Suvichar _ Emotional Kahaniyan _ New Emotional Story _ Moral Story _ Written Story _ Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम महिमा है मेरे भैया हर रोज जब
काम से वापस आते तो खाना खाने के बाद भाभी
से कहते कि तैयार हो जाओ भाभी तो जैसे
भैया के कहने के इंतजार में ही रहती थी कि
कब मेरा पति मुझसे कहे और मैं फौरन से
तैयार हो जाऊं उसके बाद दोनों तैयार होकर
चले जाते थे मेरी मां भैया से पूछती कि
तुम बहू को लेकर कहां जाते हो तो भैया रोज
मां से एक ही बात कहते कि हमारे गांव में
चीता आया हुआ है बस इसे वही खाने के लिए
लेकर जा रहा हूं भैया की रोज-रोज यही बात
सुनकर मैं तंग आ गई थी और मैंने फैसला कर
लिया था कि मैं देखकर ही रहूंगी कि भला
चीता कौन सी जगह पर आया हुआ है एक दिन मैं
यही सब जानने के लिए अपने भैया के
पीछे-पीछे गई तो मैंने कुछ ऐसा देखा जिसे
देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मुझे
अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था
क्योंकि वहां पर तो एक दिन मैं रोटी पका
रही थी भैया ने खाना खाते हुए आज फिर से
भाभी से कहा सुनैना जल्दी से तैयार हो जाओ
यह सुनते ही मां के माथे पर बल पड़ गए थे
भाभी जो बैठी हुई बर्तन धो रही थी फौरन से
किचन से बाहर निकली उन्होंने अपने हाथ धोए
और कमरे में तैयार होने के लिए चली गई मां
बिस्तर पर बैठी हुई थी कहने लगी बेटा
प्रतीक ये रोज तुम अपनी पत्नी को कहां
लेकर जाते हो प्रतीक भैया ने लापरवाही से
कहा कि मां कहीं भी तो नहीं बस यहीं ऐसे
ही किसी काम से जा रहा हूं वैसे भी हमारे
गांव में कोई घूमने जैसी जगह ही नहीं है
बस ब आजकल सीधी सड़क वाले रास्ते पर चीता
आया हुआ है गांव के बहुत सारे लोगों ने
उसे देखा है वैसे भी मेरी पत्नी को
चिड़िया घर और चिड़िया घर के जानवर देखने
का बहुत शौक है शहर जाने की तो आप हमें
परमिशन नहीं दे सकती इसलिए मैं सुनैना को
सीधी सड़क वाले रास्ते पर चीता दिखाने के
लिए ले जा रहा हूं बेचारी दूर से ही चीते
को देखकर बच्चों की तरह खुश हो जाती है
मैं किचन में खड़ी रोटी पका रही थी और
अचानक ही यह बात सुनकर मैंने तो अपने हाथ
जल्दी से झाड़ लिए और किचन से बाहर निकलकर
भैया की बात सुनकर शॉक्ड रह गई और मैंने
भैया से कहा कि क्या सच में हमारे गांव की
सीधी सड़क वाले रास्ते पर चीता आया हुआ है
मेरे भैया ने कहा हां मैं सच कह रहा हूं
हमारे गांव में चीता आया हुआ है मुझे तो
भैया की बात सुनकर यकीन ही नहीं आ रहा था
मैंने जल्दी से अपने हाथ धोए और हाथ साफ
करके भैया के सामने आकर खड़ी हो गई मैंने
भैया से कहा कि भैया मैं भी जल्दी से
तैयार होकर आ जाती हूं मुझे भी जानवर
देखने का बड़ा शौक है भैया प्लीज मुझे भी
अपने साथ ले चलो मुझे भी चीता देखना है
भैया मेरी बात सुनकर मुझे घूरने लगे और
कहने लगे आराम से घर में ही बैठी रहो चूहा
देखकर तो डर के मारे तुम्हारी जान निकल
जाती है और चीता देखने जाना है तुम्हें
प्रतीक भैया ने मुझे बुरी तरह से डांट
दिया था मैं उनसे नाराज होकर मुंह फुलाकर
दोबारा से किचन में रोटी पकाने लगी थी
भाभी थोड़ी देर के बाद तैयार होकर भैया के
साथ जाने के लिए कमरे से बाहर निकल आई थी
और भैया भाभी दोनों ही घर से चले गए थे
उनके घर से निकलते ही मां की बड़बड़ा हट
शुरू हो गई थी मां कह रही थी कि अपनी
पत्नी को चीता दिखाने ले जा रहा है मैं सब
जानती हूं कि यह दोनों कहां जाते हैं यह
जो मेरा बेटा अपनी चालाक पत्नी को घुमाने
लेकर जाता है इसने ही मेरे मासूम बेटे को
अपनी तरह चालाक बना दिया घर में देखो किस
तरह से मासूम बनी रहती है मेरे सीधे-साधे
बेटे को अपने इशारों पर न चाती है और मेरा
बेटा हमेशा अपनी पत्नी का गुलाम बना रहता
है मैंने देखा था जब भी भैया और भाभी घर
वापस आते थे तो भाभी की हालत बहुत ज्यादा
अजीब होती थी और उनका सांस फूल रहा होता
था लेकिन दोनों के चेहरे खिले खिले होते
थे भाभी घर में आते ही अपने कमरे में आराम
करने के लिए चली जाती थी उसके बाद जब वो
कमरे से बाहर निकलती तो बिल्कुल ठीक लगती
थी भैया के चेहरे पर भी एक अजीब सी
मुस्कान होती थी मुझे यह सोचकर हैरत होती
कि चीते जैसे खतरनाक जानवर को देखकर भैया
भाभी को डर नहीं लगता बल्कि वह दोनों तो
खुश हो जाते हैं ना जाने मां क्यों प्रतीक
भैया और सुनैना भाभी को खुश देखकर भड़क
उठती थी शायद इसीलिए मां को सुनैना भाभी
शुरू से ही पसंद नहीं थी हमारे घर की वही
कहानी है जो दूसरे घरों की होती है मेरी
मां भैया की शादी अपनी मर्जी के मुताबिक
अपनी पसंद की लड़की से करवाना चाहती थी
लेकिन भैया ने तो भाभी को पसंद कर लिया था
और उसके बाद उन्होंने मां से भाभी के लिए
रिश्ते को कहा लेकिन मां रिश्ते के लिए
राजी नहीं हो रही थी वो नहीं चाहती थी कि
सुनैना भाभी की शादी मेरे भैया के साथ हो
जाए जब मां भैया के इस रिश्ते पर राजी
नहीं हो रही थी तो भैया ने अपनी मर्जी से
ही भाभी को भगाकर शादी कर ली और शादी करने
के बाद वह उन्हें घर ले आए अब प्रतीक भैया
मां के इकलौते बेटे थे और वही हमारे घर
में अकेले कमाने वाले थे वोह भैया को अपने
आप से दूर नहीं कर सकती थी इसलिए उन्होंने
उनको इस गलती के लिए माफ तो कर दिया लेकिन
वह आज भी भाभी को इस सबका कसूरवार ठहराते
है और उनसे नफ त करती हैं मां का बिहेवियर
भाभी के साथ बिल्कुल अच्छा नहीं रहता हम
दो बहनें थे और एक प्रतीक भैया मेरी बड़ी
दीदी का नाम सोनाक्षी था मेरे पिताजी तो
बीमार रहते थे और उनकी हमेशा दवाइयां चलती
रहती थी उनकी तबीयत कभी भी बिगड़ जाती थी
इधर मां पिताजी की वजह से बहुत परेशान
रहती थी क्योंकि हमेशा मेरे पिता बीमार
रहते थे और उनकी दवाइयों में काफी सारा
पैसा खर्च हो जाता था मां का कहना था कि
मेरा एक ही बेटा है और उसकी शादी में अपनी
पसंद के मुताबिक करूंगी लेकिन भैया ने मां
के सपने को चकनाचूर कर दिया था मैं तो अभी
पढ़ाई कर रही थी मेरा इंटर कंप्लीट होने
वाला था अब मेरे भैया भाभी की शादी को आठ
महीने होने वाले थे मैंने जब से होश
संभाला था मां और पिताजी हमेशा छोटी-छोटी
बातों पर लड़ते रहते थे मेरी दीदी की तो
शादी हो गई थी अब मैं ही कुंवारी बची थी
लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी
मैं पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहती थी मगर
हमारे गांव में लड़कियों को नौकरी नहीं
करने दिया जाता था मुझे तो नौकरी करती हुई
लड़कियां बहुत पसंद थी मेरे पिताजी तो
चाहते थे कि मैं खूब पढ़ूं लिखूं लेकिन
मां कहती थी कि लड़कियां घर गिरस्ती
संभालती हुई अच्छी लगती हैं मेरी मां बहुत
ही पुराने ख्यालों वाली औरत थी और वह
चालाक सासों की तरह हमेशा मेरी भाभी को
तंग करती रहती थी मेरे पिता मां को बहुत
समझाते थे कि बहू पर इतना अत्याचार मत
किया करो तुम्हारे आगे भी बेटियां हैं
लेकिन मेरी मां तो समझने के लिए तैयार ही
नहीं थी इसी बात पर मां और पिताजी दोनों
में बहुत ज्यादा लड़ाई रहती थी भैया तो
भाभी का बहुत ख्याल रखते थे उनका बहुत
कहना मानते थे लेकिन मुझे कभी-कभी ऐसा
लगता था जैसे भाभी की तबीयत ठीक नहीं रहती
लेकिन वह बेचारी फिर भी घर के सारे काम
किया करती थी और मां की सारी बातों को
खामोशी से सुना करती थी कभी उन्होंने मां
को पलटकर जवाब तक नहीं दिया था जबकि मेरी
मां भाभी को बहुत बुरा भला कहती थी मां तो
भाभी से बहुत बैर रखती थी सुबह स मेरे ही
मां उठकर बैठ जाया करती थी ढंग से दिन भी
नहीं निकलता था गर्मियों का महीना था हम
सब लोग छत पर एक साथ सोया करते थे क्योंकि
दिन भर की गर्मी की वजह से कमरों के अंदर
बहुत ज्यादा घुटन पैदा हो जाती थी हमारे
घर में एसी भी नहीं था जबकि रात को ठंडी
हवा चलती थी तो हम सब छत पर चले जाते थे
मां सुबह के 6:00 बजे ही उठ जाया करती थी
और सबसे पहले प्रतीक भैया के कमरे का
दरवाजा बजाना शुरू कर देती थी हमारी आंख
मां के दरवाजा खटखटाने की आवाज पर ही
ज्यादा खुलती थी जिस अंदाज से मां प्रतीक
भैया के कमरे का दरवाजा बजाती थी हमें
लगता था जैसे कोई तूफान आ गया है हम उठकर
बैठ जाते थे और प्रतीक भैया तो मलती हुई
आंखों से दरवाजा खोलने के लिए आया करते थे
फिर वह मां से शिकायत करते कि अभी तो ठीक
से दिन भी नहीं निकला है और आप अभी से ही
जगाने के लिए आ गई हो वो मां से कहते मां
प्लीज ढंग से दिन तो निकलने दिया करो आपको
पता है ना कि मैं रात को भी देर से सोता
हूं हूं इसलिए मेरी नींद पूरी नहीं हो
पाती उधर दिन ठीक से नहीं निकलता और इधर
आप मेरा दरवाजा बजाना शुरू कर देती हो मां
भैया की बात सुनकर रोना-धोना शुरू कर देती
थी सुबह-सुबह ही सारे घर में हंगामा मच
जाता था मां प्रतीक भैया से कहती कि अब
तुझे मेरे आगे भी जुबान चलानी आ गई पहले
तो तू मेरी हर बात को खामोशी से सुनता
रहता था और तुझे पता है कि मैं पहले से ही
तुझे इतनी ही सवेरे उठाती हूं लेकिन अब तो
तुझे हर बात से शिकायत होने लगी है जब से
तेरी पत्नी इस घर में क्या आई है तू तो
अपनी पत्नी का गुलाम बनकर रह गया और देखो
मेरे सामने तेरी कितनी जुबान चलने लगी है
मुझे पहले से ही पता था कि सुनैना बहुत
तेज लड़की है इसलिए तो मैं तेरी इसके साथ
शादी के लिए राजी नहीं थी इस लड़की ने
तुझे मेरे आगे बोलना सिखा दिया वरना तू तो
अपनी मां का सीधा साधा सा बेटा था मां
भाभी और भैया को बहुत बुरा भला कह रही थी
पिताजी ने फिर मां को डांट लगाई और कहने
लगे कि इतनी सुबह-सुबह किस बात का शोर
मचाया हुआ है भैया फिर खामोशी से नहाने के
लिए चले गए हमारा घर पुराने टाइप का बना
हुआ था मां की बहस की वजह से हमारे घर में
सुबह-सुबह हंगामा खड़ा हो जाता था प्रतीक
भैया भी शाम को जब काम से घर आते और खाना
खाने के बाद भाभी को तैयार कराने के बाद
ना जाने कहां लेकर चले जाते थे मां के
नाराज होने की भी कोई फिक्र नहीं करते थे
अजीब बात यह थी कि भैया और भाभी जब भी घर
वापस आते थे तो भाभी का चेहरा बहुत उदास
होता था उनके चेहरे पर थकन नजर आती थी और
प्रतीक भैया भाभी को आराम से पकड़कर घर
में लाते थे जैसे किसी बीमार इंसान को घर
में पकड़कर लाया जाता है और भाभी सीधा
अपने कमरे में जाकर कुछ देर आराम करती थी
लंबे-लंबे सांस भरने लग जाती थी जैसे उनकी
तबीयत ठीक नहीं है लेकिन इसके बावजूद भैया
और भाभी एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे
होते थे और आंखों से अजीब से कुछ इशारे
करते थे जैसे वह आंखों ही आंखों में कोई
बात करना चाह रहे हों मैं उन लोगों के इन
आंखों के इशारे को नोटिस किया करती थी मैं
सब कुछ देखकर नजरें झुका लेती थी लेकिन उन
दोनों की मुस्कुराहट मेरी मां के सीने को
छलनी करके रख देती थी मुझे ना जाने क्यों
दिन बदन चीता देखने का इंटरेस्ट आने लगा
था मैं स्कूल अपनी फ्रेंड्स के साथ ही
जाती थी और इत्तेफाक यह था कि सीधी सड़क
वाले रास्ते से ही जाते थे वहां से हमें
शॉर्टकट पड़ता था मुझे ना जाने क्यों चीता
देखने का इंटरेस्ट हो रहा था मैं मैंने इस
बारे में अपनी फ्रेंड्स को भी बता दिया था
शायद मेरी किसी फ्रेंड ने चीता देखा हो
लेकिन इस बात के बारे में मेरी फ्रेंड्स
में से कोई भी नहीं जानता था कोई इस बारे
में कुछ जानता ही नहीं था मुझे तो बड़ी
हैरानी हुई थी कि इतनी बड़ी बात है हमारे
गांव में चीता आया हुआ है और मेरे
फ्रेंड्स को कुछ पता ही नहीं ऐसी बात तो
हमारे गांव में जंगल की आग की तरह फैलती
है फिर यह कैसे मुमकिन था कि किसी को इस
बात के बारे में कुछ पता ही नहीं था अब तो
मेरा इंटरेस्ट और भी ज्यादा बढ़ने लगा था
सारा दिन अपनी क्लास में बैठकर भी मेरा
ध्यान बार-बार उस चीते की तरफ जा रहा था
हालांकि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी थी मेरा
दिमाग बहुत तेज था हर साल में फर्स्ट आती
थी और अब तो वैसे भी मेरा स्कूल में लास्ट
ईयर चल रहा था मेरा इंटर कंप्लीट होने के
बाद मेरा एडमिशन कॉलेज में होना था मेरे
टीचर्स हमेशा मेरी तारीफ करती थी लेकिन आज
मेरा दिमाग ना जाने कहां पर खोया हुआ था
मेरे टीचर ने जब मुझे खोया हुआ देखा तो
पूछा कि तुम्हें क्या हुआ है तुम कहां खोई
हुई हो अचानक मैं उनकी बात पर घबरा गई थी
दिमागी तौर पर मेरा ध्यान तो चीते की तरफ
ही पड़ा हुआ था मैं बार-बार उसके बारे में
ही सोच रही थी जो सीधी सड़क पर आ गया था
लेकिन भैया भाभी के अलावा चीते को किसी ने
भी नहीं देखा था मुझे याद आने लगा कि
चिड़िया घर देखने का तो मुझे भी बहुत शौक
था बचपन में बस हम एक बार ही शहर गए थे
वहां पर हमने जाकर चिड़िया घर देखा था मैं
चिड़िया घर देखकर कर बहुत खुश हुई थी
पिताजी हमें चिड़िया घर दिखाने के लिए ले
गए थे पहली बार सारे जानवरों को अपनी
आंखों से देखकर मुझे यकीन नहीं हो रहा था
हम लोग इस तरह से खुश हो रहे थे जैसे किसी
अजूबे को देख लिया हो और मेरी बदकिस्मती
यह थी कि उस वक्त चीता चिड़िया घर में
नहीं था मैंने चीते को सिर्फ किताबों और
टीवी में ही देखा था अभी तक मैं चीते को
अपनी आंखों से नहीं देख पाई थी फिलहाल अभी
तो मैं बहुत ज्यादा कंफ्यूज हो रही थी
मेरे सामने मेरी टीचर खड़ी हुई थी और
उन्होंने मेरे हाथ पर डंडा मार दिया वह
मुझे घूर कर देखने लगी और कहने लगी
तुम्हारा ध्यान कहां पर है मैंने उनसे
नजरें चुरा ली टीचर ने डंडा मेरे हाथ पर
बड़ी जोर से मारा था मैंने जल्दी से चीते
पर से अपना ध्यान हटा लिया और पढ़ाई करने
लगी छुट्टी के टाइम मैंने सोचा कि एक बार
मैं सीधी सड़क के रास्ते पर कुछ देर तक
रुककर इंतजार करके देखती हूं शायद मुझे
चीता नजर आ जाए मैंने फैसला कर लिया था और
सोचा था कि मैं अकेले तो इस सड़क पर नहीं
खड़ी रह सकती मुझे अपनी फ्रेंड्स को भी इस
बारे में बताना होगा मैं अपनी फ्रेंड्स के
साथ सीधी सड़क वाले रास्ते से आने लगी
मेरे अंदर एक अजीब सी एक्साइटमेंट जाग रही
थी एक तो चीते को देखने का इंटरेस्ट और
खुशी दूसरा यह डर कि कहीं चीता हमें कोई
नुकसान ना पहुंचा दे क्योंकि वह एक बहुत
खतरनाक जानवर होता है अगर उसने मुझ पर
हमला कर दिया तो वह खूंखार जानवर मेरी तो
चीड़ फाड़ करके रख देगा फिर कौन नहीं
जानता कि चीता खतरनाक होने के साथ-साथ
चालाक भी होता है और मानव शरीर के मांस को
तो वह खाने का भूखा होता है मैंने चीते के
बारे में काफी सारी कहानियां पढ़ी हुई हैं
अब तो मुझे और भी ज्यादा चीते को देखने का
मन कर रहा था हम सारी फ्रेंड्स मिलकर सीधी
सड़क के रास्ते पर आ गई थी मैंने अपनी
फ्रेंड्स को वहां पर रुकने के लिए कहा
लेकिन मेरी सारी फ्रेंड्स को ही घर जाना
था इसलिए उन्हें लेट हो रहा था तो वह चली
गई तो फिर मैंने उनको भेज दिया और मैं खुद
अकेले खड़े होकर वहां इंतजार करने लगी
मुझे वह चीता देखना था इसलिए मैं वहीं
खड़े होकर चीते का इंतजार कर रही थी और घर
नहीं गई थी मुझे वहां पर खड़े हुए काफी
देर हो गई थी मैं चारों तरफ देख रही थी
मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं मुझे
चीते ने देख लिया तो क्या होगा मैं बहुत
सावधानी से चारों तरफ नजरें दौड़ा रही थी
उस वक्त तो इतनी धूप थी कि मुझे वहां पर
टहलते हुए काफी देर हो गई थी और गर्मी भी
लग रही थी मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग
चुका था एक घंटा पूरी सावधानी के साथ
चारों तरफ नजर घुमाते हुए चीते को ढूंढ
चुकी थी लेकिन मुझे कहीं भी चीता नहीं
मिला था मैं बड़ी मायूस सी हो गई थी मायूस
होकर जब मैं घर वापस आई तो मां बहुत
ज्यादा गुस्से में थी मैंने देखा कि मां
भाभी को डांट रही थी और भाभी भी रो रही थी
मैं समझ गई थी कि मां ने जरूर भाभी से कुछ
ऐसा वैसा कह दिया होगा मां ने भाभी से कहा
कि सुनैना तुम्हारे यह हथकंडे मेरे घर
नहीं चलेंगे बहाने बना बनाकर बहला फुसलाकर
तुम मेरे बेटे को रात को घर से उसे ना
जाने कहां लेकर चली जाती है तू मेरे बेटे
को मुझसे दूर नहीं कर सकती मैं तुझे समझा
देती हूं कि रात को अपना बिस्तर छत पर कर
लेना इतनी गर्मी है फिर भी तुम दोनों बंद
कमरे में सोते हो तुम दोनों को कमरे के
अंदर नींद कैसे आ जाती है प्रतीक को तो
शादी से पहले बिल्कुल भी गर्मी बर्दाश्त
नहीं थी और अब जून के महीने में भी वह
कमरा बंद करके सो रहा है वह पहले हम सब
लोगों के साथ ही छत पर सोया करता था ना
जाने तूने मेरे बेटे पर ऐसा क्या जादू कर
दिया है कि वह हमेशा तेरा ही कहना मानता
है मैं भी देखती हूं कि रात को तुम लोग
कैसे कमरे में सोते हो मां को ना जाने
भाभी से क्या प्रॉब्लम थी वो बेचारी बिना
आवाज के रो रही थी भाभी मां से कहने लगी
कि मम्मी जी मैंने तो प्रतीक से कहा था कि
हम लोग छत पर बिस्तर करके सो जाते हैं
लेकिन उन्होंने मना कर दिया था भाभी की
किसी बात पर मां को कोई यकीन नहीं आ रहा
था मां भाभी से कहने लगी कि बस बस रहने दे
मेरे सामने ज्यादा मासूम बनने की जरूरत
नहीं है मां ने तो फौरन ही उन्हें टोक
दिया था मेरी बड़ी दीदी उनका रंग बहुत
ज्यादा सांवला था उनका कहीं पर रिश्ता
नहीं हो पा रहा था जब भाभी हमारे घर शादी
करके आई थी तो मां को उनका बड़ा भाई बहुत
पसंद आया था मां ने शर्त रखी थी कि मैं
तुझे एक ही शर्त पर एक्सेप्ट करूंगी जब तू
मेरी बेटी की शादी अपने भाई से करवा देगी
भाभी की फैमिली वाले तो पहले ही उनसे बहुत
ज्यादा नाराज थे बड़ी मुश्किल से भाभी ने
अपनी फैमिली को अपनी तरफ से राजी किया था
और फिर अपने भाई को भी राजी किया था कि वह
अपनी बहन का घर बसाने की खातिर उनकी नंद
से शादी कर ले अब भाभी ने तो भागकर शादी
की थी वह लोग भाभी से बहुत ज्यादा नाराज
थे लेकिन बहन भाई का रिश्ता तो बहुत ही
प्यार से बनाया गया है इसलिए अपनी बहन का
घर बसाने की खातिर और अपनी बहन को खुश
देखने की वजह से उन्होंने भाभी को माफ कर
दिया और साथ ही साथ मेरी बड़ी दीदी के साथ
शादी भी कर ली भाभी का भाई मेरी दीदी का
बहुत खल खल रखता था हमेशा उनके इशारों पर
चलता था जबकि मेरी दीदी का रंग बहुत सावला
था इस वजह से उनका रिश्ता नहीं लग पा रहा
था लेकिन शादी करने के बाद वह अपनी पत्नी
को बहुत प्यार करने लगा था मेरी बड़ी दीदी
बहुत अच्छी थी और बहुत अच्छे बिहेवियर की
थी लेकिन मेरी मां ने उनकी आदत को बिगाड़
दिया था मां हर रोज उनसे फोन पर बातें
करती और कहती क्या अपने पति को काबू में
रखना और यहां सुनैना भाभी को वह परेशान
करती रहती थी हालांकि सुबह-सुबह ही उठकर
भाभी घर के कामों में लग जाती थी सुबह
होते ही उन्होंने सबके लिए नाश्ता बनाना
घर की सफाई लगाना और दोपहर का खाना बनाना
सारे काम ज्यादातर भाभी ही किया करती थी
मां तो सिर्फ थोड़ा बहुत पिताजी का काम ही
कर लेती थी मुझे खुशी थी कि चलो इस सब में
मां ने मुझ पर गुस्सा नहीं निकाला था कि
मैं इतनी देर से घर कैसे आई थी किसी का
मुझ पर कोई ध्यान ही नहीं था मैं खामोशी
से अपने कमरे में चली गई प्रतीक भैया तो
नाश्ता करने के बाद सुबह को अपनी दुकान पर
जाने के लिए घर से निकल जाते थे और फिर
शाम को ही घर लौटते थे और जब तक सुनैना
भाभी की बात-बात पर शामत आती रहती थी मैं
इतनी गर्मी में कॉलेज से आई थी आते ही मैं
नहाने चली गई ठंडे-ठंडे पानी से नहाकर
मुझे कुछ सुकून मिल गया था उस टाइम भाभी
अपने कमरे में बैठी हुई थी मैं भाभी के
कमरे में चली गई वह बेचारी खाना खाते-खाते
आंसू भी बहर रही थी मैं भी उनके पास बैठ
गई उन्होंने मुझे भी कहा कि तुम भी खाना
खा लो लेकिन मैंने उन्हें इंकार कर दिया
और कहा कि भाभी आप खाना खाइए आपकी तबीयत
ठीक नहीं लग रही उन्होंने कहा तुम ठीक कह
रही हो मेरी तबीयत ठीक नहीं है भाभी की
ऐसी हालत देखकर मुझे मां के बिहेवियर पर
अफसोस हो रहा था मैंने भाभी को तसल्ली दी
कि मां को तो ऐसी कड़वी बातें बोलने की
आदत है आप उनकी बातों को दिल पर मत लिया
करो मेरी थोड़ी सी हमदर्दी से भाभी बोलने
लगी थी और कहने लगी मैं कुछ भी कर लूं
लेकिन मेरी सास का बिहेवियर मेरे लिए कभी
ठीक नहीं होता मैंने कहा भाभी आप मां की
बातों पर ध्यान मत दिया करो एक कान से
सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया करो मेरी
बात सुनकर उन्हें तसल्ली हो गई थी फिर
मैंने मेन मुद्दे पर बात की मैंने भाभी से
कहा भाभी यह चीता आपने कौन सी सड़क पर
देखा था मुझे तो कहीं पर नजर नहीं आया मैं
तो लगभग एक घंटे तक सड़क पर खड़े होकर
चारों तरफ देखकर आई हूं मेरी बात पर भाभी
हैरान हो गई थी और उनके चेहरे के
एक्सप्रेशन बदल गए थे वो कहने लगी कि तुम
क्यों वहां पर खड़े होकर चीते के आने का
इंतजार कर रही थी तुम छोटी हो अगर तुम पर
हमला हो गया तो फिर हम लोगों का क्या होगा
मैंने गौर से भाभी की तरफ देखा तो वो
दुबली पतली सी थी और मेरी सेहत तो भाभी से
थोड़ी ज्यादा ही थी मैंने कहा भाभी आप कौन
सा बहादुर हो आप भी तो चीते को दूर से
देखकर आती हो ना मैं भी दूर से ही देख
लूंगी बस मुझे बड़ा शौक है इसलिए मुझे भी
अपने साथ लेकर जाना रात को जब आप भैया के
साथ चीता देखने जाओगी तो मैं भी आपके साथ
चलूंगी ना जाने क वह मेरी बात पर अजीबी
परेशानी का शिकार हो गई थी और वह मुझसे
नजरें चुराने लगी कहने लगी तुम इस बारे
में अपने भैया से ही पूछ लेना जिस तरह से
उन्होंने मुझे टाल दिया था मुझे तो अब मां
की बातें सच ही लगने लगी थी कि भाभी भैया
के कान भरती है वरना मुझे अपने साथ ले
जाने में उन्हें क्या प्रॉब्लम है उनके
साथ मैं भी चीते को देख लूंगी लेकिन वही
हुआ जिसका मुझे शक था भाभी के इशारे पर
भैया मुझ पर बरस पड़े कहने लगे कि मैं
तुम्हें अपने साथ नहीं लेकर जाऊंगा अब तो
मुझे भी भाभी पर गुस्सा आ गया था मेरे
दिमाग में एक ऐसा आईडिया आया कि मेरे होश
से उड़ने लगे थे पता नहीं यह कैसा चीता है
जो भैया को सिर्फ रात को ही आने पर दिखाई
देता है जिसे भाभी को दिखाने के लिए भैया
रात को लेकर जाते हैं और ऐसा भी है कि
इसको पूरे गांव में किसी ने नहीं देखा
सिर्फ भैया भाभी ही रात को देखने के लिए
जाते हैं चीते को रोज देखकर भाभी को ऐसा
क्या होता है जो वह घर वापस आती हैं तो
उनकी तबीयत ठीक नहीं होती उन्हें बहुत
ज्यादा थकान होती है और भैया उनको पकड़ कर
लाते हैं और फिर एक दूसरे को देखकर अजीब
सी मुस्कुराहट में बातें करने लग जाते हैं
फिर वह चीता स्पेशली भैया और भाभी को ही
क्यों दिखाई देता है बाकी तो कभी किसी ने
इस चीते के बारे में कोई बात तक नहीं की
थी मैं जब भी अपनी फ्रेंड से मिलती थी और
उनसे कहती कि सीधी सड़क वाले रास्ते पर
कभी तुम लोगों ने चीते को देखा है तो सब
की सब मेरा मजाक उड़ाने लग जाती थी कहती
कि ऐसा कौन सा चीता है जो सीधी सड़क वाले
रास्ते पर ही रहता है अरे अगर ऐसी कोई बात
होती तो उस चीते को पकड़ने के लिए अभी तक
टीम आ गई होती क्योंकि कभी भी ऐसे खतरनाक
जानवर को खुला नहीं छोड़ा जा सकता लोग इस
गांव में अपनी जान बचाने की खातिर यहां से
अभी तक भाग गए होते अगर ऐसा होता तो वो
चीता अभी तक पकड़ा जा चुका होता बात तो
ठीक थी कि आखिर किसी और को वह चीता नजर
क्यों नहीं आता अब तो मेरे अंदर का एक
जासूस जाग चुका था मुझे अब इस राज से
पर्दा हटाना ही था कि आखिर ऐसा कौन सा राज
है जो भैया भाभी रोज इसी टाइम पर जाते हैं
वोह भी मां की मना करने के बावजूद भी मैं
अब दिल में यह ठान चुकी थी कि सच्चाई को
सामने लाकर ही रहूंगी अभी मैंने अपनी बात
पर ध्यान ही दिया था और मैं इस बारे में
सोची रही थी कि मेरी बड़ी दीदी रोते धोते
हमारे घर पर आ पहुंची उनके पति से उनका
बहुत बड़ा झगड़ा हो गया था और उन्होंने
दीदी के मुंह पर थप्पड़ मार दिया था अब
हमारे घर पर एक और तूफान ख खड़ा हो चुका
था काफी दिनों तक दीदी हमारे घर पर ही रही
और कुछ दिनों बाद उन्होंने एक अजीब सी रट
लगा ली वह कहने लगी कि प्रतीक भी सुनैना
को एक दो थप्पड़ मारकर उसको उसके मायके
छोड़कर आए यह बात सुनकर तो भैया चौक गए थे
क्योंकि भैया भाभी आपस में एक दूसरे के
साथ बहुत खुश रहते थे भैया ने कहा कि
तुम्हारे इस मैटर में भला मेरा और सुनैना
का क्या कसूर यह बात कहनी थी कि मां तो
भैया के पीछे ही पड़ गई कहने लगी हां
तुम्हारी पत्नी तो बहुत मा मासूम है मेरी
बेटी का ही सारा कसूर है मुझे अपनी बेटी
की शादी इसके मनहूस भाई के साथ करनी ही
नहीं चाहिए थी मुझे क्या पता था कि वह
मेरी बेटी के साथ अत्याचार करता है उस पर
हाथ उठाता है प्रतीक भैया कहने लगे आपकी
बेटी ने ही कुछ गलत किया होगा तभी तो इसका
पति भी इस पर हाथ उठाने पर मजबूर हो गया
ऐसे ही तो कोई किसी पर हाथ नहीं उठाता मां
कहने लगी तुझे अपनी बहन की तकलीफ का जरा
भी एहसास नहीं है यह बात सुनकर पिताजी को
भी गुस्सा गया था उन्होंने भी मां को डांट
लगाई और कहा कि बेटा ठीक ही तो कह रहा है
तू अपनी बेटी से फोन पर बात किया करती थी
और उसको यही समझाती थी कि अपने पति को
हमेशा काबू में करके रखना हर मर्द काबू
में आने वालों में से नहीं होता तेरी बेटी
ने तेरा कहना मानकर ही घर में लड़ाई झगड़ा
पैदा किया होगा तभी इसका पति इस पर हाथ
उठाने पर मजबूर हो गया होगा इस बात पर मां
और पिताजी दोनों में आपस में झगड़ा होने
लगा था हमारा घर तो ऐसा प्लेटफार्म बन गया
गया था जहां पर हमेशा झगड़े ही होते रहते
थे लेकिन मां और दीदी ने तो जिद बांध ली
थी कि अब तो इस घर में तुम्हारी पत्नी तभी
वापस आएगी जब यह अपने भाई को जाकर समझाए
गी कि वह मेरी बेटी से आकर माफी मांगे और
यहां से लेकर चला जाए भैया बहुत ही ज्यादा
परेशान हो गए थे भला यह किस तरह की जिद थी
इस सब में भैया भाभी का तो कोई कसूर ही
नहीं था भैया बार-बार भाभी की तरफ देख रहे
थे और भाभी का रो-रोकर बुरा हाल था भाभी
खुद आकर आगे बढ़ी और मां से कहने लगी कि
मां जी मुझे दीदी का दुख है लेकिन भैया की
सजा मैं क्यों भुगत भाभी की बात बिल्कुल
ठीक थी लेकिन कुछ भी हो जाता मेरी मां
अपनी जिद से हटने वाली नहीं थी चाहे वह उन
दोनों का रिश्ता क्यों ना खत्म करवा देती
अगर एक तरफ रिश्ता खत्म हो रहा था तो मां
भाई और भाभी का भी रिश्ता खत्म करवाने पर
तुल जाती मां पर तो पिताजी की भी किसी
डांट का कोई असर नहीं होता था प्रतीक भैया
ने भाभी पर हाथ तो नहीं उठाया लेकिन
उन्हें सामान पैक करने को कहा कहने लगी
सुनैना जाकर अपना सामान पैक करो मैं
तुम्हें तुम्हारे माय के छोड़कर आता हूं
भाभी को गुस्सा आ गया था और वह कहने लगी
प्रतीक तुम मुझे किस बात की सजा दे रहे हो
भैया ने अपनी नजरें झुका ली थी भैया मां
की जिद के सामने इंकार नहीं कर सकते थे
मां को तो सिर्फ लड़ाई झगड़ा करने का मौका
चाहिए होता था मां कहती कि अगर मैं अपनी
पसंद की लड़की इस घर में लेकर आती तो वह
मेरे घर को स्वर्ग बना देती मैंने तो
बेकार ही इसके भाई की शादी अपनी बेटी बेटी
के साथ करवाई कहीं और करवाती तो मेरी बेटी
का घर भी खुशी-खुशी बसा हुआ होता मां ने
रो-रोकर बुरा हाल कर लिया था उधर पिताजी
का गुस्सा ऐसी बातें सुनकर हाई हो चुका था
सुनैना भाभी रोते धोते अपना सामान पैक
करके घर से जा चुकी थी क्योंकि झगड़ा अब
डिवोर्स तक पहुंच चुका था क्योंकि मां की
शर्त थी कि तुझे अगर अपनी बहन का घर बसाना
है तो अपनी पत्नी को डिवोर्स देनी होगी
लेकिन भैया तो किसी भी हाल में भाभी को
नहीं छोड़ सकते थे अब घर में हर दिन इस
बात पर झगड़े होने लगे थे रात के टाइम पर
अचानक मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि
भैया के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और वह
अपने कमरे में मौजूद नहीं थे बाहर का गेट
खोलकर घर से बाहर चले गए थे मैं सोच रही
थी कि आज तो भाभी भी घर में नहीं है और
भैया इस टाइम पर कहां गए होंगे लेकिन यह
एक दिन की बात नहीं थी अब भैया रोज रात को
घर से निकल जाते थे इस बार मैंने भैया का
पीछा करने की ठान ली थी जैसे ही भैया बाहर
निकले मैं मैं भी जल्दी से दुपट्टा ओड़कर
घर से निकल गई थी मां और पिताजी तो गहरी
नींद में सोए हुए थे सड़कों पर गहरा
सन्नाटा छाया हुआ था मैंने देखा कि भैया
भाभी के माइके की तरफ जा रहे थे क्योंकि
भाभी का माइका भी हमारे घर से थोड़ी दूरी
पर ही था इस टाइम वह भाभी के मायके की तरफ
क्यों जा रहे थे मुझे तो डर लग रहा था
कहीं भैया ने अगर मुझे उनका पीछा करते हुए
देख लिया तो मेरी पिटाई लग जाएगी मुझे लगा
कि कहीं भैया भाभी को मायके से चीता दिख
खाने तो नहीं लेकर जा रहे पहले भैया भाभी
के घर गए मैंने देखा कि भाभी दरवाजे पर ही
खड़ी होकर भैया का इंतजार कर रही थी
उन्होंने अपने चेहरे को छुपाया हुआ था वह
दोनों हाथ पकड़कर चलने लगे मैं भी उनका
पीछा कर रही थी व दोनों सीधी सड़क वाले
रास्ते पर चलने लगे मैं उन दोनों का पीछा
करते-करते सीधी सड़क वाले रास्ते पर ही
चलने लगी थी मुझे डर लग रहा था कि कहीं से
चीता ना आ जाए फिर मैं अपना बचाव कैसे कर
सकूंगी मेरे दिल में आया कि मैं वापस लौट
जाऊं लेकिन मेरे अंदर बैठे इंसान का मैं
क्या कर सकती थी मेरे अंदर तो बस ये जानने
का इंटरेस्ट था कि भैया भाभी रात को चीता
ही देखने जाते हैं या फिर कुछ और मैं उनके
पीछे-पीछे ही चल रही थी भैया भाभी को लेकर
पता नहीं कहां जा रहे थे हम लोग चलते-चलते
काफी दूर तक आ गए थे मैंने तो यह रास्ता
भी नहीं देखा था मैं तो बस उनको फॉलो कर
रही थी मुझे डर भी लग रहा था लेकिन मैं
देखना चाह रही थी कि आखिर यह दोनों कहां
जा रहे हैं और फिर इतनी रात को इनका यहां
से जाने का क्या मतलब बनता है यह सड़क
बहुत लंबी थी हम लोग चलते-चलते काफी दूर
तक आ गए थे तभी अचानक मुझे किसी चीज की
हलचल महसूस हुई मैं घबरा स गई थी कि कहीं
चीता तो नहीं आ गया जैसे ही मैंने पलट कर
देखा तो दूर से एक गाड़ी आ रही थी मेरी
जान में जान आई लेकिन मैं यह देखकर हैरान
थी कि भईया और भाभी एक सरकारी अस्पताल के
अंदर घुस गए थे यह सरकारी अस्पताल हमारे
गांव के बाहर थोड़ी सी दूरी पर बना हुआ था
भैया भाभी सरकारी अस्पताल के अंदर चले गए
मैं भी उन दोनों के पीछे-पीछे अंदर चली गई
जैसे ही मैं अंदर गई वहां पर मुझे नर्स ने
रोक लिया और मुझसे पूछा कि तुम्हें क्या
काम है मैंने अपना चेहरा दुपट्टे से
छुपाया हुआ था अचानक भैया भाभी ने पीछे
पलट कर देखा और उन दोनों ने मुझे पहचान
लिया मैं हैरान रह गई थी और मेरी सारी
सच्चाई खुलकर भैया भाभी के सामने आ गई थी
भैया भाभी ने नर्स को कहा कि यह लड़की
हमारे साथ है क्योंकि रात के इस टाइम पर
अस्पताल वालों को भी चौकन्ना रहना पड़ता
है कि कहीं कोई गलत इंसान अस्पताल में ना
घुस जाए मुझे भैया से बहुत ज्यादा डर लग
रहा था भैया मेरे करीब आए और मुझे घूर कर
देखने लगे मैंने अपनी नजरें नीचे झुका ली
थी क्योंकि भैया समझ गए थे कि मैं उन
दोनों का पीछा करते हुए यहां तक आई हूं
जिसकी मुझे उम्मीद थी वही हुआ भैया ने
मुझे डांटते हुए कहा कि यहां पर क्या कर
रही हो मैंने भैया से कहा कि मैं आप लोगों
का पीछा कर रही थी मैंने घर मैं आपको
बिस्तर पर मौजूद नहीं पाया तो मैं आपका
पीछा करते हुए यहां तक आ गई लेकिन अब आप
मुझे बताइए कि आप दोनों यहां इस अस्पताल
में क्या करने आए हो भैया भाभी एक दूसरे
का चेहरा देखने लगे फिर भाभी ने भैया से
कहा कि अब यह यहां तक हमारा पीछा करते हुए
आ गई है तो हमें इसको सब कुछ बता देना
चाहिए मैं बड़ी हैरानी से भैया भाभी की
तरफ देख रही थी भाभी की आंखों में मुझे
आंसू नजर आ रहे थे भैया ने कहा कि अब तुम
ही बताओ हमारे रे घर में जो हंगामा रोज
मां करती है इसमें मेरा और तुम्हारी भाभी
का क्या कसूर है मां चाहती है कि मैं दीदी
की खातिर इसको डिवोर्स दे दूं लेकिन मैं
ऐसा नहीं कर सकता मां ने ही तो जबरदस्ती
सुनैना के भाई के साथ दीदी की शादी करवाई
थी हालांकि सुनैना का भाई शादी करने के
लिए तैयार भी नहीं था लेकिन वह सिर्फ अपनी
बहन का घर बसाने की खातिर शादी करने के
लिए तैयार हुआ था अब जब वह अपने पति से
लड़ झगड़ करर हमारे घर पर आ गई तो इसमें
भी सुनैना का कोई कसूर नहीं और सजा सुनैना
को और मुझे ही दी जा रही है तुम जानती हो
कि मैं तुम्हारी भाभी से कितना प्यार करता
हूं मैं इससे दूर नहीं रह सकता और मैं
यहां अस्पताल में आज पहली बार नहीं आया हर
रोज मैं यहां अस्पताल में आता हूं
तुम्हारी भाभी को एक अजीब तरह की बीमारी
है जिसमें उसके शरीर की रोजाना मशीनों के
द्वारा थेरेपी की जाती है इस अस्पताल में
सारी मशीनें मौजूद हैं मैं हर रोज
तुम्हारी भाभी को यहां थेरेपी के लिए लेकर
आता हूं मुझे पता है कि मां कभी भी हमें
एक साथ घूमता हुआ नहीं देख सकती इसलिए मैं
घर पर चीते का बहाना बनाता था अगर मैं
उनको सुनैना की बीमारी के बारे में बता
देता तो मां सुनैना को और ज्यादा तंग करती
और कहती कि बीमार होते हुए भी मेरे बेटे
के पल्ले से बं गई मैं नहीं चाहता था कि
सुनैना की बीमारी की वजह से मां उसे और
ज्यादा परेशान करें इसलिए मैं खामोशी से
यहां पर सुनैना का इलाज करवा रहा हूं मैं
मां के खिलाफ भी नहीं जा सकता और अपनी
पत्नी के भी जबकि मुझे पता है कि कौन सा
सही है और कौन गलत मां ने जब कहा कि सुनना
को घर से निकाल दूं इसलिए मैं उसे उसके
माइके छोड़ आया क्योंकि मुझे और अच्छा
मौका मिल गया था कि मैं रात को बहाने से
सुनैना के मायके से उसे थेरेपी करने के
लिए ले जाया करूंगा और मुझे चीते वाला झूठ
भी नहीं बोलना पड़ेगा उस दिन मेरे दिमाग
में कोई आईडिया नहीं आया था इसलिए मैंने
चीते की बात कह दी थी मैं बड़ी हैरानी से
भैया की बातें सुनने लगी मैंने कहा भैया
मैं तो आपका पीछा करते हुए इसीलिए आई थी
कि कहीं आप आज भी भाभी को चीता दिखाने के
लिए ले जा रहे हो क्योंकि मुझे भी यह
सुनकर खुशी हुई थी कि हमारे गांव में चीता
है और मैं भी उस चीते को देखना चाहती थी
लेकिन जब आपने पूरी सीधी सड़क पार कर ली
तो मैं समझ गई थी कि आप कहीं और जा रहे हो
लेकिन भाभी का इलाज कब से चल रहा है भैया
ने कहा कि तुम्हारी भाभी के शरीर में एक
अजीब तरह की बीमारी पैदा हो गई जो कोई
इतनी बड़ी तो नहीं है लेकिन उसके लिए यह
थेरेपी होना बहुत जरूरी है ताकि आगे तक इस
बीमारी की जड़ खत्म हो जाए और यह इलाज चार
महीने से चल रहा है लगभग एक महीने का इलाज
और रह गया उसके बाद मैं सुनाना को माइके
से ही ले जाकर कहीं दूसरे घर में शिफ्ट हो
जाऊंगा क्योंकि वहां रहते हुए तो मां कभी
हमें चैन से जीने नहीं देगी मैं दोबारा
वापस अपने घर नहीं जाऊंगा अगर हर रोज
हमारे घर में ऐसे ही लड़ाई झगड़ा रहे तो
सुनैना दिन बदन और ज्यादा बीमार होती चली
जाएगी जब थेरेपी होती है तो सुनैना बहुत
ज्यादा परेशान हो जाती है और इसके शरीर
में में थकावट महसूस होने लगती है मैं उसे
पकड़कर लेकर जाता हूं और मैं उसको देखकर
खुश होता हूं कि बस कुछ दिनों की बात और
है मेरी पत्नी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी
मैंने भैया से माफी मांगी और कहा कि भैया
मुझे माफ कर दीजिए मुझे आपका ऐसे पीछा
नहीं करना चाहिए था बल्कि मुझे आपसे इस
पूरी बात के बारे में पूछ लेना चाहिए था
भैया ने कहा कि कोई बात नहीं बस तुम हमारे
लिए प्रार्थना करो क्योंकि मां मेरे और
मेरी पत्नी पर ज्यादा ही अत्याचार करने
लगी है भाभी की थेरेपी होने लगी थी भाभी
की थेरेपी होते हुए देखकर मुझे डर लगने
लगा था क्योंकि उनकी चेख निकल रही थी यह
ऐसी थेरेपी थी जिसमें शरीर का गंदा खून
निकाल लिया जाता था ताकि यह जो बीमारी है
वह भाभी को खून की वजह से थी और वह सारी
बीमारी उनके गंदे खून के थ्रू निकल जाए
फिर हम भाभी को लेकर उनके मायके चले गए थे
मैंने जाकर पिताजी को सारी बात बता दी
क्योंकि एक वही थे जो मां और दीदी को काबू
में कर सकते थे और भैया को घर बुला सकते
थे पिताजी ने मां को खूब डांट लगाई और कहा
कि अगर मेरा बेटा अपनी पत्नी को लेकर घर
नहीं आया तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा आज
पिताजी ने भी फैसला कर लिया था कि आर या
पार ही होगा मां के पास तो अब कोई रास्ता
ही नहीं बच रहा था इसीलिए उन्होंने अपने
आप को शांत कर लिया क्योंकि पिताजी को
हमेशा भाभी ही सही लगती थी और वह इसी बात
पर मां से झगड़ा करते रहते थे दीदी को भी
डांट करर उनके ससुराल भेज दिया गया पिताजी
ने दीदी पर भी खूब डांट लगाई कि अपनी मां
के कहने में आकर कभी भी अपना घर मत
बिगाड़ना क्योंकि दीदी हर बार मां के कहने
पर ही जीजा जी से लड़ाई झगड़ा करती थी
उनका कहना था कि अपने पति को पल्लू से
बांध कर रखो जबकि भाभी पर वह अत्याचार
करती थी भैया भाभी को खुलकर आपस में बातें
भी नहीं करने देती थी कुछ दिनों बाद भाभी
अपने घर आ गई मां का बिहेवियर धीरे-धीरे
भाभी के साथ अब ठीक हो गया क्योंकि पिता
जी मां पर बहुत ज्यादा सख्ती करने लगे थे
वह मां को डांट में रखते थे पहले भी वह
मां को बहुत डांट ते थे लेकिन उन्हें मां
से ज्यादा बात करना पसंद नहीं था क्योंकि
मां कभी किसी की बात नहीं सुनती थी लेकिन
अब पिताजी ने फैसला कर लिया था कि बेटे का
घर बसाना है तो अपनी पत्नी को काबू में
करना होगा मां बिल्कुल ठीक चल रही है भाभी
और भैया की जिंदगी भी आपस में बहुत अच्छी
चल रही है मैं बहुत खुश हूं अपने सुखी
परिवार को देखकर क्योंकि अब हमारे घर में
लड़ाई झगड़े भी बहुत कम हो गए उधर दीदी
अपनी ससुराल में बहुत खुश हैं क्योंकि
पिताजी ने मां से मोबाइल छीन लिया है और
कहा है कि जब बेटी घर आया करेगी तभी उससे
बात किया करो फोन पर गलत बातें करके अपनी
बेटी को उसके ससुराल वालों के खिलाफ
भड़काया मत करो मैं आपसे रिक्वेस्ट करती
हूं कि अपनी बेटियों को हमेशा ससुराल में
बसने की और ससुराल वालों को समझने की
एडवाइस दिया करें और कभी मेरी मां जैसी ना
बने अगर ऐसा ही है तो फिर अपनी बहू को भी
वही सब करने दीजिए जो आपकी बेटी उसके
ससुराल वालों के साथ कर रही है इसलिए सब
मिलजुलकर खुश रहिए और आपस में प्यार
मोहब्बत बनाए रखिए ताकि हमारी नफरत की वजह
से कभी कोई चोरी चुपके गलत कदम ना उठा सके
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