अनाथ बेटियों की किस्मत _ गरीब का नसीब _ Hindi Stories _ Moral Stories _ Kahani _ Kahaniyan _ Jadui_transcript
झाल
में एक यह एक छोटे से गांव में देबू नाम
का एक मछुआरा अपनी पत्नी सरिता के साथ
रहता था दोनों पति-पत्नी मछली पकड़ते थे
और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करते थे उनके
शादी को काफी साल हो गए थे लेकिन उन्हें
कोई संतान नहीं थी एक दिन नदी के किनारे
मछली पकड़ते हुए दोनों बात कर रहे होते
हैं अगले महीने हमारी शादी को पूरे 11 साल
हो जाएंगे लेकिन हमें अभी तक कोई संतान का
सुख नहीं मिला है जि जितना हम और हाथ में
भालुओं को हमने कर ही लिया है लेकिन अब जब
नसीब में ही संतान का सुख नहीं है तो क्या
कर सकते हैं बोल तो ऐसे रहे हैं जैसे
लाखों रुपए खर्च कर दिए हुए दुनिया औलाद
पानी के लिए पता नहीं क्या-क्या करती है
देखो सरिता तुम्हें तो पता ही है हमारे
पास कमाने का यही एक जरिया है और इससे
जितनी कमाई होती है उसमें दो वक्त का खाना
नसीब हो जाए वही काफी है
जी हां मुझे सब पता है लेकिन मेरा मन ही
बच्चे को खिलाने को करता है अब तो गांव
वाले भी मुझे बाद बोलने लगे हैं तभी देव
के सेट किए हुए जाल में तेजी से हलचल होने
लगती है और उस वृद्धों और बाकी बातें बाद
में चलो चलो पूजा ख्वाब मछली फस गई यह
देखो इतनी हलचल हो रही है दोनों जेल को
खींचने लगते हैं और जेल को बाहर निकालते
हैं आज भी ठीक-ठाक मछली जाल में फंसी है
चलो अब जल्दी से इन्हें बेचकर घर चलते हैं
दोनों बाजार में मछली बेचने जाते हैं और
मछली बेचकर घर आने लगते हैं तभी सरिता को
बच्चों के खिलौनों की दुकान दिखाई देती है
अगर आप कहो तो एक छोटा सा खिलौना मैं भी
लल्लू
अब तुम बनोगी और लोग मजाक कर रहा था
था खरीद लें और घर आकर अपने घर के कामों
में लग जाती है तब उसके घर में खेलते
खेलते छोटा बच्चा जाता है ए
हरिड यह हमारे घर में कौन आया है यह तो
बहुत प्यारा बच्चा इधर मेरे पास
तुम्हारे लिए
[संगीत]
मैं ले सकता हूं
तुम्हारे लिए अच्छा यह बताओ तुम्हें खाने
में क्या पसंद है
मछली और चावल खाना बहुत पसंद है
मछली
मछली और चावल बनाऊंगी फिर पेट भरकर मछली
चावल
जा रहा हूं को पता लगा तो बहुत डाटेंगी
लेकर अपने घर चला जाता है
कि आई देखो सरिता जी ने मुझे इतना अच्छा
खिलौना दिया वही बहुत अच्छी है
तो इस बांध और के पास के अर्थात हे भगवान
मेरे बच्चे को उसकी नजर
करूं
तेरी नजर उतार दूं तो
दूसरों के बच्चों पर नजर रखती हे भगवान
मेरे बच्चे को उल्टा की नजर से अपने बेटे
की नजर उतार वह उस खिलौने को लेकर पिता के
घर
से
यह
मेरे बच्चे
मेरे बच्चे को अपने पास बुलाया तो अच्छी
बात नहीं होगी और सरिता का दिया हुआ था वह
चली जाती है
बेचारी अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाला
और फिर अपने काम में लग जाती है उसे
बौद्धों की आदत सी हो गई थी अगले दिन फिर
से दोनों मछली पकड़ने कि अरे बाप रे आज तो
जाल संभल में नहीं आ रहा है और सरिता
जल्दी पकड़ मजाल के साथ में भी नदी में
जाऊंगा हां पकड़ रही हूं अरे यह क्या लगता
है आज जाल में ज्यादा बड़ी मछली फंस गई है
वड़ा ही भारी हो रहा है जाल दोनों बड़ी
मेहनत करके जेल बाहर खींचते हैं और वह चीज
तो बहुत बड़ी मछली जाल में फंसी है पहली
बार इतनी बड़ी मछली हाथ लगी मैं आपको एक
बात बोलूं उसका हो क्या बहुत है यह मछली
में घर में ही बनाऊंगी वह पड़ोस में कैरी
का बेटा है ना उसे मछली और चावल बहुत पसंद
है उसी के लिए बनाऊंगी
कि अगर तुम यही चाहती हो तो ठीक है पहले
चलते हैं इस बड़ी मछली को घर पर घर
पहुंचकर जैसे ही देव मछुआरा मछली को काटता
है मछली के पेट से एक बच्ची निकलती है
कुरु
मछली के पेट से बच्चा कैसे हो सकता
सरिता बच्चे को गले से लगा ले जैसे
कि इस समय अपने पास रखूंगी और उसे अपने
पास रख लेती अगले दिन यह बात पूरे गांव
में फ़ैल जाती है
तो
इस बच्ची का नाम है और न ही किसी को पता
नहीं
क्यों नहीं पता लेकिन हम यहां से अच्छा तो
कोई बात
नहीं अपना पेट तो ठीक नहीं जाता है
उसे खरी-खोटी सुनाकर ऐसे चली जाती है चौंक
रो क्यों रही हो सरिता देवी को सब बता
तो पैरों
बच्चे बहुत खर्चे
तभी सरिता उस बच्ची को गोद में लेकर और
[संगीत]
घृणा
और तब वह बच्चे जोर-जोर से हाथ मारने लगती
है आपके हाथ में से गिरने
से एक बच्चे के हाथ से निकल रहा है तो यह
साधारण बच्ची बच्ची और जल्दी से बाजार में
सोना बेचकर अपने बच्चे के लिए खूब सारा
सामान लेकर आता है
घ्र घ्र
इतना बोल कर अपने घर चला आया और ऐसे ही
काफी दिन बीत गए जब वह दो चीकू अपनी गोद
में लेकर कुछ बोलती तुरंत बच्ची के हाथ से
सोने की स्थिति गिरने लगते देखते ही देखते
देव बहुत अमीर बन गया एक दिन देबो सोचता
है क्या सोच रहे हैं और इस बच्चे को सोचकर
दुखी हो जाता आखिर यह बच्ची कौन कौन से
मुझे इस बात से कोई लेना-देना नहीं है और
मेरे पास ही रहेगी
इसी चिंता में डूबा और रात को ना जाने कब
की और रात को
भूल कर उठता और सरिता को
शीघ्र
और पूरे
में
मैं तुझे शाप देता हूं तू भी अपने प्राण
त्याग थे वह औरत मरने के बाद शंकर जी के
पास जाती है और उन्हें अपने गर्भवती होने
की बात ही है तब शंकर जी बोलते हैं तुमने
बिना सोचे समझे अपनी शक्तियों का गलत
इस्तेमाल किया है जाओ तुम्हें इस नदी के
किनारे उस बाबा ने श्राप दिया था उसी नदी
में तुम्हें एक मछली के रूप में जीना
पड़ेगा तुमने बिना सोचे-समझे अपने
शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया है जाओ तुम
जिस नदी किनारे तपस्या कर रहे थे उसी नदी
में तुम्हें एक मछली के रूप में जीना
पड़ेगा और इस औरत की बच्ची को अपने पेट
में तब तक रखना होगा जब तक तुम कोई बांझ
औरत जो औलाद के लिए तड़प रही हो तुमसे ना
मिले जब औरत तुम्हें मिल जाएगी तो यह
बच्चे उसे सौंप देना उस दिन तुम्हारा
उद्धार हो जाएगा लेकिन भोले बाबा पता नहीं
वह मेरी बच्ची को कैसे पालेंगे तुम चिंता
मत करो बेटी तुम्हारी बच्ची को साधारण
बच्ची नहीं होगी उसके पास जादुई शक्तियां
होंगी जिस घर में वह जाएगी राज करेगी
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भोले बाबा त्रिदेव
अपनी बीवी सरिता से बोलता है
मजहबी सोच नदी के पास वॉलेट लो कि जाकर
पता करता हूं कि बहुत अच्छा यह नहीं दी वो
के पता करने पर उसे पता चलता है कि साधु
वाली बात सच है और यही वह औरत भी है जो
अपने बच्चे के साथ मर गई थी अब मेरे मन
में इस बच्ची को लेकर कोई दुख नहीं है
वरना मुझे अफीम और उसकी मौत का सोच सोच कर
बहुत दुख होता था लेकिन जब इसकी मां की और
खुद भोले बाबा की भी यही मर्जी है कि वह
हमारे पास रहे तो फिर मुझे किस बात का दुख
है
[संगीत]
अजय को
और कालू एक गरीब बोला था वह अपना घर
रिक्शा चलाकर चला रहा था एक दिन उसके बेटे
की लड़की रीमा उसको बोलती है बाबा आज मेरे
लिए छोटी सी गुड़िया लेकर आना ठीक है बाबा
ठीक है
तेरी गुड़िया ले आऊंगी तब आलू की जाती
लेकिन तुम कहां से लाओगे
तुम्हारे पास तो पैसे भी नहीं बहू और बेटे
के चले जाने के
बच्चे जिम्मेदारी हमारे तरह
की शादी भी करनी होगी कि
युद्ध पर हमारे पास पैसे नहीं
चिंता मत कर सब कुछ कर लूंगा अधीर व
लेकर निकल जाता और रास्ते में हूं
कि
शिक्षा का लिया हुआ था लिख रिक्शा खाली
आपको कहां जाना है
घ्र रेलवे स्टेशन आप कितनी उम्र हो गई
हो क्या करें
सब्सक्राइब
मेरे जवान बेटे और बहू इस दुनिया में नहीं
रहे और उनकी बेटी का पालन-पोषण मेरे सिर
पर है इसीलिए मुझे इस उम्र में भी यह सब
काम करना पड़ता है इतनी सर्दी आई
सर्दी आई
सर्दी आई तो लगती है लेकिन
क्या करूं मेरे पास इतने पैसे नहीं
मैं अपने लिए कपड़े खरीद सकूं जो थोड़े
बहुत पैसे बनते हैं उनसे घरवालों की जरूरत
पूरी कर देता यह मेरी लो मैं दूसरी लूंगा
अब बहुत-बहुत धन्यवाद फिर कालू अपना
रिक्शा लेकर अपने घर की तरफ चलता है सर्दी
के चलते कालू के हाथ-पैर कांपने लगते हैं
जिस कारण गोरख जाता है तालू एक तरफ बैठ
जाता है और भगवान से बोलता है
भगवान इस उम्र में मुझे क्या-क्या झेलना
पड़ रहा है
अबे बैठ कर खाने की उम्र में मुझे रिक्शा
चलाना पड़ रहा है तभी कालू की हालत और
बिगड़ने लगती है और वह बेहोश होकर गिर
जाता है तभी वहां पर यमराज प्रकट हो गए
हैं आलू तुझे मेरे साथ चलना होगा तेरी
उम्र पूरी हो गई
कालू हाथ जोड़कर उठता है
अभी तो मेरी बच्ची बहुत छोटी और उसकी दादी
भी हाथ पैर से लाचार उसका पालन करेगी
कि यह सब विधि का विधान है मैं इसमें कुछ
नहीं कर सकता दोनों हाथों में उम्र हो
चुका है तुम्हें मेरे साथ चलना होगा नहीं
मैं अभी नहीं जा सकता मुझे थोड़ा और जिंदा
रहने का समय दीजिए जिससे मैं अपने घरवालों
को इतना पैसा दे दूं कि वह अपना जीवन यापन
कर सके लेकिन तुम इतनी जल्दी इतने पैसे
कहां से लाओगे तो वह से धो लें अब मेरा
टाइम हो गया है तो मुझे तुम्हारे साथ ही
जाना है मैं अपने शरीर के हिस्सों को बेच
दूंगा और उससे जो पैसे मिलेंगे अपने
परिवार को दे दूंगा लेकिन एक बार शरीर से
प्राण निकलने के बाद शरीर में वापस उसी
प्राण को डालना संभव नहीं है लेकिन मेरे
पास इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता भी
नहीं है
मेरे साथ चलना होगा मैं तुम्हारी कोई मदद
नहीं कर सकता हूं
अच्छा ठीक है मैं तुम्हारे साथ चलने के
लिए तैयार हो लेकिन बस एक बार मेरे साथ
मेरे घर चलना होगा ठीक है गोलू मोलू और
राज्य दोनों के घर की
सुख-समृद्धि
घर
पर कोई नहीं था पर लटकी हुई थी इस प्रकार
की दूसरी तरफ जाते हैं तो
आज मेरे लिए लेकर आए हैं अपने बहुत अच्छे
से सजाऊंगी उसके साथ उसकी शादी करवा दूंगी
और उसके लिए
जाऊंगी में से लूंगी
[संगीत]
जो तेरा मन करें
तेरी खुशी में ही हमारी खुशी तेरे पापा भी
सब कुछ तेरी खुशी के लिए ही करते हैं
बच्चे भी फटे हुए कपड़े उत्तर बैठी थी
माधुरी बाबा जी आज आए नहीं अब तक उनको
जाना चाहिए था अरे वाह आते ही होंगे हो
सकता है उन्हें कुछ काम है इस वजह से आने
में देरी हो गई होगी
उधर में कुछ खाने के लिए ले रखा है तो बना
देती हो या लड़खड़ाती हुई रसोई में जाती
है और देखती है कि घर में खाना बनाने के
लिए कुछ भी नहीं था दादी तुम तो खाना बना
रही थी ना यह सुनकर रोने लगती है
लेकिन यहां कुछ बनाने के लिए
अब
तेरे दार कुछ न कुछ जरूर और हम खा लेंगे
लेकिन रोज ऐसे बाबा का इंतजार करना पड़ता
है अगर बाबा नहीं होते तो हमारी जिंदगी तो
कब की गई थी
कि भगवान जो भी करते हैं तो सही करते हैं
तो चिंता मत कर मेरी बच्ची जो होगा सही
होगा लेकिन दादी जी क्यों नहीं
तभी एक बूढ़े आदमी का रूप बना लेते हैं और
दरवाजे पर आकर आवाज लगाते हैं ऑइल
ऐड फिर यह लड़खड़ाती हुई दरवाजे की तरफ
जाती और वह अभी नहीं आए आप कौन हो मैं
उसका दोस्त हूं और वह आज सुबह-सुबह मिला
था कह रहा था कि उसे कुछ पैसों की जरूरत
है लेकिन मेरे पास पैसे नहीं थे तो
हम यह पैसे नहीं ले सकते हैं वह आएंगे तो
उनके सामने ही को पैसे दे देना
पैसे रख लो हो सकता है आलू आए ना तुम्हें
ऐसा क्यों बोल रहे हो क्यों नहीं हमारी
सारी उम्मीद है कि हम उठते ही है अगर वह
नहीं आए तो मैं और मेरी बच्ची हम तो लोग
भूखे मर जाएंगे मैं कहीं ज्यादा चल-फिर
नहीं सकते मेरी छोटी बच्ची भला करेगी रे
दादा कोई दोस्त अरे आप कौन हो मैं
तुम्हारे दादा दोस्तों और उसने मुझसे सुबह
पैसे मांगे थे जो मैं
[संगीत]
जानती हूं कि किसी से पैसे नहीं लेते वह
हमेशा मेहनत करके ही हमारा पेट पालते भले
ही थोड़ा खाने को मिलें लेकिन हम खुश रहते
हैं वह तो ठीक है लेकिन कभी-कभी हमें अपना
जीवन खुद जीना पड़ता है तभी
अपने बच्चे को जानता हु वहां पर नहीं लगी
उसे अपने दावों पर ही भरोसा तो आप मेरे
बाबा मेरे लिए लेकर आते ही
जाकर बैठ जाती है कि यमराज अपने असली रूप
में आ जाते हैं और बुढ़िया को बोलते हैं
रखो तुम्हारे पति का समय पूरा हो चुका है
और उसे मेरे साथ जाना होगा गुड़िया यह
देखकर हाथ जोड़ लेती है और बोलती है
अगर आप उनको ले जाएंगे तो हमारा क्या होगा
आपको हमें भी साथ लेकर जाना होगा लेकिन यह
संभव नहीं
पूरा हुआ
लेकिन उनके बिना जिंदा नहीं रहना है
बिल्कुल
दादा
रे दादा तुम लेकर जाओगे मेरे लिए लेकर
आएंगे तब तो उनसे ही पूछ लेना कि वह
तुम्हारे साथ जाना चाहेंगे नहीं बच्चे की
मासूमियत देखकर मुस्कुराते हैं और बोलते
हैं
इसके बारे में कुछ नहीं पता ही नहीं तो
बोलती हो
[संगीत]
शुक्र है हमारी उम्र भी पी नीति और उनके
साथ हमारी उम्र भी पूरी हो गई है
बुढ़िया की ऐसी बात सुनकर कालू भी रोने
लगता है और वह यमराज से बोलता है आप मुझे
यहां से ले जाओगे मेरे परिवार का क्या
होगा यह तुम्हें यही सही लगेगा तुम्हारे
साथ जरुर कुछ गलत हुआ है और इस बच्चे का
क्या कसूर
तुम्हारे घर की गरीबी और मजबूरी देख कर एक
महीने का समय देता हूं और उसके बाद
तुम्हें लेकर जाऊंगा जब तक तुम अपने घर के
लिए संपत्ति जुटाई तो यह सुनकर खुश हो
जाता है और
घृत को कभी नहीं लूंगा
फिर यमराज के प्राण उनके शरीर में डाल कर
वापस चले जाते हैं
[संगीत]
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