Nidhivan Ka Rahasya रोज रात को होती है रासलीला _ रोज सुबह मिलते है Shree Krishna के आने के सबूत !_transcript
[संगीत]
भारत में कई चमत्कारिक और रहस्यम मंदिर है
उन्हीं में से एक ऐसा मंदिर है जिसके
दरवाजे रात को अपने आप ही बंद हो जाते हैं
और सुबह होते ही खुल जाते हैं इस मंदिर के
संबंध में इसके अलावा और भी चमत्कार जुड़े
हुए हैं यूपी की धार्मिक नगरी मथुरा के
वृंदावन का निधिवन एक अत्यंत पवित्र
रहस्यमय धार्मिक स्थान है धार्मिक मान्यता
है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ
निधि वन में महाराजस किया था एक मान्यता
यह भी है कि उसके बाद से निधिवन में भगवान
श्री कृष्ण एवं श्री राधा आज भी
अर्धरात्रि के बाद रास रचाते हैं महाराज
का वर्णन कई वेदों और पुराणों में भी
मिलता है इसका प्रमाण यह भी माना जाता है
कि निधिवन में बने भगवान के रंग महल में
श्री राधा जी के श्रृंगार के लिए रात में
रखी गई श्रृंगार की वस्तुएं सुबह तक तितर
बितर मिलती हैं रंग महल खोलने पर देखते
हैं तो ऐसा लगता है कि किसी ने श्रृंगार
के सामान का इस्तेमाल किया है शयन के लिए
लगाया गया बिस्तर देखने पर लगता है कि कोई
आराम करके गया है पीने के लिए रखा हुआ
पानी लौटे में कम या बिल्कुल नहीं मिलता
रंग महल वही स्थान है जहां भगवान महाराज
के बाद अपनी थकान मिटाने के लिए श्री राधा
रानी के साथ आराम किया करते थे इस मंदिर
और वन के बारे में कई तरह की जनश्रुति
प्रचलित है कहते हैं कि यहां पर श्री
कृष्ण रोज आते हैं और रात में रासलीला
करने के बाद यहीं पर शयन करते हैं और सुबह
होते ही चले जाते हैं आओ जानते हैं इस अचर
भरी बातों का रहस्य निधिवन के मंदिर में
शयन आरती करने के बाद सभी श्रद्धालुओं को
बाहर निकालकर मंदिर और निधिवन क्षेत्र को
करीब सात तालों से बंद कर दिया जाता है
ताला बंद करने के पहले मंदिर में गर्भगृह
में भगवान के लिए नियम की दातुन पान का
बेड़ा लड्डू और श्रृंगार का सामान रख दिया
जाता है रात में यहां कोई नहीं आता है
लेकिन फिर भी आश्चर्य है कि सात तालों में
बंद मंदिर को जब सुबह खोला जाता है तो पान
चबा हुआ दातून की हुई लड्डू खाया हुआ और
श्रृंगार का सामान बिखरा हुआ मिलता है उस
बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते
हैं क्योंकि उसे देखकर लगता है कि यहां
कोई सोया था यह भी माना जाता है कि इस
मंदिर में भगवान श्री कृष्ण शंव रोज रात
को खुद शयन करने आते हैं उनके सोने के लिए
मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं और
जिस पर साफ गद्दी एवं बिस्तर के ऊपर चादर
बिछाते हैं कहते हैं कि इस मंदिर के
दरवाजे अपने आप ही खुलकर बंद हो जाते हैं
लेकिन यह किसी ने देखा नहीं हालांकि लोग
इस संबंध में अपने अनुभव जरूर बताते हैं
मान्यता के अनुसार इस मंदिर को तानसेन के
गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा
कृष्ण के युग्म रूप को साक्षात प्रकट किया
था यहां कृष्ण और राधा विहार करने आते थे
यहीं पर स्वामी जी की समाधि भी बनी है रात
को यहां पर कोई नहीं जाता है वैसे इस
महाराज को अभी तक किसी ने नहीं देखा है
कहा जाता है कि यदि किसी ने महाराज को
देखने की कोशिश की तो वह इस काबिल नहीं
रहेगा कि किसी को इसके बारे में बता सके
इस महाराज को देखने वाला या तो पागल हो
जाता है या फिर इस महाराज को देखने की की
अपनी जान देकर चुका है यही कारण है कि इस
वन के आसपास बने मकानों की खिड़कियां
महाराज देखने के लिए बनाई गई थी लेकिन
इसके परिणाम भयानक होने के कारण उन
खिड़कियों को बंद करा दिया इस महाराज को
देखने की हिम्मत इंसान तो दूर यहां रहने
वाले पशु पक्षी भी नहीं करते हैं यहां
रहने वाले बंदर भी रात्रि में यहां से
निकल जाते हैं रात में यहां कोई भी नहीं
रुकता है स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा
बरसों से होता आ रहा है कुछ लोग इसे
अंधविश्वास मानते हैं और कुछ लोग इसे श्री
कृष्ण का चमत्कार हालांकि सच क्या है यह
तो शोध का विषय ही है सबसे आश्चर्य की बात
यह भी कि यहां प्रतिदिन माखन मिश्री का
प्रसाद चढ़ाया जाता है और जो बच जाता है
उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है लेकिन
सुबह तक वह प्रसाद भी समाप्त हो जाता है
आखिर कौन खा जाता होगा वह प्रसाद चन
श्रुति है कि प्रतिदिन मंदिर के अंदर
स्थित रंग महल में कृष्ण राधा का पलंग लगा
दिया जाता है और पूरा रंग महल सजा दिया
जाता है तथा राधा जी का श्रृंगार का सामान
रखकर मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं
जब प्रातः दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान
अस्तव्यस्त मिलता है मान्यता है कि रात्रि
में राधा कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग
करते हैं कहते हैं कि यहां तुलसी के दो
पौधे एक साथ लगे हैं
रात के समय जब राधा और कृष्ण रास रचाते
हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर
उनके साथ नाचते हैं इन तुलसी का एक भी
पत्ता यहां से कोई भी नहीं ले जाता जिसने
भी गुपचुप यह कार्य किया वह भारी आपदा का
शिकार हो जाता है इस मंदिर के परिसर में
उगने वाले पेड़ भी अजीब है यहां के पेड़
की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती है यह भी
जनश्रुति है कि रात में यह सभी पेड़
गोपियां बनकर श्री राधा और श्री कृष्ण के
साथ नाचते हैं और सुबह होते ही पेड़ बन
जाते हैं इन सभी पेड़ों को गोपियां ही
माना जाता है श्रीमद् भागवत के दशम स्कंध
में रास पंचाध्याई में भगवान श्री कृष्ण
द्वारा शरद पूर्णिमा को यमुना पुलिन में
गोपिका के साथ महाराज के बारे में बताया
गया है आज भी शरद पूनम पर निधिवन में होती
है विशेष रास लीला लेकिन कोई इसे देख नहीं
सकता बस महसूस कर सकता है कहते हैं निधिवन
के आलिंगन बद्ध पेड़ दरअसल यही रास रथ
गोपी कृष्ण है जो प्रात होते ही पेड़ बन
जाते हैं और रात्रि के नीरव में रास करने
लगते हैं निधिवन में क्यों श्री राधा जी
ने बजाई बांसुरी निधिवन विश्व का इकलौता
ऐसा मंदिर है जहां श्री राधा जी को
बांसुरी बजाते हुए दिखाया गया है इसके
पीछे की मान्यता यह है कि श्री राधा जी को
भगवान की बांसुरी से जलन होने लगी थी राधा
रानी ने भगवान की बांसुरी को चुराकर उनसे
दूर करना चाहा था क्योंकि जब भगवान अपनी
बांसुरी को बजाते थे तो सभी गोप गोपियां
और गाय उस स्थान पर आ जाती थी श्री राधा
जी की कामना होती थी कि वे भगवान श्री
कृष्ण के साथ अकेले में कुछ पल बिताएं
इसीलिए उन्होंने भगवान की बांसुरी को
चुराकर यह देखना चाहा कि यदि मैं भी इस
बांसुरी को बजाऊं तो क्या गोप गोपियां आते
हैं या नहीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो राधा
भग मा हुप कर दिया
Comments
Post a Comment