अमीर गरीब बहनें _ Hindi Kahani _ Moral Stories _ Bedtime Stories _ Hindi Kahaniya _ Kahaniya _ Story_transcript
अरे मैन जी आप क्यों चिंता करती हैं हम
सारी बहुएं मिलकर संभल लेंगी ना देखो बहु
फसल की कटाई कल से शुरू हो जाएगी तुम
लोगों को अपने पतियों के साथ कटाई तो करनी
ही है और इस बात का ध्यान रखना है की कटाई
जल्द हो ताकि हम अनाज को मंडी में सही समय
पर बेचैन मैन जी हम पूरा ध्यान रखेंगे और
हान गायों और भैंसों को सही समय पर चारा
पानी भी देना वो बेचारी कुछ का नहीं सकती
है ना तो तुम्हें ध्यान रखना होगा तीनों
बहुएं अपनी सास से बहुत प्यार करती थी सास
ने जैसा कहा उन्होंने करना शुरू कर दिया
वह फसल की कटाई करते गे भैंस को सही समय
पर चढ़ने ले जाते समय पर उनका दूध निकलती
घर का कम भी करते और सास की सेवा भी उधर
शहर में रहने वाले बेटे रंजन को जब मैन के
एक्सीडेंट का पता लगा तो वह भी भाग भाग
पहुंचा
ए क्या जरूरत थी इस तरह छुट्टी लेकर आने
की मैं ठीक हूं बेटा बिस्तर से उठकर बैठ
नहीं सक रही हो और का रही हो की ठीक हो
क्या मैं मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र होती
है अच्छा इतनी ही फिक्र है तो मेरी बात
क्यों नहीं बांधते देख बेटा तीन बहुएं देख
ली अब तेरी भी शादी कर डन तो मेरी भी
जिम्मेदारी कम बोल तो कोई लड़की देखूं
तेरे लिए मैन की बात को सुनकर रंजन खामोश
हो गया क्या हुआ बेटा लड़की देखो ना महिमा
क्यों मा मुझे एक लड़की पसंद है और मैं
उससे शादी करना चाहता हूं रंजन की बात को
सुनकर आशा देवी की आंखों में चमक ए गई
क्या सच अरे तो पहले क्यों नहीं बोला
तुमने
मैं सच में बहुत खुश हूं अच्छा क्या नाम
है उसका कोई फोटो फोटो है क्या उसकी मैन
की बातों को सुनकर रंजन ने शरमाते हुए
लड़की का नाम अंजलि बताया और अपने मोबाइल
में से उसकी फोटो भी मैन को दिखाई अरे वह
यह तो बहुत सुंदर है सन थोड़े दिनों में
मेरा पैर ठीक हो जाएगा फिर अच्छे भारत में
तेरी शादी कर देती हूं रंजन की शादी अंजलि
से हो गई रंजन चाहता था की अंजलि थोड़े
दिन गांव में रहे अंजलि भी गांव घूमना
चाहती थी इसलिए वो शादी के बाद गांव में
ही रुक गई रंजन नौकरी पर शहर चला गया एक
दिन आशा देवी ने अंजलि को बुलाकर कहा बहु
हमारे यहां रिवाज है की शादी के कुछ दिनों
के बाद गांव की कुछ और दें और कुछ
रिश्तेदार घर पर आते हैं और नई बहु को उन
सभी के लिए अच्छा-अच्छा खाना बनाना होता
है यह सुनकर अंजलि ने चढ़कर कहा देखिए मैन
जी मुझसे खाना वन नहीं बनेगा आप किसी और
को बोल दीजिए मैं यहां गांव घूमने आई हूं
खाना बनाने नहीं आशा देवी को बुरा तो लगा
लेकिन उन्होंने अपनी बहु को कुछ नहीं कहा
आशा देवी ने ये भी देखा की अंजलि को ना तो
घर के कम से कोई मतलब है और ना ही किसी और
से वो सारा दिन मोबाइल में या तो वीडियो
देखती या दोस्तों से फोन पर बातें करती एक
दिन की बात है तीनों बहु में सुबह-सुबह
भैंस चराने जा रही थी उसे समय
उसे समय सोई हुई थी अचानक भैण rambhaani
की आवाज़ से उसकी नींद खुल गई वो अपने
कमरे से बाहर आई ये क्या शोर मछुआ रखा है
आप लोगों ने घर में अरे बहु ये शोर नहीं
है भैंसों को भूख लगी है इसलिए वो जोर-जोर
से राम हरे हैं अरे अब ये इंसान तो है
नहीं जो मांग कर खा लेंगे देखिए मुझे
ज्यादा ज्ञान मत दीजिए इनकी बहन भाई से
मेरी नींद खुल गई बाय डी वे आप लोग जाग
कहानी है भाभी हान हम फ्रेंड्स चलाने जा
रही हैं उसके बाद को सुनकर अंजलि जोर-जोर
से हंसने लगी
आप सब लोग इसी लायक है गौहर कहेंगे नहीं
आपकी बहन से बुरा ना मैन जाए सबके सब गंवा
रहे हैं यहां तीनों बहु समेत आशा देवी को
अंजलि की बात छुप गई लेकिन उन्होंने अपना
मुंह बंद रखा तीनों बहुएं जब खेत में भैंस
चला रही थी तो देख वह शहर की है उसके तौर
तरीके अलग है उसके बातों को दिल से लगाना
अच्छा नहीं उसे सबसे छोटी है दीदी हमें
अपने अपमान का दुख नहीं है लेकिन अंजलि ने
मैन जी को भी गवार का दिया छोड़ ना मैंने
कहा ना वो शहर की है हमारी और उसके विचार
सोच बिल्कुल अलग है दीदी शहर हो या गांव
बड़ों की इज्जत तो हर जगह की जाती है ना
अंजलि को अपने रूप अपनी पढ़ लिखाई पर बहुत
घमंड था वो बात-बात पर आशा देवी और उनकी
तीनों बहू को jalikati सुनाती रहती थी एक
दिन जब रेखा गोबर से आंगन लिप रही थी तो
अंजलि नाग बंद के बाहर आई क्या बदबू फैला
राखी है आप लोगों ने ये बदबू नहीं है
अंजलि यह तो गे का गोबर है पता है ना
कितना पवित्र होता है यह फिर से मुझे
ज्ञान देने लगी अरे आप सब लोग मिलकर क्यों
मेरे पीछे पड़ी रहती हैं कान खोल कर सन
लीजिए जब तक मैं इस घर में हूं कोई गोबर
गोबर से आंगन को लिपाने की जरूरत नहीं है
अजीब gawaron के बीच फैंस गई हूं मैं कभी
भैंस तंग करती है कभी उनका गोबर कभी उनको
नौकरानी की तरह रसोई में कम करने वाली
लड़की चाहिए तो कभी कुछ और मैं तो सच में
तंग ए गई हूं रंजन को छुट्टी नहीं मिल रही
है नहीं तो मैं अभी के अभी inshaalon को
छोड़कर चली जाओ एक बार फिर से अंजलि ने
पूरे घर का अपमान किया और पैर भटकती हुई
अपने कमरे में चली गई और जाते जाते देखा
कुछ चाय बनाने के लिए भी भूल गई बड़ी बहु
रेखा ने उसकी बात का कोई बुरा नहीं माना
और चाय कर उसके पास ले गई कुछ दिन और भी द
अंजलि ने अपने व्यवहार से सबको परेशान कर
रखा था एक दिन की बात है अपनी सास के लाख
माना करने के बावजूद भी उसने उसे नदी
किनारे जाने की जिद्दी जिस नदी के आसपास
कोई नहीं जाता था तुम समझा करो बहु उसे
नदी की तरफ कोई नहीं चाहता फिर से कर दी
gawaron वाली बात आपने अरे नदी के पास
जाने से क्या प्रॉब्लम है देखिए मैं तो
जाऊंगी कम से कम भैंस चराने जाने से
ज्यादा अच्छा तो वही लगेगा ये कहकर अंजलि
खिलखिला कर हंस पड़ी और नदी पर चली गई नदी
का पानी काफी साफ था उसके अंदर मछलियां
तैरती हुई दिखाई दे रही थी उसे देखकर
अंजलि नदी में उतरने का मोह छोड़ा नहीं
पाई वो इतनी सांप और सुंदर नदी है और ये
गवार लो मुझे यहां आने से माना कर रहे द
अंजलि नदी के पानी में उतर गई
ठंडे-ठंडे पानी में उसे मजा ए रहा था
लेकिन अचानक वो जोर से चिप पड़ी
ने नीचे देखा तो उसकी चीख निकल गई उसके
पैरों में एक मगरमच्छ ने अपने दांत गडा
रखे द कुछ ही पलों में मगरमच्छ उसे नदी के
अंदर लगा वह जोर-शोर से चिल्लाने लगी बचाओ
बचाओ तभी उसने देखा की देखा सुमित्रा और
कमला उसकी तरफ भागी भागी ए रही है उनके
हाथ में मोटे डंडे हैं तीनों नदी में उतर
गई और मगरमच्छ के दांत पर डंडे से बात
करने लगे मगरमच्छ का मुंह lahunu हो गया
उसने अंजलि को छोड़ तो दिया लेकिन उन
दिनों पर हमला कर दिया लेकिन तीनों ने
मिलकर मगरमच्छ को मार भगाया लेकिन वो खुद
भी खाए जो भी इस बीच उनकी नजर अजारी पर गई
तो उसके पैर से अब भी बहुत खून निकल रहा
था और वो बेहोश हो गई थी तीनों बहनों से
लेकर अस्पताल पहुंची
है हमें तुरंत दो से तीन यूनिट ब्लड
चढ़ाना होगा तीनों ने ब्लड डोनेट किया
अंजलि की जान बच गई अंजलि को अपने किए पर
अब बहुत पछतावा हो रहा था उसने उन तीनों
का कितना अपमान किया था लेकिन उन्होंने
अपनी जान की बाजी लगाकर उसकी जान बचाई वो
ये सब सोच ही रही थी की तभी डॉक्टर वहां
आए और उन्होंने कहा
बिल्कुल ठीक है तभी बड़ी बहु ने कहा
आपने हमारी बहुत हेल्प की सी आर रियली
थैंकफूल फॉर यू रेखा डॉक्टर से अंग्रेजी
में बातें करते द अंजलि शौक रह गई दीदी
आपको अंग्रेजी आती है
मुझे क्या हम सभी को आती है हम सभी
ग्रैजुएटिंग गवार ने जानती हूं मैन जी का
साथ देना हमें पसंद है खेत खलिहान हमें
अच्छे लगते हैं इसलिए हम यहां आते हैं
पहले मैन जी ये सब देखती थी लेकिन वो
बीमार हो गई तो उन्होंने हमें ये
जिम्मेदारी दी दीदी मुझे माफ कर दो मुझसे
बहुत बड़ी गलती हो गई मैं अपने आप को ना
जाने क्या समझने लगी थी कोई बात नहीं
अंजलि तुम्हें गलती का एहसास हो गया ये
सबसे बड़ी बात है अंजलि किसी को उसके
कपड़ों से उसके कम से जज नहीं करना चाहिए
रेखा की बात सुनकर अंजलि ने उसे गले लगा
लिया अंजलि अब बिल्कुल बदल गई थी उसने
गांव में एक बहुत बड़ा पार्ट सिखा था
यह राखी की बच्ची हर साल टॉप करती है इस
साल मुझे टॉप करना पड़ेगा उसके लिए मुझे
कुछ ऐसा करना पड़ेगा जिससे राखी पढ़ पर
ध्यान ही ना दे पाए राखी हर किसी टीचर की
चाहिए हर एक टीचर क्लास में आकर राखी कोई
सामने बुलाते हैं और उसी से बुक रीडिंग
करवाते हैं राखी हर रोज सुबह 7:00 उठाती
है और 9:00 तक स्कूल के लिए तैयार होकर
निकल जाती है लेकिन आज उसके पेट में बहुत
दर्द हो रहा है आ मैन आज मेरा पेट बहुत
दुख रहा है उसकी मैन उसके पास आती है और
कहती है पेट दुख रहा है कल जरूर तूने
स्कूल के बाहर से गोलगप्पे खाए होंगे
नहीं मैन मैंने तो कुछ भी नहीं खाया फिर
भी दर्द हो रहा है कोई नहीं बेटा मैं दवाई
दे देती हूं थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा
एक कम कर आज स्कूल मत जा
नई मैन आज स्कूल जाना ही पड़ेगा आज क्लास
में मेरा प्रेजेंटेशन है राखी ने स्कूल
जाने की जिद पकड़ ली दवाई खाकर वह स्कूल
चली तो गई लेकिन उसका पेट दर्द ठीक ही
नहीं हुआ पेट दर्द के कारण वह क्लास में
चुपचाप बैठी रही ये देखकर उसकी सहेली पायल
ने कहा क्या हुआ राखी आज इतना चुप क्यों
है रांची ने दर्द से तड़पते हुए कहा पेट
में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है पायल पता
नहीं क्या हुआ है
ऐसा दर्द पहले कभी नहीं हुआ इतने में
क्लास टीचर ए जाते हैं गुड मॉर्निंग सर
गुड मॉर्निंग आज प्रेजेंटेशन का दिन है
राखी तुमने अच्छे से तैयारी की है ना
तो फिर सामने आओ और बोर्ड पर प्रेजेंटेशन
कुछ तो हुआ है राखी को लगता है आज वह कुछ
ना कुछ गड़बड़ जरूर करेगी राखी ने बोर्ड
पर अपना प्रेजेंटेशन देना शुरू किया लेकिन
उसका पेट पहले से भी ज्यादा दर्द करने लगा
और कुछ ही देर में पूजा ने देखा की राखी
का स्कर्ट खून से लाल हो गया है ये देखकर
उसने चिल्लाकर पुरी क्लास को कहा अरे वो
देखो राखी का स्कर्ट खून से लाल हो गया
[संगीत]
वो देखो ये सुनकर सभी राखी के स्कर्ट की
तरफ देखने लगे और खून देख कर हंसने लगे
स्कर्ट में खून है
राखी ने अपनी स्कर्ट की ओर देखा सच में
स्कर्ट में खून के धब्बे लगे हुए हैं यह
देख कर वह घबरा गई क्योंकि उसे नहीं पता
की खून कहां से आए हैं और क्लास में भी
सभी छोटे हैं किसी को कोई आइडिया भी नहीं
है की ये खून कहां से ए सकता है सभी हंसते
रहे राखी को बहुत शर्म आई और वह क्लास रूम
से भाग गई अरे रुक जाओ राखी रुक जाओ लेकिन
राखी नहीं लौटी वह दौड़कर स्कूल के पीछे
वाली झील के पास चली गई और वहां बैठकर
रोने लगी ये क्या हो गया क्या हो गया खून
कहां से आया
अब मैं क्या करूं मैं सबकी सामने कैसे
जाऊंगी
घर कैसे जाऊंगी
राखी रोटी रही और उधर स्कूल में सारी टीचर
और मैडम मिलकर उसे ढूंढते रहे राखी तुम
कहां हो राखी सामने आओ कुछ भी नहीं हुआ है
बेटा सामने आओ लेकिन राखी झील के पास वाली
झाड़ियां में जाकर छिप गई ताकि उसे कोई
ढूंढ ना पाए सभी राखी को ढूंढते ढूंढते
झील के पास पहुंच गए राखी चुपचाप झाड़ियां
में बैठी रही लेकिन तभी उसके हाथ में एक
चींटी ने काट लिया
राखी झाड़ियां से बाहर ए गई सभी ने देखा
की राखी के स्कर्ट में खूनी खून है उसकी
सफेद स्कर्ट लाल हो गई है तभी मैडम उसके
पास आई राखी इसमें शर्म आने वाली कोई बात
नहीं है यह तो पीरियड्स है यह हर एक लड़की
को होता है तुम चलो मेरे साथ
तुम चलो मैं तुमको एक चीज देती हूं मैडम
राखी को ले गई और उसे एक सैनिटरी पद दिया
और फिर राखी को उसे दिन के लिए घर भेज
दिया गया
राखी ने अपनी मा को सब कुछ बताया ही भगवान
सुबह मुझे समझाना चाहिए था तुम बड़ी हो
रही हो तुम्हें इसके बारे में समझना चाहिए
था लेकिन मैन मेरी क्लास में किसी भी
लड़की को तो यह नहीं हुआ होगा बेटी सब का
अलग टाइम होता है मेरी बेटी बड़ी हो गई है
इसीलिए उसका जल्दी से हो गया राखी समझ गई
लेकिन अगले ही दिन स्कूल पहुंचने के बाद
पूजा उसका मजाक उड़ने लगी अरे ये देखो खून
वाली राखी ए गई कल तेरे साथ बहुत अच्छा
हुआ तेरे साथ ना ऐसे ही होना चाहिए
पूजा सबके सामने राखी के ऊपर हंसने लगी
राखी फिर से घबरा गई इस तरह हर रोज स्कूल
की शुरू होने से खत्म होने तक पूजा राखी
का मजाक उड़ती रही राखी को स्कूल जाने से
दर लगने लगा वह घर पर रोटी रही मैं स्कूल
नहीं जाऊंगी मैं स्कूल नहीं जाऊंगी
मेरी बच्ची को जो स्कूल जाने के लिए हमेशा
तैयार रहती थी उसी अचानक से क्या हो गया
उसने क्लास टेस्ट में भी खराब रिजल्ट ला
टीचर भी परेशान हो गए क्या हुआ राखी
तुम्हारा नंबर इतना कम क्यों है तुम ठीक
से पढ़ नहीं कर रही हो क्या
रही हूं यह सुनकर पूजा बड़ी खुश हो गई यही
तो मैं चाहती थी अब मैं बनूंगी इस क्लास
की टॉपर मुझे कोई नहीं रोक सकता
ऐसी कुछ दिन बीट गए एग्जाम ए गए लेकिन
राखी का मैन एग्जाम में नहीं है उसे स्कूल
में हमेशा दर लगा रहता है की स्कर्ट पर
फिर से खून का धब्बा तो नहीं लग गया उसका
एग्जाम बहुत खराब होता है और रिजल्ट के
दिन के सामने आता है की नई क्लास टॉपर
पूछा है
आ मैंने कर दिखाया मैंने उसे राखी को हरा
दिया पूजा-पूरी क्लास के सामने खुशी से
झूमती रही लेकिन तभी सभी ने देखा की पूजा
की स्कर्ट में भी खून के धब्बे लग गए हैं
अरे वो देखो पूजा किसका में भी खून के
धब्बे हैं
पूजा चौक गई अरे ये क्या मेरी स्कर्ट में
भी राखी की तरह खून के ढाबे हैं ये कहां
से आया पूजा शर्म से मरने लगी उसने क्लास
से भाग जाने के लिए एक पैर आगे बढ़ाया
लेकिन तभी राखी ने उसका हाथ थम लिया रुक
जा भागो मत ये भागने वाली बात नहीं है यह
तो गर्व की बात है तभी क्लास में मैडम ए
गई और उन्होंने कहा हान पूजा राखी सच का
रही है यह हर एक लड़की को होता है इसमें
शरमाते नहीं यह लो पूजा इसे इस्तेमाल करो
सब ठीक हो जाएगा
[संगीत]
परेशानी दूर हुई बाथरूम से लौटकर पूजा
राखी का हाथ पकड़ कर रोने लगी मुझे माफ कर
दो राखी मैंने तुम्हारा बहुत मजाक उदय और
वही चीज आज जब मेरे साथ हुई तो तुमने मेरी
मदद की कोई बात नहीं राखी दोस्तों मैं यह
सब चलता है दोनों ने एक दूसरे को गले से
लगा लिया इसके बाद से दोनों अच्छे दोस्त
बन गए स्कूल से राखी का दर भी गायब हो गया
वो फिर से हर एक एग्जाम में अच्छा रिजल्ट
लाने लगी याद रखना दोस्तों पीरियड्स को
लेकर हंसना या फिर उसका मजाक उड़ना अच्छी
बात नहीं है पीरियड्स एक अच्छी चीज है
[संगीत]
धनिया की नई नई शादी हुई थी दिसंबर का
महीना था और बेहद जोरों की ठंड पद रही थी
लोग अपने-अपने घरों में कंबल के अंदर
दुबके हुए द शादी के बाद धनिया अपने
ससुराल ए गई धनिया का ससुराल बहुत ही गरीब
था ससुराल में ससुर लखपति सास हीरामणि और
पति कृष्ण सभी एक टूटी-फूटी झोपड़ी में
रहते द धनिया का पति गांव के सरपंच के
खेतों में मजदूरी का कम करता था मजदूरी से
जो पैसे मिलते उससे उन सब का गुजारा जैसे
तैसे हो रहा था शादी के दूसरे दिन सुबह
4:00 बजे किसी ने धनिया के कमरे की गुंडी
khatkhatai जिसके कारण धनिया के नींद खुल
गई उसने अपने पति कृष्ण को जगाया सुनिए
उठी जरा देखिए तो दरवाजे पर कोई है
सर पर लंबा सा घूंघट करके धनिया दरवाजे पर
गई और कुंडी खोला उसने देखा की दरवाजे पर
सचमुच में उसकी सास हीरामणि खड़ी थी धनिया
ने अपनी सास हीरामणि के पैर छूकर उनका
आशीर्वाद लिया और बोली क्या बातें मैन जी
आपको नींद नहीं ए रही है क्या मैं आपके
पैर ढाबा डन पहली बहु मुझे अपने पैर नहीं
dabvane है चल बाहर शौच को नहीं जाना क्या
लेकिन मैन जी अभी तो सुबह के 4 बज रहे हैं
और अभी तो बाहर अंधेरा है ठंड भी कितनी हो
रही है इतनी ठंड में बाहर कैसे जाएंगे बहु
गांव में तो खुले में ही शौक जाना पड़ता
है चाहे गर्मी का मौसम हो या सर्दी का तू
अपने मायके में भी तो खुले में शौच जाती
होगी यहां इतने नखरे क्यों दिखा रही है
नहीं मैन जी मेरे मायके में शौचालय है हम
तो वहां शौचालय में शौच के लिए जाते हैं
अच्छा ठीक है लेकिन यहां शौचालय नहीं है
यहां खुले में ही शौच करना पड़ता है अब
दरवाजे पर खड़ी खड़ी बातें करती रहेगी या
शौच को भी चलेगी फिर गांव के सारे मर्द उठ
जाएंगे तो नहीं जा जी यहां गांव की सभी
औरतें इसी वक्त खुले में शौच को जावे हैं
लेकिन मैन जी अभी तो मुझे बहुत ठंड लग रही
है तो एक कंबल ओढ़ ले और लोटा लेके मेरे
पीछे पीछे ए जा बेचारी धनिया को ना चाहते
हुए भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है
वो एक कंबल उद लेती है और लोटा लेकर अपनी
सास हीरामणि के पीछे-पीछे चलने लगती है
दोनों सास बहु खेत में पहुंचती है और वहां
खुले में शौच करने लगती हैं लेकिन धनिया
को इतनी ठंड में खुले में शौच करना बहुत
भारी पद रहा था वह ठंड के मारी kapkapa
रही थी और गहरा अंधेरा होने के कारण उसे
बहुत दर भी लग रहा था किसी तरह से वह शौच
करके जल्दी जल्दी अपने ससुराल पहुंची और
कंबल में जाकर दो भाग गई
ऊपर से ठंड में खुले में शौच के कारण मेरी
हड्डियां कर गई है ऐसा लग रहा था की मेरी
वही कुल्फी जाम जाएगी लेकिन धनिया करती भी
तो क्या उसके ससुराल में तू शौचालय ही
नहीं था ना सिर्फ उसके ससुराल में बल्कि
पूरे शौचालय नहीं था अब धनिया को कड़कती
ठंड में भी रोज सुबह 4:00 बजे शौचालय के
लिए जाना पड़ता था दो-तीन दिन तो धनिया ने
बड़ी मुश्किल से केट लेकिन चौथे दिन शॉट
से आने के बाद धनिया तो कंबल से बाहर ही
रहने निकली उसके पति कृष्ण ने जब उसे
आवाज़ लगाई तब भी धनिया ने कोई जवाब नहीं
दिया फिर कृष्ण ने धनिया के माथे को छू कर
देखा तो धनिया का माता बुखार से तप रहा था
वैसे तो बहुत तेज बुखार है कृष्ण ने यह
बात अपने घर में माता-पिता को बताई
दिला दो बुखार ही तो है उतर जाएगा
और इसे ठंड से बचा कर रखना
साथ जब धनिया की तबीयत थोड़ी तब कृष्ण ने
उससे कहा
की तुझे ठंड से बचकर रहना है घर से बाहर
निकलने की जरूरत नहीं है मैं ठंड से कैसे
bachungi रोज सुबह-सुबह 4:00 बजे मैन जी
मुझे खुले में शौच के लिए ले जाती है इसी
वजह से मुझे ठंड लगी है सुबह कितनी ठंड
होती है मेरी तो जान ही निकल जाती है लगता
है इस ठंड में खुले में शौच के कारण मैं
तो मार ही जाऊंगी अब क्या करें इस गांव
में तो सभी खुले में शौच को जाते हैं यहां
कोई शौचालय नहीं है क्योंकि अपने इसी तरह
खुले में शौच जाती रहूंगी इस तरह से तो
मैं कभी भी ठीक नहीं हो पाऊंगी किसी दिन
खुले में शौच करते समय मेरे प्राण निकल
जाएंगे हम क्या कर सकते हैं धनिया हमारे
पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है शौचालय
बनवाने के लिए हमारे पास पैसे नहीं है
मजदूरी करके जो थोड़े बहुत पैसे कमाता हूं
उससे हमारी डाल रोटी ही चल पाती है शौचालय
बनाने के लिए हमें पैसों की जरूरत भी नहीं
है बिना पैसों के लिए भी शौचालय बन सकता
है बस थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और आपको
मेरी मदद भी करनी होगी बिना पैसों के
शौचालय कैसे बनेगा अगर ऐसा हो सकता है तो
मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा हमको वैसे
शौचालय बना सकते हैं गोबर से शौचालय वो
कैसे मैं गांव में घूम घूम कर गोबर इकट्ठा
करूंगी फिर जो गोबर ही इकट्ठा हो जाएगा
उसमें थोड़ी मिट्टी और थोड़ा घास मिलाकर
उसे बनाएंगे फिर उन एटन को पीकर उन्हें
pakaaran कर लेंगे जिससे हमारी गोबर की
तैयारी हो जाएगी फिर गोबर की ईंट से
दीवारें खड़ी करके हम शौचालय बना लेंगे
धनिया की बात कृष्ण को भी अच्छी लगी उसने
ये बात लखपति और हीरामणि को भी बताएं
इससे तो कम पैसों में ही हमारा शौचालय
तैयार हो जाएगा इस कम में हम सब तेरी मदद
करेंगे
और घूम घूम कर गायिका गोबर इकट्ठा करने
लगे शाम तक चारों ने काफी सारा गोबर
इकट्ठा कर लिया था हमें कुछ दिनों तक ऐसी
गोबर इकट्ठा करना होगा जब ढेर सारा गोबर
इकट्ठा हो जाएगा तब हम सीड बनाना शुरू
करेंगे
हम लोग खूब सारा गोबर इकट्ठा कर लेंगे और
जैसा तू कहेगी वैसा ही करेंगे कुछ दिनों
तक चारों ने पूरे गांव में घूम घूम कर
गोबर इकट्ठा कर लिया जब उनके पास काफी
सारा गोबर इकट्ठा हो गया तब धनिया गांव के
तालाब के पास की कुछ मिट्टी ले आई और उसने
गोबर मिट्टी और उसमें थोड़ी घास मिलाकर
ईंटें बनाना शुरू कर दिया धनिया का पूरा
ससुराल गोबर कितन बनाने लगा चारों ने
मिलकर गोबर की ढेर सारी
जिसे उन्होंने धूप में सूखा कर पक्का कर
लिया जब गोबर की इट सुख कर तैयार हो गई तब
धनिया ने उन गोबर की ईंटों से शौचालय
बनाना शुरू किया धनिया के साथ मिलकर कृष्ण
lakpati और हीरामणि ने भी गोबर की ईंटों
से दीवार खड़ी कर ली गोबर की ईंट की दीवार
तो खड़ी हो गई अब दीवार पर सीमेंट भी तो
लगाना होगा और सीमेंट खरीदने के लिए पैसे
कहां से आएंगे
मैन जी इसके लिए सीमेंट नहीं बल्कि गोबर
की जरूरत है हम एटन पर गोबर का लेप
लगाएंगे जिससे हमारा गोबर का शौचालय बनकर
तैयार हो जाएगा
फिर तो उसके लिए हमें और गोबर की जरूरत
पड़ेगी
जैसे हम गोबर से घर लिप हैं ना उसी तरह
शौचालय की दीवार को गोबर से लिप देंगे
इसके लिए हमें फिर से गांव में घूम घूम कर
गोबर इकट्ठा करना होगा ठीक है बहु शौचालय
बनाने के लिए तो हम कुछ भी कर सकते हैं इस
बर्फीली ठंड में कम से कम खुले में शौच
करने के लिए तो नहीं जाना पड़ेगा ना धनिया
के कहने पर वे सभी फिर से गोबर इकट्ठा
करने के लिए गांव में निकल पड़े और चारों
एक-एक टोकरी में गोबर इकट्ठा करके ले आए
शाम को धनिया ने उसको भर में थोड़ी मिट्टी
मिलाकर उसका गधा लेप तैयार कर लिया जिसके
बाद धनिया ने शौचालय की दीवार पर चारों
तरफ से गोबर का लेप लगा दिया और रात खत्म
होने तक धनिया ने अपना गोबर का शौचालय बना
कर तैयार कर दिया था अगले दिन गोबर का
शौचालय धूप में अच्छी तरह से सूखकर तैयार
हो चुका था मांझी बाबूजी अब हम लोगों को
घर के बाहर खुले में शौच नहीं जाना पड़ेगा
हमारा गोबर का शौचालय जो बन गया है
हम गरीबों के घर में भी बिना पैसे खर्च
किए शौचालय बनकर तैयार हो गया मेरी बहु तो
लाखों में एक है गोबर का शौचालय बन जाने
के कारण अब धनिया और उसके ससुराल वालों को
ठंड के मौसम में शौच करने की दिक्कतों से
नहीं गुजरना पड़ता था धनिया के गोबर
शौचालय की खबर धीरे-धीरे पूरे गांव में
फैलने लगी गांव की दूसरी औरतें भी अपने
घरों में गोबर शौचालय बनाने की मांग करने
लगी मिंटू के पापा हीरामणि के घर में उसकी
बहु धनिया ने गोबर का शौचालय बना लिया है
अब उन लोगों को खुले में शौच करने नहीं
जाना पड़ता है हमें तो इस ठंड के मौसम में
भी अंधेरी रात में शौच करने जाना पड़ता है
क्यों ना हम भी अपने घर में गोबर का
शौचालय बना ले कुछ खर्चा भी नहीं आएगा
लेकिन गोबर $1 बनेगा कैसे भाई अरे लखपति
के घर जाओ और उसकी बहु से पूछो तो उसने
गोबर शौचालय कैसे बनाए हैं गांव के सभी
लोग आपस में राय मशवरा करके लखपति के घर
जाते हैं और उससे गोबर शौचालय बनाने की
विधि पूछते हैं
गोबर शौचालय बनाने का विचार तो मेरी बहुत
धनिया का था हमने तो उसकी मदद की है वो
जैसा जैसा कहती हम वैसा वैसा करते गए घर
के अंदर से ग्रामीण की बातें सन रही धनिया
भी बाहर ए जाती है और कहती है अब आप लोग
कहीं तो हम आपसे की मदद करने को तैयार है
बस हम जैसा कहीं आप सभी को वैसा ही करना
होगा
[संगीत]
ठीक है सब लोग कल से गोबर इकट्ठा करना
शुरू कर दीजिए दूसरे दिन से धनिया सभी
ग्रामीण को गोबर शौचालय बनाने की विधि
बताने लगी और गोबर शौचालय बनाने में सब की
मदद भी करने लगी और इस तरह कुछ ही दिनों
में ग्रामीण ने अपने अपने घरों में गोबर
शौचालय बना लिया अब ठंड के मौसम में किसी
को भी शौच के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं
थी
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