अपाहिज बहू की दुर्गा भक्ति _ Garib Bahu ki Navratri _ Emotional Moral Story _ Hindi kahaniya_transcript
झाल
कि तारा एक अपाहिज महिला थी उसका एक पैर
खराब था लेकिन कारक मां शेरावाली पर बहुत
विश्वास था जिसके चलते वह हमेशा भक्ति में
ही रहती थी फिर तारा की शादी सुरेश नाम के
लड़के से हो जाती है सुरेश को शराब की
बहुत बुरी आदत थी और तारा के घरवालों ने
उसे अच्छा खासा दहेज दिया था जिस वजह से
सुरेश ने अपाहिज तारा से शादी कर ली थी और
पॉइंट्स अंतर अब आपने तुझे जो भी पैसा
लिया था वह सब कुछ खत्म हो चुका है अब तो
अपने बाप से और पैसे लेकर आ हां अब कैसी
बातें करते हैं मेरे पिता जी के पास तो जो
भी कुछ था वह सब आपको पहले ही दे चुके हैं
अब मुझे देने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं
बचा है मैं कुछ नहीं जानता मैं ने तुझ से
इसीलिए शादी की थी ताकि मुझे बहुत सारे
पैसे मिल सकें और मैं जिंदगी भर आराम से
बिना कुछ किए शराब पी सक को समझेगी नए आप
इतनी शराब पीते ही चौंक हमारी शादी को भी
ज्यादा समय भी नहीं हुआ है और आप मुझसे
सही से बात भी नहीं करते बस चीन ने मिलकर
रहते हैं ज्यादा जवान व चला अगर आप एक
शब्द भी न निकला देख लेना तुरंत उपज मेघा
बस मुझे पैसे चाहिए वरना मैं
निकाल दूंगी यह बात सुनकर बहुत परेशान हो
कि वहां पर आप तारा को लगता है कि उसके
साथ कुछ मदद करेगी के साथ अरे वाह
यह
तो परेशान मत होइए कल मुझे अपने पिता से
पैसे लाकर दे
दूंगी
पिताजी के लिए
उनके पास भी नहीं देने को
तो मेरे बेटे के लिए पैसे लेकर आ नौकरानी
की तरह काम करना पड़े तो घर का सारा काम
करती है अच्छा काम करने से पैसे मिलते हैं
तो बाहर खेतों में काम करना पड़ेगा जिससे
कुछ पैसे हो सके वरना अपने बाप यही पैसे
लेकर आ हम तुम सही बोल रही हो सोना पार्ट
हम कुछ नहीं जानते जाकर पैसे लेकर आ गया
तो अपने आप एक बार काम करके मैं अपने
पिताजी से और पैसे नहीं मांग सकती थी
क्षेत्रों में काम करके जो भी पैसा
कमाएंगी उन्हें आप ही रख लें का यह है और
मुझे कुछ नहीं पता मुझे तो शाम तक मेरी
जरा आपके लिए प्रसिद्ध है यह समझिए चाहे
तो कुछ भी कर पर मेरे पैसे शाम तक चाहिए
तरह यह सब सुनकर देवी मां की पूजा करने
चली जाती है और कुछ दिनों बाद नवरात्रि
आने वाली होती है तो तारा नवरात्रि की
तैयारियां कर रही थी तभी उसका पति उस पर
आकर कहता है मेरे शराब के लिए तो तेरे पास
पैसा नहीं है तो यह देवी के लिए इतना बड़ा
प्रमाण का गला इसलिए मेरे पैसे
नहीं तुम्हारी
दुकान में कुछ काम किया था उसने ही मुझे
थोड़े बहुत पैसे मिले थे उसी से शेरा वाली
मां के श्रृंगार का सामान लेकर आए
तो कहां से मिलेगा कि वह तो मुझे देगी तो
वह पैसा तेज देवी मां पर खर्च करने लगी
हूं यह कौन सा कट करती है जो तो इन पर
फिजूल खर्च कर रही है तुम कैसी बातें कर
रही हो मेरी शेरावाली मां सब को सुख देने
वाली है और उनके बारे में ऐसी बातें बोल
रहे हो वह क्या गलत बोल रहा हूं आज तक
तेरी तेरी मां ने मुझे कंचना एरिया अगस्त
में देवी होते तो तू आज अपना इतना होती ना
ही तुझे मेरे जैसा शराबी पति मिलता
शेरावाली मां जो करती है सही करती है तो
अगर उन्होंने चाहा तो मेरा पैर भी सही हो
जाएगा फिर तुम्हारी यह नशे की आदत छूट
जाएगी मुझे मेरी नजर की आदत नहीं करवानी
बस मुझे शराब के लिए पैसे वेस्ट वरना
अच्छा नहीं होगा प्लांट प्रथम रहे तभी
तारा किस तारीख जाती है अरे बेटा आप क्या
हो गया तो वह ऊपर की ओर चला रहा है इसमें
क्या कर दिया अरे वाह तुमने कितने में काम
करके
देवी मां समान खरीद
में खर्च कर नियुक्त माता रानी का धमाका
शुक्रिया ही ठीक है बेटा तो आज यह देवी
मां के लिए सामान लेकर आई है तो आप देवी
मां ही से खाने को देगी जिससे इसका
खाना-पीना बंद अगर यह पैसे लेकर आएगी तो
इसको खाना मिले वरना नहीं यह
मां ने कहा तेरा खाना-पीना
[संगीत]
लुटने के लिए और फिर नवरात्रों के व्रत और
शेरावाली मां की पूजा और व्रत के आखिरी
दिन सोचती शेरावाली मां के व्रत का
उद्यापन करना है और मेरे पास पैसे नहीं है
को दूंगी मेहनत करनी पड़ेगी तभी पैसों का
इंतजाम हो पाए फिर तरह की एक लकड़ी की
दुकान पर जाती है और
घ्र पैसे चाहिए उसके बदले में आप यहां पर
कुछ काम कर दूंगी और यह क्या करोगी मेरे
पास तुम्हारे लिए कुछ काम नहीं है मैं
तुम्हारी के गठन को इधर से उधर अपने सर पर
उठा कर रख दूंगी मुझे शेरावाली मां का
ज्ञापन करना आपके लिए मुझे पैसों की जरूरत
है मेरी मदद कर दीजिए फिर बहन मां
तुम्हारी मेहनत के हिसाब से तुम को पैसे
दे दूंगा फिर तारा पूरे दिन काम करती है
लेकिन अपाहिज होने के कारण और थोड़ी ही
लकड़ी को रख पाती है चाक मालिक उसे काम के
हिसाब से पैसे भी देता है फिर तारा कहती
है मुझे अब संजय को देने के लिए पैसे तो
मिल गए तो अब मुझे कुछ खाने पीने का सामान
भी ले लेना चाहिए तारा खाने का कुछ सामान
लेकर घर चली जाती है और उद्यापन के लिए
अच्छे-अच्छे स्वादिष्ट भोजन बना लेती है
तभी वहां पर उसका पति जाता है सारा उन्हें
भेजे घर में चोरी घी नेतृत्व ने मांगे
पैसे निकाले और समान लेकर आयोग नहीं मेरी
कोई चोरी नहीं कि मैंने दिन भर लकड़ी की
दुकान पर काम किया था और उसके बदले में
मुझे पैसे मिले थे
शराब के लिए पैसे नहीं होते हैं और अपनी
मां के लिए पता नहीं क्या काम करती हो
यह बताना प्रति फिर क्यों बोल रहे हैं
कहां जाऊंगी गौरव
का व्यापार मेरे
यह सब चली जाती हैं उसका बना प्रसाद
इधर-उधर से जिससे शेरावली मा क्रोधित हो
जाते हैं और गुस्से से उनकी आंखें लाल हो
जाती है और सुरेश को ही बना देती है उधर
तारा रोते-रोते मंदिर के पास पहुंच गई है
और देवी मां के सामने रोने लगती है और
कहती है कि इतनी श्रद्धा पर तुम्हारी
भक्ति और मेरे पति मेरी पर अत्याचार करते
हैं आप की पूजा भी नहीं करने देते मैं
क्या करूं पर दया करो मां
तारा इतना ही कहती है कि एक पैर में हलचल
होने लगे तभी के पेड़ पर एक चमकती हुई
रोशनी और पैर ठीक हो जाता है यह देखकर वह
बहुत खुश हो जाती है और शेरावाली मां की
जय-जयकार लगाती है
शेरावाली मां हम का बहुत-बहुत आभार आपने
मुझे पहले इसको सही कर दिया मां आपके दर
से कोई खाली हाथ नहीं जाता आज मेरी भक्ति
की जीत हुई है जैसे यहां या फिर तारा वापस
अपने घर की तरफ चल दी है घर पर जाकर वह
देखती है कि उसका पति अपाहिज हो चुका था
यह देखकर वह बहुत उदास हो जाती है और
शेरावाली मां के सामने जा कर गिरा
शेरावाली मां कि आपने क्या किया चाहे तो
मेरे दोनों पैर अपाहिज बना दो मेरे हाथों
को भी आप ही बना दो लेकिन मेरे पति को सही
कर दो मैं इनको ऐसे नहीं देख सकती श्री
मां तारा के साथ सुरेश के पास बैठकर हो
रही होती है यह मेरे बेटे को चार हो गया
अच्छा
पापा कहते हैं भगवान
[प्रशंसा]
का प्रसाद इधर-उधर बिखरा हुआ था यह देख कर
तारा
मां शेरावाली मां की प्रकार का श्रवण किया
है आप शेरावाली मां शिक्षा मंगलू देवी मां
आप लोगों को जरूर समा कर दूंगी इतना सुनकर
सुरेश और उसकी मां तेरी मां से क्षमायाचना
करते हैं व्व्व हमसे गलती हो गई हमें
क्षमा कर दो हम आज के बाद कोई भी गलत
कार्य नहीं करेंगे अब हम ऑफ कर दो फिर
थाना होती है शेरावाली मां इनके किए हुए
कार्य कि मैं आपसे क्षमा याचना करती हूं
तो धर्मेंद्र सच्चे दिल से आपकी भक्ति की
है तो मेरे पति को स्वस्थ बना दो इन्हें
माफ कर दो मां पूरे मां शेरावाली मां तारा
की विनती सुन लेती है और के पति के दोनों
पैरों को सही कर देती है जिस ताकत बहुत
खुश हो जाती है और धीरे-धीरे उसके पति की
शराब की आदत भी छूट जाती है अब के साथ
सारा से बहुत खुश रहने रखती है और वह सब
मिलकर देवी मां की पूजा करते हैं
कि गरीब दुर्गा भक्ति वैष्णवी बहुत ही
ईमानदार और मेहनती लड़की थी वह छोटे से
गांव में अपने मां-बाप के साथ रहते थे
वैष्णवी के मां-बाप ही स्थिति और कुछ देख
नहीं सकते थे इसलिए घर की सारी जिम्मेदारी
वैष्णवी पर थी छोटी सी उम्र से ही वैष्णव
भी गांव के जमींदार के पास काम किया करती
थी और जो पैसे मिलते उन पैसों से अपना घर
चला करती थी वैष्णवी बचपन से मां दुर्गा
की भक्ति वह अपनी छोटी सी झोंपड़ी में मां
दुर्गा की पूजा करती थी वह मां दुर्गा की
पूजा करके ही अपने काम पर देखा करती थी एक
इनवेस्ट भी की मां कुछ सामान लेने को उठती
है तभी बेस्ट भी अपनी मां से कहती है मां
क्या कर रही हो घर के सारे काम करती हंसी
परेशान होने की क्या जरूरत है अगर कुछ हो
जाता तो अब बैठो आराम करो अरे मेरी बेटी
सब कुछ तो ही करती है ना जाने मां दुर्गा
क्यों हमसे इतने नाराज़ है जो तेरे बाप और
मुझे अपाहिज कर दिया और आंखों की ड्यूटी
चीनी पूरी परीक्षा ले रहे हैं इस छोटी सी
उम्र में नहीं मेरी मां दुर्गा जी को कुछ
समय में कुछ अच्छा ही होगा मुझे अपनी मां
दुर्गा पर पूरा विश्वास है कि अब दुर्गा
मां की तरह अपनी मां की बात सुनकर वे
मुस्कुराते हुए घर से बाहर
मां वैष्णवी ने समझा दिया था पर खुद को
पूरे दिन धूप में काम करने के बाद वे इस
पेड़ के नीचे बैठ जाती और धरती को सोचने
लगती हैं जिससे मैं अपने माता-पिता को
अच्छा जीवन
अचानक कुछ महसूस हुआ तो वहां की मिट्टी
हटाकर देखा तो उसे मां दुर्गा की मूर्ति
लेकर बहुत खुश होती है
जैसे मां दुर्गा की
मूर्ति को अपने कपड़े से साफ किया और अपने
घर लेकर आ गई मां बाबा का
चमत्कार हो गया क्यों क्या हुआ वैष्णवी
क्या चमत्कार हो गया भूल गई बेटी हम तो
इतने आगे हैं कि कुछ देख भी नहीं सकते हैं
बाबा आज मुझे खेत में काम करते हुए यह
मूर्ति नहीं मूर्ति नहीं मां दुर्गा मुझे
बोल रही है
लगता है धूप
में थोड़ा ठंडा पानी
[संगीत]
उदास हो जाती है लेकिन अपनी मां दुर्गा
के चेहरे पर मुस्कान आजाती और उस मूर्ति
को धो पोंछ कर मां दुर्गा जी की मूर्ति के
पास रखे और वह दुर्गा मां थोड़ी देर हो
जाता है और वहां पर
भी नींद नहीं आती तब को हल्की रोशनी लगती
जैसे ही रोशनी की तरफ आती
चमक रही थी वह समझ आती है यह मेरी मां
दुर्गा का चमत्कार मां बाबा कुंअर मैंने
कहा था ना आपसे मेरी मां मेरे घर आइए आपने
मेरी बातें मालिक यह मिट्टी की मूर्ति
नहीं मेरी मां
हमारी जो अपनी
मां बाबा जी
हां मेरी बेटी की
मूर्ति को चमक
को विश्वास
में पर भरोसा करने की चमक की बात दूर-दूर
तक फैल जाती लोग मां दुर्गा जी का चमत्कार
मान लें और वैष्णो देवी के दर्शन करने आते
वैश्विक छोटी सी झोंपड़ी मंदिर में बदल
जाती है जहां दूर-दूर से लोग चमत्कारी
मूर्ति के दर्शन करने आते हैं और खूब
चढ़ावा चढ़ाते
वैष्णवी और उसके मां-बाप को खाने-पीने की
कोई दिक्कत नहीं है कि जो लोग खूब सारा अ
MP3 वैष्णवी अपनी मां से कहा मां मैंने
आपसे कहा था कि मेरी दुर्गा मां बहुत
दयालु है देखो कैसे उन्होंने हमारी मुसीबत
हल कर दिया तो सही कह रही है बेटी हम से
भूल हुई जो समझ ना सके मां दुर्गा मां
करें धीरे-धीरे समय बीतता गया और चमत्कारी
मूर्ति की खबर दूर-दूर तक पहुंच गई यह खबर
जमींदार तक पहुच
नियुक्त
जैसे की तरफ आती चमक
[संगीत]
की
मूर्ति को हटाने का मन बना लिया
चमत्कारी मूर्ति
को अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में तो मैं
तुझे
मुझ से पैसे ले और मेरे हवाले कर दो
चीजी यह आप क्या कह रहे हैं मैंने कोई
चोरी नहीं की और जो आप चाहते हैं वह कभी
नहीं हो सकता मैं अपनी दुर्गा मां को खुद
से अलग कभी नहीं करूंगी आप कहते हैं कि
मैं अपनी मां की कीमत लगाओ नहीं सेठ जी
नहीं मेरी दुर्गा जी ने मुझे स्वयं दर्शन
दिए मैं उन्हें खुद से अलग कभी नहीं
करूंगी चाहे कितना भी बड़ा खजाना क्यों
मिर्च
जमींदार सब समझ जाता है कि उसकी दाल को
आसानी से नहीं लेकिन वह तो उस मूर्ति को
हथियार
बेचने का मन बना चुका था लेकिन
[संगीत]
घर जाकर अपने मूर्ति को कहते हैं कि
जमींदार के आदमियों ने ऐसा ही किया दिन के
समय उसके घर के और उसके मां-बाप के अंधेपन
का फायदा उठाकर उस मूर्ति को चढ़ाते हैं
इस मूर्ति को पाकर बहुत खुश और उस मूर्ति
के लिए अच्छा खरीदार ढूंढने
इधर शाम को घर लौटते हैं तो अपनी मां
दुर्गा जी को नापा
मां
दुर्गा मां
[संगीत]
की
झोपड़ी का हाल देखकर
हमसे नाराज हो गई और चली गई कि वे बहुत
रोते हुए दुर्गा मां
दुर्गा की पूजा करके अपने काम पर चली
जातीं लेकिन अपनी मां को अपने पास न होने
से वह बहुत दुखी थी उसके लिए तो कि बुद्ध
मैत्रेय जो आपके पास नहीं थी जो अब नहीं
है दूर-दूर से लोग अब भी दुर्गा जी की
पूजा करने के लिए वैश्विक घर आ रहे थे
लेकिन मूर्ति को नापा कि वैश्विक को
खरी-खोटी सुनाकर चले जाते
नवरात्रों का समय निर्धारित था वैश्विक भी
मां के दर्शन करने का मन हुआ
अपनी मां के साथ माता जी के दर्शन के लिए
वैश्विक पत्थर से टकरा जाता है और वे नीचे
गिर जाती है
और भी पत्थर से उसे हटा दे
तभी वे ने भी देखती है कि पत्थरों के नीचे
दबा
को खुदा पत्थर के नीचे से एक संदूक निकलता
है उस संदूक को
सोने के सिक्कों से भरा हुआ था
कुछ समझ नहीं आ रहा था पर उसकी मां
दुर्गा मां का प्रसाद समझकर उस संदूक में
रख लिया और सबसे पहले वैष्णो देवी दर्शन
किए तो फिर वहां से आकर उसने अपनी झोपड़ी
की जगह मां दुर्गा का बड़ा मंदिर बनवाया
और मंदिर के पीछे ही एक कमरा बनवा कर अपने
मां बाप के साथ रहने लगी
अब वैश्विक मजदूर नहीं थी अब मंदिर की
पुजारिन बन गई थी
लेकिन उस मूर्ति की बहुत याद आती
धर्मेंद्र को मूर्ति कोई खरीददार नहीं
मिला
उसके फोन की घंटी बजती और उसके
दिमाग तो ठिकाने पर है तुम्हारा
[संगीत]
यह
पानी डालते रहो मैं आ रहा हूं
को पता चला कि उसकी सारी फसलों में ही
वहां पहुंचता तब
स्कीम के
जी हां
मैं लूट का यह हमने बर्बाद हो गया
अब क्या होगा का यह
सारे पैसे इसी फसल में लगा दिए थे
मैं ऑफिस कहीं का नहीं रहा है
को स्टॉप को बढ़ाने के लिए जो कर्जा लिया
था उसे कैसे चुकाऊंगा हां
यह जमींदार कुछ बड़ी मुसीबत आती थी फसल तो
जलकर बर्बाद हो ही गई थी पर कर्ज चुकाने
के लिए उसका घर भी गया अब उसके पास है
जिसे लाख कोशिशों के बाद भी वह
अपने परिवार को लेकर दर-दर की ठोकरें
खाने की तलाश में अपने परिवार के साथ जहां
पर की झप्पी
झप्पी की जगह मां दुर्गा की भव्य मंदिर
से लौट रही महिला से मंदिर के बारे में
पूछा और बहन जी सुनिए यह वैष्णवी नाम की
लड़की की चोपड़ी हुआ करती थी और यह मंदिर
कब और किसने बनवाया नहीं
उन्होंने यह मंदिर
में पूजा दुर्गा
यह बड़ी कृपा है सुना है सोने के सिक्कों
से भरा संदीप मिला था उन्हें पर उनका दिल
देखो क्या कुछ नहीं कर सकती थी उनकी आंखों
से पर उन्होंने माता दुर्गा जी का मंदिर
बनवाया माताजी उनका भला करें इतना ही नहीं
गरीबों के लिए वह भंडारा भी करवाती है
ताकि कोई भूखे और गरीबों की मदद करती
तो तुम्हारी खराब तुम चले जाओ तुम्हारी
मदद जरूर करें की बात सुनकर सब कुछ समझ
में आ जाता है और उसे उसकी गलती का एहसास
हो जाता है
उसको की सजा
के पास जाता है और
[संगीत]
मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हारी मां दुर्गा
से दूर कि मेरी भूल थी कि मैं उन्हें की
मूर्ति समझकर उन्हें तुम्हारे घर से चुरा
लिया था मेरे मन में लालच आ गया था
माता दुर्गा ने मुझे कि मुझे मेरे किए की
सजा दे दी है मेरी फसल जल गई मेरा घर मिट
गया मेरा परिवार मेरे साथ दर-दर की ठोकरें
खा रहा हूं
यह
मेरी गलती
तुम हो जिसने
भी लिए
[संगीत]
उन्हें
पकड़ भी
चमत्कारी मूर्ति कर देता है और फूट-फूटकर
रोने लगता
[संगीत]
और आंसू पोंछते हुए यह
चमत्कार
के हाथों की कठपुतली उन्होंने तुम्हें सही
रास्ते पर लाने के लिए यह सब
अब अपनी गलती का एहसास
मुझे भरोसा है कि मां दुर्गा मां को
वापस पाकर बहुत खुश आखिर उसकी मां ने
लुट स्नान करवाया और वापस के मंदिर में
प्राण प्रतिष्ठा करवाई जैसी वैष्णवी ने
मूर्ति स्थापित की अब की बार मूर्ति पहले
से ज्यादा चमक रहे थे
और
नया काम शुरू करने में मदद इस तरह माता
दुर्गा के आशीर्वाद से और जमींदार बन गया
[संगीत]
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