अयोध्या में कैसा था पूर्व राम मंदिर और किसने बनवाया था_ Ram Mandir Ayodhya _ Ayodhya Ram Mandir_transcript
[संगीत]
दुनिया के करोड़ों लोगों की प्रतीक्षा की
घड़ी समाप्त होने जा रही है भगवान श्री
राम लला के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख
नजदीक आ रही है 22 जनवरी 2024 को भगवान
रामलला अपने घर में विराजमान होंगे भगवान
राम की नगरी अयोध्या हजारों महापुरुषों की
कर्म भूमि रही है यह पवित्र भूमि हिंदुओं
के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है यहां पर
भगवान राम का जन्म हुआ था यह राम जन्मभूमि
है इस राम जन्मभूमि पर एक भव्य मंदिर बना
था जिसे तोड़ दिया गया था आओ जानते हैं कि
वह भव्य मंदिर किसने बनाया था शोधा अनुसार
पता चलता है कि भगवान श्री राम जी का जन्म
5114 ईसवी पूर्व हुआ था चैत्र मास की नवमी
को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है
सरकारी तथ्य भारत सरकार के आधीन आने वाले
पुरातत्त्व विभाग ने 2003 में अपने सर्वे
के आधार पर बताया था कि बाबरी मस्जिद की
जगह पर मंदिर होने के अवशेष हैं जिस
प्रकार के खंबे और बर्तन वहां मिले हैं वह
इस जगह पर एक मंदिर होने के संकेत देते
हैं अपने सर्वेक्षण में पुरातत्त्व विभाग
ने हर चीज की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी
करवाई थी यह रिपोर्ट वर्तमान में न्यायालय
में जमा है कई सालों तक चले मुकदमे में 30
सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की
लखनऊ खंडपीठ ने निर्णय सुनाते हुए कहा था
कि जहां रामलला विराजमान है वह मंदिर की
भूमि है कैसी थी अयोध्या अयोध्या पहले
कौशल जनपद की राजधानी थी अयोध्या का
उल्लेख वाल्मीकि रामायण के बालकांड में
उल्लेख मिलता है कि अयोध्या 12 योजन लंबी
और तीन योजन चौड़ी थी वाल्मीकि रामायण में
अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया
गया है रामायण में अयोध्या नगरी के सरयु
तट पर बसे होने और उस नगरी के भव्य एवं
समृद्ध होने का उल्लेख मिलता है वहां
चौड़ी सड़कें और भव्य महल थे बगीचे और आम
के बाग थे हर व्यक्ति का घर राजमहल जैसा
था साथ ही सरयू नदी के तट पर बसी इस नगरी
में हर कोई सुखी था यह महापरी 12 योजन 96
मील चौड़ी थी इस नगरी में सुंदर लंबी और
चौड़ी सड़कें थी इंद्र की अमरावती की तरह
महाराज दशरथ जी ने उस पुरी को सजाया था
क्या था जन् भूमि का हाल कहते हैं कि
भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के
पश्चात अयोध्या कुछ काल के लिए उजाड़ सी
हो गई थी लेकिन उनकी जन्मभूमि पर बना महल
वैसे का वैसा ही था भगवान श्री राम के
पुत्र कुश ने एक बार पुनः राजधानी अयोध्या
का पुनर्निर्माण
कराया इस निर्माण के बाद सूर्यवंश की अगली
44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व आखिरी राजा
महाराजा बृहद बल तक अपने चरम पर रहा कौशल
बृहद बल की मृत्यु महाभारत युद्ध में
अभिमन्यु के हाथों हुई थी महाभारत के
युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ सी हो गई मगर
श्री राम जन्मभूमि का अस्तित्व फिर भी बना
रहा किसने बनाया भव्य मंदिर इसके बाद यह
उल्लेख मिलता है कि लगभग 100 वर्ष पूर्व
उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट
विक्रमादित्य एक दिन आखेट करते करते
अयोध्या पहुंच गए विक्रमादित्य को इस भूमि
में कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे तब
उन्होंने खोज आरंभ की और पास के योगी व
संतों की कृपा से उन्हें ज्ञात हुआ कि यह
श्री राम की अवध भूमि है उन संतों के
निर्देश से सम्राट ने यहां एक भव्य मंदिर
के साथ ही कूप सरोवर महल आदि बनवाए कहते
हैं कि उन्होंने श्री राम जन्मभूमि पर
काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों
पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था इस
मंदिर की भव्यता बहुत ही अद्भुत थी
विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने समय-समय
पर इस मंदिर की देखरेख की उन्हीं में से
एक शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुं
ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था
पुष्यमित्र का एक शिलालेख अयोध्या से
प्राप्त हुआ था जिसमें उसे सेनापति कहा
गया है तथा उसके द्वारा दो अश्वमेध यज्ञों
के किए जाने का वर्णन है अनेक अभिलेखों से
ज्ञात होता है कि गुप्त वंशीय चंद्रगुप्त
द्वितीय के समय और तत्पश्चात काफी समय तक
अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी
गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अयोध्या का
रघुवंश में कई बार उल्लेख किया है किसने
दी गवाही की भव्य मंदिर था इसके बाद कहते
हैं कि चीनी भिक्षु फाहियान ने यहां देखा
कि कई बौद्ध मठों का रिकॉर्ड रखा गया है
यहां पर सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री
नत सांग आया था उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध
मंदिर थे तथा तीन हजार भिक्षु रहते थे और
यहां हिंदुओं का एक प्रमुख और भव्य मंदिर
भी था जहां रोज हजारों की संख्या में लोग
दर्शन करने आते थे जिसे राम मंदिर कहा
जाता था कब शुरू हुआ मंदिर का पतन इसके
बाद 11वीं शताब्दी में कन्नौज नरेश जयचंद
आया तो उसने मंदिर पर सम्राट विक्रमादित्य
के प्रशस्ति शिलालेख को उखाड़कर अपना नाम
लिखवा दिया पानीपत के युद्ध के बाद जयचंद
का भी अंत हो गया इसके बाद भारतवर्ष पर
आक्रांता हों का आक्रमण और बढ़ गया
आक्रमणकारियों ने काशी मथुरा के साथ ही
अयोध्या में भी लूटपाट की और पुजारियों की
हत्या कर मूर्तियां तोड़ने का क्रम जारी
रखा लेकिन 14वीं सदी तक वे अयोध्या में
राम मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो पाए
विभिन्न आक्रमणों के बाद भी सभी झंझावात
को झेलते हुए श्रीराम की जन्मभूमि पर बना
भव्य मंदिर 14वीं शताब्दी तक बचा रहा
कहते हैं कि सिकंदर लोदी के शासनकाल के
दौरान यहां मंदिर मौजूद था 14वीं शताब्दी
में हिंदुस्तान पर मुगलों का अधिकार हो
गया और उसके बाद ही राम जन्मभूमि एवं
अयोध्या को नष्ट करने के लिए कई अभियान
चलाए गए अंततः 1527 से 28 में इस भव्य
मंदिर को तोड़ दिया गया और उसकी जगह बाबरी
ढांचा खड़ा किया गया कहते हैं कि मुगल
साम्राज्य के संस्थापक बाबर के एक सेनापति
ने बिहार अभियान के समय अयोध्या में श्री
राम के जन्म स्थान पर स्थित प्राचीन और
भव्य मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी उसी
ने बाबरी ढांचा का निर्माण कराया था यह
बाबरी ढांचा उस जगह पर साल 1992 तक मौजूद
रहा अब ठीक उसे स्थान पर श्री राम मंदिर
का निर्माण किया जा रहा है सभी को मेरी ओर
से जय श्री राम जय श्री महाकाल एक ही नारा
एक ही नाम जय श्री राम जय श्री राम
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