कितना सजायेगी ससुराल _ Hindi Stories _ Kahani _ Moral Bedtime Stories _ Khani Hindi Stories_transcript
कितना सजाएगी
ससुराल जब देखो खड़क खड़ा खड़क खड़ा इन
पड़ोसियों ने तो दिमाग का दही कर दिया है
ना जाने क्या कमी रह जाती है उनके घर में
कि हर तीसरे दिन कुछ ना कुछ तोड़फोड़
करवाना शुरू कर देते हैं अभी जाकर इनकी
मरम्मत करती हूं इस बार अच्छे से सुना कर
आना इन लोगों को ब्रम मिला मैं तब तक एक
कप चाय बनाकर पी लेता हूं कितना शोर हो
रहा है हाय मेरा सर और अपने पड़ोसियों के
घर हो रहे कंस्ट्रक्शन की आवाज से चिड़ी
हुई प्रमिला उनके घर पहुंच जाती है अरे
सुमन जी कहां है आप इतनी भी इंसानियत नहीं
बची क्या आप लोगों में मेरे पति का सर
दर्द से फटा जा रहा है और आपके घर से
आवाजें आनी बंद ही नहीं हो
रही तू उनके कानों में कोयला डाल दीजिए
आंटी जी यह कौन बोला अपने हाथ में सर दर्द
की गोली का पत्ता लिए स्वाती कमरे से बाहर
आती है और प्रमिला के हाथ पर उस पत्ते को
रखते हुए कहती है मैं बोली सर में दर्द हो
रहा है ना आंटी तो यह दवाई पानी में
मिलाकर अंकल जी को खिला दीजिएगा 5 मिनट
में दर्द छूमंतर हो जाएगा मतलब तुम लोग इस
ठोका ठोकी की आवाज को बंद नहीं करने
वाले आंटी जी वो तो हो नहीं पाएगा
एक्चुअली हमारे होल में ना काम चल रहा है
एज यू कैन सी तो किस दिन तुम्हारे घर में
काम नहीं चलता जिस दिन से तुम लोगों की
पड़ोसन बनी हूं मेरे तो कर्म ही फूट गए
इनको तो माइग्रेन की शिकायत हो गई और मुझे
बहरेपन की की पिछले छ महीनों से तुम्हारे
घर पर काम ही चल रहा है मुश्किल से तीन
रूम का फ्लैट नहीं पर कंस्ट्रक्शन तो ऐसे
करवाती हो मानो अब इस फ्लैट के अंदर एक
स्वयंभू बिल्डिंग बाहर निकाल लूंगी बात को
बहुत ज्यादा आगे बढ़ता देखकर सुमन फॉरन
वहां आती है अरे आप शांत हो जाइए प्रमिला
जी मैं कहती हूं अभी लेबर रुक जाएंगे हां
थोड़ी देर भाई साहब आराम कर ले उनका सर
दर्द ठीक हो जाए उसके बाद काम शुरू होगा
उसमें क्या है आप ही बताइए जी मैंने कुछ
गलत बोला क्या अरे उनके सर में सच में
दर्द हो रहा है मुझे तो समझ में नहीं आता
आप और भाई साहब कैसे इस आवाज को बर्दाश्त
करते हैं 24 घंटे एक ही आवाज सर में दर्द
नहीं हो जाता आप लोगों के क्या कहूं बहन
जी मैं तो खुद ही परेशान हूं पर यह मेरी
बहू है कि मानती ही नहीं हम हो रहे हैं
बूढ़े और यह ठहरी जवान ज्यादा बहस तो कर
नहीं सकते आप जाइए मैं कोई और रास्ता
देखती हूं तो यह थी स्वाति जो कोई
इंटीरियर डिजाइनर तो नहीं थी पर किसी
इंटीरियर डिजाइनर से कम भी नहीं थी आए दिन
अपने फ्लैट में कोई ना कोई बदलाव स्वाती
करवाती ही रहती जिसकी आवाज से परेशान होकर
उसकी एक पड़ोसी ने तो घर तक बदल लिया था
पिछले छ महीने से प्रमिला उनकी पड़ोसन
बनकर उनके बगल के मकान में रहने आई थी और
उसकी हालत को देखकर आपको स्वाति की
कंस्ट्रक्शन से प्यार का अंदाजा तो लग ही
गया होगा एक हफ्ते बाद सभी एक साथ रात के
खाने पर बैठे हुए थे तभी प्राची कहती है
कितने दिनों बाद हम सब वापस में एक साथ
हॉल में खाना खा रहे हैं ना मम्मी अब हॉल
में काम ही होता रहेगा बेटा तो साथ में
खाना कैसे खाएंगे
सिमेंट बालू में बैठकर तो खा नहीं सकते
कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है मम्मी
जी अब आप खुद ही देखिए कैसा लग रहा है
हमारा हॉल सो लविश लगता है ना किसी मूवी
के हीरो का घर है क्या कहती हो प्राची सब
कुछ तो ठीक है भाभी पर ये सामने की दीवार
पर ये खिड़की की जस्ट नीचे ये काउच नहीं
जमरा बाकी सब ठीक ठीक है बस इसी साइड ना
कुछ कमी लग रही है कमी अगली सुबह सब आराम
से अपने कमरे में सो रहे थे कि अचानक
उन्हें फिर से कुछ ठोकने की आवाज सुनाई
देती है अरे यार अब फिर से ये आवाजें कहां
से आ रही है स्वाति ने तो करवा लिया हल का
काम अब किसके सर पर ठुकाई का भूत चढ़ गया
सवेरे सवेरे इतनी तेज आवाज सुनकर सभी बाहर
हॉल में आते हैं और क्या देखते हैं हां
भैया बिल्कुल ऐसे ही पता ही नहीं चलना
चाहिए कि पहले यहां कोई खिड़की भी थी और
फिर तुम यह क्या करवाने लग गई स्वाती कल
ही तो हॉल का काम खत्म हुआ था ऐसे ही घर
को कबूतर खाना बना रखा है एक सांस लेने के
लिए खिड़की थी उसे भी वो बंद करवा रही है
मुझे लगता है मेरी मौत तो दम घुटने से ही
हो जाएगी अरे अरे बाबा शांति वो तो कल
प्राचीन ही कह रही थी कि खिड़की के नीचे
काउच अच्छा नहीं लग रहा इसलिए मैंने इस
दीवार की खिड़की ही बंद करवा दी आप टेंशन
मत लीजिए पापा जी दूसरी दीवार में खिड़की
निकल
जाएगी क्या
हां अब तो दीवार पर हाथ लगा ही दिया है
तुमने तो जो भी करना है शाम तक करके खत्म
करो बहू रोज-रोज ही अपने कमरे में खाना
मुझसे नहीं खाया जाता और यह धूल मिट्टी
साफ करो आधे से ज्यादा लोग तो इस धूल के
कारण बीमार पड़ जाएंगे अब अपने ससुर जी की
बात को तो स्वाति को मानना ही था हॉल की
खिड़की बदलवाने के बाद तीन चार दिन तक
स्वाती बिल्कुल शांत बैठ जाती है देख लिया
कितना दबदबा है मेरा पड़ोस में एक एक बार
जाकर उस स्वाती के कान मरोड़ कर क्या आई
काम ही बंद करवा दिया उसने वही तो देख रहा
हूं
प्रमिला कई दिनों के बाद सभी शोर और
सीमेंट से दूर एक नॉर्मल लाइफ जी रहे थे
कि तभी स्वाति अपने घर पर एक किटी पार्टी
रखती है जिसमें उसकी सारी सैलिया उसके घर
आती है हल तो काफी अच्छा बना लिया स्वाती
मानना पड़ेगा क्या अच्छा एक चीज अच्छी की
और दूसरी वहीं की वही आज के जमाने में
किचन में ये अंगूर और एप्पल वाले टाय कौन
रखता है स्वाति सोलो क्लास दीवारों पर
वुडन टाइल्स या क्लास टाइल्स लगने लगे हैं
कभी मेरे घर आओ तो तुम्हें समझ में आएगा
किस तरह घर बनाया जाता है अब इसके बाद
स्वाति के अंदर का कीड़ा बिलबिला से कहां
रुकने वाला था और अगले ही दिन स्वाति अपने
किचन के टाइल्स को बदलवाने लग जाती है
स्टोन इफेक्ट वाले टाइल्स लगवा
उंगीयर्ड के एक हिस्से में तोड़फोड़ खत्म
होता तो दूसरे में शुरू हो जाता किचन में
सारे चेंजेज करवाने के बाद एक रोज स्वाथी
अपने कमरे में आराम से फोन चला रही थी कि
तभी स्क्रोल करते करते वह एक रेल देख लेती
है यह कब हुआ मुझे तो पता ही नहीं था आजकल
रूम और टॉयलेट सेपरेट रहते हैं नहीं सही
भी है इससे वास्तु पर भी कोई इफेक्ट जरूर
पड़ता होगा मैं कल ही अपने कमरे को बड़ा
करवा लेती हूं और इस बाथरूम को कॉमन
बाथरूम बनवा दूंगी क्या कहते हो सुमित छ
महीने पहले तक हमारा यह कमरा मास्टर
बेडरूम नहीं था पर तुमने ही इसमें टॉयलेट
ऐड करवाया था शायद तुम भूल गई हो स्वाती
मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूं अब फिर
से हॉल में मैं नहीं सोने वाला अरे तो ठीक
है ना सुमत अब तुम मेरे लिए इतना भी नहीं
कर सकती आई एम जस्ट फॉलोइंग द ट्रेंड ऐसी
की तैसी इस ट्रेंड की पैसे कितने खर्च
होते हैं नाराज नहीं होते ना सुमे आई लव
यू ना बाबू स्वाती की इस तरह घर में कोई
ना कोई छेड़खानी करवाने की आदत से अब सभी
परेशान हो चुके थे और एक दिन प्रेम दुकान
से हड़ बढ़ाकर घर आता है मम्मी भाभी बराजी
जल्दी से भी आओ क्या हो गया प्रेम तू इतना
घबराया हुआ क्यों है क्या हो गया है अभी
तो कुछ नहीं हुआ असल में अब होगा भाभी
हमारे घर पर आए दिन इतना काम करवाती है कि
सभी को शक हो गया है कि हमारे घर पर बहुत
सारे पैसे हैं और यह बात उड़ते उड़ते कुछ
गुंडे मलियो तक पहुंच गई दुकान पर धमकी आई
है ₹ लाख रंगदारी मांग रहे हैं वो लोग
पैसा तो एक तरफ जान का खतरा दूसरी तरफ
हो गया पड़ गई तेरे कलेजे को शांति बहू
सड़क पर लाकर खड़ा कर दे हमें बहू तू तो
चाहती थी कि हम सबकी जान पर आ जाए और बनवा
ले तू घर पर मम्मी जी मुझे क्या पता था कि
यह बात इतनी बिगड़ जाएगी सब अपना अपना
सामान पैक करो हमें नहीं रहना यहां यहां
रहना ही नहीं है हम सब गांव जा रहे हैं
तभी प्रेम अपनी मां को आंख मारता हुआ कहता
है हां यह भी ठीक है मां गांव ही चलते हैं
शायद शहर में हमारा दाना पानी अब खत्म हो
गया है भगवान प्लीज इस बार संभाल ले मैं
कसम खाती हूं आज के बाद मैं कभी भाल तू
में कोई कंस्ट्रक्शन नहीं करवाऊंगी
घर के बाहर खड़ा सुमित प्लान को सक्सेसफुल
होता देख रहा था और अपनी पत्नी की यह बात
सुनते ही व प्रेम के फोन पर कॉल लगाता है
और किसी प्रो एक्टर की तरह प्रेम कांपते
हुए फोन उठाता
है क्या थैंक यू गुंडे भाई साहब भगवान का
शुक्र है आपको पता चल गया कि हमारा दिवाला
पीट गया है चावल दाल खाने के पैसे जुगाड़
हो जाए वही बहुत हां भाई साहब यह कहकर
प्रेम फोन कट कर देता है मां अब हमें गांव
जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी भैया ने किसी
तरह उन लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि
हमारा दिवाला पिट गया है और उन्होंने मान
भी लिया अब आप भूलकर भी इस घर में कोई
तोड़फोड़ मत करवा लीजिएगा भाभी बड़ी
मुश्किल से जान बची है इस बार अरे तू पागल
है क्या नहीं नहीं कभी
नहीं और कुछ इस तरह दोनों भाई मिलकर
स्वाति की सहादत को छुड़वा ही देते हैं
सीमा का बेटा पियूष भले ही सांवला था पर
नेचर और दिल का बहुत साफ था अपने पिताजी
के जाने के बाद भी उसने अकेले ही पूरे घर
की जिम्मेदारी संभाल ली थी इसलिए सीमा
चाहती थी कि उसकी बहू सुंदर होने के साथ
ऐसी हो जो पूरे घर की जिम्मेदारियों को
संभाल सके और इसीलिए सीमा की सहेली पियूष
के लिए परी का रिश्ता लेकर आती है देख ली
ना फोटो है ना लड़की लाखों में एक अब बता
अपनी पीयूष के लिए कैसी रहेगी तुझे पसंद
है ना लड़की तो सच में बहुत सुंदर और गोरी
है पर लड़की इतनी गोरी है और मेरा बेटा
कहीं ऐसा ना हो कि लड़की मेरे बेटे का रंग
देखकर उसे मना कर दे सीमा बहुत संस्कारी
है और उसे अपने लिए ऐसा जीवन साथी चाहिए
जो उसका ख्याल रख सके और अपना पीयूष का
दिल तो बहुत साफ है तू बस इस रिश्ते के
लिए हां कर दे लड़की की गारंटी मैं लेती
हूं अब क्या था सीमा अपने पीयूष के लिए
परी के रिश्ते को हां कर देती है बहुत
जल्द पियूष और परी की शादी हो जाती है
शादी होने के कुछ दिनों तक तो सब कुछ
अच्छा चल रहा था सीमा अपनी बहू परी से
बहुत प्यार कर रही होती है तो वहीं परी भी
अपने ससुराल वालों का बहुत अच्छे से ख्याल
रखती है ऐसे ही एक दिन सीमा की कुछ पड़ोसन
उसके घर आती है और जब वह परी को देखती है
तो उनकी आंखें फटी की फटी रह जाती है और
सीमा की दोनों पड़ोस आपस में बात करती हैं
अरे बहन सीमा की बहू कितनी सुंदर है ऐसे
लग रहा है दूध से धुली हुई हो सही कह रही
हो बहन इसे देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे
कोई अंग्रेजन हो अपने पूरे मोहल्ले में
इतनी गोरी बहू किसी की नहीं मुझे तो समझ
में नहीं आ रहा लड़की इतनी गोरी और पियूष
इतना काला आखिर इस लड़की ने पियूष से शादी
कैसे कर ली अंदर की बात तो किसको पता होती
है बहन क्या पता कुछ और बात हो
खैर जो भी कहो सीमा की बहू इनका खानदान
बदल देगी एकदम गोरे गोरे बच्चे होंगे अब
तो इनके घर में दोनों पड़ोस सीमा के घर
में बैठकर बात कर रही थी तभी सीमा मंदिर
से निकलकर उनके पास आती है अरे रेमा बबिता
आज इतने सुबह सुबह तुम दोनों मेरे घर कुछ
काम है क्या लो कर लो बात अब काम होगा तभी
हम तुमसे मिलने आएंगे क्या हम तो तुम्हारी
बहू से मिलने आए थे देखा नहीं था ना हमने
तुम्हारी बहू को और तुमने तो अपनी बहू के
मुंह दिखाई भी नहीं की इसके लिए माफी
चाहूंगी बहन अब आ ही गई हो तो बैठ जाओ मैं
अपनी बहू को बुला लेती हूं नहीं नहीं सीमा
क्यों बहू को तकलीफ देती हो तुम्हारी बहू
से हम मिल चुके हैं तुम जब पूजा कर रही थी
तब तुम्हारी बहू ने आकर हमारे पैर छुए थे
वैसे तुम्हारी बहू बड़ी ही संस्कारी है और
सुंदर भी आखिर इतनी गोरी बहू तुम लाई कहां
से अपनी पड़ोसन की बातें सुन सीमा
मुस्कुराने लगती है ऐसे ही अब सीमा अपने
पड़ोसन से बात करती है और उनके दोनों
पड़ोसन सिर्फ उसकी बहू की तारीफ ही करती
रहती है यह देखकर सीमा को बहुत अच्छा लगता
है अब ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं एक दिन
सीमा की नौकरानी तारा वीडियो कॉल पर अपने
किसी रिश्तेदार से बात कर रही थी तभी वहां
परी आ जाती है इतना हंस हंस के किससे बात
कर रही हो तारा काकी छोटी मालकिन ये ना
मेरी ननद है बंबई में रहती है बहुत दिनों
से कह रही थी कि अपनी छोटी मालकिन को दिखा
दे पर मुझे ना डर लगता था कहीं आप बुरा ना
मान
जाओ भला मैं किस लिए बुरा मानूंगी आखिर
कोई मुझसे बात करना चाहता है तो इसमें
हर्ज क्या है परी का स्वभाव बहुत शांत
किस्म का था वह किसी में भी भेदभाव नहीं
करती थी इसलिए बिना कुछ सोचे समझे परी
अपनी नौकरानी की ननद से वीडियो कॉल पर बात
करके वहां से चली जाती है देखा तूने मेरी
छोटी मालकिन कितनी सुंदर और ग चिट्ठी है
कहां हमारे मालिक और कहां हमारी परी
मालकिन जैसा नाम वैसा रंग रूप है
इनका सही कह रही हो भाभी ये तो लंगूर के
हाथ में अंगूरी मिल
[हंसी]
गया तारा अपनी ननद से बात कर रही थी ये सब
कुछ सीमा सुन लेती है और अपनी नौकरानी को
धमका द है किससे बात कर रही हो वीडियो कॉल
पर किसी से तो नहीं बड़ी मालकिन मैं तो बस
अपनी नानक से बात कर रही थी बहुत दिन हो
गए थे ना बात किए हुए और वो भी गांव गई है
तो बस ऐसे ही बहुत अच्छे से जानती हूं तू
अपनी ननद से क्या बात कर रही थी और किस
बारे में अरे तू होती कौन है मेरे बहू
बेटे के बारे में बात करने वाली आइंदा से
अगर तूने कभी भी मेरे बेटे बहू के बारे
में किसी से बात की तो मैं तुझे नौकरी से
निकाल दूंगी
समझी माफ करना मालकिन ऐसी गलती दोबारा
नहीं होगी सीमा अपनी नौकरानी को तो धमका
देती है पर आखिर वह किसकिस का मुंह रोक
लेती अब जब भी किसी को अपने बेटे बहू के
बारे में बात करते हुए देखती तो हमेशा व
पाती के लोग उसकी बेटी का मजाक बनाती यह
देखकर सीमा को अपनी बहू से नफरत होने लगती
है गलती की मैंने अपने बेटे की लड़की ऐसी
लड़की से शादी करवाकर मुझे अपने बेटे का
और इसका रंग देख लेना चाहिए था कहां ये
इतने गोरी और कहां मेरा बेटा काला इसी वजह
से सब इसकी तारीफ करते हैं और मेरे बेटे
की बुराई पर अब यह कहा ज्यादा दिन तक नहीं
चलेगी आखिर मैं भी देखती हूं अब कौन मेरे
बेटे का मजाक उड़ाता है अब सीमा ठान लेती
है कि वह अपनी बहू की इतनी बुराई करेगी कि
हर जगह सिर्फ उसके बेटे की ही तारीफ होगी
ऐसे ही एक दिन सीमा की कुछ सहेलिया उसके
घर आती
है सीमा तू तो बहुत सुंदर बहू लाई है
बिल्कुल अंग्रेजन लग रही है यार यही तो
गलती हो गई ना मुझसे अच्छा होता अगर मैं
अपने बेटे का रंग रूप देकर घर अपने लिए
बहू लाती मैं घर में बहू नहीं आफत की
पुड़िया लाई हूं पुड़िया
तू ऐसा क्यों बोल रही है सीमा मैंने तो
सुना था तेरी बहू बहुत शान स्वभाव की है
और बड़ी ही संस्कारी भी यह सब तो बस कहने
की बात है जिस पर बीती है ना वही जानता है
मेरी बहू को अपने रंग रूप को सजाने से ही
फुर्सत नहीं मिलती इसकी वजह से घर में
नौकरानी रखी हुई है बताओ भला बहू के होते
हुए भी कोई नौकरानी रखता है क्या आज तक
कभी भी सुबह उठकर एक कप चाय नहीं पूछती आज
सारा दिन अपने कमरे में बैठकर सहेलियों से
अपनी मां से बातें करती रहती है और मेरे
साथ मेरे बेटे की बुराई ये क्या बोल रही
है सी मां तेरी बहू तेरे बेटे की भी बुराई
करती है मैं ना अपने घर की बात किसी को
बताना नहीं चाहती थी पर मैं इतनी परेशान
हो चुकी हूं कि मैं खुद को रोक नहीं पा
रही अब तू तो समझ सकती है आखिर तेरी भी तो
बहू है जो तेरे साथ तेरी बहू ने किया वही
काम मेरी बहू मेरे साथ कर रही
है क्या क्या सपने संजोए थ
मैंने इस तरह से सीमा रोने का झूठा दिखावा
करने लगती है और उसकी दोस्त को लगता है कि
सच में उसकी बहू बहुत बुरी है जिसे अपने
रंग रूप का बहुत घमंड है कुछ देर बाद सीमा
की दोस्त चली जाती है ऐसे ही कुछ दिन बीत
जाते हैं और सीमा की ननद उसके घर आती है
मां अपनी ननद से भी अपनी बहू की खूब बुराई
करती है देख रही हो दीदी तुम दोपहर के एक
बज चुके हैं पर महारानी को अब तक होश नहीं
कि घर में मेहमान आया है उससे कुछ खाने को
पूछ लो तुम यही रुको दीदी मेरी बहू कुछ
करने वाली नहीं मैं ही तुम्हारे लिए खाना
बना देती हूं आखिर तुम्हें दवाई भी तो
लेनी होती है इस तरह से सीमा पीयूष की बुआ
की नजरों में भी अपनी बहू को बुरा बना
देती है और खुद मुस्कुराती हुई रसोई में
चली जाती है अपनी बहू को बुरा बनाकर सीमा
रसोई में जाती है जहां वह देखती है कि
उसकी बहू पहले से ही अपनी बुआ सास के लिए
खाना बनाकर रेडी है और वह अपनी बुआ सास के
पास जा ही रही है यह देखकर कहीं उसका
प्लान चौपट ना हो जाए इसलिए बड़ी ही
चालाकी से सीमा अपनी बहू के हाथ से खाने
की प्लेट ले लेती है और उसे कमरे में जाने
को कहती है पर मां जीी बुआ सस तो मुझसे ही
मिलने के लिए यहां आई है ना और अगर मैं
उनको खाना भी नहीं दूंगी तो वो बारे में
क्या सोचेंगे अरे तू इतनी टेंशन क्यों
लेती है बहू वो कुछ नहीं सोचें और वैसे भी
उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है और जितनी देर
आराम करेंगी उनके लिए उतना ही अच्छा है जा
तू भी सुबह से काम करके थक गई होगी ना
आराम कर ले
हां ठीक है मां जी इन सब बातों से अनजान
बेचारी परी अपने कमरे में जाकर आराम करने
लगती है तो वहीं दूसरी ओर सीमा अपनी बहू
की बुराई करती है और उसे सबकी नजरों में
बुरा बना देती है इस वजह से कोई भी परी से
सीधे मुंह बात नहीं करता और बुआ सास भी
जाते हुए परी को ताना देती है
बहू ससुराल में आकर थोड़ी सी ससुराल की
जिम्मेदारी उठा लेनी चाहिए जितना समय तुम
बहुए अपने चेहरे को सजाने में देती हो
उतना ही समय अपने ससुराल वालों को भी
दो मैं कुछ समझी नहीं बुआ जी अगर इतनी
समझता होती तो बात ही क्या थी अच्छा बाभी
मैं चलती हूं मुझे चलना
चाहिए ठीक है दीदी और घर पहुंचकर फोन कर
देना इस तरह से बुआ सास चली जाती है पर
परी अपनी बुआ सास की किसी भी बातों को दिल
पर नहीं
लेती इन सब बातों से अनजान बेचारी परी को
उसकी सासने उसे सबकी नजरों में बुरा बना
दिया है वह अब भी अपनी सास को मां मानती
है अब ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं और
देखते ही देखते बहुत
पीयूष का जन्मदिन आ जाता है मां जी आज
पीयूष जी का जन्मदिन है तो मैं सोच रही थी
कि क्यों ना इस बार आप और मैं हम दोनों
मिलकर पियूष जी को एक सरप्राइज
दे बहू पियूष तो अपना जन्मदिन मनाता ही
नहीं फिर हम उसे क्यों सरप्राइज
दे मां जी यह सब कुछ आप मुझ पर छोड़ दीजिए
मैं सब देख लूंगी बस मुझे आपका थोड़ा सा
साथ चाहिए आप मेरी मदद कर दीजिएगा इस तरह
से परी अकेले घर का सारा काम करती है और
पियूष के लिए एक सरप्राइज प्लान करती है
जिसमें वह पूरे घर को बहुत ही सुंदर तरीके
से सजाती है और अपने सभी रिश्तेदारों के
साथ पियूष और अपने कुछ दोस्तों को घर पर
बुलाती है शाम को जब पियूष घर आता है और
यह सारी डेकोरेशन देखता है तो उसे बहुत
अच्छा लगता है पर सीमा वहां पर भी अपनी
बहू को बुरा बनाने की कोशिश करने लगती है
वाह आज पहली बार मेरा जन्मदिन इतनी अच्छी
तरह से बन रहा है ये सब प्लान किसका था
पियूष बेटा यह तो तू बताएगा ना कि यह सब
तेरे लिए कौन कर सकता है पियूष थोड़ा सा
सोच में पड़ जाता है पर पियूष बहुत अच्छे
से जानता था कि यह सब काम परी का है और वह
जैसे ही परी का नाम लेने जाता है कि तभी
उसकी बुआ बोलती है बेटा यह सब किसी और ने
नहीं बल्कि तेरी मां ने किया बचपन से तुझे
पाल रही है और आज जब उसे मौका मिला तो
उसने तेरे लिए इतना बड़ा सरप्राइज प्लान
किया वैसे ना यह सब कुछ तेरी परी को करना
चाहिए था पर उसे खुद से फुर्सत ही नहीं
मिलती जब वह घर का या तेरे लिए कुछ काम कर
सके अपनी बुआ सास की यह बात सुनकर परी के
पैरों तले जमीन खिसक जाती है और उसका
चेहरा उतर जाता है पियूष जब परी का उतरा
हुआ चेहरा देखता है तो समझ जाता है कि
सारा प्लान परी का किया है पर उसे अभी भी
समझ में नहीं आता कि जब सरप्राइज प्लान
परी ने किया तो उसकी बुआ ने उसकी मां का
नाम क्यों लिया अब ऐसे ही कुछ देर तक सब
बर्थडे एंजॉय करते हैं और इसी बीच आए सभी
मेहमान परी की भर भर के बुराइयां करते हैं
जब परी अपने लिए इतनी सारी बुराइयां सुनती
है तो उसके दिल को बहुत ठेस पहुंचती है
मां जी सभी मेहमान मेरे बारे में यह कैसी
बात कर रहे हैं और आप उनकी हां में हां
मिला रही है मुझसे कोई गलती हुई है क्या
मम्मी
जी तुझसे तुझसे तो कोई गलती नहीं हुई बह
हरे बहू लोगों का काम होता है बुराई करना
तू ना इन सब की बातों पर इतना ध्यान मत दे
और रही तेरी पियूष की बुआ की बातें तो मैं
तो एक कान से सुनती हूं दूसरे कान से
निकाल फेंक हूं अरे जाकर पार्टी एंजॉय कर
बेटा सीमा के कहने पर परी पार्टी एंजॉय तो
करने लगती है पर इसी बीच सीमा काम करने का
दिखावा करने लगती है सीमा को काम करता
देखकर घर आए सभी मेहमान एक बार फिर से परी
की बुराई करने लगते हैं परी बहू तुम्हारे
माय के वालों ने तुम्हें कुछ नहीं सिखाया
क्या तुम्हारी सास अकेली इस उम्र में काम
कर रही है और तुम पार्टी एंजॉय कर रही हो
वो बुआ जी मैं बस परी बोल ही रही होती है
कि बुआ सास परी के ऊपर बरसने लगती है यह
देखकर पियूष को जरा भी अच्छा नहीं लगता और
वह मेहमानों के जाने का इंतजार करने लगता
है मेहमानों के जाते ही पियूष परी के आंसू
पूछता है और अपनी मां से कहता है मां
मैंने देखा किस तरह से पार्टी में आप परी
की बुराई कर रही थी लेकिन परी ऐसी बिल्कुल
नहीं है जैसी आप लोगों की नजरों में उसे
बना रही हो मुझे समझ में नहीं आ रहा आप
मेरी परी को सबकी नजरों में इतना बुरा
क्यों बना रही हो बेटा मैं तेरी मां हूं
मैं तेरी बीवी को बुरा नहीं बना
रही बल्कि तेरी बीवी तुझे बुरा बना रही है
सबकी नजरों में पता है जब से यह हमारे घर
में बहू बनकर आई है ना सब क्या बोलते हैं
तेरे बारे में लोग कहते हैं लंगूर के हाथ
अंगुर आ गया ना जाने और किसकिस तरह से लोग
तेरा मजाक बनाते
हैं मां लोगों का तो काम होता ही है बोलना
और मुझे समाज वालों से फर्क नहीं पड़ता कि
वह हमारे बारे में क्या बोलते हैं क्या
सोचते हैं और ना ही परी को फर्क पड़ता है
इसलिए आपको भी नहीं पड़ना चाहिए परी इतनी
गोरी इतनी सुंदर है पर फिर भी उस पर रत्ती
भर का भी घमंड नहीं है और जिसने मुझ जैसे
काले से शादी करी मेरी इतनी परवाह की अब
उसी के बारे में में ऐसे शब्द बोल रही है
आज मुझे बहुत बुरा लग रहा है मां मां जी
आप अगर चाहती थी कि मैं सबकी नजरों में
बुरी बन जाऊं तो आप मुझे एक बार कह देती
मैं अपने आप सबकी नजरों में बुरी बन जाती
मां जी मैंने आपको सास नहीं मां समझा है
और अपनी मां के लिए मैं कुछ भी कर सकती
हूं आप एक बार बोल कर तो
देखती अपने बेटे बहू की ऐसी बातें सुनकर
सीमा को अपनी गलती का एहसास होता है आज
मैं हार गई बहू
तेरे सामने हार गई मैंने तेरे साथ कितना
गलत किया आज तो मैं अपनी ही नजरों में गिर
चुकी हूं नहीं नहीं मां जी ऐसा मत कहिए
मुझे माफ कर दे बहु हार तू फिक्र मत कर
तेरी सास ने तुझे सबकी नजरों में बुरा
बनाया है ना अब मैं ही तुझे सबकी नजरों
में अच्छा भी
बनाऊंगी ऐसा मत कहिए मां जी मैं जानती हूं
आप मुझसे बहुत प्यार करती है बस आप तो
लोगों के बहकावे में ग और आपने ऐसा काम
किया पर मुझे खुशी तो इस बात की है कि समय
रहते ही आपको सब समझ में आ गया कि किस तरह
से लोग हमारे घर को तोड़ने की कोशिश कर
रहे थे बह आज मुझे सब समझ में आ चुका है
इसलिए अब मैं भी तेरे और पियूष की तरह कभी
किसी की नहीं सुनूंगी अब मुझे भी किसी की
परवाह नहीं है कोई कुछ भी कहे जिसे जो
कहना है कहने दे इतना बोलकर सीमा अपने
बेटे बहू को गले से लगा लेती है और उस दिन
के बाद से सीमा कभी भी अपनी बहू की ना तो
बुराई करती है ना ही उसे बुरा बनाने की
कोशिश अब सीमा जब भी बात करती तो अपनी बहू
की तारीफ किया करती और यह देखकर सभी
मोहल्ले वाले और रिश्तेदार उसकी बहू से
जलते कि आखिर सीमा की बहू इतनी अच्छी कैसे
हो सकती है तो वहीं सीमा अपने बेटे बहू के
साथ एक खुशहाल जिंदगी जीती है
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