अब उनसे इस बारे में पूछना
ही छोड़ दिया था क्योंकि मैं उन्हें कभी
भी अपनी तरफ से तकलीफ नहीं देना चाहती थी
हां मगर मैं पहले से बढ़कर अपने ससुर का
ख्याल रखने लगी थी दिन के टाइम में उनका
खाना नहीं दे सकती थी क्योंकि दिन के टाइम
मेरी सास भी घर में इधर-उधर टहल रही होती
थी रात को मेरी सास जल्दी ही अपने कमरे
में जाकर सो जाती थी मैं रात को ही अपने
ससुर के पास ज्यादा खाना ले जाती थी और
उसको ढक कर रख देती थी जिसको वह दिन के
टाइम पर खा लिया करते थे मुझे अपने ससुर
के कमरे में जाते हुए काफी दिन हो गए थे
लेकिन अभी तक मुझे मेरे सवालों के जवाब
नहीं मिले थे लेकिन एक दिन मैं अपने ससुर
को खाना देकर उनके कमरे से बाहर निकल रही
थी कि अचानक मेरे होश उड़ गए थे और आंखें
फटी की फटी रह गई थी क्योंकि सामने ही
मेरे पति खड़े हुए थे जिन्होंने मुझे मेरे
ससुर के कमरे से निकलते हुए देख लिया था
जहां मेरी सांस भी थी मेरी सांस के चेहरे
पर परेशानी साफ दिख रही थी वहीं पर मेरे
पति के चेहरे पर बहुत ज्यादा गुस्सा था
जिनको देखकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल
गई थी मैं समझ गई थी कि अब मेरे मे पति
मुझसे बहुत नाराज होंगे और बहुत गुस्सा
करेंगे मेरे पति ने जोर से चिल्लाकर पूछा
मेरे मना करने के बावजूद भी तुम इस कमरे
में क्यों गई अपने पति की इतनी जोरदार
आवाज सुनकर घबराहट से मेरे हाथ से खाने के
बर्तन गिर गए थे अपने पति की बात सुनकर तो
मैंने रोना शुरू कर दिया था क्योंकि अपने
पति के गुस्से से मेरी जान निकल रही थी
मेरा तो शरीर ही कांप रहा था मेरे पति ने
कहा कि इस आदमी के लिए तुमने अपने पति से
झूठ बोला तुम्हें इस आदमी की असलियत के
बारे में पता नहीं है कि यह कितना घटिया
इंसान है मेरे पति की अगली बात सुनकर तो
मैं रोना ही भूल गई थी उन्होंने कहा यह
मेरा सगा पिता नहीं है जिसके लिए तुम अपने
पति को धोखा दे रही हो यह धोखेबाज इंसान
है बिल्कुल एक साप की तरह जिसे जितना
मर्जी दूध पिला दो वह तुम्हें ही वापस डस
लेगा मेरे पति ने बड़ी ही नफरत भरे शब्दों
में अपने पिता के लिए ऐसी बातें कही थी
मेरी सास ने अपने बेटे से कहा ऐसा मत कहो
बेटा तो मेरे पति प ने फौरन अपनी मां की
तरफ देखकर कहा आप तो खामोशी रहिए यह सब
कुछ आपकी वजह से ही हुआ है जो अब मेरी
पत्नी मेरे खिलाफ जाकर मेरे मना करने के
बावजूद भी इस आदमी को चोरी चुपके खाना
देकर आ रही है मेरे पति ने यह बात कहकर
मेरी सांस को चुप करवा दिया था और मेरी
सांस रोने लगी थी मैंने भी अविनाश से कहा
अविनाश तुम अपने पिता के बारे में जैसा
सोच रहे हो वह बिल्कुल भी ऐसे नहीं है वह
तो बहुत अच्छे हैं मैंने हिम्मत करते हुए
अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की थी
क्योंकि मुझे अपने पति की बातों पर यकीन
नहीं आ रहा था वह गुस्से से कहने लगे अरे
अपने ससुर के कमरे में जाते-जाते तुम भी
उनकी फैन हो गई हो तुम नहीं जानती कि यह
कितना ही घटिया इंसान है यह इंसान ना तो
अच्छा पिता बन सका ना अच्छा बेटा और ना ही
कभी अच्छा पति बन सका अपने पति की बात
सुनकर मैं ना समझी से उनको देखने लगी थी
क्योंकि यह सब कुछ मेरी समझ में नहीं आ
रहा था तभी मेरी सास कहने लगी यह विनाश के
पिता नहीं है अवंतिका अपनी सास की बात
सुनकर तो मेरे होश उड़ गए थे और मैं उनको
गौर से देखने लगी जो मुझे पहले से ही देख
रही थी फिर मेरे पति के सर हिलाने पर मेरी
सास बताने लगी कि दरअसल यह मेरे दूसरे पति
हैं और अविनाश मेरे पहले पति का बेटा है
अविनाश जब तीन महीने का था तब मैं विधवा
हो गई थी और अविनाश के असली पिता की बहुत
सारी जायदाद थी इन्होंने मुझसे शादी कर ली
थी और अविनाश को एक पिता और मुझे भी एक
सहारा मिल गया था लेकिन अविनाश के दूसरे
पिता के पास पहले से ही 2 साल का बेटा
मौजूद था मेरा दूसरा पति बहुत गरीब था
जबकि अविनाश के पिता की सारी जायदाद
अविनाश के पहले पिता ने मरते मरते उसके
नाम कर दी थी जब यह बात मेरे दूसरे पति को
पता चली तो उन्होंने मेरी दौलत की तरफ
देखते हुए मुझसे शादी कर ली जबकि उनकी
पत्नी को मरे हुए भी एक साल हुआ था मैं
विदा होकर अपनी दूसरी ससुराल आ गई थी यहां
पर मेरी जिंदगी अच्छी गुजर रही थी लेकिन
जैसे जैसे जैसे बच्चे बड़े हो रहे थे मेरे
पति ने बच्चों में फर्क करना शुरू कर दिया
वह अपने बेटे को तो बहुत प्यार करते थे
लेकिन मेरे बेटे से नफरत करते थे मुझे लगा
कि शायद मेरे पति धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे
लेकिन उन्होंने अपने सगे बेटे को ही हमेशा
पिता का प्यार दिया मेरे अविनाश को नहीं
दिया मैंने तो अपने सौतेले बेटे को भी सगे
से बढ़कर चाहा था लेकिन मेरे दूसरे पति ने
बच्चों में फर्क करना शुरू कर दिया अपने
बेटे को तो उन्होंने प्यार में बिगाड़
दिया
जबकि मेरे पति को जितनी भी दौलत मिली थी
वह सब कुछ मेरे पहले पति की थी और इस सब
का मालिक मेरा बेटा अविनाश था मेरे दूसरे
पति का मकसद सिर्फ मेरे बेटे की जायदाद
हड़पना था और उन्होंने मुझसे शादी भी
इसलिए की थी ताकि मुझे शादी के झांसे में
फंसाने के बाद यह मेरे घर में आकर रह सके
और मेरे बिजनेस पर भी इनका ही हक जम जाए
यह मेरे बेटे अविनाश पर बहुत ज्यादा सख्ती
करते थे और अपने सगे बेटे को हर तरह से
छूट दी हुई थी अविनाश को को खेलने की घर
से बाहर निकलने की कहीं भी जाने की परमिशन
नहीं थी सिर्फ स्कूल में अगर मेरे बेटे के
मार्क्स थोड़े कम भी आ जाते थे तो यह मेरे
बेटे पर बहुत अत्याचार करते थे सारा घर सर
पर उठा लिया करते थे जबकि मेरे सौतेले
बेटे के नंबर तो बहुत कम आते थे उससे मेरा
पति कुछ भी नहीं कहता था और मेरे अविनाश
को बहुत सजा मिलती थी मेरे पति अविनाश को
कमरे में बंद कर देते और उसे 10-10 दिन तक
भूखा रहने देते थे मैं उसे चोरी चुपके
खाना खिला आती थी मेरा कम उम्र का बेटा
बहुत ज्यादा कमजोर हो गया था क्योंकि उसका
सौतेला पिता उस पर बहुत अत्याचार करता था
जबकि मेरे बेटे की कोई गलती नहीं होती थी
मेरे बेटे को छोटी से छोटी या बड़ी से
बड़ी गलती पर बड़ी ही सजा मिलती थी और
उसको अंधेरे कमरे में बंद कर दिया जाता था
जहां पर रोशनी भी नहीं होती थी और ना पीने
के लिए पानी होता था और ना ही अविनाश को
खाना दिया जाता था यह बेचारा कई-कई दिन तक
भूखा रहता था और जब वह मौत के करीब पहुंच
जाता तो उसको कमरे से बाहर निकाल लेते थे
मेरा बेटा दिन बदन कमजोर होने लगा था मुझे
अपने बेटे को देख देखकर अफसोस होता था और
एहसास होता था कि मैंने इस आदमी से शादी
करके बहुत बड़ी गलती कर दी क्योंकि मैं
जान चुकी थी कि इस आदमी ने मुझसे शादी
सिर्फ दौलत के लिए ही की है ना कि हम
दोनों मां बेटे को सहारा देने के लिए मेरा
पति अपने सगे बेटे को कुछ भी नहीं कहता था
बल्कि उसे तो हर काम करने की आजादी दी हुई
थी किसी भी काम पर कोई रोक टोक नहीं थी और
तो और वह हर क्लास में फेल हो जाता था फिर
एक दिन मेरे पति का मकसद पूरा हो गया और
उन्होंने जब मेरा बेटा 15 साल का हो गया
तो जबरदस्ती करके उसको मारपीट कर कागजात
पर साइन करवा लिए और गांव की सारी जमीन
अपने नाम करवा ली फिर मेरे बेटे को घर से
बाहर निकाल दिया मेरा बेटा घर से बाहर
निकलकर शहर में आकर नौकरी करने लगा था और
ना जाने कितने स्ट्रगल करने के बाद इसने
पढ़ाई लिखाई की थी आखिरकार भगवान ने मेरे
मेरे बेटे को कामयाब कर दिया लेकिन मेरे
पति को सजा मिल गई थी जब मेरे पति का छोटा
बेटा जवान हुआ तो उसने अपने पिता को मारना
पीटना शुरू कर दिया और अपनी पसंद की लड़की
के साथ शादी कर ली उसी लड़की ने हमें घर
से बाहर निकाल दिया और पूरे गांव में हमें
बेइज्जत किया हम पर झूठे झूठे इल्जाम लगाए
इसलिए मैं अपने पति को यहां लेकर आ गई थी
जहां पर मेरे अविनाश ने इनसे बदला लेने की
कोशिश की लेकिन यह जैसे भी हैं है तो मेरे
पति ही इसलिए मुझे उनकी फिक्र लगी रहती थी
अविनाश यह सब कुछ सिर्फ अपना बदला लेने के
लिए ही कर रहा है अपनी सांस की बातें
सुनकर तो मैं हैरान रह गई थी मैंने अपने
पति को समझाया कि अब उनकी हालत बहुत खराब
है भगवान ने उनको उनके किए की सजा दे दी
उनके अपने बेटे ने उनको धोका दिया और घर
से बाहर निकाल दिया यही उनके लिए सबसे
बड़ी सजा है आपको अपना दिल बड़ा करना
चाहिए और अपने पिता को माफ कर देना चाहिए
वह तो खुद लाचार हैं और इतने लाचार इंसान
से क्या बदला लेना सारे सच्चाई मेरे सामने
खुलकर आ गई थी और मेरी सारी कंफ्यूजन खत्म
हो गई थी मेरे पति मेरी बात को समझ गए थे
और उनका गुस्सा भी धीरे-धीरे खत्म हो गया
था क्योंकि वह काफी हद तक अपने सौतेले
पिता को सजा दे चुके थे मेरे ससुर ने भी
हाथ जोड़कर अविनाश से माफी मांग ली थी घर
में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन
अचानक मेरे ससुर की मौत हो गई और वह इस
दुनिया को छोड़कर चले गए भगवान ने मेरे
ससुर के किए की सजा उनको इसी दुनिया में
दिखा दी थी उनके सगे बेटे ने उनको छोड़
दिया था और वह उनके मरने पर भी नहीं आया
था मेरे ससुर अब इस दुनिया में नहीं है और
उनकी मौत हुए अब 5 साल हो गए लेकिन मैं
अपनी फैमिली के साथ बहुत खुश हूं और मेरी
सास आज भी मेरे साथ ही रहती है और मुझे
हमेशा उनसे अपनी मां के जैसा प्यार मिलता
है दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी
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