एक बच्चा नहीं संभाला जाता _ Hindi Stories _ Kahani _ Moral Bedtime Stories _ Khani Hindi Stories_transcript
बच्चा नहीं संभाला
जाता पवन यार बात हो गया अब उठ भी जाओ ना
आपको पता है घर को स्कूल के लिए लेट हो
जाता है अरे तो तुम उठा करो ना घर को
तैयार कर दो तुम मुझे सुबह-सुबह मत जगाया
करो तुमसे नहीं देखा जाता कि मैं चैन से
सो रहा हूं अरे कुछ तो शर्म करो बीवी को
क्या रिमोट से चलने वाली मशीन समझते हो एक
तो वैसे ही बच्चों की वजह से मेरी नींद
पूरी नहीं होती उसके बाद सुबह 5:00 बजे
उठकर पहले गर्व को स्कूल के लिए तैयार करो
उसके बाद घर के काम करो तब जाकर ऑफिस के
लिए तैयार हूं मेरी जिंदगी में तो सुकून
नाम का कोई शब्द ही नहीं है थक गई हूं मैं
भागते भागते देखो अगर ऐसे ही चलता रहा ना
तो नौकरी छोड़ दूंगी मैं अरे भाई जब से
मुन्ना हुआ है तुमने बहस कर कर के मेरा
दिमाग खराब कर दिया गर्व के टाइम पर तो सब
कुछ मैनेज हो गया था ना थोड़े दिन की
प्रॉब्लम है मुन्ना थोड़ा सा बड़ा हो
जाएगा तो सब ठीक हो जाएगा वही तो मैं
तुम्हें समझाने की कोशिश कर रही हूं पवन
कि जब तक मुन्ना छोटा है मुझे भी मदद की
जरूरत है पूरी रात मैं मुन्नी के साथ
जागती रहती हूं 24 घंटे जाकर बस काम करती
रहूं ऐसा भी तो संभव नहीं है ना और तुम ही
बताओ तुम्हारे परिवार में कौन ऐसा है जो
मेरी मदद करने के लिए तैयार हो एक बच्चा
नहीं संभाला जाता तुमसे उसके लिए मेरे
पूरे खानदान को बीच में घसीट कर ले आती
हूं अरे नौकरी करनी है तो करो नहीं करनी
है तो मत करो लेकिन सुबह सुबह मेरा मूड
खराब करने की कोई जरूरत नहीं है ठीक है जब
किसी को मेरी पड़ी नहीं तो मैं कब तक पीस
रहूं मैं भी अब अपने बच्चों पर ध्यान
दूंगी और थोड़ा सुकून की जिंदगी बिताऊ
मुझे भी घर और नौकरी के बीच में पीसने का
कोई शौक नहीं है अगले दिन अरे रुची तुम
ऑफिस के लिए तैयार नहीं हुई आज छुट्टी है
क्या आज नहीं मैंने ऑफिस से परमानेंट
छुट्टी ले ली है मतलब क्या है तुम्हारा
मतलब यही कि मैंने जॉब छोड़ दी है अपनी
मां की मदद से गर्व को तो मैंने किसी तरह
संभाल लिया था लेकिन अब दोनों बच्चों को
एक साथ संभाल पाना मेरे लिए संभव नहीं है
अगर एक दिन मैं मुन्ना के लिए खाना बनाक
ना जाऊं तो मेरा बच्चा पूरा दिन भूखा रह
जाता है इतना भी नहीं हो पाता किसी से कि
उसके लिए दलिया या खिचड़ी बनाकर उसे खिला
दे क्या फायदा ऐसे पैसों का अगर मेरे
बच्चों को समय से खाना पना ही ना मिल पाए
मुन्ना की आया हर चौथे दिन छुट्टी कर लेती
है जिसकी वजह से मुझे भी छुट्टी लेनी
पड़ती है मेरे बेटे को अभी देखभाल की
जरूरत है इसलिए मैंने सोच लिया है कि इस
समय मैं नौकरी पर नहीं खुद पर और अपने
बच्चों पर ध्यान दूंगी रुचि ने नौकरी
छोड़ने का फरमान तो जारी कर दिया था लेकिन
जब से उसकी सास शकुंतला ने यह बात सुनी थी
उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया था
आजकल की लड़कियां चार पैसे क्या कमा कर
लाने लगती है खुद को घर की महारानी समझती
है इतने सालों से नौकरी कर रही थी और अब
नौकरी छोड़ने से पहले एक बार पति से पूछना
तक जरूरी नहीं समझा इसकी नौकरी के भरोसे
पर ही तो मेरे बेटे ने 300 महीने का मकान
पर लोन ले रखा है अब यह महारानी नौकरी
छोड़कर बैठ गई है तो मेरा बेटा अकेला इतना
बड़ा लोन कैसे चुकाए मेरा बच्चा तो खर्च
के बोझ से बिल्कुल दब ही जाएगा लेकिन इसे
का शर्मा रही है काम से बचने के बा बहाने
है बस दोपहर के समय रोची बहू मैं यह क्या
सुन रही हूं तुमने नौकरी छोड़ दी हां
मम्मी जी मुन्ना बहुत छोटा है अभी छ महीने
तो मैटरनिटी लीव के भरोसे काट लिए लेकिन
पिछले दो महीने से मुझे ना ठीक से चैन है
ना रात को सुकू आठ महीने की बच्ची के साथ
घर और ऑफिस मैनेज कर पाना मेरे लिए बहुत
मुश्किल हो रहा है इसलिए मैंने सोचा जब तक
मुन्ना बड़ा नहीं हो जाता मैं नौकरी नहीं
करूंगी अरे यह भी कोई बात हुई भला एक
बच्चा नहीं संभाला जा रहा तुमसे और कोई
पहली बार तो मां बनी नहीं हो पहले भी एक
बच्चा है तुम्हारा तब तो तुमने नौकरी नहीं
छोड़ी थी गर्व के समय में अपने मायके में
थी शुरुआती एक डेढ़ साल मम्मी के साथ बहुत
आसानी से बीत गया था मुझे बच्चे की चिंता
नहीं करनी पड़ती थी मम्मी सब काम बिना कहे
कर दिया करती थी लेकिन अब मैं माइके भी
नहीं जा सकती गर्व का स्कूल है मुझ पर
दोदो बच्चों की जिम्मेदारी है मम्मी जी
गर्व को भी समय चाहिए होता है और मन्य के
लिए जैसे दिन के 24 घंटे भी कम पड़ते हैं
मुझे समझ में नहीं आता सुबह उठकर मैं गर्व
के बारे में सोचू मुन्ने के बारे में सोचू
या ऑफिस के बारे में अरे काम करते करते
काम करने की मशीन बन गई हूं मैं अब मुझसे
इतना स्ट्रेस झेला नहीं जा रहा है इसलिए
मैंने नौकरी छोड़ दी अरे दो बच्चों में
ऐसा कौन सा पहाड़ तोड़ रही है तू हमारे
जमाने में औरत 10 10 बच्चे पैदा करती थी
और सारे काम हाथ से ही किया करती थी आजकल
की औरतों के पास काम ही क्या है मशीन में
डाला तो कपड़े धुल गए कुकर में रखा तो दाल
बन गई और मिक्सचर में डालो तो मसाला पीस
गया अरे मेहनत किसे कते हैं हमसे पूछो एक
बच्चा क्या पैदा हो गया महारानी नौकरी
छोड़कर बैठ गई अगर तू ऐसे हाथ उठा लेगी ना
तो घर का बजट हिल नहीं जाएगा क्या ऐसा कौन
सा पहाड़ जैसा काम है घर में तू यह बता
चार रोटी बनानी होती है और मुन्ने का
दलिया इतने से काम के लिए हाय हाय मचाई
हुई है मम्मी बात तो आपकी सही है काम तो
कोई ज्यादा नहीं है घर में ऐसा करो रुचि
फिर से ऑफिस जवाइन कर लेती है मुन्ने का
काम आप देख लिया करना इसका तो थोड़ा बर्डन
कम हो जाएगा तो उसे भी नौकरी करने में
दिक्कत नहीं होएगी अरे देख बेटा ऐसा है ना
मेरी जिम्मेदारी तुम भाई बहनों को पालने
की थी तुम्हारे बच्चे हैं तुम खुद देख लो
इन बूढ़ी हड्डियों में अब ताकत नहीं बची
कि मैं तुम्हारे बच्चों की सेवा कर सकूं
अरे 10 बजे ऑफिस जाती है सुबह 4 बजे उठेगी
तो 6 घंटे तो होते हैं 6 घंटे में तो
इंसान दुनिया भ का काम कर सकता है लेकिन
नहीं इस महारानी को तो 9 बजे तक बिस्तर
तोड़ना है उसके बाद उठकर लिपस्टिक लगाना
बैग पकड़ कर निकल जाओ वापिस अरे घर ऐसा
नहीं चला करते भाई मम्मी जी मैं 9:00 बजे
तक बिस्तर तोड़ती हूं अरे बोलने से पहले
सोचना तो चाहिए गर्व को सुबह 7:00 बजे
रेडी करके स्कूल क्या पुराने किले की
चुड़ैल छोड़कर आती है पवन आई एम डन विथ
योर फैमिली किसी को मेरा किया हुआ दिखता
ही नहीं है यहां अरे भाभी क्या जरूरत है
नौकरी छोड़ने की बच्चा होने का मतलब यह
थोड़ी ना होता है कि नौकरी छोड़कर घर पर
बैठ जाओ अरे हां ये तुमने सही कहा रूजी
वैसे मम्मी जी आपको घर के बजट की चिंता है
ना तो रिंकी की सैलरी तो आती ही है जब तक
मैं घर पर हूं घर खर्च में रिंकी मदद कर
दिया करेगी है ना हो गई प्रॉब्लम सॉल्व
अरे कैसे संस्कार लेकर आई है तू अब मेरी
बेटी के पैसों से यह घर चलेगा क्या हमारे
यहां बेटियों से पैसा लेने का रिवाज नहीं
है यह सब तुम्हारे माइके में चलता होगा
अरे मम्मी जी लेकिन लेकिन वेकन क्या होता
है जो कह दिया तो कह दिया इससे ज्यादा
मुझे कुछ नहीं कहना अरे हां तुझे नौकरी
छोड़ने की क्या जरूरत है आजकल वो नया चल
गया है ना लैपटॉप लेकर घर से ही काम करते
रहो क्या कहते हैं उसे वर्क फ्रॉम होम
मम्मी हां तो तू वही कर ले बच्चे भी देख
सकती है और पवन को भी तंगी नहीं होगी सास
और पवन के दबाव देने पर वह ऑफिस में बात
करके वर्क फ्रॉम होम ले लेती है लेकिन यह
उसकी जिंदगी का सबसे गलत फैसला साबित होता
है अरे घर में रहकर अपने बच्चे का ख्याल
तो रख ही सकती है कि नहीं
मुन्ने ने डाइपर खराब कर दिया है और तुम
लगे हो यह बटन दबाने में बच्चे तुम्हारे
हैं पर तुम्हारा तो बिल्कुल ध्यान ही नहीं
उसका डाइपर बदलो और उसके बाद मेरे लिए दो
फुलके भी बना देना घड़ी देखो दो बज रहे
हैं बेचारी रुचि आधा घंटा भी बैठकर चैन से
काम नहीं कर पाती कि तभी कोई ना कोई वहां
आ धमकता और उसे एक नया काम बता कर जाता हद
हो गई है बेशर्मी की अरे भा घर पर रहकर भी
काम करने की ही कंपनी पैसे देगी क्या
बच्चे के कपड़े बदलने और खाना खिलाने से
मुझे कंपनी सैलरी नहीं देगी अरे सब काम
मैं कर रही हूं तो कम से कम बच्चों को
सुलाने और शांत कराने जैसे काम तो आप कर
ही सकती है ना तेरे घर पर होने पर भी तेरा
बच्चा मैं क्यों संभालूं एक बच्चा नहीं
संभाला जाता इनसे बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर
रही थी कि बच्चों के लिए नौकरी छोड़ रही
है घर पर बैठी है महारानी लेकिन मजा ले के
जो बच्चा देख ले अरे मम्मी जी घर पर बैठी
नहीं हूं घर से काम कर रही हूं मैं सुबह
से मुन्ना का डाइपर बदलने से लेकर उसे
सुलाने खिलाने का सारा काम भी मैंने ही
किया है उस पर भी आप बार-बार यही डायलॉग
सुनाती रहती है मुझसे बच्चा नहीं संभाला
जाता हां ठीक है नहीं संभाला जाता मुझसे
बच्चा ऐसा करिए आप संभाल कर दिखा दीजिए
मैं भी तो देखूं आखिर बच्चा कैसे संभाला
जाता है अरे धोस किसे दिखा रही है दिखा
दूंगी तुझे संभाल कर इसमें क्या
है रुचि अगले दिन से अपने कमरे को लॉक
करके काम करना शुरू कर देती है इधर आया और
कामवाली भी किसी कारण छुट्टी पर चली जाती
है अरे बहू दरवाजा खोल आज वो मुन्नी और ला
दोनों काम पर नहीं आए हैं मैं क्या-क्या
करूंगी अरे मम्मी जी जरा सा दलिया बनाना
है और चार रोटी सेखनी है कुकर में दाल
चढ़ा लो काम ही कितना है मैं ना अपनी
मीटिंग में बिजी हूं आज आप ही ने कहा था
आप संभाल कर बताएंगे तो संभालिए ना ये
मुन्नी और शिला तो आपको पता ही है हर
तीसरे दिन छुट्टी करती रहती है इसमें
परेशान क्यों हो रही है आप रुच जानती थी
कि बच्चे को संभालना और घर के काम करना
इतना आसान नहीं है लेकिन आज वो इस एक
बच्चा नहीं संभाला जाता वाली समस्या को
सुलझाना चाहती थी दोपहर के 1 बजे लंच करने
के लिए जैसे ही वह अपना दरवाजा खोलती है
घर की हालत देखकर उसका सर चकरा जाता है
पूरा घर तहस-नहस पड़ा हुआ था कहीं खिलौने
तो कहीं कुशन बिखरे थे रसोई में दूध की
बोतलें कुकर में अध पक्की दाल और सिंक में
बर्तनों का पहाड़ उसे मुंह चिढ़ा रहा था
हैरान होकर वह सासू मां के कमरे में
पहुंची तो देखा शकुंतला देवी लुटी पिटी से
आलत में मुन्ने को गोद में लिए टहल रही है
क्या हो गया मम्मी जी यह क्या हाल बना
आपने अरे बह देख मेरी कमर टूट रही है सुबह
से उसे उठाए उठाए तू आधे दिन की छुट्टी ले
ले मुझसे यह सब नहीं होगा क्या मम्मी जी
आप तो दो बच्चों की मां है एक बच्चा नहीं
संभाला जाता आपसे अरे मैं सब समझ गई बहू
हर जमाने में बच्चे को गोद में लेने के
लिए घर में आधा दर्जन लोग होते थे इसलिए
हम काम आराम से कर पाते थे लेकिन अकेले घर
बच्चे नौकरी सब संभाल कर तूने तो कमाल
करके दिखा खा दिया बहू मैं तो हमेशा यही
सोचती रहती थी कि बहू के पास काम ही क्या
है एक बच्चे में काम ही कितना होता है
लेकिन अब मुझे समझ में आ गया तू नौकरी मत
छोड़ आज से मैं तेरी मदद कराया करूंगी और
हां इन शीला मुन्नी के कान बिना मैं नहीं
भरे थे इसीलिए वो रोज-रोज छुट्टी करती थी
इनके कान तो मैं खींचती हूं कल से दोनों
लाइन पर आ जाएंगी तू बेफिक्र होकर नौकरी
कर बेटा तेरा घर अब मैं संभा लूंगी तो भाई
एक दिन अकेले बच्चे को संभालकर शकुंतला का
दिमाग तो एकदम सेंटर पर आ गया लेकिन अभी
भी ऐसी बहुत सी सास हैं जिन्हें लगता है
कि बहु से एक बच्चा नहीं संभाला
जाता ऐसी सास के बारे में आपका क्या कहना
है हमें कमेंट में जरूर
बताइएगा रेशमा आज बहुत खुश होती है आज
उसकी शादी को पूरे 10 साल हो जाते हैं घर
में खुशी का माहौल होता है और इसी खुशी
में रेशमा घर में तरह-तरह के पकवान भी बना
रही होती है इसी बीच रेश्मा की पड़ोसन
उनके घर आती है और उसे कहती है क्यों
रेशमा आज घर में बड़े पकवान बन रहे हैं
कुछ खास है क्या आज आज ही के दिन मेरी
शादी हुई थी और आज मेरी शादी को पूरे 10
साल हो चुके हैं
अच्छा शादी से याद आया रेश्मा क्या तुझे
पता है हमारे पास वाले ही एक गांव में 70
साल की एक बुढ़िया और अपनी दूसरी शादी रचा
रही है क्या 70 साल की बुढ़िया औरत की
दूसरी शादी अरे जिस उम्र में लोग पूजा पाठ
करते हैं वह बूढ़ी औरत रंगरलिया मना रही
है इतना ही नहीं सुनने में तो यह भी आ रहा
है कि उस बूढ़ी औरत के दो बेटे बहू और
चारचार पोते पोतिया भी है तौबा तौबा सच
में जमाना बहुत खराब आ चुका है कोई शर्म
लिहाज नाम की चीज तो बची ही नहीं इस
दुनिया में हमारे परिवार के तो ऐसे नहीं
है रेशमा जमाना बहुत आगे निकल गया है आजकल
क्या बच्चे और क्या बूढ़े सभी पर एक जैसी
जवानी छा रही है हमारे लिए तो ऐसा सोचना
भी पाप
है बसे कब है उस बूढ़ी औरत की शादी आपको
कोई जानकारी है क्या मुझे क्या पूरे गांव
वालों को पता है इस शादी के बारे में कल
ही तो है अरे वाह कल तो योगेश के पापा भी
छुट्टी पर है एक काम करते हैं हम भी चलते
हैं इस बूढ़ी औरत की शादी में आखिर देखें
तो सही कि कौन है वह बेशर्म बुढ़िया औरत
जो पोता पती खिलाने की उम्र में प्यार के
फूल खिला रही है पड़ोसन वहां से चली जाती
है जिसके बाद रेशमा सोच में पड़ जाती है
शाम को जब रेशमा का पति अमित घर आता है तो
वह रेशमा को हैरान परेशान देखकर पूछता है
क्या हुआ रेश्मा आज बहुत परेशान सी लग रही
हो कुछ खास नहीं एक बुढ़िया औरत के बारे
में सोच रही थी कौन सी बूढ़ी औरत रेश्मा
अमित की ओर देखती है और उसे बताती हुए
कहती है हमारे पास वाले गांव में ही एक
बूढ़ी औरत है जो अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव
में अब लव अफेयर कर रही है और कल उसकी
शादी भी है ताज्जुब की बात तो यह है कि
उसके दो बहू बेटे और चारचार पोते पोतिया
भी है फिर भी किसी ने उसे नहीं रोका अरे
इतना भरा पूरा परिवार होने के बाद वह अपना
दूसरा घर क्यों बसाना चाह रही है पता नहीं
जी मैं मैं सोच रही थी कल आपकी भी छुट्टी
है तो क्यों ना हम भी शादी देखने चले
सुनने में आ रहा है कि कल पूरा गांव जा
रहा है उसकी शादी देखने के लिए रेशमा की
बातें सुनकर अमित भी दूसरे दिन उसके साथ
चलने के लिए हामी भर देता है अगले दिन
सुबह रेशमा और अमित बच्चों के साथ शादी
देखने निकल जाते हैं गांव से कुछ किलोमीटर
की दूरी तय कर रेशमा अपने परिवार के साथ
विवाह स्थल पर पहुंच जाती है यहां की साज
सजावट कितनी अच्छी लग रही है ना ऐसा लग
रहा है मानो कि किसी नई नवेली दुल्हन की
शादी
हो देखकर तो ऐसा ही लग रहा है लेकिन वो
बूढ़ी औरत है कहां पर जिसके इतने किससे
सुनने को मिल रहे हैं अमित के इतना बोलने
की देर होती है और एक अधेड़ उम्र की
बुढ़िया औरत दुल्हन के लिबाज में सज संवर
कर मंडप पर पहुंच जाती है जिसे देख रेशमा
और अमित के पैरों तले मानो जमीन ही खिसक
जाती
है म मम्मी जी यहां दुल्हन के लिबास में
ये सब क्या हो रहा है उ मम्मी दादी की
शादी वाओ मजा
आएगा मम्मी शादी कर रही है और हमें बताना
भी जरूरी नहीं समझा क्या अब हम उनके लिए
इतने गैर हो गए हैं कुछ भी हो मैं मम्मी
जी की यह शादी तो बिल्कुल नहीं होने दूंगी
रेशमा अपनी सास सुशीला की तरफ जाती है
सुशीला अपनी बहू को देखकर सखते में पड़
जाती है रेश्मा तू यहां क्या कर रही है
मेरी छुड़ है मम्मी जी और आप अपना बताइए
आप यहां दुल्हन के लिबास में क्या कर रही
है आप इस उम्र में शादी कर रही है जानती
है समाज कितनी थूथू करेगा हम पर समाज के
डर से जीना नहीं छोड़ देते बहू मैं अपनी
इस नई जिंदगी से बहुत खुश हूं और खुशी
खुशी अपनी मर्जी से यह शादी करना चाहती
हूं अगर इस समाज में जीना है तो सब देखकर
चलना पड़ता है मम्मी जी आप तो यहां शादी
कर लोगी लेकिन कभी सोचा फिर हम सबका जीना
कितना मुश्किल हो जाएगा मैं आपकी शादी
बिल्कुल नहीं होने दूंगी सुशीला अपने बेटे
के पास जाती है और उसे समझाने की कोशिश
करती है बेटा अब तू ही कुछ समझाना बहू को
इस शादी को लेकर मेरे भी वही अरमान है जो
हर लड़की के उसकी शादी पर होते हैं
बेटा मैं क्या समझाऊं मां उसे आप इस उम्र
में शादी करने जा रही थी और आपने हमें
बताना भी जरूरी नहीं समझा क्योंकि मैं
जानती थी कि तुम लोग कभी मेरी शादी से खुश
नहीं होंगे इसलिए मैं ने तुम लोगों को कुछ
नहीं बताया मम्मी जी यह सब सोचने से पहले
कभी आपको हमारी इज्जत का ख्याल नहीं आया
आज आपकी इस हरकत के कारण ही हम समाज में
कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहे बहू कब
तक तुम यूं ही समाज समाज के बारे में
सोचती रहोगी यह लोग आज 100 तरह की बातें
बनाएंगे और कल को सब भूल जाएंगे क्या इनके
डर से मैं जीना छोड़ दूं कल तो सभी को मर
जाना है उसमें भी अगर हम ऐसे ही डर डर कर
जीते रहे तो कभी खुश नहीं रह पाएंगे मम्मी
जी बातें बनाना कोई आपसे सीखे जिस उम्र
में आपको पूजा पाठ करने चाहिए अपने पोते
को गोद में खिलाना चाहिए उस उम्र में आप
फिर से अपना घर बसाने के सपने देख रही हो
यकीन नहीं होता मम्मी आप इतनी स्वार्थी
कैसे हो सकती हो
स्वार्थी बहू मैंने अपना पूरा जीवन बाकी
सबकी खुशियों के लिए बिता दिया अमित के
पिता जी की मौत के बाद जब मेरे पास दूसरा
घर बसाने का मौका था तब भी मैंने अपने
बारे में नहीं सोचा अपने बच्चों के बारे
में सोचा और आज तुम मुझे स्वार्थी बोल रही
हो क्या एक बूढ़ी औरत के पास दिल नहीं
होता हमें प्यार करने का अधिकार नहीं
होता सुशीला की बातों ने सभी को सोच विचार
करने पर मजबूर कर दिया किंतु रेशमा हर
किसी को अपना जीवन जीने का अधिकार होता है
मम्मी जी लेकिन आपके साथ तीन और जिंदगियां
भी जुड़ी हुई हैं हम आपके कारण बदनामी का
घूंट नहीं पी सकते मम्मी जी आज तुम दोनों
को अचानक मेरी और इस समाज की इतनी परवाह
क्यों हो रही है यह बदनामी और समाज के
तानों का डर तब तुम लोगों के जहन में
क्यों नहीं आया जब दो-दो बेटों और बहुओं
के होते हुए भी मुझे अकेले उस एक कमरे में
रखकर घूंट घूंट कर जीवन यापन करना पड़ रहा
था तब तुम लोगों को याद नहीं आया मुझसे
कितनी जिंदगियां जुड़ी हुई
है सुशीला की बातें सुनकर रेशमा और अमित
अपना सिर झुका लेते हैं उन्हें अपने से
हुई गलती का एहसास हो जाता है लेकिन अब भी
कहीं ना कहीं उनके दिमाग में लोग क्या
कहेंगे ही चल रहा था जिसके डर से वे खामोश
होकर खड़े रहते हैं तभी सुशीला जी आगे
कहती हैं ठीक है अगर तुम लोग चाहते कि मैं
फिर से विवाह करूं और अपने नए जीवन की
शुरुआत करूं तो मैं यह शादी नहीं करूंगी
और साथ ही यह घर छोड़कर भी चली जाऊंगी फिर
ना तुम लोगों की कोई बदनामी होगी और ना ही
कोई तुम्हें आकर ताने
मारेगा सुशीला की बातें सुनकर रेशमा और
अमित दोनों सोच में पड़ जाते हैं कुछ देर
सोचने के बाद रेशमा कहती है नहीं मम्मी जी
आप घर छोड़कर मत जाइए आप सच कह रही हैं
अगर हम ऐसे ही समाज की परवाह करते रहे तो
हम कभी खुशी-खुशी नहीं जी पाएंगे हां मां
और आज बचपन से तेरे हर निवाले और प्यार का
कर्ज मैं चुकाऊंगा आज यहां से मेरी मां की
डोली उठेगी बजाओ शहनाई आज मेरी मां की
शादी
है फिर क्या अपने बहू बेटों की रजामंदी के
साथ सुशीला खुशी-खुशी सात फेरे लेकर नई
नवेली दुल्हन बन जाती है और सब शादी की
खुशियों में मगन हो जाते हैं
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