Suvichar _ Emotional Hindi Kahani _ New Emotional Motivational Written Story _ Moral Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम मोनिका है मेरे पापा सरकारी
स्कूल में चपरासी की नौकरी किया करते थे
मेरे पापा एक दिन बहुत ज्यादा बीमार हो गए
उनके बीमार हो जाने के कारण हमारे घर में
बहुत सारी परेशानियां आ गई थी यहां तक कि
मेरे पापा बिस्तर से लग गए थे और हमारे घर
में पैसे आना बिल्कुल बंद हो चुके थे हम
लोग बहुत बड़ी परेशानी से गुजर रहे थे घर
के हालात देखते हुए मेरी मम्मी ने पार्लर
में नौकरी करना शुरू कर दिया एक दिन मेरी
मम्मी मुझे भी अपने साथ जबरदस्ती पार्लर
ले गई लेकिन वहां जाने के बाद तो मैं चौक
गई थी मैं हमेशा से ही बहुत खूबसूरत थी
लेकिन शायद मेरा खूबसूरत होना ही मेरे
भाग्य के लिए सबसे बड़ी बदकिस्मती की बात
थी कभी-कभी खूबसूरत चेहरा हमारे लिए
बदनसीब साथ लाता है मेरी खूबसूरती भी मेरी
जिंदगी पर एक दाग की तरह बन गई थी क्योंकि
इस खूबसूरती ने मुझे ऐसी मुसीबत में डाल
दिया था जिसके बारे में कभी मैं सोच भी
नहीं सकती थी मैं अपने माता-पिता की
इकलौती बेटी थी शायद यही वजह थी कि मेरे
पापा की सारी मोहब्बत और सारा ध्यान सिर्फ
हमेशा मुझ पर ही रहता था और वह मुझे लेकर
बहुत ही ज्यादा परेशान भी रहते थे उनकी
परेशानी के पीछे आखिर क्या वजह थी इसका
आईडिया मुझे कभी नहीं हो सका था लेकिन यह
परेशानी हमेशा नहीं रही थी जब मैं 12 साल
की हुई उसके बाद मैंने नोटिस किया कि मेरे
पापा मेरे लिए कुछ ज्यादा ही परेशान रहने
लगे हैं मेरी मम्मी भी मुझसे बहुत प्यार
करती थी लेकिन पापा के मुका मुकाबले थोड़ा
कम ही किया करती थी सबसे ज्यादा प्यार
मुझे मेरे पापा ही करते थे कुछ दिनों बाद
ही मेरे पापा की बहुत ज्यादा तबीयत खराब
हो गई और फिर मैं उनकी परेशानी की वह हर
वजह समझ गई थी फिर एक दिन मेरे साथ कुछ
ऐसा हुआ जिसने मेरे होश उड़ा दिए जब मुझे
मेरी मम्मी अपने साथ पार्लर लेकर गई तो
वहां जाते ही मेरे पैरों तले से जमीन निकल
गई थी क्योंकि जब मेरी मम्मी ने मेरे साथ
वह किया जिसकी मुझे कभी उम्मीद भी नहीं थी
पापा जी जब नौकरी से वापस आए तो बहुत
ज्यादा परेशान नजर आ रहे थे मेरे पास
बैठकर धीरे-धीरे मुझसे बातें करने
लगे जिन्हें सुनते सुनते में बड़ी हो गई
थी अब तो मुझे इन बातों का मतलब भी समझ
नहीं आता था कि पिछले सात आठ महीने से
मेरे पापा मुझसे एक ही बात कह रहे हैं
हालांकि वह मुझसे इस बात को पहले भी कई
बार कह चुके हैं लेकिन वह कभी इतना ज्यादा
सीरियस नहीं हुए थे जितना अब इन सात आठ
महीनों में रहने लगे थे लेकिन पापा ने फिर
से धीरे-धीरे
बात बतानी शुरू कर दी थी और साथ ही साथ
मुझे अपने गले से भी लगा लिया था मैं
धीरे-धीरे नींद में खो गई थी लेकिन मेरे
कानों में अभी भी पापा की हल्की-हल्की
आवाज गूंज रही थी रोज की तरह जब अगली सुबह
भी मेरी आंख खुली तो मैं कमरे में अकेली
थी मैं समझ गई थी कि दिन निकल आया है बाहर
से मुझे पापा और मम्मी की बातें करने की
आवाज आ रही थी मेरे पापा की तबीयत मुझे
काफी दिनों से ठीक नहीं लग रही थी आज भी
मुझे लग रहा था जैसे उन्होंने काम से से
छुट्टी ले ली है और वह काम पर नहीं गए मैं
कमरे से बाहर गई और जाते ही मैंने मम्मी
से नाश्ते के लिए कहा मम्मी ने मुझे
नाश्ता दिया फिर मैंने पापा से पूछा कि आज
आप काम पर क्यों नहीं गए उन्होंने कहा
बेटा मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं
काम पर नहीं गया और तुम भी आज घर में ही
रहना कहीं नहीं जाना घर से बाहर मत निकलना
लेकिन मुझे अपने पापा की इस बात पर बड़ी
हैरानी हुई थी कि मैं तो घर से बाहर कभी
जाती ही नहीं थी यहां तक कि इन दिन मेरे
स्कूल की छुट्टियां चल रही थी तभी हम
दोनों बाप बेटी के बीच मम्मी भी आकर बैठ
गई और हमसे बातें करने लगी मम्मी ने पापा
से कहा कि आज मैं मार्केट जाऊंगी इसलिए
चाहती हूं कि मोनिका को भी अपने साथ ले
जाऊं मम्मी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो
गई थी क्योंकि मुझे मार्केट जाने का बड़ा
शौक था मैंने खुशी-खुशी अपनी मम्मी से कहा
हां मम्मी मैं जल्दी से तैयार हो जाऊंगी
मैं भी आपके साथ मार्केट चलूंगी मेरी यह
बात कहनी थी कि फौरन ही पापा ने मुझे घूर
कर देखा और कहा कि मैंने कहा है ना कि तुम
घर से बाहर नहीं जाओगी मैं अपने पापा से
कुछ कहने ही वाली थी कि उन्होंने मुझे फिर
से डांट दिया और इशारे से कहने लगे कि बस
अब खामोश हो
जाओ मेरी समझ नहीं आ रहा था कि पापा ने
मुझे मम्मी के साथ जाने के लिए क्यों मना
कर दिया है हालांकि इन दिनों में नोटिस कर
रही थी कि पापा मुझे मम्मी के साथ घर से
बाहर निकलने के लिए मना ही कर रहे थे यहां
तक कि वह स्कूल भी मुझे खुद ही छोड़ने
जाते और लेने भी खुद ही आते थे जबकि पहले
मुझे मम्मी स्कूल छोड़ने जाती थी वह नहीं
चाहते थे कि मैं मम्मी के साथ कहीं भी
जाऊं और तो और वह घर के नंबर पर कॉल करके
बार-बार मेरे हालचाल पूछते रहते थे मुझे
इन सात आठ महीनों में पापा के अंदर काफी
बदलाव नजर आ रहा था उन्हें मेरी बहुत
ज्यादा फिक्र थी इसलिए मैं खामोश हो गई और
नाश्ता खत्म करके अपने कमरे में आ गई जबकि
मम्मी भी इन दिनों घर से बाहर बहुत ज्यादा
जाने लगी थी मैं गौर करती कि जब पापा घर
में होते तो मम्मी का नहीं जाती थी या फिर
उन्हें जहां भी जाना होता वह पापा को बता
दिया करती थी लेकिन जब पापा घर से बाहर
होते तो मम्मी तैयार होकर घर से निकल जाती
थी और मुझे भी नहीं बताती थी कि वह कहां
जा रही है यहां तक कि इस बारे में वह पापा
से भी कोई बात नहीं करती थी और मुझसे कह
दिया करती थी कि इस बारे में अपने पापा को
कुछ मत बताना कि मैं उनके पीछे घर से बाहर
गई हूं मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि
यह सब कुछ हमारे घर में क्या हो रहा है इन
दिनों मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं चल रही
थी और वह ज्यादातर छुट्टियां ही कर रहे थे
मैं खामोशी से अपने बिस्तर पर लेट गई और
यही सारी बातें सोच रही थी मेरा मार्केट
जाने का बहुत मन कर रहा था क्योंकि मुझे
मार्केट गए हुए काफी टाइम हो गया था मैं
सोच रही थी कि अगर किसी टाइम भी पापा किसी
भी काम के लिए घर से बाहर गए तो मैं मम्मी
से कहूंगी कि चलो हम दोनों मार्केट चलते
हैं इस तरह मम्मी का भी काम हो जाएगा और
मेरा भी और फिर पापा को कुछ पता भी नहीं
चलेगा कुछ ही देर में पापा की आवाजें घर
में गूंजने लगी वह मम्मी से सख्ती से बात
कर रहे थे पता नहीं दोनों के बीच क्या
मैटर था लेकिन मम्मी पापा से कह रही थी कि
तुम तो मुझे बुरा समझते हो तुम्हें लगता
है कि मैं तुम्हारी और तुम्हारी बेटी की
दुश्मन हूं कोई मां भला अपनी बेटी के
दुश्मन कैसे हो सकती है तुम्हारे दिल में
मेरे लिए जो भी है वह सिर्फ एक गलतफहमी है
मैं भी मोनिका से इतना ही प्यार करती हूं
जितना कि तुम करते हो लेकिन पता नहीं तुम
अपनी बेटी के दिमाग में मेरे बारे में
क्या-क्या डाल रहे हो मैं अच्छी तरह से
जानती हूं मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि
तुम रात को उसको कुछ पट्टियां पढ़ाते हो
मम्मी की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गई थी
कि मम्मी ठीक ही तो कह रही थी यह बात सच
है कि पापा को यही लगता था कि मम्मी मेरी
दुश्मन है लेकिन ऐसा क्यों वह तो मेरी मां
थी उन्होंने मुझे जन्म दिया था भला कोई भी
मां अपनी बेटी के दुश्मन कैसे हो सकती है
मगर इन सात आठ महीनों से मैं देख रही थी
कि पापा मम्मी के खिलाफ जहर ही उगल रहे थे
हालांकि इससे पहले बस वह उनके साथ नॉर्मल
सा बिहेव करते थे ज्यादा अच्छे भी नहीं
रहते थे लेकिन अब तो वोह उनके साथ दिन बदन
और ज्यादा खराब बिहेव करने लगे थे पापा ने
मम्मी की कभी कोई तारीफ ही नहीं की थी और
ना ही व उनके साथ ज्यादा प्यार भरी बातें
करते थे जबकि मेरी मम्मी बहुत खूबसूरत थी
मोहल्ले के लोग कहते थे कि तुम बहुत
खूबसूरत हो और तुम्हारी बेटी भी तुम पर ही
गई है वैसे तो मेरे पापा भी बहुत अच्छे थे
उनका रंग बिल्कुल साफ था और और उन्हें
देखकर नहीं लगता था कि वह शादीशुदा हैं
कुछ लोग तो मुझे मेरे पापा की तरह बताते
थे तो कुछ लोग मम्मी पर बताते थे मैं जैसी
भी थी पर थी तो अपने माता-पिता की औलाद ही
अब औलाद जैसी भी हो जाती तो वह अपनी माता
या पिता पर ही होती है मम्मी के ज्यादा
शोर मचाने पर पापा की तरफ से बिल्कुल
खामोशी छाई हुई थी मम्मी की बात पर पापा
ने कोई भी जवाब नहीं दिया था मम्मी काफी
देर तक इसी तरह से गुस्से में पापा को
बातें सुनाती रही थी जबकि पापा भी गुस्से
में थे अभी अचानक मुझे घर का दरवाजा बंद
होने की आवाज आई जिससे साफ लग रहा था कि
पापा घर से जा चुके हैं पापा के जाते ही
मैं फौरन कमरे से निकल गई और मम्मी के पास
पहुंच गई मैंने देखा कि अपने पति से झगड़ा
करने के बाद मेरी मम्मी की आंखों में कोई
भी आंसू नहीं थे बल्कि वह तो अपने पति के
घर से जाने के बाद शीशे में देखकर
लिपस्टिक लगा रही थी मुझे अचानक यह सब कुछ
बड़ा ही अजीब लगा था जैसे ही मम्मी को
महसूस हुआ कि मैं पीछे खड़ी हुई उनको देख
रही हूं उन्होंने पलट कर देखा और अपनी
आंखों में फौरन ही आंसू ले आई यह आंसू
मुझे असली नहीं लग रहे थे और मेरे सामने
ऐसी शक्ल बना ली जैसे कि उन्हें अपने पति
से लड़ाई झगड़ा करके बहुत ज्यादा अफसोस
हुआ है मम्मी मुझे देखते हुए कमरे से बाहर
निकल गई थी मेरी तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा
था मैं फौरन अपने कमरे में आ गई इसी तरह
से मुझे अपने कमरे में पढ़ाई करते हुए रात
हो गई थी और फिर रात तक मेरे पापा घर नहीं
आए थे रात का लगभग आधी रात का टाइम था जब
पापा घर आए उन्होंने दरवाजा बजाया तो
मैंने ही दरवाजा खोला था क्योंकि मुझे
अपने पापा की बहुत फिक्र हो रही थी और मैं
उनके घर आने का इंतजार कर रही थी पापा घर
आए तो वह मुझे कमरे में लेकर चले गए और
मुझे देखते ही पापा ने फिर वही बात दोहराई
वह कहने लगे देखो बेटी मैं तुम्हें आज यह
बात बहुत अच्छे तरीके से समझा रहा हूं कि
तुम कभी भी अपनी मां की किसी भी बात में
मत आना अगर वह तुम्हें घर से बाहर कहीं
लेकर जाए तो उसके साथ कभी भी मत जाना और
ना ही तुम्हें अपनी मम्मी से ज्यादा
बातचीत करने की कोई जरूरत है मैंने हक
लाते हुए अपने पापा से पूछा कि आखिर आपका
इन सब बातों से क्या मतलब है क्यों आप
मुझे मम्मी से दूर रखना चाहते हो मम्मी तो
बहुत अच्छी है और मुझे कितना प्यार करती
हैं हर बेटी अपनी मां को अपनी मां ही नहीं
बल्कि उसे अपनी सहेली भी समझती है जबकि
मेरी मम्मी का बिहेवियर तो मेरे साथ बहुत
अच्छा रहता है और उन्होंने कभी मेरे साथ
किसी चीज में कोई कमी भी नहीं की लेकिन आप
तो मुझे मम्मी के साथ कहीं जाने ही नहीं
दे रहे हो जबकि मम्मी तो मेरा बहुत ख्याल
रखती है मेरे सारे काम भी खुद ही करती है
मुझे अपने हाथ से खाना बनाकर देती हैं और
मेरे कपड़े भी धोती हैं मैंने नोटिस किया
था कि पापा की आंखों में हल्के-फुल्के
वह अपनी बेटियों की फिक्र करती हैं और
उनका ख्याल रखती हैं लेकिन यह औरत
तुम्हारी री मम्मी कहलाने के काबिल नहीं
है इसीलिए बेहतर है कि जो मैं कह रहा हूं
उसे हमेशा याद रखना यह जो तुम्हारा इतना
ख्याल रखती है इसके पीछे भी उसका कोई मतलब
छुपा हुआ है और मैं डरता हूं कि किसी दिन
यह अपने मकसद में कामयाब ना हो जाए इतना
कहकर पापा खामोश हो गए और मैं बस उनके
चेहरे को देखती रही जिसमें सदियों की थकान
थी वह बीमार नजर आ रहे थे ऊपर से ना जाने
किस बात की परेशानी हर टाइम उन पर सवार
रहती थी मैंने कभी भी मम्मी को बुरा नहीं
समझा था वह अगर पापा से झगड़ा भी करती तो
सिर्फ इसी बात पर करती थी कि पापा मुझे
उनसे दूर रहने के लिए क्यों कहते हैं
लेकिन इसके अलावा तो मम्मी ने कभी पापा के
साथ कुछ बुरा नहीं किया था मेरी एक फ्रेंड
की मम्मी तो अपने पति से बहुत डिमांड्स
करती थी और छोटी-छोटी बातों पर अपने पति
से लड़ती झगड़ी रहती थी यहां तक कि अपने
पति पर शक भी करती थी लेकिन मेरी मम्मी
ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी उन्होंने कभी पापा
से झगड़ा नहीं किया था और ना ही कभी उन पर
शक किया था उनके और पापा के बीच में क्या
प्रॉब्लम थी इसे मैं कभी समझ ही नहीं पाई
थी लगातार कहीं ना कहीं मेरे दिल में यह
बात जरूर आई थी कि अगर मम्मी बुरी होती तो
वह मेरा इतना अच्छे से ख्याल क्यों रखती
मुझे बैठे हुए देखकर पापा कहने लगे कि
बेटी तुम्हें सुबह स्कूल नहीं जाना है
क्या तुम्हारे स्कूल की छुट्टियां खत्म हो
गई हैं कल तुम्हें स्कूल जाना है और सुबह
जल्दी भी उठना है इसलिए तुम सो जाओ ताकि
तुम्हारी सुबह जल्दी आंख खुल सके मैं
चाहता हूं कि तुम पढ़ लिखकर कामयाब बनो
क्योंकि मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं इसलिए
मैंने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी चपरासी
की नौकरी करते हुए गुजार दी लेकिन तुम कभी
भी बिना पढ़े लिखे लाचार ना रहना अपनी
पढ़ाई लिखाई का फायदा उठाना और अपना खूब
नाम रोशन करना मैंने फौरन ही अपने पापा से
कहा कि जैसा आप चाहते हो मैं वैसा ही
करूंगी पापा मेरे कमरे से चले गए थे और
मैं फिर लाइट बंद करके सो गई थी मैं 12
साल की होने वाली थी और सरकारी स्कूल से
पढ़ाई कर रही थी क्योंकि मेरे पापा एक
मामूली से चपरासी थे उनकी आमदनी बहुत कम
थी लेकिन फिर भी वह मुझे किसी भी तरह पढ़ा
रहे थे प्राइवेट स्कूल को अफोर्ड नहीं कर
सकते थे इसीलिए सरकारी स्कूल में मेरी
पढ़ाई चल रही थी लेकिन मेरी मम्मी नहीं
चाहती थी कि मैं पढ़ूं उनका कहना था कि
लड़कियों के लिए पढ़ाई-लिखाई जरूरी नहीं
होती बाद में तो उन्हें चूल्हा चौका ही
करना होता है अगर बेटा होता तो उसे मैं भी
पढ़ाई में खूब सपोर्ट करती जबकि तुम्हारे
पिता तो तुम्हें पढ़ा दिखाकर सिर्फ
तुम्हारा टाइम खराब कर रहे हैं एक ना एक
दिन तुम्हें वैसे भी विदा होकर अपनी
ससुराल चले जाना है और वहां पर पढ़ाई कोई
काम नहीं आएगी वहां पर तो तुम्हें घर
गिरस्ती ही संभाल है यह तो मेरे पापा की
जिद थी कि वह हर हाल में मुझे शिक्षा
दिलवाना चाहते थे इसलिए पापा ने खुद मेरा
एडमिशन सरकारी स्कूल में करवाया था और
वहीं पर मेरी काफी सारी फ्रेंड्स भी बन गई
थी मैं बहुत खुशी-खुशी स्कूल जाती थी
क्योंकि अपनी फ्रेंड से मिलकर अपने घर की
परेशानियों को को भूल जाने से मुझे कुछ
सुकून मिलता था अगले दिन मैं सुबह-सुबह
उठकर तैयार होते ही अपने पापा के साथ
स्कूल चली गई हमारा पहला पीरियड कंप्लीट
हो गया तो टीचर जा चुकी थी तब मुझे अपनी
फ्रेंड से बातें करने का मौका मिल गया
मेरी कुछ फ्रेंड्स अपने घरों की बातें
बताने लगी कि उनके मम्मी पापा ने उन्हें
कपड़े दिलाए थे तो किसी ने दशहरे पर मेले
में ले जाने की बात कही थी लेकिन मैं इस
बात पर बिल्कुल खामोश बैठी हुई थी क्योंकि
मेरे पापा को तो इतनी फुर्सत नहीं होती थी
कि वह मुझे कहीं लेकर जाएं और अगर मेरी
मम्मी मुझे कहीं लेकर जाने की कोशिश करती
थी तो पापा उनको भी मना कर दिया करते थे
पापा तो मुझे मम्मी के साथ हर जगह जाने से
ऐसे मना करते थे जैसे वह मुझे कहीं छोड़
आएंगी या फिर मैं खुद उनके साथ कहीं जाकर
गुम हो जाऊंगी मेरी फ्रेंड ऋतु मुझसे
पूछने लगी कि तुम दशहरे की छुट्टियों में
अपनी फैमिली के साथ कहां घूमने जाऊगी तो
मैंने मुस्कुराकर झूठ का सहारा लिया और
कहा कि मेरे पापा की तबीयत ठीक नहीं है
इसीलिए अबकी बार दशहरी की छुट्टियों पर हम
लोग कहीं नहीं जा रहे यह सुनकर मेरी
फ्रेंड्स हैरान हो गई और कहने लगी कि हर
बार तुम्हारे मम्मी या पापा की तबीयत ही
खराब हो जाती है तुम तो कहीं जाती ही नहीं
हो ऐसा पहली बार नहीं हुआ था कि मैंने
अपनी फ्रेंड से झूठ बोला था अब तो व मेरी
इस आदत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी
वो सभी हंसकर मेरा मजाक उड़ाने लगी थी उन
लोगों को हंसते हुए देखकर तो मेरा दिल
धड़कने लगा था और मुझे बहुत ही शर्मिंदगी
महसूस हो रही थी जब मेरे मम्मी या पापा
में से कोई भी मुझे कहीं लेकर नहीं जाता
था तो फिर मैं इन लोगों से क्या कहती
लेकिन फिलहाल दशहरा आने में अभी दो महीने
थे और दो महीने तक तो यह सब कुछ मेरी कही
हुई बात को भूल जाएंगे फिलहाल दिन इसी तरह
से गुजर गया था और मेरे स्कूल की छुट्टी
हो गई थी मैं अपने स्कूल के बाहर खड़े
होकर अपने पापा के आने का इंतजार कर रही
थी क्योंकि वही तो मुझे लेने आते थे लेकिन
आज तो मुझे अपने पापा का इंतजार करते हुए
एक घंटे से भी ज्यादा हो गया था स्कूल की
सारी लड़कियां अपने-अपने घरों को जा चुकी
थी और मैं बाहर गेट पर ही खड़ी हुई अपने
पापा के आने का इंतजार कर रही थी मगर आज
अभी तक मेरे पापा स्कूल नहीं आए थे मैं तो
बहुत परेशान हो गई थी कि ना जाने आज पापा
को क्या हो गया कि वह आए ही नहीं है मुझे
लगा कहीं वह मुझे भूल तो नहीं गए लेकिन
ऐसा कैसे हो सकता था वह तो हर रोज ही मुझे
लेने आते थे फिर मैंने भी समझदारी दिखाई
मेरे पास ऐसे थे मैं रिक्शा करके अपने घर
को चली गई लेकिन जैसे ही मैं घर पहुंची तो
मेरे ऊपर जैसे परेशानी का पहाड़ ही टूट
पड़ा था पड़ोसन दरवाजे पर खड़ी हुई थी
मुझे देखकर वह कहने लगी मोनिका तुम्हारे
पापा की बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो गई है
तुम्हारी मम्मी भी तुम्हारे पापा के साथ
अस्पताल गई हुई है अभी-अभी अस्पताल से
मेरे पास फोन आया था सुना है कि तुम्हारे
पापा की तबीयत ठीक नहीं है तुम कपड़े
बदलकर तैयार हो जाओ मैं तुम्हें अस्पताल
लेकर चलती हूं पड़ोसन की बात सुनकर मैं
बहुत ही ज्यादा परेशान हो गई थी क्योंकि
अस्पताल हमारे गांव में नहीं था बल्कि
बराबर वाले गांव में था और उसमें भी कोई
ज्यादा फैसिलिटी मौजूद नहीं थी पापा की
तबीयत तो काफी दिनों से ही खराब थी गांव
में अस्पताल ना होने की वजह से ही उनका
इलाज नहीं हो सका था और आज भी पता नहीं
पापा को क्या हुआ था जो उन्हें दूसरे गांव
में ले जाना पड़ा था पड़ोसन की बात सुनकर
मैं रोने लगी थी क्योंकि पापा मुझसे बहुत
प्यार करते थे और आज सुबह ही जब मैंने
अपने पापा को देखा था तो ऐसा लग रहा था
जैसे वह मुरझा चुके हैं मैं अपनी
यूनिफॉर्म चेंज कर रही थी कि तभी अचानक से
घर के दरवाजे पर दस्तक हुई मैं जैसे ही घर
के दरवाजे की तरफ भागी तो यह देखकर हैरान
रह गई कि मेरे पापा की कंडीशन बहुत ज्यादा
बुरी थी अस्पताल से उन्हें घर लेकर आया
गया था मेरे पापा को पैरालाइसिस हो गया था
जिसकी वजह से उनका शरीर कोई भी हरकत नहीं
कर रहा था मेरे पापा अब सारा दिन बिस्तर
पर ही पड़े रहते थे मैं अपने पापा की हालत
देखकर बहुत ज्यादा रो रही थी मम्मी ने
मुझे समझाया कि भगवान से प्रार्थना करो कि
तुम्हारे पापा बिल्कुल ठीक हो जाएंगे पापा
पूरी तरह से लाचार हो चुके थे यहां तक कि
उन्होंने बोलना भी छोड़ दिया था वोह जिंदा
लाश बनकर रह गए थे जितना भी जुड़ा हुआ
पैसा था वह सब कुछ पापा के इलाज पर लग गया
था अब तो उन्होंने नौकरी करना भी छोड़
दिया था घर में धीरे-धीरे परेशानियां
बढ़ती चली जा रही थी पापा चाहते थे कि मैं
मम्मी के साथ ज्यादा बातचीत नाना किया
करूं लेकिन अब पापा की कंडीशन ऐसी हो गई
थी कि मम्मी के अलावा मेरा कोई सहारा भी
तो नहीं था रोज मुझे अपने पापा की फिक्र
लगी रहती थी और मैं भगवान से रो-रोकर
प्रार्थना करती थी कि भगवान मेरे पापों को
बिल्कुल ठीक कर दे वह पहले जितने फिट हो
जाएं मोहल्ले के लोग भी हमारी वजह से बहुत
परेशान थे क्योंकि मैं सिर्फ 12 साल की थी
और अब मेरी मम्मी ही मेरा सहारा थी हम
दोनों मां बेटी बहुत परेशान रहने लगे थे
हर कोई मेरी मम्मी को समझाने की कोशिश कर
रहा था कि जब पति बीमार है तो तुम्हें ही
नौकरी करने के लिए निकलना होगा और फिर
परेशानी भरे हालात में मम्मी ने नौकरी
करना शुरू कर दिया था मेरी मम्मी बि टशन
का काम जानती थी इसीलिए उन्होंने पार्लर
में नौकरी करने का फैसला किया था और वह हर
रोज पार्लर में नौकरी करने जाने लगी थी
मैं अब घर में बिल्कुल अकेली रहती थी
मैंने स्कूल जाना भी छोड़ दिया था घर में
कहने को तो मेरे साथ पापा होते थे लेकिन
उनका होना नाना होना एक ही बात थी वो ना
तो मुझसे बात करते थे और ना ही वह चल फिर
सकते थे ऐसा लगता था जैसे मेरे पापा घर
में मौजूद ही नहीं है सिर्फ उनका एक एहसास
है जो मुझे बता रहा है कि मेरे पापा मेरे
करीब हैं एक दिन मम्मी के पीछे हमारे
पड़ोस में रहने वाली शांति आंटी हमारे घर
में आ गई थी और उन्होंने जब मुझे रोते हुए
देखा तो उन्होंने मुझे समझाया कि इस तरह
रोने से कुछ नहीं होगा अब अपनी मम्मी की
जगह तुम्हें अपना घर संभालना होगा
तुम्हारी मम्मी तो तो नौकरी करने के लिए
घर से निकल गई है उसे तो तुम्हारी भी
फिक्र नहीं है तुम्हें ही अपने पापा के
लिए परहेज का खाना बनाना होगा और इस घर का
ध्यान रखना होगा मैंने शांति आंटी से कहा
लेकिन मम्मी तो हमारे ही फायदे के लिए
नौकरी करने के लिए गई है उन्होंने कहा हां
तुम ठीक कह रही हो तुम्हारे पापा की तबीयत
खराब होने से तुम्हारी मम्मी को भी काफी
सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है
चलो तुम अपने पापा की सेवा करो मैं अपने
घर जाती हूं अगर तुम्हें किसी चीज की
जरूरत हो तो मुझे बता देना लेकिन तुम अपनी
मम्मी के साथ कहीं भी नहीं जाओगी अगर
तुम्हारी मम्मी तुम्हें कहीं अपने साथ
लेकर जाए तो तुम उन्हें साफ इंकार कर देना
शांति आंटी की बात मेरी तो कुछ समझ नहीं
आई थी कि आखिर वह क्या कहना चाह रही हैं
थोड़ी देर के बाद शांति आंटी हमारे घर से
चली गई थी और मैं घर के काम करने लगी थी
कुछ दिन तो इसी तरह से गुजर गए मम्मी के
पीछे गांव के काफी सारे लोग पापा को देखने
के लिए आते जाते रहते थे इसलिए मेरा टाइम
पास होता रह ता था कुछ लोग तो ऐसे भी होते
थे जो मुझे थोड़े बहुत पैसे दे जाते थे
मैं वही पैसे अपनी मम्मी को दे देती
क्योंकि लोग हम पर रहम खाकर यह पैसे देकर
जाया करते थे ताकि इन पैसों से मेरे पापा
का इलाज हो सके रात के टाइम पर जब मम्मी
घर आती तो बहुत सारे पैसे लेकर आती थी
मम्मी की नौकरी करने से हमें बहुत फायदा
हुआ था और पापा का इलाज भी चल रहा था
लेकिन पापा को कोई भी फर्क नहीं हो रहा था
डॉक्टर उन्हें जो भी दवाई देते उसका कोई
कोई असर पापा को होता ही नहीं था पापा तो
और भी ज्यादा कमजोर होते जा रहे थे बस वह
इशारे से कुछ कहने की कोशिश करते बाकी तो
वह जिंदा लाश की तरह लगते थे पर मैं हैरान
थी कि मम्मी सुबह को पालट जाती थी और रात
को घर वापस आती थी उनके पास ढेर सारे पैसे
होते थे लेकिन उनके चेहरे पर कहीं भी मुझे
थकान नजर नहीं आती थी मैं मम्मी से ज्यादा
बात नहीं किया करती थी क्योंकि उनसे बात
करने के लिए मेरे पास कोई बात ही नहीं थी
और ना ही मम्मी के पास इ तना टाइम होता था
कि वह घर में रहते हुए मुझसे कोई बात कर
सके अगले दिन फिर से मेरी मम्मी नौकरी
करने के लिए चली गई और फिर दोपहर के टाइम
पर शांति आंटी हमारे घर पर आई थी उन्होंने
मुझसे कहा आखिर तुम्हारे पापा बीमार हैं
तो ऐसा कब तक चलेगा कि तुम घर में बैठी
रहोगी भगवान ने तुम्हारे पापों को बीमारी
दी है तो वह एक दिन जरूर ठीक कर देगा
लेकिन इस सब में तुम्हारी तो कोई गलती
नहीं और तुम्हारे तो एग्जाम्स भी आने वाले
हैं तुम्हारे पापा की ख्वाहिश है कि तुम
पढ़ लिखकर कामयाब बनो और मैं चाहती हूं कि
तुम अपने यह पेपर्स वेस्ट ना करो सारा दिन
तुम अपने घर में रहकर पढ़ाई किया करो और
अगर तुम्हें कुछ समझ ना आया करे तो मुझसे
पूछ लिया करो और अगर किसी काम की जरूरत हो
तो मुझे बुला लिया करो तुम्हारे बदले का
काम मैं कर दिया करूंगी लेकिन तुम अपनी
पढ़ाई पर ध्यान दिया करो तुम किसी भी हाल
में अपनी पढ़ाई को खराब मत करो और ना ही
अपनी मम्मी की सारी जिम्मेदारी तुम अपने
कंधों पर उठाओ यह बात ठीक है कि तुम्हारी
मम्मी को तुम्हारे पापा की फिक्र है और
उनके इलाज के पैसे इकट्ठे करने के लिए वह
घर से बाहर काम करने जा रही है लेकिन बाहर
का काम करने के साथ-साथ उन्हें अपने घर
में भी ध्यान देना चाहिए अभी तुम ज्यादा
तो बड़ी नहीं हो सिर्फ 12 साल की हो और 12
साल की बच्ची पर कोई इस तरह से घर के काम
का लोट तो नहीं डालता शांति आंटी बहुत
अच्छी औरत थी मैं उनकी बहुत इज्जत करती थी
और तो और मैं उनकी हर बात मानने पर मजबूर
हो गई थी इसीलिए रात को जब मम्मी घर आई तो
मैं पढ़ाई कर रही थी पापा को दवाई देकर
मैं सुला चुकी थी मम्मी मुझे देखकर कहने
लगी कि तुम यह क्या कर रही हो तुम्हारे
पापा की इतनी ज्यादा कंडीशन खराब है और
तुम्हें अभी भी पढ़ने की सूझ रही है अब
अपनी मां की जगह तुम्हें ही तो इस घर में
काम करना है तुम्हारे पिताजी की जगह मैं
भी तो नौकरी कर रही हूं ना सिर्फ और सिर्फ
इसीलिए ताकि हम दो वक्त की रोटी खा सके और
तुम्हारे पिता का इलाज हो सके तो क्या तुम
घर में रहकर अपने पिता की सेवा भी नहीं कर
सकती लेकिन तुम्हारा ध्यान तो अपने बीमार
पिता को छोड़कर पढ़ाई पर ही लगा हुआ है
मम्मी का अंदाज इतना अजीब था कि मैं
हैरानी से उनका चेहरा देखती रह गई थी ना
ही मम्मी ने मेरा दुख पूछा था और ना ही
उसे बांटने की कोशिश की थी बल्कि वह तो
सीधे-सीधे मुझे इस घर की नौकरानी बनाना
चाह रही थी फिर मम्मी कुछ सोचते हुए कहने
लगी कि तुम्हें शांति की बातों में आने की
कोई जरूरत नहीं मुझे पता है कि तुम्हें
पढ़ाई की एडवाइस किसने दी होगी अपने घर
में सुकून से रहो और अपने पिता की सेवा
करो अगर अपने पापा को जल्द से जल्द ठीक
देखना चाहती हो तो तुम्हें भी कुछ
सैक्रिफाइस करने होंगे मम्मी की बात सुनकर
मैंने इनकार में सिर हिला दिया और कहा कि
नहीं पापा तो बीमार है ही लेकिन पापा
चाहते थे कि मैं पढ़ लिखकर कामयाब बनूं
इसलिए मैं सुबह स्कूल जाऊंगी मुझे अपने
पापा का सपना पूरा करना है मेरी बात सुनकर
तो मेरी मम्मी को बहुत गुस्सा आ गया था वह
चिल्लाकर मुझसे कुछ कहने वाली थी लेकिन
अचानक उन्होंने अपनी आवाज को दबा लिया और
गुस्से भरी नजरों से घूरती हुई मुझे अपने
कमरे में चली गई मम्मी के पीछे मैं घर के
सारे काम किया करती थी और पढ़ाई लिखाई तो
बिल्कुल भूल गई थी मुझे पापा की सेवा भी
करनी होती थी उनको टाइम पर दवाइयां देनी
होती थी और घर में साफ सफाई और खाना भी
बनाना होता था मम्मी तो सिर्फ सुबह को
तैयार होकर घर से निकलती और रात को जब घर
आती तो आते ही खाना खाकर सो जाया करती थी
वो तो पापा को भी पलट कर नहीं देखती थी जब
से पापा बीमार हुए थे उन्होंने उनका ध्यान
रखना ही बंद कर दिया था और नौकरी पर जाने
से तो वह बिल्कुल ही बदल गई थी मम्मी का
इरादा था कि मैं घर में इसी तरह से रहकर
नौकरानी की तरह काम करती रहूं स्कूल जाने
का तो मेरा भी कोई इरादा नहीं था लेकिन
पापा की ख्वाहिश मेरे सामने आ जाती थी
मेरी स्कूल की छुट्टियां भी काफी सारी हो
गई थी अगले दिन मैं सुबह-सुबह जल्दी उठी
अपने पापा को दवाई दी और फिर तैयार होकर
स्कूल चली गई थी लेकिन जब मैं स्कूल से घर
आई तो मेरी मम्मी बहुत ज्यादा गुस्से में
थी उन्होंने जल्दी से मेरा हाथ पकड़ा और
मुझे कमरे में ले गई कहने लगी कि मैंने
तुम्हें मना किया था ना कि तुम स्कूल मत
जाना पढ़ लिखकर तुम्हें क्या करना है
लेकिन तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आई अब
तुम ही बताओ तुम पढ़ने जाओगी तो फिर मैं
नौकरी कैसे कर सकूंगी मेरे पास पार्लर से
बार-बार कॉल्स आ रही हैं आज मैं तुम्हारी
वजह से पार्लर नहीं जा सकी मम्मी को इतना
ज्यादा गुस्से में देखकर तो मैं हैरान रह
गई थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मम्मी
मेरे साथ यह किस तरह का व्यवहार कर रही है
जबकि पापा की तबीयत बिल्कुल ठीक थी तो
मम्मी मेरे साथ अच्छी तरह से बातचीत करती
थी मम्मी ने तो गुस्से में मेरा हाथ भी
झटक दिया था और मैं आंखें फाड़ फाड़ कर
मम्मी को देख रही थी कि आखिर उनको क्या हो
गया है जब मम्मी ने देखा कि मैं बड़ी गौर
से उन्हें देख रही हूं तो मम्मी के होश
उड़ गए थे ऐसा लगा जैसे अचानक उन्हें कुछ
याद आ गया और वो फौरन ही वहां से चली गई
मैं बहुत ज्यादा परेशान थी मैंने
जल्दी-जल्दी घर के काम किए खाना बनाया और
खाना बनाकर सबसे पहले खुद खाया क्योंकि
मुझे बहुत तेज भूख लग रही थी मैंने सुबह
से कुछ नहीं खाया था मम्मी को भी मेरी
फिक्र नहीं थी कि अगर आज वह पार्लर नहीं
गई थी तो वह मेरे लिए खाना भी तो बनाकर रख
सकती थी पर वह तो मुझसे बात करने के बाद
दोबारा से पार्लर जा चुकी थी वह पैसे तो
काफी सारे कमा करर ला रही थी लेकिन अभी तक
पापा को अच्छे अस्पताल लेकर नहीं गई थी एक
डॉक्टर था जो घर पर आकर मेरे पापा का इलाज
कर जाता था बस मेरी मम्मी उसी को पैसे
दिया करती थी यह कोई बड़ा डॉक्टर नहीं था
यह तो छोटा-मोटा झोला झाप डॉक्टर था शाम
के टाइम पर मैं शांति आंटी के घर चली गई
और अपने पापा का ध्यान रखने के लिए मैंने
शांति आंटी के छोटे बेटे को हमारे घर पर
भेज दिया था मैंने घर जाकर शांति आंटी को
सब कुछ बता दिया था शांति आंटी ने कहा कि
तुम्हें परेशान नहीं होना है मैं जानती
हूं कि तुम्हारी मम्मी बहुत लापरवाह हो गई
है उसे तुम्हारी बिल्कुल भी परवाह नहीं है
लेकिन तुम्हें अपने पापा का सपना पूरा
करना है तुम जा ती हो मेरे घर के हालात
अच्छे नहीं हैं अगर मेरे घर के हालात
अच्छे होते तो मैं तुम्हारे पिता को इस
बीमारी से बचा लेती और उनका इलाज भी करवा
देती क्योंकि मैंने तुम्हारे पिता को
हमेशा अपने बड़े भाई की तरह समझा है वह
मेरे भाई तो नहीं है लेकिन उन्होंने मेरा
हर परेशानी में साथ दिया इसीलिए मेरा भी
हक बनता है कि मैं उनका साथ दे सकूं पर
क्या करूं मैं उनका साथ चाहकर भी नहीं दे
सकती अगर भगवान ने मुझे इतनी दौलत दी होती
तो मैं तुम्हारी परेशान नी को झट से खत्म
कर देती शांति आंटी ने कहा बेटी लेकिन
तुम्हें ही अपने पापा की सेवा करनी होगी
एक तरफ तुम उनकी सेवा भी करो और दूसरी तरफ
अपने पापा के सपने को पूरा भी करती रहो
लगातार तुम स्कूल जाती रहो इस तरह घर
बैठना तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा ऐसे तो
तुम्हारी पढ़ाई पर बहुत असर बैठेगा और तुम
फेल हो जाओगी लेकिन शांति आंटी ने साथ ही
साथ मुझसे यह भी कहा था कि तुम कभी भी
अपनी मम्मी के कहने पर उनके साथ कहीं मत
जाना मुझ मुझे याद आता था कि पापा भी मुझे
यही कहा करते थे कि कभी भी अपनी मम्मी के
साथ कहीं पर मत जाना अब मैं हर दिन स्कूल
जाने लगी थी और दोपहर के टाइम स्कूल से घर
आती थी अब तो मैं अकेले ही स्कूल से आती
जाती थी मेरी मम्मी अब मुझसे बहुत ज्यादा
तंग आ चुकी थी क्योंकि मैंने उनका कहना
नहीं माना था एक दिन वह मेरे करीब आई और
कहने लगी तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आ रही
है क्या तुम खुद ही दिमाग लगाकर सोचो कि
मैं जो कुछ भी कर रही हूं वह तुम्हारे
पिता को ठीक करने के लिए तो कर रही हूं
भला कौन औरत ऐसी होती है जो अपना चैन
सुकून खराब करे और नौकरी पर जाए अच्छा
तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं आता तो फिर
तुम कल मेरे साथ पार्लर चलना और देखना कि
वहां पर मैं कितनी मेहनत से काम करती हूं
यह सब कुछ मैं किसके लिए कर रही हूं ताकि
मैं तुम्हारे पापा को पहले जैसा ठीक कर
सकूं और हमारे घर के हालात भी धीरे-धीरे
बेहतर हो जाएं तुम्हारे पापा के लिए मैं
एक नर्स का इंतजाम करवा देती हूं वह
तुम्हारे पापा का काम कर दिया करेगी और घर
के काम की क्या है वह हम दोनों मां बेटी
रात को आकर मिलकर कर लिया करेंगे तुम मेरे
साथ पार्लर चलो तुम मेरे साथ पार्लर चलो
मैं तुम्हें आइब्रोज बनाना सिखा दूंगी
थोड़े बहुत पैसे तो तुम भी कमा लोगी इसी
तरह से हमारे पास ज्यादा पैसे इकट्ठे हो
जाएंगे और जल्द से जल्द हम तुम्हारे पापा
को शहर लेकर चलेंगे और शहर के बड़े डॉक्टर
से तुम्हारे पापा का इलाज करवाएंगे और ऐसा
हमारे लिए तभी पॉसिबल हो सकता है जब हमारे
पास ज्यादा पैसे हो मैं तो तुम्हारे पापा
के इलाज के लिए पैसे इकट्ठे कर रही हूं
अगर इसमें तुम मेरी मदद करोगी तो तुम्हारे
पापा जल्दी ही ठीक हो जाएंगे इसलिए कल से
तुम मेरे साथ चलना मम्मी की आंखों में
आंसू भी थे क्योंकि वह पापा की ऐसी हालत
पर बहुत अफसोस कर रही थी मुझे मम्मी की
कही हुई सारी बातें बिल्कुल ठीक लग रही थी
मैंने अपनी मम्मी को गले से लगाया और खूब
रोने लगी उनसे कहा कि मुझे माफ कर दीजिए
मम्मी मैंने आपका कहना नहीं माना मैं कल
से स्कूल नहीं जाऊंगी मैं कल आपके साथ
पार्लर चलूंगी और अपने पापा के लिए पैसे
कमाऊ गी सारी रात मुझे इसी टेंशन में नींद
नहीं आई थी कि मैं अब धीरे-धीरे अपनी
मम्मी को गलत समझने लगी थी मेरी मम्मी तो
बहुत अच्छी है व ये सब कुछ हमारे लिए ही
तो कर रही है दिन निकला तो जल्दी ही मैं
मम्मी के साथ पार्लर चली गई थी मम्मी ने
रास्ते में मुझसे कहा था कि तुमने इस बारे
में शांति आंटी को तो नहीं बताया ना मैंने
मम्मी से कहा मैंने शांति आंटी को कुछ
नहीं बताया मम्मी ने कहा कि अच्छा हुआ
तुमने नहीं बताया वरना यह तुम्हा दिमाग
में पता नहीं क्या-क्या बातें डाल देती और
फिर तुम मेरे साथ नहीं जाती यह शांति बिना
सिर्फ इसका काम लोगों के मामले में टांग
अड़ाना ही है मैं अपनी मम्मी के साथ उनके
पार्लर पहुंच गई थी लेकिन पार्लर के अंदर
जाते ही मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई
थी यह बाहर से तो देखने में पार्लर था पर
अंदर से य बहुत ही गंदी जगह थी जहां पर
बहुत सारी औरतें थी और उन्होंने छोटे-छोटे
कपड़े पहने हुए थे यहां पर बहुत सारे कमरे
बने हुए थे और अजीब तरह के गाने भी बज रहे
थे मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था
मेरी मम्मी ने वहां ले जाते ही मुझे धक्का
देकर जमीन पर गिरा दिया और एक औरत से कहा
कि अब यह तुम्हारे हवाले हो गई है मेरा
पति तो सिर्फ दो-तीन दिन का ही मेहमान है
उसके बाद मैं भी यहां पर परमानेंट ही
शिफ्ट हो जाऊंगी अपनी मम्मी की बात सुनकर
तो मैं हैरान रह गई थी मेरी मम्मी से वह
औरत कहने लगी कि अब तू अपने काम पर लग जा
इसे मैं अपने हिसाब से हैंडल कर लूंगी उस
औरत ने मुझे एक आदमी के हवाले कर दिया
मुझे यहां पर बहुत डर लग रहा था मैं चीखने
लगी मैं जोर-जोर से मम्मी को आवाज लगाने
लगी लेकिन मेरी मम्मी तो मुझे इग्नोर करती
हुई वहां से जा चुकी थी व शायद दूसरे कमरे
में चली गई थी जहां पर एक आदमी ने मुझे
अपने साथ कमरे में बंद कर लिया और वह मेरे
साथ बदतमीजी करने की कोशिश करने लगा मैं
जोर-जोर से चिल्ला रही थी और परेशान हो
रही थी अब मुझे अपने पापा की कही हुई
बातें याद आ रही थी कि कभी भी अपनी मम्मी
के साथ कहीं पर मत जाना लेकिन मैं इतनी
बड़ी बेवकूफ थी कि अपनी मम्मी की बातों
में आकर यहां तक आ गई थी मैं समझ गई थी कि
यह कोठा है और यहां पर मेरी इज्जत नीलाम
होने जा रही है पर शायद मेरे पापा की
प्रार्थना हों का ही असर था कि तभी वहां
पर पुलिस की रेट पड़ गई और पुलिस ने वहां
के सारे लोगों को अरेस्ट कर लिया यहां तक
कि मेरी मम्मी को भी अरेस्ट कर लिया गया
था और इस पुलिस को यहां तक कोई और नहीं
बल्कि शांति आंटी अपने बड़े बेटे के साथ
मिलकर लेकर आई थी मैंने जैसे ही शांति
आंटी को वहां देखा देखा तो मैं उनके गले
से लगकर खूब रोने लगी थी मैंने कहा अच्छा
हुआ शांति आंटी आप यहां पर आ गई मम्मी
मेरे साथ इतना बड़ा धोखा करेंगी मैंने कभी
इस बारे में सोचा भी नहीं था पुलिस मेरी
मम्मी के साथ-साथ वहां के बाकी सारे लोगों
को भी अरेस्ट करके ले जा चुकी थी शांति
आंटी मुझे घर ले आई थी मैं बुरी तरह से
डरी हुई थी और रो रही थी शांति आंटी ने
मुझे हिम्मत दी और कहा कि अब कुछ नहीं
होगा अब तुम बिल्कुल ठीक हो उसके बाद जो
उन्होंने मुझे बताया उसने तो मेरे होश
उड़ा दिए उन्होंने कहा कि औरत तुम्हारी
मम्मी नहीं है इस औरत ने तुम्हारी परवरिश
जरूर की है पर तुम्हें जन्म नहीं दिया
दरअसल तुम्हारे पापा की शादी एक बहुत ही
संस्कारी औरत के साथ हो गई थी लेकिन जब
उनकी शादी हुई तो उन्हें कैंसर की बीमारी
थी उनके घर वालों ने यह बात तुम्हारे पापा
को नहीं बताई थी फिर तुम पैदा हुई
तुम्हारे पैदा होने के दो महीने बाद ही
तुम्हारी मां इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी
थी तुम बहुत ज्यादा छोटी थी इसलिए तो
तुम्हारे पापा ने तुम्हारी परवरिश के कारण
एक औरत से शादी कर ली और अभी एक साल पहले
तुम्हारे पापा को जब यह बात पता चली कि
जिस औरत से उन्होंने शादी की थी वो औरत
कोई मामूली सी लड़की नहीं बल्कि वह तो एक
कोठे पर रहने वाली लड़की है जिसने
तुम्हारे पापा से सिर्फ इसीलिए शादी की
ताकि वह आम लोगों के बीच रहकर अपने इस काम
को अंजाम दे सके जिस दिन तुम्हारे पापा को
यह बात पता चली उसी दिन से तुम्हारे पापा
को तुम्हारी फिक्र हो गई और उन्होंने अपनी
पत्नी को साफ-साफ कह दिया कि वह खुद जैसी
भी है पर अपनी पत्नी का बुरा असर वह कभी
अपनी बेटी पर नहीं पड़ने देंगे इसलिए
उन्होंने पिछले एक साल से तुम पर तुम्हारी
मम्मी के लिए रोक टोक लगाई क्योंकि पिछले
एक साल पहले ही उन्हें इस सच्चाई के बारे
में पता चला इतने साल तुम्हारे पापा ने
अनजान बनकर गुजार दिए वह तुम्हारा भला
चाहते थे तुम्हारे पापा ने यह बात मुझे
बता दी थी और कहा था कि मैं तुम्हारा
ध्यान रखा करूं और हमेशा उनकी पत्नी पर
नजर रखूं अब जब से तुम्हारे पापा की तबीयत
खराब हुई है तब से मैं ने तुम पर ज्यादा
ध्यान देना शुरू कर दिया भगवान का शुक्र
है कि सुबह जब तुम अपनी मम्मी के साथ जा
रही थी तब मैंने तुम्हें उनके साथ जाते
हुए देख लिया था और मेरा दिल कह रहा था कि
जरूर तुम्हारे साथ कुछ गलत होने वाला है
इसलिए मैं अपने बड़े बेटे को साथ लेकर तुम
लोगों का पीछा करने लगी जब वहां जाकर
मैंने देखा कि यह कोई पार्लर नहीं बल्कि
कोठा है तो फिर मैंने सोचा कि अब तुम्हारी
जिंदगी में बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है
इसलिए मैंने फौरन पुलिस को कॉल की पर मौके
पर पुलिस ने आकर तुम्हें बचा लिया अब तुम
बिल्कुल ठीक हो और तुम्हारी जिंदगी से
बहुत बड़ी परेशानी निकल गई बस अब तुम्हें
अपने पापा की परेशानी को दूर करना है
शांति आंटी की बात सुनकर मैंने भगवान का
शुक्रिया अदा किया था क्योंकि शांति आंटी
के साथ-साथ मुझे भगवान ने बचा लिया था
मेरी मम्मी मेरे पापा का कोई इलाज नहीं
करवा रही थी वह तो झोलाछाप डॉक्टर था जो
मेरे पापा को सिर्फ नॉर्मल स ही दवाई दे
जाता था एक रात मेरे पापा जब सोए तो सुबह
उनकी आंखें नहीं नहीं खुली मेरे पापा मुझे
इस दुनिया से छोड़कर जा चुके थे यह मेरे
लिए बहुत बड़ा सदमा साबित हुआ था आखिरकार
वह इतने बीमार भी तो हो गए थे मैं अपने
पापा की मौत पर बहुत ज्यादा रोई थी और अब
मेरा सिर्फ एक ही मकसद था कि मुझे अपने
पापा का सपना पूरा करना है मैंने
जैसे-तैसे एंटर कर लिया और उसके बाद मैंने
अपनी ग्रेजुएशन भी कंप्लीट कर ली मेरा
यहां तक का साथ शांति आंटी ने दिया था
क्योंकि वह हमारे घर के बारे में सब कुछ
जानती थी उनके बेटे जो कमा कर लाते थे वो
उससे मेरी फीस जमा कर दिया करती थी शांति
आंटी को मैं बहुत पसंद थी जब मेरी
ग्रेजुएशन कंप्लीट हो गई तो मेरी जॉब लग
गई थी शांति आंटी ने मेरा रिश्ता अपने
बेटे के साथ कर दिया और अपने बेटे की शादी
मेरे साथ करवा दी थी मैं अपने पति और अपनी
सास के साथ बहुत खुश हूं मेरी जिंदगी बहुत
अच्छी गुजर रही है लेकिन बस मुझे अफसोस है
तो सिर्फ इस बात का कि जिस औरत ने मुझे
सारी जिंदगी मां बनकर पाला वह मेरी मां
नहीं बल्कि वह ऐसी औरत थी जो मुझे बर्बाद
कर दे ना चाहती थी मैं तो खुश हूं अपनी
जिंदगी में लेकिन भगवान उसे समझेगा
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