अमीर गरीब की ब्राइडल पेंटी ब्रा _ Bridal Panty bra _ Hindi Kahani _ Moral Stories _ Hindi kahani_transcript
बचपन से राधा को फूलों से खेलने का बहुत
शौक था उसके घर के आंगन में बहुत सारे
फूलों के पेड़ थे वह उन्हीं पेड़ों से फूल
तोड़कर खेलती रहती थी कभी वह फूलों से
माला बनाती थी तो कभी फूलों से ड्रेस
बनाकर पहन लेती थी अरे देखो हमारी बेटी को
फूल से कैसे ड्रेस बना रही है बहुत अकलमंद
है हमारी बेटी देखना हमारी बेटी ही हमारी
गरीबी दूर करेगी लेकिन वो दिन देखने के
लिए राधा के माता-पिता जि नहीं रहे वो
दोनों गरीब थे और लेबर का काम करते थे
लेकिन एक दिन रास्ता बनाने का काम करते
हुए उनके ऊपर से च और उन दोनों की मृत्यु
हो गई राधा नाथ हो गई मां बापू कहां चले
गए आप मां
बापू राधा ने रोते हुए अपने माता-पिता का
अंतिम संस्कार किया लेकिन वह अभी भी छोटी
थी वह सिर्फ 5 साल की थी गांव वालों ने
उसे उसके चाचा के हाथ में सौंप दिया उसका
चाचा अमीर तो था लेकिन दिल का अच्छा नहीं
था उसकी चाची अनीता ने कहा लो यह कहां से
आकर हमारे सर पर बैठ गई अब इसका पेट भी
पालना पड़ेगा उसके चाचा रतन ने कहा अरे
ऐसे क्यों सोच रही हो अनीता सोचो कि घर
में एक मुफ्त की नौकरानी आई है काम करवाओ
इससे अनीता राधा से घर का सारा काम करवाने
लगी रतन और अनीता की एक बेटी थी उसका नाम
पूर्णिमा था और पूर्णिमा राधा की उम्र की
ही थी पूर्णिमा स्कूल जाती थी और राधा
बेचारी घर का काम करती थी ऐसे ही समय
बीतता रहा और दोनों बड़ी होने लगी दोनों
जब 18 साल के हो गए तब एक दिन पूर्णिमा ने
राधा से कहा राधा मुझे शॉपिंग पर जाना है
यहां नया शॉपिंग मॉल खुला है तो मेरे साथ
चल मेरे बैग उठा लेना ठीक है पूर्णिमा
राधा पूर्णिमा के साथ चली गई शॉपिंग मॉल
देखकर तो पहले राधा के होश उड़ गए
पूर्णिमा राधा को लेडीज गारमेंट्स की
दुकान में ले गई वहां 100 तरह के ब्रा
पैंटी बिक रहे थे अरे वाह कितने सारे ब्रा
पैंटी बिक रहे हैं तू कौन सा लेगी
पूर्णिमा सबसे मैं महंगी वाली मुझे भी एक
दिला देना चाची ने दो साल पहले एक खरीद के
दी थी व भी बर्बाद हो चुकी है हां तो तुझे
ब्रा पेंटी पहनने की क्या जरूरत है तू तो
घर पे ही रहती है और काम करती रहती है
मुझे कॉलेज जाना होता है मुझे इसकी जरूरत
है तू तो घर की नौकरानी है
नौकरानी राधा को बहुत बुरा लगा वो गरीब है
तो क्या उसे ब्रा पैंटी पहनने का हक नहीं
है वो अभी भी फूलों से खेलना पसंद करती थी
लेकिन उसे ज्यादा समय नहीं मिलता था सारा
समय घर के कामकाज में ही लग जाता था
शॉपिंग मॉल से लौटकर सब के लिए खाना बनाने
के बाद राधा ने पेड़ों से फूल तोड़ा और
उससे एक ब्रा बना ली अरे वाह यह तो दिखने
में बहुत सुंदर लग रही है बहुत बढ़िया
लेकिन अभी तक राधा को नहीं पता था कि यह
फूलों की ब्रा उस की जिंदगी बदल देगी उधर
पूर्णिमा एक फैशन डिजाइनिंग कॉलेज में
भर्ती हो गई उसे फैशन में ज्यादा कुछ
दिलचस्पी नहीं थी लेकिन पैसों के दम पर वह
कॉलेज में भर्ती हो गई वहां उसके साथ एक
बहुत अमीर लड़का पड़ता था उसका नाम रौनक
था रौनक के पिता की एक फैशन डिजाइनिंग
कंपनी थी और उसी वजह से वो बहुत अमीर भी
था पूर्णिमा ने सोचा यह रौनक कितना अमीर
है मुझे इसी से शादी करनी है फिर तो पूरी
जिंदगी रानी की तरह रहूंगी उस दिन से
पूर्णिमा रौनक को इंप्रेस करने के चक्कर
में लगी रही लेकिन रौनक को पूर्णिमा उतनी
अच्छी नहीं लगती थी एक दिन पूर्णिमा ने
रौनक को प्रपोज कर दिया रौनक मैं तुझसे
बहुत प्यार करती हूं तुझसे शादी करना
चाहती हूं पूर्णिमा तू मेरी दोस्त है मैं
तुझे उस नजर से नहीं देखता तू यह सब मत
बोला कर मुझे अच्छा नहीं लगता है लेकिन
पूर्णिमा ने हार नहीं मानी वो रौनक को
इंप्रेस करने के लिए तरह-तरह के नुस्खे
अपनाने लगी उसका पूरा ध्यान वहीं पर था और
इधर उसकी पढ़ाई राधा कर रही थी राधा
पूर्णिमा के कॉलेज के प्रोजेक्ट कर देती
थी उससे राधा को भी काफी कुछ पता चलने लगा
अच्छा तो ऐसे बनाए जाते हैं फैशन वाले
कपड़े काश मैं भी कॉलेज में पढ़ पाती
लेकिन राधा का नसीब इतना अच्छा कहां था वह
हर सुबह सबसे पहले उठती थी और फूल तोड़कर
अपने लिए फूलों की ब्रा पेंटी बनाती थी और
उसे पहन लेती थी क्योंकि उसे कोई ब्रा
पेंटी खरीद कर नहीं देता था अगले दिन फूल
सड़ जाते तो राधा नए फूल तोड़कर उससे ब्रा
पेंटी बनाती थी ऐसे ही समय बीतने लगा
कॉलेज के तीन साल खत्म होने को थे लेकिन
पूर्णिमा अभी तक रौनक को अपने प्यार के
जाल में फंसा नहीं पाई थी और यह बात उसे
बहुत परेशान कर रही थी उसे परेशान देखकर
उसकी मां ने उससे कहा बेटी तू एक दिन रौनक
को घर बुला मैं उससे बात करती हूं उसे ऐसा
खाना बनाकर खिलाऊंगी कि वह तेरे लिए पागल
हो जाएगा हां हां मां आपने सही कहा
पूर्णिमा ने रोनक को अपने घर पर इनवाइट
किया रौनक आया अनीता ने राधा से ही खाना
बनवाया खाना खाकर रौनक बहुत तारीफ करने
लगा अरे वाह जिसने भी यह खाना बनाया है
उसके हाथों में तो जादू है अरे यह तो मेरी
बेटी पूर्णिमा ने ही बनाया है अच्छा ऐसा
क्या लेकिन वह तो बोल रही थी कि उसे खाना
बनाना नहीं आता वो असल में बात यह है कि
तभी राधा आ गई और राधा को देखकर रौनक विदा
हो गया पूर्णिमा यह कौन है यह यह है तो
मेरे चाचा की लड़की लेकिन इसे इस घर की
नौक नी कह सकते हो रौनक ने कुछ कहा नहीं
लेकिन उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी उसे
कुछ महसूस हो रहा था वो घर चला गया उसके
पिता ने उससे कहा रौनक अभी तू बड़ा हो गया
है कॉलेज भी खत्म होने को है अब कुछ
जिम्मेदारियां लेना सीख क्या
जिम्मेदारियां लू पापा बोलिए मेरी कंपनी
सालों से ब्रा पेंटी बनाती आ रही है लेकिन
आज तक इसमें कभी घाटा नहीं देखा लेकिन इस
साल पता नहीं क्या हो गया ब्रा पेंटी बख
ही नहीं रहे हैं जमाना बदल गया है पापा
फास्ट फैशन का जमा ना है हमें कुछ नई
डिजाइन ढूंढनी होगी रौनक नई डिजाइन के खोज
में लग गया कुछ दिनों बाद कॉलेज का आखिरी
एग्जाम था और उसके लिए एक प्रोजेक्ट जमा
करना था लेकिन रौनक का प्रोजेक्ट पूर्णिमा
ने कॉपी करने के लिए लाया था एग्जाम के
दिन सुबह रौनक अपना प्रोजेक्ट लेने के लिए
पूर्णिमा के घर चला गया और उसने देखा राधा
बाहर बैठकर फूलों से कुछ बना रही है वह
चुपचाप देखता रहा और अंत में उसने देखा कि
राधा ने फूलों से ब्रा पेंटी बनाई राधा
तुम जीनियस हो लेकिन राधा शर्मा गई रौनक
नि कहा राधा तुम्हारी फूलों वाली ब्रा
पेंटी कमाल की है तुम मुझे आईडिया बेचना
पसंद करोगी उसके बदले मैं तुम्हें बहुत
पैसे दूंगा राधा मान गई रौनक ने अपनी
कंपनी में फूलों वाली ब्रा पेंटी बनाई और
वह हिट हो गई शॉपिंग मॉल में भी फूलों
वाली ब्रा पैंटी बिकने लगी राधा को यकीन
ही नहीं हुआ राधा तुम्हें फैशन के बारे
में काफी कुछ पता है तुम्हारा आईडिया हिट
है मेरे पास और भी बहुत सारे आईडिया है तो
फिर तुम हमारी कंपनी में नौकरी ले लो
अच्छा खासा पैसा मिलेगा राधा ने नौकरी कर
ली और उसे बहुत सारे पैसे मिलने लगे रौनक
और राधा के बीच प्यार हो गया और एक साल के
अंदर दोनों ने शादी कर ली पूर्णिमा यह
देखकर अंदर से जलकर राख हो गई और फ्लर
ब्रा पेंटी की वजह से आज राधा को सब कुछ
मिल गया वह खुशी-खुशी जिंदगी बिताने
लगी यह ले बेटी एक गिलास दूध पी ले नहीं
मां मैं दूध नहीं पिऊंगी क्यों बेटी दूध
पीना तो अच्छी बात है नहीं मुझे दूध अच्छा
नहीं
लगता गीता बचपन में दूध नहीं पीना चाहती
थी उसे दूध पीना अच्छा नहीं लगता था उसकी
मां ने उसे दूध पिलाने की बहुत कोशिश की
लेकिन हर एक कोशिश नाकामयाब रही गीता को
कुत्ते बहुत पसंद थे उसके घर के बाहर
हमेशा चार-पांच कुत्ते बैठे रहते थे गीता
हर रोज दिन में चार वक्त उन कुत्तों को
खाना खिलाती थी आजा आजा आजा खाना खा ले
आजा गीता को कुत्तों से बड़ा लगाव था ऐसे
एक दिन बारिश के मौसम में गीता के घर पर
कोई नहीं था गीता अकेली थी बाहर जोरदार
बारिश हो रही थी तभी गीता ने देखा उसके घर
के बाहर एक बिया अपने छोटे-छोटे बच्चों को
लेकर खड़ी है और बारिश में भीग रही है यह
देखकर गीता को बुरा लगा उसने कुत्तों को
घर के अंदर बुलाया आज जा अपने बच्चों को
लेकर घर के अंदर आजा आजा आजा गीता ने घर
का दरवाजा खोल दिया और वो कुतिया अपने
बच्चों को लेकर घर के अंदर घुस आई और
घुसते ही सारे बच्चे कुतिया का दूध पीने
लगे कुतिया खड़ी हुई थी और उसके बच्चे
उससे दूध पी रहे थे वो देखकर गीता के मुंह
में पानी आ गया बच्चे कैसे दूध पी रहे हैं
मुझे भी कुतिया का दूध पीने का दिल कर रहा
है मैं भी पी लूं क्या नहीं नहीं कुतिया
का दूध कौन पीता है लेकिन गीता अपने आप को
रोक नहीं पाई वह भी कुतिया के बच्चों की
तरह बैठकर उसका दूध पीने लगी उसे वो दूध
बहुत स्वादिष्ट लगा अरे वाह यह तो बहुत
टेस्टी है इस कुतिया के बच्चे कितने
खूबसूरत है शायद यह कुतिया का दूध पीते
हैं इसीलिए इतने सुंदर हैं हम इसका मतलब
मैं भी कुतिया का दूध पिऊंगी तो मैं भी
सुंदर हो जाऊंगी गीता ने पेट और मन दोनों
भरकर कुतिया का दूध पी लिया कुतिया गीता
को पहचानती थी गीता उसे हर रोज खाना देती
थी और आज तो घर के अंदर भी आने दिया
इसीलिए कुत्तिया ने भी गीता को अपना दूध
पीने दिया और गीता को उसके दूध की लत लग
गई व हर रोज स्कूल से घर लौटते वक्त चुपके
चुपके कुतिया का दूध पीने लगी और फिर घर
लौटने के बाद अपनी मां से कहने लगी मां
अभी मैं कुछ नहीं खाऊंगी मुझे भूख नहीं है
मैं बाहर से खाकर आ रही हूं गीता ऐसे ही
बड़ी होने लगी वो पकड़ी भी नहीं गई वो
जितनी बड़ी होती गई उसे उतना ज्यादा
कुतिया के दूध का नशा चढ़ने लगा वो खाना
कम और कुतिया का दूध ज्यादा पीती थी ऐसे
ही वह जवान हो गई उसके लिए शहर से रिश्ते
आए सरकारी नौकरी वाला लड़का था इसीलिए
गीता की मां एक ही बार में हां कर देती है
गीता को भी कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि
शादी तो किसी ना किसी दिन करनी ही थी
लेकिन उसे बस एक ही चिंता थी मैं शादी के
बाद शहर चली गई तो मैं कुतिया का दूध कैसे
पिऊंगी अरे मैं इतना क्यों सोच रही हूं
शहर में कुत्ते कम है क्या कुछ ना कुछ
इंतजाम तो हो ही जाएगा गीता की शादी हो गई
वह शहर चली गई जाते ही उसकी सास विमला ने
कहा बहू कितनी दूर से आ रही हो थोड़ा दूध
पी लो नहीं मां जी मैं दूध नहीं पीती यह
क्या बात हुई दूध नहीं पीती नहीं मतलब गाय
का नहीं पीती गाय का नहीं पीती तो क्या
बकरी का दूध पीती हो गीता ने इस प्रश्न का
जवाब नहीं दिया उसकी सांस ने कहा हमारे
यहां पर बकरी नहीं मिलती बहू अगर पीना है
तो गाय का दूध ही पीना पड़ेगा उसकी सास
दूध लेकर चली गई रात को सभी एक साथ खाने
की टेबल पर बैठे लेकिन गीता कुछ खा ही
नहीं रही थी उसके पति मुकेश ने कहा क्या
बात है गीता तुम कुछ खा नहीं रही हो खाना
अच्छा नहीं बनाया क्या नहीं नहीं ऐसी बात
नहीं है असल में ज्यादा भूख नहीं है मुझे
क्यों बहू तुमने सुबह से कुछ भी नहीं खाया
है यहां अच्छा नहीं लग रहा है क्या कुछ और
खाना है मैं ला देती हूं कुछ गीता ने अपने
ही मन में सोचा मुझे जो खाना है वह मैं
बोल नहीं सकती मुझे खुद ही ढूंढना पड़ेगा
गीता ने खाना नहीं खाया रात को सभी सो गए
लेकिन गीता के पेट में चूहे दौड़ने लगे
कितनी तेज की भूख लगी है लेकिन अभी
कुत्तिया कहां मिलेगी यहां तो कुत्ते भी
नहीं भौक रहे हैं मेरे गांव में रात को
कितने सारे कुत्ते भोंकते थे गीता से भूख
बर्दाश्त नहीं हुई व गेट खोलकर बाहर
रास्ते पर चली गई लेकिन उसे एक भी कुत्ता
या फिर कुत्तिया नहीं मिली इस शहर में एक
भी कुत्तिया नहीं है क्या हे भगवान यह मैं
कहां आ गई अब मेरा पेट कैसे भरेगा तभी
गीता को एक कुतिया के भौंकने की आवाज आई
गीता ढूंढते हुए एक गली में गई और देखा एक
कुतिया अपने बच्चों को दूध पिला रही है
मिल गई मुझे कुतिया मिल गई अब मैं इससे
दूध पी सकती हूं लेकिन उस कुतिया के पास
जाने से ही कुत्तिया जोर जोर से भोंकने
लगी गांव के सारे कुत्ते गीता को पहचानते
थे लेकिन यहां गीता नहीं थी गीता सावधानी
से आगे बढ़ने लगी प्लीज मुझे दूध पिला दो
प्लीज मुझे दूध पिला दो गुस्सा मत करो
गीता एकदम कुतिया के पास चली गई और तभी उस
कुतिया ने गुस्सा होकर गीता के पैर पर काट
लिया आ अरे बाप रे कितनी जोर से काटा गीता
दर्द के मारे चिल्लाने लगी उसकी चीख सुनकर
उसका पति और सास दौड़ कर आए क्या हुआ गीता
क्या हुआ मुझे इस कुतिया ने काट लिया
लेकिन तुम यहां इतनी रात को कर क्या रही
थी वो मां नींद नहीं आ रही थी इसीलिए
घूमने आ गई थी बाहर यह कोई टाइम है घूमने
का चलो घर के अंदर कल तुम्हें डॉक्टर के
पास ले जाऊंगा गीता घर के अंदर चली गई
अगले दिन डॉक्टर ने गीता को इंजेक्शन दे
दिया गीता ससुराल लौट आई लेकिन उसने खाना
पना बिल्कुल बंद कर दिया इतने में एक दिन
उसकी सास ने कहा बहू मेरी बेटी आ रही है
ससुराल से उसके पास एक कुतिया है तुम्हें
डर तो नहीं लगेगा ना कुतिया के बारे में
सुनकर गीता खुश हो गई नहीं मां डरने की
क्या बात है एक बार कुतिया ने काट लिया तो
क्या हो गया अगले दिन विमला की बेटी पायल
अपनी कुत्तिया को लेकर घर आ गई गीता ने उस
कुतिया को आते ही बिस्किट खिला दिए कुतिया
के साथ उसकी दोस्ती हो गई रात को जब सो गए
तब गीता चुपके से उठकर पायल के कमरे में
गई कुतिया जागी हुई थी गीता उसे लेकर बाहर
आई और उससे दूध पीने लगी तभी पायल की नींद
खुल गई और उसने यह देख लिया यह क्या यह
क्या कर रही हो भाभी तभी वहां विमला और
मुकेश भी आ गए उन दोनों ने भी यह देखा और
तभी गीता को बहुत ज्यादा गुस्सा आया वो
पायल को काटने के लिए आगे बढ़ने लगी तूने
क्यों बुलाया सभी को हां तुम लोग मुझे
शांति से कुतिया का दूध भी नहीं पीने दोगे
क्या बेटा बहू पागल हो गई है कुतिया ने
काटा है इसे इसीलिए यह खुद कुतिया बन गई
है कुतिया का दूध पी रही है मुझे तो कुछ
समझ में नहीं आ रहा है मां कुछ समझने की
जरूरत नहीं है मैंने कितने दिनों से
कुत्तिया का दूध नहीं पिया मुझे दूध चाहिए
गीता अपने दोनों पैरों पर खड़ी भी नहीं हो
पाई वह कुतिया की तरह हावभाव करने लगी
मुकेश ने उसे रस्सी से बांध दिया और अगले
दिन पागलों के अस्पताल में दाखिल कर दिया
लेकिन वहां गीता ने डॉक्टर को ही गर्दन पर
काट दिया और वहां से भाग गई वो रास्ते पर
कुत्तों के साथ रहने लगी इतने दिनों से
कुत्तिया का दूध पीने के कारण गीता अंदर
से कुतिया बन गई बहुत कोशिश करने के
बावजूद भी उसे कोई ठीक नहीं कर पाया और
गीता ने शहर के रास्तों में ही बाकी की
जिंदगी बिता
दी ससुराल में रत्ना का आज दूसरा दिन है
सुबह-सुबह उसकी सास केतकी उससे कहती है
बहू गरम-गरम रोटी बनाकर लाओ हम रोज सुबह
रोटी ही खाते हैं जी मां जी यह कहकर रत्ना
ने अपनी बहती हुई नाक को हाथ से पछ लिया
और वह रसोई में चली गई बिना हाथ धोए वह
रोटी बनाने लगी उसने अपनी सास पति और ससुर
के लिए रोटी बना ली चलो हो गया अब अब टेबल
पर रख देती हूं रत्ना रोटी लेकर टेबल के
पास जा ही रही थी कि तभी उसकी नाक बहकर
ऊपर की रोटी पर गिर गई रत्ना ने बिना देखे
रोटियों को टेबल पर रख दिया उसका पति
सोमेश आया और उसने ऊपर की रोटी को उठा
लिया अरे वाह गरमागरम रोटी ऊपर से देसी घी
लगाई हो कमाल ही कर दिया तुमने तो देसी
लेकिन रत्ना ने अब देखा कि रोटी पर क्या
गिरा हुआ है वह मना करने जा ही रही थी
लेकिन तब तक सुमेश रोटी मुंह में घुसा
चुका था अरे ये क्या है ये तो ये
तो सुमेश ने वहीं पर उल्टी कर दिया रत्ना
की सास केतकी और ससुर मनोहर दौड़ कर आए
क्या हुआ बेटा क्या हुआ क्या खा लिया तूने
रत्न मन ही मन भगवान को बुलाने लगी हे
भगवान अब क्या होगा क्या उन्हें समझ में आ
गया क्या वह बता देंगे मुझे बचा लो भगवान
मुझे बचा लो लेकिन सुमेश को कुछ समझ में
नहीं आया उसने कहा अ पता नहीं मां कुछ तो
ऐसा था जिससे मुझे उल्टी आ गई ठीक है बेटा
पानी पीकर थोड़ी देर के लिए सो जा सोमेश
चला गया रत्ना की जान में जान आई हश चलो
अच्छा है उन्हें समझ में नहीं आया रत्ना
की नाक से फिर पानी बाहर आया उसने नाक से
पानी को नाक के अंदर खींच लिया ताकि किसी
को समझ में ना आए रत्ना की ये बीमारी काफी
पुरानी है उसे बहुत जल्द ठंड लग जाती है
और उसकी नाग पहने लगती है लेकिन उसने कभी
डॉक्टर को नहीं दिखाया वह गांव से है बचपन
में जब उसकी नाग बहती थी उसकी मां उसे
कहती थी बेटी नाग बह रही है यह ले मेरे
आंचल से पोछ ले रत्ना वही करती थी एक दिन
रत्ना ने अपने माता-पिता से कहा था पिताजी
हमेशा मेरी नाक बहती रहती है मुझे डॉक्टर
के पास ले चलिए ना यह सुनकर उसके पिता ने
कहा था बेटी हम गरीब मजदूर है यहां खाने
के पैसे नहीं है तुझे इतनी सी बात के लिए
डॉक्टर के पास कैसे ले जाएं हां बेटी
सिर्फ सर्दी जुखाम ही तो है अपने आप ठीक
हो जाएगा लेकिन रत्ना का जुखाम कभी ठीक
नहीं हुआ बल्कि बढ़ता ही चला गया उसकी नाक
से हमेशा पानी गिरने लगा और वह कभी अपने
कपड़े से तो कभी हाथ से पोछने लगी स्कूल
में सभी उसका मजाक उड़ाने लगे तो उसने
स्कूल ही छोड़ दिया मुझे नहीं जाना
स्कूल मैं घर पर ही रहूंगी हां वैसे भी
स्कूल जाकर क्या ही होगा किसी घर में बहू
बन के ही तो जाना है तू घर के कामकाज सीख
ले रत्ना वही करने लगी उसके सर्दी जुकाम
के कारण गांव की लड़कियों ने भी रत्ना से
दोस्ती तोड़ ली रत्ना आज से हम तेरे साथ
नहीं खेलेंगे क्यों री मैंने क्या किया
हमेशा तेरी नाक बहती रहती है तू अपने पूरे
बदन से उसे पचती है और उसी हाथ से हमें
छूती है और हमेशा हमारे सामने छींकती भी
है इससे जीवाणु फैलते हैं तू घर जा हम
तेरे साथ नहीं खेलेंगी रत्ना घर चली आई
ऐसे ही समय बीतता रहा और वह जवान हो गई
उसकी शादी भी हो गई उसने ससुराल में पहला
कदम रखा त की आरती की थाली ले आई उसमें एक
जलता हुआ दिया जल रहा था मेरी नई बहू घर
आई है पहले आरती कर लेती हूं केत की आरती
करने लगी लेकिन तभी रत्ना ने इतनी जोर से
छींका कि दिया बुझ गया अरे यह क्या हुआ यह
तो अब शगुन है क्षमा कर दीजिए मां क्या
मां यह अब शगुन बोलक कुछ नहीं होता चलो
रत्ना को अंदर जाने दो रत्ना अंदर गई और
अगले दिन रोटी बनाते हुए उस पर नाक का
पानी गिरा दिया सुमेश अपने कमरे में जाकर
सो गया केतकी ने रत्ना से कहा बहू तुम घर
साफ कर लो उसके बाद दोपहर का खाना बना
देना जी मां जी रत्ना घर के काम करने लगी
लेकिन उसकी नाक से जगह जगह पानी गिरने लगा
तभी उसके ससुर मनोहर वहां से जा रहे थे
उनके पैर नाक की पानी पर पड़ा और वह फिसल
[संगीत]
गए नोहर बहुत जोर से गिर पड़ा उनकी कमर
में चोट लग गई अरे बाप रे मर गया अरे मेरा
कमर केतकी फिर से दौड़ कर आई और उसका पैर
भी नाक के पानी पर पड़ा और वो भी गिर गई आ
अरे बाप रे मर गई रे अरे यह क्या था कौन
जैसा अरे मेरे पैर के नीचे भी आया था पता
नहीं क्या है अरे बाप
रे दोनों दर्द से चिल्लाते रहे रत्ना ने
दोनों को उठाकर बिस्तर पर सुला दिया और
फिर वह काम करने लगी उसकी नाक बहने लगी और
वह इधर-उधर पोछने लगी कभी पर्दे पर तो कभी
सोफे पर कभी अपने आंचल पर तो कभी अपने
बिस्तर पर दो दिन में पूरा घर जुखाम के
धागों से भर गया लेकिन रत्ना को अकल नहीं
आई एक दिन वह खाना बना रही थी तभी सुमेश
ने देखा कि रत्ना की नाक बह रही है और वह
अपने हाथ से उसे साफ कर रही है और फिर
बिना हाथ धोए उसी हाथ से आटा गूंद रही है
रत्ना यह क्या कर रही हो तुम तो उस दिन
रोटी पे देसी घी नहीं थी नहीं जी जी वो
मेरी नाक से पानी गिर गया था लेकिन तुम
डॉक्टर को क्यों नहीं दिखा रही हो चलो
तुम्हें डॉक्टर के पास ले चलता हूं नहीं
नहीं जरूरत नहीं है सिर्फ जुकाम ही तो है
ठीक हो जाएगा कब से है तुम्हें जुकाम बचपन
से कभी डॉक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं
पड़ी वहां केत की और मनोहर भी आ गए अच्छा
तो उस दिन मेरे पैर के नीचे गोंद नहीं था
यह क्या बहू पूरे घर में इस तरह जीवाणु
क्यों फैला रही हो यह अच्छी बात नहीं है
बहू डॉक्टर के पास चलो नहीं नहीं इतनी सी
बात के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरू त
नहीं है रत्ना डॉक्टर के पास जाने के लिए
राजी नहीं हुई तीनों ने रत्ना को मनाने की
हर एक कोशिश की लेकिन वह तीनों ही नाकाम
रहे सुमेश का दोस्त सुहास डॉक्टर था सुमेश
ने कॉल लगाया और सब कुछ बताया सुहास ने
कहा मैं यहां से कुछ नहीं कर सकता सोमेश
भाभी को मेरे पास ले आना होगा यह क्रॉनिक
रोग है कुछ टेस्ट करने पड़ेंगे अरे लेकिन
वो तो डॉक्टर के पास जाने के लिए तैयार ही
नहीं है क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा
है रत्ना ने किसी की बात नहीं सुनी ऊपर से
व आइसक्रीम खाने लगी हर रात को नहाने लगी
फ्रिज से ठंडा पानी निकाल कर पीने लगी
केतकी ने बार-बार मना किया बहू वैसे ही
हमेशा तुम्हारी नाक बहती रहती है यह सब
ठंडी चीजें मत खाया पिया करो उससे यह रोग
और बढ़ जाएगा कुछ नहीं होगा मां जी आप
फालतू में चिंता मत कीजिए रत्ना को कोई
बात मनाने से आसान तो हिमालय पर चढ़ना था
केत की गुस्सा हो गई वह अपने पति और बेटे
से कहने लगी यह कैसी बहू लाई हो घर में
गवार है हमेशा नाग बहाती रहती है ऊपर से
एक भी बात नहीं सुनती चारों तरफ गंदगी
करके रखी है उसने उसकी वजह से अब हम सब भी
मारना पड़ जाए और वही हुआ रत्ना की वजह से
बाकी तीनों को भी जुखाम लग गया तीनों की
नाक बहने लगी और तीनों ही छींकने
लगे बहू तुम्हारी वजह से हम भी भुगत रहे
हैं चलो सभी मिलकर डॉक्टर के पास चलते हैं
नहीं बाऊ जी कोई जरूरत नहीं है छोटी-छोटी
बातों के लिए पैसे खर्च नहीं करते रत्ना
किसी की बात नहीं सुनती थी लेकिन उसे
बच्चा बहुत पसंद था वह हमेशा अपने पति से
कहती थी सुनिए जी मुझे एक बच्चा चाहिए मैं
मां बनना चाहती हूं और यह सुनकर सोमेश को
एक आईडिया आया कुछ ही दिनों के अंदर रत्ना
गर्भवती हो गई रत्ना अब तुम मां बनने वाली
हो अब तो डॉक्टर के पास चलो नहीं तो बच्चा
तंदुरुस्त कैसे पैदा होगा हां चलिए बच्चे
के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं सुमेश ने
सुहास को कॉल करके सब कुछ बता दिया सुहास
ने पहले से एक बच्चे की छींकने की आवाज
रिकॉर्ड करके कंप्यूटर में रख दिया सुमेश
रत्ना को लेकर सुहास के पास गया सुहास
रत्ना के पेट पर स्टेथोस्कोप रखकर टेस्ट
करने के बहाने उसने कंप्यूटर पर बच्चे के
छींकने की आवाज को चला दिया यह क्या हो
रहा है बच्चे की हालत बुरी है भाभी बच्चे
को जुकाम है अगर अभी से ऐसी हालत है तो
बाद में बुरे से बदतर हो जाएगा और शायद
बच्चा पेट में ही मर जाएगा नहीं नहीं यह
नहीं हो सकता मेरा बच्चा मेरे बच्चे को
जिंदा रखना है तो फिर आपको अपना जुकाम ठीक
करना पड़ेगा करेंगी ना हां अपने बच्चे को
बचाने के लिए मैं कुछ भी करूंगी सुहास ने
दवाई दी और रत्ना दवाई खा ने लगी सोमेश
बहुत खुश हुआ उसका प्लान काम कर गया कुछ
ही दिनों के अंदर रत्ना का जुकाम ठीक हो
गया उसकी नाक बहनी भी रुक गई और घर के सभी
लोग ठीक हो गए 9 महीने बाद रत्ना ने एक
स्वस्थ और तंदुरुस्त बेटे को जन्म दिया
उसके बाद से रत्ना पूरी तरह बदल गई और
सबकी बात सुनने लगी इसी तरह सभी खुशी-खुशी
रहने
लगे
Comments
Post a Comment