अमीर गरीब सहेलियों का करवा चौथ _ Karva Chauth kahani _ Hindi Kahani _ Moral Stories _Bedtime Stories_transcript
करवा चौथ दो दिन के बाद आने वाला था इसलिए
पूरा मार्केट करवा चौथ की पूजन सामग्रियों
से भरा हुआ था हर दुकान पर औरतों की भीड़
थी कोई कलश खरीद रहा था तो कोई मिट्टी या
तांबे का करवा और ढक्कन कोई कंघा ले रहा
था तो कोई बिंदी तो कोई चुन र क्या भैया
हर साल सामान का रेट बढ़ा देते हो आप अब
हमें जरूरत है तो हम खरीदेंगे ही बस इसी
का फायदा उठाते हो आप हां बिल्कुल सही बात
है अरे दीदी अब मुझे ऊपर से ही महंगा
सामान मिलेगा तो मैं आपको सस्ते में कैसे
दूंगा मैं भी तो दो पैसे कमाने के लिए
बैठा हूं वो तो ठीक है लेकिन यह तो गलत
बात है ना क्या दीदी सुहाग से कीमती कोई
चीज तो होती नहीं और अगर उसकी सलामती के
लिए दो पैसे ज्यादा में सामान मिलता है तो
क्या बुरा है अब महंगा हो या सस्ता औरतों
को करवा चौथ की सामग्री तो खरीदनी ही थी
इसलिए वह सामग्री खरीद रही थी मार्केट की
उसी भीड़ में सड़क किनारे एक विधवा औरत
जिसका नाम ललिता था वोह आते-जाते लोगों से
भीख मांग रही थी एक रप मेरी मेरी इस झोली
में डाल दीजिए ईश्वर आपकी झोली हमेशा भरी
रखेगा ललिता की हालत देखकर लग रहा था कि
उसने ना तो कई दिनों से कुछ खाया है और ना
ही नहाया है उसके बाल उलझे हुए थे ललिता
का एक हाथ पूरी तरह जला हुआ था कुछ लोग
दया करके उसके आगे एक दो रुपए का नोट रख
रहे थे और आगे बढ़ जा रहे थे ललिता के पास
जब कुछ पैसे जमा हो गए तो उसने उन पैसों
को गौर से देखा और फिर सामने की दुकान में
मिल रहे छोले और पूरी को 40 की प्लेट 40
की प्लेट हमारे छोले और पूरी मार्केट में
है सबसे बेस्ट 40 की प्लेट 40 की प्लेट
ललिता ने दुकानदार की बातों को सुना तो
जरूर लेकिन वो उसके पास नहीं गई बल्कि उन
पैसों को लेकर वो उस दुकान में पहुंची
जहां करवा चौथ की सामग्री मिल रही थी और
दुकानदार से कहा भैया एक मिट्टी का कलश एक
चुनरी और एक सिंदूर का पैकेट दो ना मुझे
भी करवा चौत करना है ललिता की बातों को
सुनकर दुकान में खड़ी औरतें उसकी ओर घूर
घूर कर देखने लगी लो जी इसे कहते हैं घोर
कलयुग अब इस विधवा भिखारिन को भी करना है
करवा चौत बहन लगता है यह कोई पागल है भला
एक विधवा कब से करने लगी करवा चौथ का व्रत
ठीक कहती हो बहन यह मुझे पागल ही लगती है
इससे पहले कि ये पागलपन में कुछ और हरकत
करे इसे यहां से भगाना होगा ए पगली चल भाग
यहां से भाग तेरा पति मर गया है और जिसका
पति मर जाता है वह नहीं करती गवा चौत उन
औरतों की बातों को सुनकर ललिता की आंखों
में आंसू आ गए और वो उनसे यह कहते हुए
वहां से निकल गई कि नहीं वो जिंदा है वो
आएंगे जरूर आएंगे देखना वो जरूर आएंगे
यह कहकर ललिता वहां से सड़क के दूसरी ओर
जाने लगी सड़क पर चलते हुए उसकी आंखों में
आंसू के साथ-साथ सारी पुरानी बातें भी चल
रही थी बेशर्म औरत दिमाग खराब है क्या
तुम्हारा तू विधवा है विधवा तेरा पति यानी
मेरा बेटा मर गया है और तू है कि करवा चौत
करने की जिद लिए बैठी है मां जी देखिए
मेरा मन कहता है कि वह जिंदा है और वह
जरूर आएंगे ललिता अपनी सास से बार-बार यह
बात कही जा रही थी और उसकी सास उसे
बार-बार विधवा कही जा रही थी इसी बीच
ललिता की ननद हेमा वहां आ गई और मां मुझे
लगता है इस कलमुही चुड़ैल के लक्षण ठीक
नहीं है मुझे तो दाल में कुछ काला नजर आ
रहा है काला मां इस चुड़ैल का भैया की मौत
के बाद जरूर कोई ना कोई नया यार बन गया है
जिसे रिझाने के लिए यह करवा चौत करना चाह
रही है कुछ तो अपने मृत भैया और मेरा
लिहाज करिए चुप चुप कर डायन मेरे भैया को
खा गई और कह रही है कि तुम्हारा लिहाज
करूं यह कहकर हेमा ने अपनी भाभी ललिता के
बालों को पकड़ो और उसे खींचते हुए बोली
बता बता वो कौन है तेरा यार जिसके लिए तू
करवा चौत करने के लिए मरी जा रही है बोल
बोल नहीं तो सारे के सारे बाल खींच करर
गंजी कर दूंगी मैं
तुझे छोड़िए छोड़िए मेरे बाल मेरे बाल
छोड़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है छोड़िए
मुझे और तू जो ऐसी गिरी हुई हरकत करके
हमें दर्द दे रही है उसका क्या है बोल बोल
कुलटा बोल यह कहकर हेमा ने एक जोर की लात
ललिता को मारी ललिता पूजा गिरी और गिरते
वक्त उसका सिर दीवार से टकरा गया खून की
धार बह निकली
आह थोड़ी देर में पूरा फर्श खून से भर गया
और ललिता कराते हुए बेहोश हो गई 2 साल
पहले ललिता के पति राकेश की एक ट्रेन
दुर्घटना में मौत हो गई थी और उसकी मौत के
बाद तो ललिता का जीवन उसकी सास और उसकी
ननद ने नरक बना दिया था ललिता को अब भी वह
दिन याद है जब एक रात वह टीवी देख रही थी
तभी उसने टीवी पर एक खबर देखी ब्रेकिंग
न्यूज़ दिल्ली से पटना के लिए आने वाली
पटना एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हो गई
है यह हादसा तब हुआ जब ट्रेन अपनी पूरी
रफ्तार से यमुना नदी पर बने पुल से गुजर
रही थी आगे पटरी टूटी होने के कारण ट्रेन
दुर्घटना का शिकार हो गई और इसकी छह
बोगियां यमुना में डूब गई हैं हजारों
लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है
हालांकि राहत और बचाव के लिए बचाव दल घटना
स्थल के लिए रवाना हो गया है राकेश दिल्ली
में काम करता था और वह करवा चौथ के लिए
छुट्टी लेकर अपने घर आरा था ललिता ने जैसे
ही यह न्यूज़ सुनी तो उसका रो-रोकर बुरा
हाल हो गया उसने जब यह बात अपनी सास को
बताई तो सब तेरे कारण हुआ है तेरे कारण
अरे क्या जरूरत थी उसे करवा चौथ पर घर
बुलाने की कुलटा खा गई ना मेरे बेटे
को मां जी मां जी ऐसा क्यों कह रही है आप
मेरा दिल कहता है कि वह बिल्कुल ठीक है
ललिता अगले ही दिन घटना स्थल की ओर रवाना
हो गई उसने अपने पति का पता लगाने की बहुत
कोशिश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला
उधर बचाव दल वाले यमुना नदी से लाश पर लाश
निकाले जा रहे थे हर बाहर निकलती लाश को
देखकर ललिता का दिल जोर से धड़कने लगता वह
पूरे तीन दिन भूखे प्यासे वहां रही लेकिन
उसके पति का कुछ पता नहीं चला तीन दिन बाद
वह अपने घर लौट आई और जब व लौटी तो उसकी
सास उस पर फिर से टूट पड़ी हो गई तसल्ली
डायन हो गई ना मार दिया ना मेरे बेटे को
हत्यारिन मां जी मांजी भगवान के लिए ऐसा
मत कहिए जब तक राकेश जिंदा था ललिता को
किसी बात की तकलीफ नहीं होने देता था वो
उसे बहुत प्यार करता था लेकिन उसके जाने
के बाद तो सब कुछ बदल गया था ललिता के साथ
जुल्मो सितम के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही थी
और हर हफ्ते उसकी ननद भी अपने ससुराल से
यहां आ धमक ती और फिर दोनों मां बेटी
मिलकर ललिता पर अत्याचार करती एक दिन मां
तुम्हें नहीं लगता कि भैया की मौत के बाद
हम लोग बेवजह इस कुलटा को पाल रहे हैं हां
बिल्कुल सही बात है मेरा तो मन करता है कि
इस कुलटा का गला घोट दूं लेकिन ऐसा करूंगी
तो जेल जाना पड़
अरे मां दिमाग से काम लोगी तो जेल नहीं
जाना पड़ेगा और सांप भी मर जाएगा और लाठी
भी नहीं टूटेगी वोह कैसे हे मा बेटी मां
क्यों ना हम उस चुड़ैल के कमरे में आग लगा
द आग लगने से वह झुलस कर मर जाएगी और कोई
हम पर शक नहीं करेगा सबको लगेगा कि घर में
आग लग गई थी और वह मर गई वाह बेटी क्या
शैतानी दिमाग पाया है तुमने तेरे जैसी
बेटी हर मां को मिले ताकि वह अपनी बहू से
छुटकारा पा सके उसी रात की बात है हेमा और
ललिता की सास ने ललिता के कमरे में तब आग
लगा दी जब वह गहरी नींद में सोई हुई थी
थोड़ी देर बाद ही उसका कमरा धू-धू कर जलने
लगा आग आग अरे कोई बचाओ आग आग लग गई मेरे
कमरे में ललिता आग आग चिल्लाती रही और
उसकी सांस और ननद बाहर घूमने चले गए ललिता
ने उस आग से बचने की बहुत कोशिश की और इसी
चक्कर में उसका एक हाथ बुरी तरह झुलस गया
हालांकि वह किसी तरह उस आग से बचने में
कामयाब रही और उसकी जान बच गई कुछ घंटों
बाद उसकी सांस और ननद घर वापस लौटे और उसे
जिंदा देखा तो सच में इसके अंदर कोई ना
कोई डायन की आत्मा है इस आग से भी यह बच
गई बच तो गई है लेकिन अब यह इस घर में
नहीं रहेगी उसकी सास और ननद ने उसे घर से
बाहर निकाल दिया वह बेचारी भीख मांगकर
गुजारा करने लगी बहरहाल करवा चौथ के दिन
की बात है औरतें रात को चांद देखकर अपना
व्रत खोल रही थी ललिता ने भी उस दिन व्रत
रखा था और सड़क किनारे बैठकर चांद को
निहार रही थी उसके पति की मौत हुए यह
तीसरा साल था लेकिन उस उसे अब भी पता नहीं
यह क्यों लगता था कि उसका पति एक दिन जरूर
आएगा आसमान में चांद की ओर देखते हुए और
अपने आंसुओं को पूछते हुए वह अपने पति के
बारे में ही सोच रही थी तभी उसके कानों
में एक आवाज गूंजी ललिता ललिता वो आवाज
ऐसी थी जिसे ललिता हजारों कोस दूर से भी
पहचान सकती थी यह किसी और की नहीं उसकी
पति राकेश की आवाज थी ललिता ने जब आवाज की
दिशा में देखा तो वह चौक गई उसके सामने
घनी दाढ़ी में इंसान खड़ा था
कौन अरे ललिता मुझे नहीं पहचाना मैं तेरा
राकेश मैं आ गया मैं आ गया
रे आप आप आ गए मुझे पता था मुझे पता था आप
आप जरूर
आएंगे जरूर आएंगे लेकिन लेकिन कोई मेरी
बात सुनता ही नहीं था आप आ गए आप आ गए असल
में उस एक्सीडेंट के बाद राकेश बुरी तरह
घायल हो गया था उसके सिर में में गहरी चोट
लगी थी और वह यमुना नदी की तेज धार में
बहता हुआ किसी दूसरे शहर निकल गया था और
जब उसे होश आया तो वह अपनी याददाश्त खो
चुका था यह तेरा सच्चा प्यार था ललिता देख
मैं एक बार फिर से तेरे पास आ गया कुछ दिन
पहले मेरा एक बार फिर से एक्सीडेंट हुआ और
उसके बाद मुझे सब कुछ याद आ गया यादाश्त
वापस आने के बाद मैं तुरंत तेरी तलाश में
निकल पड़ा मैं घर गया वह मां और हेमा ने
बोला कि मेरी मौत के बाद तू किसी के साथ
भाग गई लेकिन सच कहूं मुझे इस बात पर यकीन
नहीं हुआ मैं फिर भी तुझे तलाश होता रहा
कि तू कहीं तो मिलेगी और देख तू आज आज
करवा चौथ के दिन मुझे मिल गई यह कहकर
राकेश ने ललिता को गले से लगा लिया दोनों
की आंखों में आंसू थे ललिता ने उस दिन
चांद की रोशनी में अपना व्रत खोला उसका
विश्वास सच निकला और उसका पति उसके पास
वापस आ
गया रमेश और मालती एक दूसरे से बहुत प्यार
करते हैं वोह दोनों पति-पत्नी हैं रमेश
जंगलों में मधुमक्खियों के घोसले से शहद
निकालने का का काम करता है इस काम में
बहुत रिस्क है लेकिन उसके पास और कोई चारा
नहीं है क्योंकि वो लोग बहुत गरीब हैं
सुनिए जी आप यह काम छोड़ दीजिए कोई और काम
कर लीजिए मुझे कौन काम देगा मालती लेकिन
जंगलों में शेर रहते हैं आपको कुछ हो गया
तो कुछ नहीं होगा मालती तू चिंता मत कर
लेकिन मालती को हमेशा रमेश की चिंता सताती
है और एक दिन वही होता है जिसका मालती को
डर था उस दिन सुबह-सुबह जमींदार साहब रमेश
के पास आते हैं और उसे धमकाते हैं रमेश
तूने अभी भी मेरा उधार नहीं चुकाया कल के
अंदर अगर तूने मुझे मेरे सारे पैसे नहीं
लौटाए ना तो मैं तेरा ये घर ले लूंगा याद
रखना रमेश और मालती घबरा जाते हैं अब क्या
होगा पैसे लौटाने के लिए आज मुझे बहुत
सारा शहद निकालना पड़ेगा और उसके लिए मुझे
जंगल की गहराइयों में जाना होगा तुम चिंता
मत करो मालती मुझे कुछ भी नहीं होगा रमेश
जंगल की ओर चला जाता है जंगल के अंदर
पहुंचकर रमेश मधुमक्खी के घोंसले से शहद
निकालता है आज इतनी शहद से कुछ भी नहीं
होगा मुझे और अंदर जाना होगा रमेश अपनी
जान की परवाह ना करके जंगल की और अंदर घुस
जाता है और एक बड़े से घोसले से शहद
निकालता रहता है और तभी अचानक से एक शेर
उस पर अटैक कर देता है अरे बाप रे शेर
भागो भागो रमेश अपनी जान बचाने के लिए
भागता है लेकिन वह शेर से तेज थोड़ी भाग
सकेगा वो शेर उसे पकड़ लेता है और खींच कर
उसे जंगल के अंदर ले जाता है रमेश के साथी
यह देखकर डर के मारे गांव लौट जा
और मालती को सब कुछ बता देते हैं सब कुछ
सुनकर मालती रो पड़ती है अब मेरा क्या
होगा मैंने आपको बोला था कि यह काम छोड़
दो अब मैं क्या करूं मेरा सब कुछ खत्म हो
गया है भगवान सब कुछ खत्म हो
गया मालती अपना सर पटक पटक कर रोती है
लेकिन उसका शोक खत्म ही नहीं हुआ कि इतने
में जमींदार साहब वहां चले आते हैं और
कहते हैं यह सब झूठ है यह सब पैसे ना देने
का बहाना है ए मालती पै से नहीं देगी तो
यह घर दे निकल जा इस घर से जमींदार साहब
मालती को घर से निकाल देते हैं अचानक से
मालती का सब कुछ खत्म हो जाता है उसके पास
अब ना ही पति रहता है और ना ही कोई घर वो
रास्तों में भटकने लगती है वह शिवजी की
बहुत बड़ी भक्त है इसीलिए उसके पास शिवजी
की एक छोटी सी मूर्ति है वो रोते हुए शिव
से प्रार्थना करती है हे शिव जी अब आप ही
बता दीजिए कि मैं क्या करूं अब मेरे पति
नहीं रहे घर भी नहीं रहा सब कुछ ठीक कर
दीजिए ना शिवजी
[हंसी]
शिवजी की कृपा अनंत है इसीलिए रमेश अभी तक
मरा नहीं है उधर जंगल में शेर के ले जाने
के बाद रमेश को लगा था कि उसका काम तमाम
होने वाला है लेकिन तभी उसके दिमाग में एक
आईडिया आ गया उसने एक छोटी सी लकड़ी अपने
हाथ में ले ली और शेर ने जब उसे खाने के
लिए अपना मुंह खोला तब रमेश ने उसके मुंह
में उस लकड़ी को फंसा दिया यह ले अब देख
कैसा लगता है वह शेर अपने मुंह से लकड़ी
को निकाल नहीं पाया और वह भाग गया लेकिन
रमेश के शरीर में बहुत सारी खरोच आ गई थी
और उन खरोच के लगने के कारण उसके शरीर में
दर्द शुरू हो गया वह बेहोश होकर वहां गिर
गया इधर मालती को यह सब कहां पता है वह बस
रास्तों में घूमते हुए भीख मांग रही है
भगवान के नाम पर कुछ दे दो मेरा सब कुछ
खत्म हो गया है कुछ खाना खिला दो कोई
मालती ऐसे ही दिन बिताने लगी उधर रमेश को
जब होश आया तब अंधेरा हो चुका था जंगल की
इतनी गहराई में वह कभी नहीं आया था लिए
उसने घर लौटने का रास्ता खो दिया अब मैं
घर कैसे लौटू मेरी मालती मेरा इंतजार कर
रही होगी पता नहीं जमींदार ने उसके साथ
क्या किया होगा रमेश जंगल में भटकता रहा
और मालती की चिंता में खोया रहा उधर मालती
भी रास्ते में भटकते हुए रमेश की यादों
में खोई रही ऐसे ही दिन बीतते रहे और करवा
चौथ का दिन आ गया आज ही के दिन आप मेरे
पास नहीं हो मैं हर साल करवा चौथ मनाती
हूं लेकिन इस साल कैसे मनाऊं मेरी चांद ही
तो मेरे पास नहीं है
उधर जंगल में बैठकर रमेश सोचता है
मालती आज के दिन मैं तुम्हें बहुत मिस कर
रहा हूं पर मैं वादा करता हूं एक ना एक
दिन हम दोनों की फिर से मुलाकात होगी रमेश
भी आंसुओं की धारा बहाने लगता है मालती
दुख और दर्द से तड़पती है भला शिवजी भी यह
सब देखकर कैसे चुप रहते वह हिमालय की चोटी
में बैठकर यह सब देख रहे थे पार्वती मां
उनसे कहती हैं देवाधि देव आपका दिल तो
माया से भरा हुआ है तो क्या इन दोनों
बिछड़े हुए आत्मा माओ को आप नहीं मिला
सकते मिला सकता हूं पार्वती लेकिन अभी
नहीं इन दोनों को बहुत सारे परीक्षाओं से
गुजरना होगा लेकिन आज करवा चौथ है आज के
दिन मालती करवा चौथ मनाए बिना कैसे रह
पाएगी ठीक है मैं एक व्यवस्था करता हूं यह
कहकर शिवजी ने एक पुजारी का रूप ले लिया
और वह मालती के पास पहुंच गए बेटी तू
क्यों रो रही है मैं जानता हूं मैं बस
तुझे इतना बता सकता हूं कि तेरा पति अभी
जिंदा है तू करवा चौ मना सकती है तू तेरे
पति को चांद मानती है ना तो केवल चांद को
देखकर तू अपना व्रत तोड़ सकती है मेरे पति
जिंदा है धन्यवाद पुजारी जी मैं मेरे पति
के लिए करवा चौथ मनाऊंगी लेकिन मेरा हर एक
दिन व्रत के बराबर है क्योंकि मेरे पास
खाने के लिए कुछ भी नहीं है ठीक है बेटी
यह ले यह फल ले ले व्रत तोड़ने के बाद यही
खा लेना मालती बहुत खुश हो गई उसके दिल को
तसल्ली मिली वह अभी एक उम्मीद में जी सकती
है शाम को चांद निकलने के बाद वह छन्नी से
चांद देखती है और उसके बाद पानी पीकर व्रत
तोड़ती है और उसके बाद फल खा लेती है उसके
शरीर और मन में एक शक्ति सी आ जाती है
मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं उनसे जरूर
मिलूंगी जरूर उधर रमेश भी जंगल में शेर और
भेड़ियों से लड़कर जिंदा रहने की पूरी
कोशिश करता रहता है मुझे जिंदा रहना है
मुझे मलती से मिलना है रमेश जंगल से बाहर
निकलने का रास्ता ढूंढता रहता है और इसी
तरह समय बीतने लगता है करीब करीब 30 साल
बीत जाते हैं रमेश और मालती बूढ़े हो जाते
हैं रमेश अभी भी जंगल से बाहर निकलने की
कोशिश कर रहा है और उधर मालती भीख मांगते
हुए रास्तों में भटक रही है उसके पास अभी
भी शिवजी की मूर्ति है मालती की तबीयत
बहुत खराब है दो दिन से वह बहुत खास रही
है लगता है मेरे पास और ज्यादा समय नहीं
बचा है इस साल का करवा चौथ ही मेरा आखरी
करवा चौथ होगा
मालती खास रहती है और उसके मुंह से खून
निकलने लगता है आसपास के लोग मालती से दूर
भागने लगते हैं ए बुढ़िया इधर नहीं सो
सकती तू पता नहीं कौन-कौन सी बीमारी है
तुझे जा भाग यहां से वो आदमी एक डंडा लेकर
मालती को मारने आता है जान बचाने के लिए
मालती भाग जाती है और एक जगह पर बेहोश
होकर गिर जाती है वहीं पर एक एनजीओ का
आदमी मौजूद था अरे बाप रे इनकी हालत तो
बहुत ही ज्यादा खराब है इन्हें आज ही
अस्पताल लेकर जाना होगा वो आदमी मालती को
अस्पताल ले जाता है और वहां मालती थोड़ा
बेहतर फील करती है डॉक्टर साहब कहते हैं
देखिए उन्हें अभी के अभी किसी अच्छी जगह
पर लेकर जाना होगा ठीक है डॉक्टर साहब मैं
कल ही उन्हें हमारे एनजीओ में लेकर जाऊंगा
मैं अभी ट्रेन की दो टिकट कटा लाता हूं
नहीं मैं कल नहीं जा सकती कल करवा चौथ है
करवा चौथ ट्रेन में मना लेना दीदी शिवजी
जब यह देखते हैं कि मालती को अपनी जान से
ज्यादा करवा चौथ और अपने पति प्यारे हैं
तब वह पूरी तरह से प्रसन्न हो जाते
वो अगले दिन जंगल में एक बैल को भेजते हैं
और व बैल रमेश को भगाता है अरे बाप रे
भागो
भागो रमेश अपनी जान बचाने के लिए भागता है
और भागते भागते उसे जंगल से बाहर जाने का
रास्ता मिल जाता है जंगल से बाहर जाकर उसे
सामने एक ट्रेन स्टेशन पर दिखाई देती है
और तभी वहां एक ट्रेन आकर रुकती है रमेश
बिना कुछ सोचे समझे उस ट्रेन में चढ़ जाता
है भाग्य का खेल देखो मालती भी उसी ट्रेन
में है ट्रेन स्टेशन छोड़कर चल देती है
बाल बाल बच गया नहीं तो उस बैल ने तो मुझे
मार ही डाला था लेकिन उसी की वजह से मुझे
इतने दिनों बाद जंगल से बाहर आने का
रास्ता मिल गया लेकिन तभी टीटी आता है और
रमेश को पकड़ लेता है अपना टिकट दिखाओ
टिकट टिकट तो नहीं है मेरे पास साहब तो
तुम्हें जेल जाना होगा चलो टीटी रमेश को
पकड़ लेता है रमेश चिल्लाने लगता है छोड़
दीजिए मैं इतने दिनों से जंगल में था मुझे
अपनी मालती के पास जाना है मालती उसी बोगी
में बैठी थी रमेश की आवाज उसके कान में
पहुंचती है और वो चौक जाती है अरे यह तो
उनकी आवाज है मालती ी दौड़ते हुए वहां
जाती है और रमेश को देखकर उसकी आंखों में
खुशियों के आंसू आ जाते
हैं मालती तुम दोनों एक दूसरे को गले लगा
लेते हैं कितने दिनों के बाद हम लोग एक
हुए हैं
मालती आप मुझे मिल गए और वो भी करवा चौथ
के दिन मुझे और कुछ नहीं चाहिए मैंने आपके
लिए वृत रखा है इतने में शाम हो जाती है
और बाहर चांद निकलता है मालिनी छन्नी से
चांद को देखती है और इतने दिनों के बाद
छन्नी से रमेश को देखती है और उसके बाद
रमेश अपने हाथों से मालती को पानी पिला
देता है यह सब देखकर लोगों के होश उड़
जाते हैं सच में आप दोनों का प्यार सलामत
रहे उन दोनों को एनजीओ ले जाया जाता है और
दोनों का अच्छी तरह से ख्याल रखा जाता है
अपने विश्वास और प्यार की ताकत की वजह से
वह दोनों अभी तक जिंदा है और एक दूसरे से
मिल पाए हैं इसके बाद वह दोनों खुशी-खुशी
कई सालों तक एक दूसरे के साथ रहते
हैं
Comments
Post a Comment