Emotional Kahaniyan _ New Emotional Text Story _ Hindi Kahani _ Hindi Story Written _ Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम शिप है मेरी शादी को 3 साल हो गए
थे उत्तर प्रदेश के एक छोटे से इलाके में
मेरी शादी हुई थी मैं बहुत पढ़ी लिखी थी
लेकिन मेरी शादी एक गरीब इंसान के साथ हो
गई थी मेरा पति सिर्फ पांचवी कक्षा तक ही
पड़ा हुआ था मेरा पति पहले मेहनत मजदूरी
करता था लेकिन अब उसे एक अच्छी जगह नौकरी
मिल गई थी वह एक जगह पर सिक्योरिटी गार्ड
की नौकरी करते थे जिससे महीने की सैलरी
हमें 0000 मिलती थी थी मैं तो शुरू से ही
बहुत समझदार थी और मैंने हर चीज पर सबर
करना सीखा था मैं बहुत हिसाब से चलती थी
और इसी वजह से घर के खर्चों में भी कभी
कोई कमी नहीं आ सकी थी मेरे पति मेरी इस
क्वालिटी की तारीफ किया करते थे यही वजह
थी कि कभी हमें मुश्किलों का सामना नहीं
करना पड़ा था कभी भी मैंने अपने पति से
ऐसी किसी चीज की डिमांड नहीं की थी जिसको
दिलाना मेरे पति के बस की बात नहीं हो मैं
हर चीज का इस्तेमाल बहुत ही संभाल कर करती
थी इसलिए मेरे पति इस मामले में खुद को
बहुत खुशकिस्मत समझते थे कि मेरी वजह से
उनके घर के खर्चे पूरे हो जाते थे वह
जितना भी कमा कर लाते थे मैं उसमें ही
एडजस्ट कर लेती थी और तो और उन्हें काफी
सारे पैसे जोड़कर भी दिखा दिया करती थी
मेरे पति मेरे नंद के पीछे मेरी तारीफ
किया करते थे वह मुझे बताते थे कि मेरी
बहन शुरू से ही फिजूल खर्च कर रही है उसने
कभी भी घर में पैसों पर रहना सीखा ही नहीं
पहले जब मैं मजदूरी किया करता था तो वह
हमेशा मुझे ताने ही दिया करती थी और अब वह
अपने पति को यह ताने देती है तभी तो वह
शुरू से ही अपना घर नहीं बसा सकी काश मेरी
बहन भी तुम्हारी तरह ही कम पैसों पर ही
गुजारा करना सीख लेती दरअसल मेरी नंद मेरे
पति से 4 साल बड़ी थी लेकिन वह मेरे पति
पर उनकी मां जितना ही हक जमाती थी और मेरी
नंद ने हमेशा मेरे पति पर अपने बड़े होने
का रोप जमाए रखा था मेरे पति भी अपनी दीदी
की बहुत इज्जत करते थे कभी उन्होंने
उन्हें बुरा भला नहीं कहा था हमेशा उनकी
इज्जत की थी और हमेशा उनकी हर बात को माना
था यही वजह थी कि मेरी नंद को बहुत ईगो था
और वह हर महीने हमारे घर रहने के लिए आ
जाती थी मेरी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छी
गुजर रही थी और मेरी एक बेटी भी थी
धीरे-धीरे मेरी शादी को 7त साल हो गए थे
मेरी बेटी का नाम निवेदिता था फिर मेरी एक
बेटी और पैदा हो गई उसका नाम वंदिता था
मेरी दोनों ही बेटियां बड़ी ही प्यारी थी
वैसे तो मेरी ससुराल में सिर्फ मेरी नंद
के अलावा कोई नहीं था मेरे सास ससुर तो
काफी सालों पहले ही मर चुके थे जब मैं
शादी करके अपने ससुराल आई तो यहां पर मेरे
पति के अलावा सिर्फ मेरी नंद ही थी जो
मुझे हमेशा ताने देती रहती थी उसकी भी
शादी मेरी शादी से 5च महीने पहले ही हुई
थी लेकिन कभी मेरी नंद ने मुझे समझने की
कोशिश ही नहीं की मुझसे कभी अच्छे से बात
नहीं की और ना ही कभी उसने मुझसे दोस्ती
करने की कोशिश की हमेशा ही वो मुझे अपनी
भाभी समझकर तंग करती थी वह नॉर्मल नंदू की
तरह अपनी भड़ास मुझ पर निकालती थी उसके घर
में जैसी भी प्रॉब्लम होती तो वह मुझे आकर
ताने दिया करती थी कि मेरे भाई ने तो
तुम्हें रानी बनाकर रखा है कभी वह इस बात
पर लड़ने आ जाती थी कि तुम मेरे भाई को
बेटे का सुख नहीं दे सकी हो बेटियां पैदा
करके उनका बोझ मेरे भाई के कंधों पर डाल
दिया यहां तक कि तब मेरी छोटी बेटी का
जन्म हुआ था तो मेरी नंद ने बहुत ही
हंगामा मचाया था वह कह रही थी कि मैं मैं
तो इस आस में बैठी हुई थी कि मेरे भाई का
बेटा होगा मैं भी अपने भतीजे को गोद में
लेकर खिलाऊंगी लेकिन तुमने तो मेरी
उम्मीदों पर पानी ही फेर दिया अब ना जाने
कब मुझे अपने भतीजे का सुख नसीब होगा मेरा
पति तो अपनी बेटियों से भी बहुत प्यार
करता था और अपनी बेटियों से बहुत खुश रहता
था क्योंकि उन्हें शुरू से ही बेटियां
बहुत पसंद थी वह अपनी फैमिली से बहुत
प्यार करता था शुक्र है कि मेरे पति ने
अपनी बहन की बातों में आकर हमें कभी कोई
ताना नहीं दिया ना ही मुझे कभी इस बात का
ताना दिया था कि मैंने दो बेटियां पैदा की
हैं जबकि मेरी नंद की तो पूरी कोशिश थी कि
वह किसी तरह मेरा हंसता बसता हुआ परिवार
उजाड़ सके उन्होंने तो कई लड़कियां भी
मेरे पति को दिखाना शुरू कर दी थी मेरा
पति ही उन्हें डांट कर चुप करवा दिया करता
था कि वह दूसरी शादी नहीं करना चाहते वह
अपनी पत्नी और अपनी बेटियों के साथ बहुत
खुश हैं लेकिन मेरी नंद बहुत चालाक थी वह
कहां अपनी हरकतों से बाज आने वाली थी वह
हमेशा मेरे पति से घर जाकर यही कहती कि
मैं तुम्हें नहीं कहती थी कि तुम दूसरी
शादी कर लो कम से कम तुम्हें एक बेटा तो
मिल जाएगा अब यह ना जाने कैसी औरत ले आए
हो जो दो बेटियों के बाद भी तुम्हें एक
बेटा तक नहीं दे सकी अब मुझसे पूछो एक
बेटा और एक बेटी तुम्हारे जीजा जी को दी
है तब भी मेरे ससुराल वाले मुझसे खुश नहीं
रहते मैं जब भी अपनी बेटियों के लिए नए
कपड़े लेकर आती तो मेरी नंद उनको अपनी
बेटी के नाम पर उठाकर ले जाया करती थी
क्योंकि उन्हें यह हजम नहीं होता था कि
मेरी मेरी बेटियां नए कपड़े पहनती हैं और
उनकी बेटी पुराने क्योंकि मेरी नंद मेरे
पति की इकलौती बहन थी क्योंकि उनके
माता-पिता बचपन में ही मर गए थे खराब वक्त
और हालात ने मेरी नंद को चिड़चिड़ा बना
दिया था मुस्कुराना तो जैसे वह भूल ही गई
थी मेरी नंद के अंदर इस कदर जहर भर चुका
था कि अगर उसे कोई सांप भी काट ले तो उसके
बजाय सांप को ही अस्पताल भेजना पड़ जाए
अपने पति की बार-बार नौकरी छोड़ने की वजह
से मेरी नंद बहुत तंग आ चुकी थी लड़ाई
झगड़ा होने के बावजूद
अब वह अपने पति से बहुत ज्यादा नाराज हो
चुकी थी सारी उम्र उन्होंने नौकरी की थी
इसलिए हालात से बहुत तंग आ चुकी थी उसके
बाद अपना सारा सामान पैक करके अपने दोनों
बच्चों को लेकर वह हमारे घर में शिफ्ट
होना चाहती थी इसीलिए मेरी नंद काफी टाइम
से तैयारी में लगी हुई थी मेरे पति ने
अपनी बहन को रहने के लिए एक अलग से कमरा
दे दिया था जहां जरूरत का हर सामान मौजूद
था अब इंतजार था तो मेरी नंद के घर आने का
और फिर वह शुभ घड़ी भी आ गई जब मेरी नंद
अपना सारा बोरिया बिस्तर उठाकर मेरे घर
में आ गई थी मेरे पति ने मेरी नंद की
परेशानी को समझते हुए मुझे और मेरी
बेटियों को फिर से समझा दिया कि देखो तुम
लोग तो मेरी दीदी का बिहेवियर अच्छी तरह
से जानती हो इसलिए उनको यहां पर किसी चीज
की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए मेरे पति
ने मुझसे खास तौर पर कहा कि शिप्रा मेरी
बहन और उसके बच्चों का तुम्हें बहुत ख्याल
रखना होगा मुझे उनकी तरफ से किसी तरह की
कोई शिकायत सुनने को ना मिले मेरी बेटी ने
मुझे दे देखा और उसने अपनी मासूम सी शकल
को लटका लिया हम तीनों मां बेटी खामोशी से
अपने-अपने काम में लग गए थे मैं किचन में
आ गई और मेरी दोनों बेटियां खेलने के लिए
चली गई मेरी नंद और उसके बच्चों के घर में
आ जाने से कोई भी खुश नहीं था क्योंकि
मेरी नंद की आदत बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी
मेरी बेटियां भी उन्हें बुरा कहती थी मैं
बहुत सीधी सादी थी इसीलिए मेरा पति मुझसे
जैसा कहता मैं वैसा ही कर लिया करती थी और
अपनी बेटियों को भी समझा देती थी हर किसी
के चेहरे पर बस मेरी नंद के आ जाने से
जबरदस्ती की मुस्कुराहट थी कोई भी दिल से
खुश नहीं था मैं तो बस इस सोच में पड़ गई
थी कि पता नहीं अब मेरी नंद को मुझसे क्या
शिकायत होने वाली है मैं जानती थी कि मैं
अगर फूंक-फूंक कर कदम भी रखूंगी तो मेरी
नंद फिर भी मेरी गलती निकाल ही लेंगी मेरे
पति ने मुझे यही बताया कि उनके ससुराल
वाले उन्हें परेशान रखते हैं तभी तो वह
ऐसी हो गई हैं मेरी नंद ने घर आते ही
एक-एक चीज को ध्यान से देखा पहले ही मैं
बहुत सोच समझ कर चलती थी लेकिन अब मेरी
नंद के आ जाने से तो बहुत ज्यादा खर्चे
होने लगे थे पहले जो मैं पैसे जोड़ लिया
करती थी अब उनमें से कुछ भी नहीं बच पाता
था मेरे पति पर भी डबल जिम्मेदारी आ गई थी
वह किसी के बंगले में सिक्योरिटी गार्ड की
नौकरी करते थे अब तो बहन के आने पर
उन्होंने अपनी बहन को कुछ कहने के बजाय
अपनी नौकरी की टाइमिंग्स बढ़ा दी थी वह जो
टाइम हमारे साथ स्पेंड किया करते थे अब वह
अपना सारा टाइम नौकरी पर ही गुजार देते थे
मैं और मेरी बेटियां तो बहुत बहुत ही
परेशान थी लेकिन मेरे नंद को लगता था कि
मेरा पति नोट छाप रहा है वह नोट छापते हैं
तो हमारी अयाशी से जिंदगी गुजर रही है
मेरी बेटियां तो सरकारी स्कूल में पढ़ती
थी मेरी नंद ने मेरे कपड़ों पर कब्जा जमा
लिया था और तो और वह मेरी बेटियों के
कपड़े अपनी बेटी को पहना दिया करती थी
कहती थी कि मैं तो अपने बच्चों के कपड़े
ही नहीं बनाती हूं अगर मेरा पति मुझे पैसे
दे तब तो मैं कपड़े बनाऊं ना और बस अपने
भाई के सामने रोना शुरू कर देती थी मुझे
ने नंद का इस तरह से रोना झूठा ही लगता था
मेरी बेटी को भी यह सब कुछ बहुत बुरा लगता
था मेरी बेटी कहती थी कि मम्मी बुआ झूठे
आंसू बहा रही है लेकिन मैं अपनी बेटियों
को डांट दिया करती थी मैंने शुरू से ही
अपनी बेटियों को ट्यूशन पढ़ाया था क्योंकि
मैं खुद भी पढ़ी लिखी थी लेकिन अब सुबह
शाम काम करते-करते मैं बहुत ज्यादा बिजी
रहने लगी थी और मुझे अपनी बेटीयो को
पढ़ाने का बिल्कुल भी टाइम नहीं मिलता था
मेरी नंद मुझे एक मिनट को भी बैठने नहीं
देती थी कोई ना कोई काम बताती ही रहती थी
मेरा पति भी यह सब कुछ नोटिस कर रहा था वह
मुझे इशारे से सबर करने के लिए कह दिया
करता था फिर धीरे-धीरे मेरी ननन जो मेहमान
बनकर आई थी वह घर की मालकिन बन गई थी और
हमसे ज्यादा तो हमारे घर पर मेरी नंद का
राज रहने लगा था उसके बच्चों ने मेरी
बेटियों के कमरे पर कब्जा जमा लिया था और
मेरे पति थे कि उनसे कुछ कहते ही नहीं थे
मेरी नंद का पति भी बहुत चालाक था उसने भी
यह चाल अच्छे से समझ ली थी कि मुफ्त का
कैसे खाना है इसलिए जब भी वह मेरी नंद को
लेने के लिए घर आते तो किसी ना किसी बहाने
से लड़ाई करके वापस उन्हें हमारे घर पर ही
छोड़ जाते थे यहां तक कि मेरी नन ने तो
रोना धोना मचा दिया था कि मेरे बच्चों की
पढ़ाई लिखाई का खर्चा कौन उठाएगा मेरे पति
को अपनी बहन पर रहम आ गया और उन्होंने
हमारे बारे में कुछ भी सोचे बगैर कि उनके
खुद के बच्चे भी पहले से ही सरकारी स्कूल
में पढ रहे हैं फिर अपनी बहन के दो बच्चों
की भी जिम्मेदारी उठा ली मेरी नंद मेरी हर
चीज पर कब्जा जमा लिया करती थी मेरी हर
चीज मेरी कम और मेरी नंद की ज्यादा हो गई
थी इसी तरह से मेरे बच्चों की चीजें भी
उनसे छीन ली गई थी मैं अपने सामान को बहुत
संभाल कर रखती थी लेकिन मेरी नंद ने मेरा
हर सामान खराब कर दिया था मैं अगर इस बारे
में अपने पति से शिकायत करती तो वह मुझे
समझा दिया करते थे और अगर मेरी बेटियों के
भी खिलौने मेरी नंद के बच्चे तोड़ देते जब
मेरी बेटियां अपने पिता से इस चीज की
शिकायत करती तो मेरे पति अपने बच्चों को
भी समझा देते थे थे कि बेटा तुम्हारे सर
पर तो पिता का साया है उनके पिता तो कभी
उनका हालचाल भी नहीं लेता इसीलिए तुम लोग
मुझसे कोई सवाल जवाब मत किया करो मिरी नंद
की वजह से तो कई घर बर्बाद हो चुके थे
हमारे मोहल्ले की कई औरतें मिरी नंद की
चापल उसी की वजह से उनसे अपने दुख दर्द
बांटने के लिए आ जाती थी मिरी नंद की तो
पहले से ही झूठ बोलने की और बात को इधर से
उधर करने की आदत है इसलिए उन्होंने अपनी
इस आदत का खूब इस्तेमाल किया और ना जाने
कितने मोहल्ले की की औरतों के घर खराब कर
दिए अब वह हर टाइम मेरी बेटियों के पीछे
पड़ी रहती थी यही कहती थी कि अपनी मां का
हाथ बटा या करो लेकिन मैं तो अपनी बेटियों
से काम करवाना नहीं चाहती थी क्योंकि मेरी
बेटियों की उम्र पढ़ाई-लिखाई की और खेलकूद
की थी वह खुद को तो नहीं देखती थी कि जब
से हमारे घर आई थी एक काम को हाथ भी नहीं
लगाया था और ना ही अपनी बेटी को किसी काम
के लिए कहती थी बस हमेशा अपनी भाभी पर
हुकुम चलाती रहती थी मेरी बेटी को पढ़ने
लिखने के बजाय घर के काम की एडवाइस दिया
करती थी जबकि उनकी बेटी ने तो घर के किसी
काम को हाथ तक नहीं लगाया था मेरी नंद की
बेटी मेरी बेटियों से कहती कि मैं तो अपने
पापा के घर जाकर ही काम करूंगी यह तो मेरे
मामा का घर है और मैं यहां पर मेहमान बनकर
आई हूं कभी-कभी तो मेरी बेटी को भी गुस्सा
आ जाता था और वह कहती थी कि तुम मेहमान
नहीं हो मेहमान तो कभी-कभी का होता है
जबकि तुम लोगों को तो हमारे घर पर आए हुए
ढाई साल हो गए मेरी बेटी की इतनी सी बात
पर मेरी नंद ने बहुत ही हंगामा मचाया था
उनके दिल को तब तक सुकून नहीं मिला जब तक
उन्होंने मेरी बेटी को उनके पिता से डांट
नहीं पढवा दी मेरा पति अपने बच्चों के लिए
अगर कोई खाने की चीज लेकर आता तो मेरी नंद
ही सबसे पहले बढ़कर उसको ले लिया करती थी
और बड़ी चालाकी से अपना और अपनी बेटियों
का हिस्सा निकाल लिया करती थी कभी तो
हमारे लिए खाने की चीज बच जाती थी तो कभी
नहीं बचती थी मैं तो हमेशा खामोशी से चुपी
रहती थी और अपनी बेटियों को भी खामोश रहने
की सलाह देती थी थी क्योंकि मुझे पता चल
गया था कि कुछ कहने का भी कोई फायदा नहीं
है जबकि अगर कोई भी चीज है वह मेरा पति
मेरे और मेरी बेटियों के लिए लेकर आता है
जिस पर मेरी नंद अपना कब्जा जमा लेती है
दौलत के लालच ने मेरी नंद की आंखों पर
पट्टी बांध दी थी वह अपने बच्चों को यही
समझाती थी कि मामा से जितना बटोर चाहते हो
बटोर लो ऐसा नहीं था कि मेरी नंद का पति
उसे महीने के खर्च के पैसे नहीं भेजता था
लेकिन इन पैसों को मेरी नंद कहीं खर्च
नहीं करती थी बल्कि अपने बच्चों के लिए
बैंक में जमा करवा देती थी कहती थी कि यह
ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया जो पहले
वह यहां पर मेहमान बनकर आती रहती थी अब वह
मेरे घर को अपना समझने लगी थी कहती थी कि
यह मेरे पिता और भाई का घर है इसमें मेरा
हिस्सा भी तो है मैंने जिंदगी में कभी
हिस्सा नहीं मांगा अब मैं यहां रहने आ गई
हूं तो तुम लोगों को परेशानी हो रही है
जबकि इस घर में मेरा भी हिस्सा है और मैं
इस घर में अपने हिस्से में रह रही हूं
मेरा पति हमेशा उनकी बात पर अपना सर झुका
दिया करता था और उनकी हर बात में हां में
हां मिला देता था मिरी नंद के माता-पिता
जब बचपन में मर गए थे तो उन्होंने अपने
भाई का ख्याल रखा था और उसके लिए खाना और
घर की सारी जिम्मेदारी मेरे नंद के कंधों
पर ही आ गई थी जब मेरा पति बड़ा हुआ तो
मेरी नंद ने नौकरी करना छोड़ दी फिर मेरा
पति कमा कर लाता तो अपनी बहन के हाथ पर
पैसे रखता था वह महीने का खर्च चलाती थी
लेकिन फिर भी उन्हें मेरे पति से शिकायत
रहती थी जब वह 20 साल की हो गई तो मेरे
पति ने अपनी शादी से पहले उनकी शादी कर दी
और उसके कुछ महीनों बाद ही अपनी शादी भी
कर ली क्योंकि मेरे पति को परेशानी होने
लगी थी मरन की शादी हो गई तो उन्हें अपने
ससुराल में बहुत परेशानी आने लगी थी वह
बात-बात पर अपने भाई को ताना देती थी कि
मेरी शादी कहां करवा दी है क्योंकि गरीब
फैमिली में उनका गुजारा नहीं होता था वह
मेरे पति से कहती कि तुमने मेरे लिए अमीर
फैमिली क्यों नहीं ढूंढी अगर मेरे
माता-पिता जिंदा होते तो मेरा भला सोचते
और मेरी शादी कभी भी गरीब लोगों में नहीं
करवाते पहले भी सारी उम्र गरीबी ही देखी
है अब आगे भी गरीबी ही देखूंगी मेरे पति
उन्हें बहुत समझाते रहे और शादी से पहले
तो कई बार उनके ससुराल में उनको पैसे भी
देकर आए थे फिर मेरी नंद ने मुझे पसंद
करके मेरी शादी अपने भाई के साथ करवा दी
थी और फिर जब मैं अपने ससुराल में सुखी
रहने लगी तो उनको यह सब कुछ हजम नहीं हुआ
अब मेरा घर बिगाड़ने के लिए वो खुद यहां
पर परमानेंट शिफ्ट हो गई थी मेरी नंद के
बच्चे मेरे बच्चों के साथ सरकारी स्कूल
में पढ़ते थे लेकिन रोज वहां पर कोई ना
कोई चीज घुमाते थे मेरे नंद का बेटा तो हर
टाइम लड़कियों के पीछे पड़ा रहता था उसकी
बहुत सारी शिकायतें मेरे पति को मिलती थी
वह अपनी बहन को बहुत समझाते थे कि अपने
बेटे को समझाया करो इन सब चक्कर में ना
पड़े लेकिन वह उल्टा ही मेरे पति पर
गुस्सा करने लग जाती थी और उनसे कहती कि
हम तुम्हारे घर में रह रहे हैं इसलिए
तुम्हें इस बात से ऐतराज है टीचर भी हमेशा
मेरे बेटे के पीछे पड़ी रहती है मेरे
बच्चे ने तो कभी सरकारी स्कूल में पढ़ाई
नहीं की अब अपने मां के हालात देखते हुए
उन्होंने यहां एडमिशन ले लिया लेकिन यहां
तो हमेशा टीचर मेरे बच्चों पर झूठा इल्जाम
लगाकर हमेशा उनकी इंसल्ट करती रहती है
मेरी दोनों बेटियां बड़ी हो रही थी मैंने
अपनी बेटियों को बहुत अच्छे संस्कार दिए
थे अपनी बेटियों के जवान होते ही मैंने
उनका घर से निकलना बिल्कुल बंद कर दिया था
वह सिर्फ पढ़ाई करने के लिए ही घर से
निकलती थी मेरी नंद को यह बात बिल्कुल
अच्छी नहीं लगती थी कि उनकी बेटी में
बिल्कुल भी संस्कार नहीं है मेरे नंद का
लड़का अब अपनी रोज-रोज की शिकायतों से वो
तंग आ चुका था इस वजह से वह अपनी मां से
लड़ाई करके अपने पिता के पास रहने के लिए
चला गया था दरअसल मेरे पति उसकी हर चीज पर
नजर रखते थे उसे आवारा लड़कों के साथ
घूमने नहीं देते थे ना ही उसे आवारा गर्दी
करने देते थे वह अपने पिता के पास चला गया
था मेरी नंद यहां अपनी बेटी के साथ अकेली
रह गई थी वह अपने बेटे को बहुत याद करती
थी मेरा तो मन चाह रहा था कि वह भी अपने
बेटे के साथ चली जाएं मोहल्ले की औरतें भी
मुझे हिम्मत देती थी कि इतनी चालाक नंद के
साथ तुम्हारा गुजारा कैसे होता है यह तो
रोज नए फसाद पैदा करने वाली औरत है
तुम्हारा घर उसने कैसे बसने दिया हुआ है
तुम्हें तो यह खूब तंग करती होगी क्योंकि
मेरे नंद ने मोहल्ले में आते ही कई घर
बर्बाद कर दिए थे मेरा पति तो शुरू से ही
उनकी हां में हां मिलाता आया था और उस
हिसाब से मुझे भी अपनी नंद की जी हुजूरी
करनी पड़ती थी वक्त गुजरने लगा था लेकिन
मेरी नंद अभी तक यहां से जाने का नाम नहीं
ले रही थी मेरी बेटियों ने इंटर कर लिया
था मेरी नंद का कहना था कि अपनी बेटियों
को आगे पढ़ाकर क्या करोगी जबकि मैं अपनी
बेटियों को पढ़ा लिखाकर कामयाब बनाना
चाहती थी क्योंकि मैं तो गरीब होने की वजह
से ज्यादा पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी
कोई नौकरी नहीं कर सकी थी क्योंकि मेरे
पेरेंट्स ने जल्दी ही मेरी शादी कर दी थी
लेकिन मैं अपनी बेटियों को बहुत पढ़ाना
चाहती थी और चाहती थी कि मेरी बेटियां
अपने पैरों पर खड़ी हो और नौकरी करें और
मेरी बेटियों को पढ़ने का शौक भी था जबकि
मेरे नंद की बेटी को तो पढ़ने का बिल्कुल
भी शौक नहीं था अभी तक वह एथ क्लास में ही
पढ़ी हुई थी क्योंकि इससे पहले कई बार वह
फेल हो चुकी थी मेरी नंद को लगता है कि
पढ़ी लिखी लड़कियों की जुबान लंबी होती है
और उनसे कोई आसानी से शादी नहीं करना
चाहता मेरी दोनों बेटियां मेरे नंद की
बेटी से हर बात में बहुत अच्छी थी मेरी
छोटी बेटी बहुत खूबसूरत थी उसके खूबसूरती
अगर अगर कोई देखता तो दंग रह जाता था
क्योंकि वह पूरी की पूरी मुझ पर गई थी मैं
भी इतनी ही खूबसूरत थी और मेरी बड़ी बेटी
अपने पिता पर गई थी जबकि वह भी अच्छी थी
जबकि मेरी नंद की बेटी सांवली रंगत की और
मोटी सी थी जिसकी वजह से मेरी नंद मेरी
दोनों बेटियों से बहुत जलती थी वक्त
गुजरने लगा और मेरी नंद कहती थी कि मेरा
बेटा अब कमाने लगा है देखना अब वह मुझे
पैसे दिया करेगा यह बात सही थी कि मेरी
नंद का बेटा बहुत पैसे कमा ने लगा था
लेकिन वह पैसे कैसे कमाता था और कहां
उड़ाता था इस बारे में हम लोगों को तो कुछ
भी नहीं पता था मेरे पति ने कई बार मेरी
नंद से इस बारे में पूछने की कोशिश भी की
पर मेरी नंद ने उन्हें कुछ नहीं बताया हम
लोगों ने यह सुना था कि मिरी नंद का बेटा
कहीं से बहुत सारे पैसे कमा कर लाता है वह
कोई मेहनत मजदूरी भी नहीं करता लेकिन पता
नहीं क्यों उसके पास पैसे कहां से आते हैं
वह कभी-कभी अपनी मां से हमारे घर मिलने के
लिए आता तो अपनी मां को को भी पैसे दिया
करता था मेरी नंद अपने बेटे से पैसे लेकर
बहुत ज्यादा खुश होती थी और अपने बेटे की
बहुत तारीफ करती थी उनका कहना था कि जल्द
ही मैं लोगों के सर से बोझ बनकर उतर
जाऊंगी क्योंकि मेरा बेटा अपने पैरों पर
खड़ा हो गया मुझे तो यह बात हजम नहीं होती
थी कि मेरी नंद का बेटा इतने सारे पैसे
आखिर लाता कहां से है मेरे पति ने इस बात
की छानबीन निकालने की कई बार कोशिश की
लेकिन उन्हें कुछ नहीं पता चल सका
उन्होंने कई बार अपनी बहन से भी इस बारे
में शिकायत की कि तुम्हें अपने बेटे से
पूछना चाहिए कि वह इतने बहुत सारे पैसे
बिना मेहनत किए कहां से ला रहा है मेरी
नंद को इस बात पर गुस्सा आ गया और
उन्होंने मेरे पति से कहा कि तुम मेरे
बेटे पर इल्जाम लगा रहे हो तुम्हारे इसी
इल्जाम की वजह से तो वह एक दिन इस घर को
छोड़कर चला गया था अब वह जब अपने पैरों पर
खड़ा हो गया तब भी तुम लोगों को मेरा बेटा
बुरा लगता है मेरा बेटा एक दुकान पर नौकरी
करता है वहां पर उसकी बहुत ज्यादा मेहनत
देखकर कर उसे उसी के हिसाब से पैसे दिए
जाते हैं लेकिन तुम लोगों का तो मन ही
नहीं भरता मेरे बेटे की शिकायत किए बगैर
ही हम लोग कुछ भी समझ नहीं पा रहे थे
लेकिन अचानक ही कुछ ऐसा हुआ जिसकी हमें
उम्मीद नहीं थी लेकिन कुछ दिनों बाद ही
मेरी नंद का बिहेवियर हम लोगों के साथ
धीरे-धीरे अच्छा हो गया यहां तक कि वह
मेरी बेटियों को भी बहुत पसंद करने लगी और
प्यार करने लगी मुझे तो यह बात हजम नहीं
हो रही थी क्योंकि जिस औरत की आदत इतने
सालों से एक ही घर में रहते हुए अपनी भतीज
यों के लिए ठीक नहीं हुई अब अचानक एकदम से
कैसे ठीक हो गई थी लेकिन मैंने नोटिस किया
था कि इन दिनों मेरी नंद का बेटा हमारे घर
पर बहुत आ रहा था और मेरी नंद से
चुपके-चुपके ना जाने क्या बात किया करता
था अगर मेरी बेटियां या मैं उनके आसपास से
भी गुजरती तो वह खामोश हो जाते थे और
हमारे सामने किसी भी तरह की कोई बात नहीं
करते थे फिलहाल हमने इस बात को इग्नोर
किया मैंने गौर किया था कि मिरी नंद मेरी
छोटी बेटी से बहुत प्यार से बात करती थी
और हमेशा उसे अपनी बेटी बेटी कहकर पुकारती
थी मेरी नंद की बेटी का बिहेवियर भी मेरी
बेटियों के साथ बहुत अच्छा हो गया था दिन
इसी तरह से अच्छे से गुजर रहे थे मेरे पति
को जब यह बात पता चली कि उनकी बहन का
बिहेवियर अब हमारे साथ बहुत अच्छा हो गया
है वह कभी हमें किसी बात पर ताने नहीं
देती और ना ही मेरी बेटियों पर रोक-टोक
करती है वोह अब अच्छी हो गई है मेरे पति
कहने लगे कि मैं तो जानता ही था कि एक ना
एक दिन मेरी बहन मेरी बेटियों को भी अपनी
बेटी ही समझेगी वह जबान की बुरी है लेकिन
दिल की बुरी नहीं है मेरी बहन बहुत अच्छी
है अब मेरी नंद इन दिनों हम लोगों के साथ
बहुत अच्छी रह रही थी लेकिन एक दिन मेरी
नंद ने कहा कि मैं तुम्हारी छोटी बेटी को
अपने साथ बाजार लेकर जाना चाहती हूं
उन्होंने बड़े प्यार से कहा तो मैंने भी
परमिशन दे दी मेरी नंद की बेटी की तबीयत
ठीक नहीं थी इसीलिए मेरी नंद मेरी बेटी को
बाजार ले गई क्योंकि मेरी बेटी भी अब उनके
साथ काफी घुलमिल गई थी इसलिए उनके हर काम
को प्यार से कर दिया करती थी मुझे इसमें
कोई शिकायत नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेटी
को अपनी नंद के साथ मार्केट जाने के लिए
भेज दिया था मेरी नंद को मार्केट से कुछ
काम था इसीलिए वह मेरी बेटी को लेकर चली
गई थी मेरी बड़ी बेटी अपने कमरे में बैठी
हुई पढ़ाई कर रही थी लेकिन छोटी बेटी जा
चुकी थी मेरी नंद ने कहा था कि मुझे सिर्फ
दो घंटे का काम है मार्केट से लेकिन मेरी
नंद को तो मार्केट गए हुए दो से तीन घंटे
हो गए थे पर वो अभी तक नहीं आई थी हद यह
हो गई कि रात के 8 बज गए लेकिन मेरी नंद
अभी तक नहीं आई थी मैं उनका बेसब्र से
इंतजार कर रही थी और मुझे अपनी नन से
ज्यादा अपनी बेटी की फिक्र हो रही थी
क्योंकि मैंने कभी भी अपनी बेटियों को
ज्यादा घर से बाहर नहीं जाने दिया था वह
मेरे साथ ही जाया करती थी रात के 9:00 बजे
जब मेरे पति खाना खाने के लिए घर आए मैंने
अपने पति को यह बात बताई तो वह भी बहुत
परेशान हो गए थे मेरे पति कहने लगे कि जब
एक दो घंटे के काम को कह कर गई है तो फिर
कुछ ज्यादा ही टाइम हो गया अभी तक तो
उन्हें घर लौट आना चाहिए था अब तो रात भी
काफी हो गई मेरे पति ने उनका नंबर भी
ट्राई किया लेकिन उनका नंबर तो लग ही नहीं
रहा था फिर इंतजार करते-करते मेरे पति
मेरी नंद के ससुराल चले गए कि कहीं मेरी
नंद मेरी बेटी को लेकर वहां तो नहीं चली
गई लेकिन वहां पता चला कि मेरी नंद तो
वहां गई ही नहीं है यहां तक कि मेरे पति
ने मार्केट भी देख लिया था अब मेरे पति को
मेरी नंद और मेरी बेटी कहीं नजर नहीं आई
थी मेरे पति घर वापस आ गए थे हम लोग बहुत
ज्यादा परेशान हो रहे थे मेरा दिल अपनी
बेटी के लिए सबसे ज्यादा परेशान था जबकि
मेरी नंद की बेटी को अपनी मां की कोई
फिक्र नहीं थी वह तो बड़ी बेफिक्र से अपने
कमरे में सोई हुई थी जब रात के 6:30 10 बज
गए तो अचानक हमारे घर के दरवाजे पर दस्तक
हुई मेरी जान में जान आ गई थी जल्दी से
मैं दरवाजा खोलने के लिए भागी तो यह देखकर
मेरे होश उड़ गए थे कि मेरी नंद घर पर
अकेली ही आई थी और उनकी हालत बहुत बहुत
बुरी हो रही थी वह बुरी तरह से रो रही थी
मैं उनसे रोने की वजह पूछ रही थी और वह
कुछ बता ही नहीं रही थी बस रोए चली जा रही
थी मैं अपनी नंद को देखकर परेशान हो गई और
फिर उनसे ही सवाल कर बैठी कि मेरी बेटी
कहां है उसके बारे में तो मुझे कुछ बताओ
मेरा दिल बहुत परेशान हो रहा है फिर
उन्होंने मुझे गले से लगाया और खूब रोने
लगी और कहने लगी तुम्हारी बेटी ना जाने
कहां चली गई मैं जब उसे मार्केट लेकर गई
और मैं सामान खरीद रही थी तो तुम्हारी
बेटी पीछे ही पीछे गायब हो गई मुझे तो
अच्छे से याद है वह मेरे पीछे ही खड़ी हुई
थी मैंने उसको सारे बाजार में ढूंढ लिया
लेकिन उसका कहीं भी कुछ पता नहीं लगा मुझे
तो लगता है कि तुम्हारी बेटी अपने किसी
आशिक के साथ चली गई लेकिन मैं ऐसी बात
खुलकर नहीं कह सकती क्योंकि तुम लोग तो
मुझ पर ही इल्जाम लगा दोगे कि मैं
तुम्हारी बेटी को छोड़कर आई हूं क्या पता
तुम्हारी बेटी ही मौका ढूंढ रही हो कि कब
वह घर से बाहर निकले और उसको भागने का
मौका मिल जाए मुझे अपनी बेटी के बारे में
य बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था मैंने
फौरन ही अपने नंद के मुंह पर थप्पड़ दे
मारा और कहा कि मेरी बेटी ऐसी बिल्कुल भी
नहीं है मुझे बताओ कि मेरी बेटी कहां है
मैं जोर-जोर से रो रही थी मेरे पति ने भी
अपनी बहन से सवाल किया कि तुम मेरी बेटी
के बारे में ऐसा कैसे कह सकती हो बताओ वह
कहां पर है और किस जगह पर वह गायब हुई थी
मेरी नंद ने मेरे पति को सब कुछ बता दिया
कि वह किस जगह से गायब हुई थी मेरे पति
अपने कुछ दोस्तों को लेकर उस जगह पर चले
गए मेरी बेटी को बहुत ा लेकिन मेरी बेटी
कहीं भी नहीं मिल रही थी मेरा तो अपनी
बेटी के लिए रो-रोकर बुरा हाल हो गया था
जबकि मेरी नंद की आंखों में भी आंसू थे
लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी मेरी बेटी
कहीं नहीं मिल रही थी मेरे पति ने फिर हार
कर मेरी बेटी की गुमशुदा होने की रिपोर्ट
पुलिस में लिखवा दी थी रात काफी हो गई थी
हम लोग जागते जागते अपनी बेटी का इंतजार
भी कर रहे थे और दरवाजे पर ही बैठे
रो-रोकर मेरा बुरा हाल हो गया था मेरी
बड़ी बेटी भी मुझसे लिपट कर रो रही थी और
अपनी छोटी बहन को याद कर रही थी मेरे कुछ
समझ नहीं आ रहा था कि अचानक हमारे ऊपर यह
इतना बड़ा परेशानी का पहाड़ कैसे टूट पड़ा
मेरे पति भी सुबह के टाइम पर ही घर आए थे
उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरी बेटी का
फोटो मोबाइल से पुलिस वालों को दे दिया और
कहा है कि उसे ढूंढने की तलाश शुरू करें
लेकिन ना जाने क्यों यह बात सुनकर मेरे
नंद के होश उड़ गए थे और वो मुझसे कहने
लगी कि तुम्हें पुलिस में रिपोर्ट लिखवाने
की क्या जरूरत थी एक बार मुझसे भी तो पूछ
सकते थे अपनी नंद की यह बात सुनकर तो मेरे
पति हैरान रह गए थे और उन्होंने कहा था कि
सारी रात मुझे उसको ढूंढते हुए हो गई अब
वह कहीं नहीं मिल रही तो हार कर मुझे
पुलिस के पास ही जाना पड़ा था इसी तरह से
दिन निकल आया था लेकिन मेरी बेटी अभी तक
घर नहीं आई थी सुबह के 11:00 बज चुके थे
जब अचानक पुलिस की मेरे पति के पास कॉल आई
मेरे पति तभी पुलिस स्टेशन चले गए मैं
अपने पति के साथ पुलिस स्टेशन जाना चाहती
थी लेकिन उन्होंने मुझे जाने से रोक दिया
ले लेकिन मैंने देखा कि मेरी नंद बहुत
ज्यादा परेशान है मुझे लगा कि शायद वह इस
बात पर शर्मिंदा हो रही है कि उनकी वजह से
मेरे पति और मैं उनसे बात नहीं कर रहे
मेरे पति को पुलिस स्टेशन गए हुए दो घंटे
हो गए थे लेकिन हैरानी की बात यह थी कि जब
मेरे पति दो घंटे बाद घर आए तो मेरी बेटी
उनके साथ थी हम लोग बहुत खुश हुए थे मैंने
भगवान का शुक्र अदा किया मेरी बेटी घर आते
ही मेरे गले से लग गई और फूट-फूट कर रोने
लगी मैं अपनी बेटी को बड़ी गौर से देख रही
थी मेरी बेटी की बहुत बुरी हालत हो रही थी
मेरी नंद भी अपने कमरे से बाहर निकल कर आई
वह मेरी बेटी से मिलने के लिए उसके करीबी
आ रही थी कि तभी अचानक मेरे पति ने आगे
बढ़कर उन्हें हाथ से पीछे किया और कहने
लगे कि खबरदार अगर मेरी बेटी को छूने की
कोशिश भी की तो मैं यह सब देखकर हैरान हो
गई थी कि आज मेरे पति ने अपनी बहन के साथ
यह क्या किया मेरी नंद कुछ कहने ही वाली
थी कि तभी अचानक मेरे पति ने उनके मुंह पर
जोरदार थप्पड़ दे मारा और कहा था कि तुझे
शर्म नहीं आई यह हरकतें करते हुए मेरी तो
कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब कुछ क्या
हो रहा है मैंने अपनी बेटी से पूछा कि तुम
ठीक हो तुम कहां चली गई थी मेरी बेटी ने
मुझे रोते हुए बताया मम्मी बुआ अच्छी नहीं
है बुआ मुझे मार्केट ले जाने के बहाने एक
आदमी के पास ले गई थी जिसने बुआ को बहुत
सारे पैसे दिए और मुझे जबरदस्ती अपने साथ
गाड़ी में बिठाकर ले गया था वह मुझे एक
ऐसी जगह पर ले गया था जहां गुंडे टाइप के
आदमी थे जिनसे मुझे बहुत डर लग रहा था यह
कहकर मेरी बेटी फूट-फूट कर रोने लगी यह
बात सुनकर तो मुझे अपने कानों पर विश्वास
नहीं हो रहा था जब कि मेरी नंद अपने गाल
पर हाथ रखकर शर्मिंदा सी खड़ी हुई थी मेरे
पति ने कहा कि हमारी बेटी ठीक कह रही है
इस औरत ने मेरी बेटी के साथ बहुत बुरा
सुलूक किया जबकि मैंने इसे रहने के लिए
अपने घर में जगह दी इसके साथ क्या कुछ
नहीं किया हमेशा इसके बच्चों को अपना समझा
मैंने इसके साथ अभी भी रिश्ता निभाया मैं
चाहता तो इसको और उसके बेटे को पुलिस के
हवाले कर सकता था लेकिन मैंने पुलिस को
कुछ नहीं बताया यही बताया था कि मेरी बेटी
रास्ते से ही गायब हो गई थी वह तो अच्छा
हुआ कि जल्दी ही यह सच्चाई हम लोगों के
सामने खुलकर आ गई क्योंकि पुलिस ने मेरी
बेटी को सब जगह तलाश कर लिया था हमारी
बेटी कहीं नहीं मिल रही थी पुलिस का शक
कोठे पर गया उन्होंने जब कोठे पर छापा
मारा तो वहां पर काफी सारी ऐसी लड़कियां
मिली थी जो गुमशुदा हो गई थी और जिनकी
रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में पहले से ही दर्ज
थी ये तो भगवान का शुक्र है कि हमारी बेटी
को कुछ नहीं हुआ वह सही सलामत घर वापस आ
गई है जबकि मेरी बेटी की वजह से काफी सारी
ऐसी लड़कियां जो कोठे पर थी वह सब मिल गई
क्योंकि पुलिस को काफी दिनों से कोठे के
लोगों पर शक था और शहर से बहुत ज्यादा
लड़कियां गायब हो रही थी इसलिए उसने वहीं
पर छापा मारा जहां हमारी बेटी भी बरामद
हुई और हमारी बेटी के साथ-साथ काफी सारी
लड़कियां भी जिनको बहाने बहाने से कोठे पर
बेचा गया था मेरे पति ने अपनी बहन और उसकी
बेटी को धक्के मारकर हमारे घर से बाहर
निकाल दिया मेरी नंद बहुत ज्यादा शर्मिंदा
हो रही थी मेरे पति चाहते तो मेरी नंद को
पुलिस के हवाले भी कर सकते थे और साथ ही
साथ उसके बेटे को भी लेकिन उन्होंने ऐसा
कुछ भी नहीं किया क्योंकि इसमें भी तो
उनके घर की ही इज्जत खराब होती उनका कहना
था कि इसे मैं सजा नहीं दूंगा इसे तो
भगवान ही समझेगा मेरे पति ने अभी भी सबर
किया था उन्होंने अपनी बहन को घर से बाहर
निकालकर दरवाजा बंद कर दिया मेरी नंद काफी
देर तक दरवाजा पीटती रही और रोती रही मेरी
नंद बुरी तरह से रो रही थी उन्होंने कहा
कि मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई आज के
बाद मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगी लेकिन अब
हमारी बर्दाश्त से बाहर हो चुका था अब हम
उन्हें अपने घर में और नहीं रख सकते थे
क्योंकि उन्होंने हम लोगों के साथ बहुत
बड़ा धोखा किया था मेरे पति का अपनी बहन
से विश्वास उठ चुका था मेरी नंद रोती धोती
अपनी ससुराल चली गई थी कुछ दिनों बाद पता
चला कि मेरी नंद के बेटे को पुलिस ने
अरेस्ट कर लिया हमने ने उन लोगों के खिलाफ
रिपोर्ट नहीं लिखवाई तो क्या हुआ पुलिस ने
किसी और आरोप में मेरे नंद के बेटे को
पकड़ लिया और उसे जेल भेज दिया यहां तक कि
पुलिस को उसके घर वालों पर भी शक हुआ था
पुलिस ने उन सब लोगों को हिरासत में ले
लिया मिरी नंद के पूरे ससुराल वाले जेल
में बंद है और वह खुद भी हम लोगों ने उनसे
वास्ता खत्म कर दिया आज मेरी बेटी सही
सलामत घर वापस आ गई थी मेरी बेटी को बहुत
ज्यादा डर लगता अब वह घर से बाहर निकलने
में बहुत डरती है मैंने अपनी बड़ी बेटी का
रिश्ता तय कर दिया और जल्द ही उसकी शादी
करने वाली हूं मैंने सोचा है कि बड़ी बेटी
की शादी के बाद जल्दी ही अपनी छोटी बेटी
का भी रिश्ता तय कर दूंगी और उसकी भी शादी
कर दूंगी ताकि उसके दिल से डर बिल्कुल
खत्म हो जाए मैं अपनी बेटियों के सपने
पूरे करना चाहती थी लेकिन अब लोगों पर
भरोसा नहीं कर सकती थी मुझे डर था कि कहीं
फिर से ऐसा कुछ ना हो जाए जो एक बार हो
चुका है इसीलिए मैंने अपनी बेटियों की
शादी करना ही बेहतर समझा मेरे नंद को तो
भगवान ने उसके किए की सजा दे दी थी मेरे
नंद ने बहुत कोशिश की कि मेरा पति उसे माफ
कर दे और उसे जेल से रिहा करवा दे क्योंकि
उन लोगों का साथ देने वाला कोई नहीं था
उसके बेटे की वजह से उनका पूरा परिवार फंस
चुका था मेरी नंद ने भी तो अपने बेटे की
गैर कानूनी कमाई बहुत ज्यादा खाई थी और
कभी उसके गलत काम पर रोक नहीं लगाई थी
मेरी नंद तो पहले ही प्लान बना चुकी थी और
उसने मेरी बेटी को पैसों के लालच में बेच
दिया था उसने मेरी बेटी को बेचकर पैसे तो
ले लिए थे लेकिन शायद यह पैसे उसे रास
नहीं आए थे मैं अपने परिवार के साथ आज
बहुत खुश हूं और मेरी बहुत अच्छी जिंदगी
गुजर रही है हमारी जिंदगी में अब सब कुछ
ठीक है दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको
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