भारत एक प्राचीनतम सभ्यता वाला सांस्कृतिक
देश है यह विश्व के उन गिने चुने देशों
में से एक है जहां हर वर्ग और समुदाय के
लोग शांतिपूर्वक रहते हैं यहां की भौगोलिक
स्थिति जलवायु और विविध संस्कृति को देखने
के लिए विश्व के कोने-कोने से पर्यटक
पहुंचते हैं भारत की प्राचीनतम मंदिरों की
बनावट विशेषता महत्व और इतिहास आदि जानने
के लिए पर्यटक बार-बार भारत की ओर रुख
करते हैं इनमें से कई मंदिर तो ऐसे भी हैं
जो कई हजारों साल पुराने हैं और जिनके
बारे में जानना पर्यटकों के लिए कोतुहल का
विषय है प्राचीन काल में जब मंदिर बनाए
जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का
ध्यान रखा जाता था इसके अलावा राजा
महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर
बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए
अलग से रास्ते बनाते थे भारत में वैसे तो
हजारों रहस्यमय मंदिर हैं लेकिन यहां
प्रस्तुत है कुछ खास प्रसिद्ध मंदिरों की
संक्षिप्त जानकारी जिसे जानकर आप हैरान रह
जाएंगे कैलाश मानसरोवर यहां साक्षात भगवान
शिव विराजमान है यह धरती का केंद्र है
दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश
मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे
मेरू पर्वत स्थित है यह संपूर्ण क्षेत्र
शिव और देवलोक कहा गया है रहस्य और
चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा
वेद और पुराणों में भरी पड़ी है कैलाश
पर्वत समुद्र सतह से 2268 फुट ऊंचा है तथा
हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में
स्थित है चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः
कैलाश चीन में आता है जो चार धर्मों
तिब्बती धर्म बौद्ध धर्म जैन धर्म और
हिंदू का आध्यात्मिक केंद्र है कैलाश
पर्वत की चार दिशाओं से चार नदियों का
उद्गम हुआ है ब्रह्मपुत्र सिंधु सतलुज और
कली कन्याकुमारी मंदिर समुद्री तट पर ही
कुमारी देवी का मंदिर है जहां देवी
पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है
मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर
से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं
प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह
संपन्न ना हो पाने के कारण बच गए दाल चावल
बाद में कंकर बन गए आश्चर्यजनक रूप से
कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल
और चावल के आकार और रंग रूप के कंकर बड़ी
मात्रा में देखे जा सकते हैं सूर्योदय और
सूर्यास्त कन्याकुमारी अपने सूर्योदय के
दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है सुबह हर
होटल की छत पर पर्यटकों की भारी भीड़ सूरज
की अगवानी के लिए जमा हो जाती है शाम को
अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी
यादगार होता है उत्तर की ओर करीब दो से 3
किलोमीटर दूर एक सनसेट पॉइंट भी है
अजंता इलोरा के मंदिर अजंता इलोरा की
गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के
समीप स्थित हैं यह गुफाएं बड़ी-बड़ी
चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं 29 गुफाएं
अजंता में तथा 34 गुफाएं इलोरा में हैं इन
गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में
संरक्षित किया गया है इन्हें राष्ट्रकूट
वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था इन
गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा
है यहां ऋषि मुनि और भूक्षी गहन तपस्या और
ध्यान करते थे सह्याद्री की पहाड़ियों पर
स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग पांच
प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं घोड़े
की नाल के आकार में निर्मित यह गुफाएं
अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की है
इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक
के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है इन
गुफाओं में हिंदू जैन और बौद्ध तीन धर्मों
के प्रति दर्शाई गई आस्था के त्रिवेणी
संगम का प्रभाव देखने को मिलता है दक्षिण
की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म महायान
संप्रदाय पर आधारित मध्य की 17 गुफाएं
हिंदू धर्म और उत्तर की पांच गुफाएं जैन
धर्म पर आधारित हैं बालाजी मंदिर राजस्थान
के दौसा जिले में मौजूद बालाजी मंदिर को
कई रहस्यमय तथ्यों के लिए जाना जाता है यह
मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है कहा
जाता है कि इस मंदिर के प्रांगण में भूत
और बुरी आत्माओं को दूर कर के लिए दूर दूर
से लोग आज भी आते हैं कई भक्त इस मंदिर को
दिव्य शक्तियां से जोड़कर भी देखते हैं
पौराणिक कथाओं के अनुसार बालाजी मंदिर
जादुई शक्तियों से युक्त करने वाला मंदिर
है कहा जाता है कि इस मंदिर के पास बच्चे
का पहला बाल कटवाने से बाल के साथ सभी दुख
नष्ट हो जाते हैं कामाख्या मंदिर कामाख्या
मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा गया है
माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ
को सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है यह असम
के गोवा हाटी में स्थित है यहां त्रिपुरा
सुंदरी मता और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप
से स्थापित है दूसरी ओर सात अन्य रूपों की
प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की
गई है जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए हैं
पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार
अंबू वाची पर्व के दौरान मां भगवती
रजस्वला होती है और मां भगवती की गर्भगृह
स्थ महामुद्रा से निरंतर तीन दिनों तक जल
प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है
इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के बारे
में किताबें भरी पड़ी हैं हजारों ऐसे
किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक
और रहस्यमय होने का पता चलता है खजुराहो
का मंदिर आखिर क्या कारण था कि उस काल के
राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिरों की एक
पूरी श्रंखला बनवाई यह रहस्य आज भी बरकरार
है खजुराहो वैसे तो भारत के मध्य म प्रदेश
प्रांत के छत्रपुर जिले में स्थित एक छोटा
सा कस्बा है लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल
के बाद सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने
वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम
आता है तो वह है खजुराहो का मंदिर खजुराहो
भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक
नायाब मिसाल है चंदेल शासकों ने इन
मंदिरों का निर्माण सन 900 से 1130 ईसवी
हों के बीच करवाया था इतिहास में इन मंदिर
का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है वह अब्बू
रिहान अल बरूनी 1022 ईसवी तथा अरब मुसाफिर
इब्न बतूता का है कला पारखी चंदेल राजाओं
ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का
निर्माण करवाया था लेकिन उनमें से अभी तक
सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है यह
मंदिर शैव वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से
संबंधित हैं शिव मंदिर वाराणसी उत्तर
प्रदेश आपको को जानकर हैरानी होगी कि इस
मंदिर का निर्माण किसी पहाड़ या समतल जगह
पर नहीं किया गया है बल्कि यह मंदिर पानी
पर बना है कहने का अर्थ है कि यह शिव
मंदिर अधिकांश रूप से नदी के जल में डूबा
हुआ है बगल में ही सिंधिया घाट जिसे शिंदे
घाट भी कहते हैं इस मंदिर की शोभा बढ़ाता
है इस मंदिर में आध्यात्मिक कार्य नहीं
होते और यह फिलहाल बंद है इस मंदिर के
बारे में जानने के लिए भी लोग जिज्ञासा
रखते हैं टूटी झरना मंदिर भगवान शिव को
समर्पित यह मंदिर बेहद अद्भुत है क्योंकि
यहां शिवलिंग का जलाभिषेक कोई और नहीं
बल्कि स्वयं मां गंगा करती है झारखंड के
रामगढ़ जिले में स्थित टूटी झरना नामक इस
मंदिर में स्थापित शिवलिंग का जलाभिषेक
साल के 12 महीने और 24 घंटे स्वयं मां
गंगा द्वारा किया जाता है मां गंगा द्वारा
शिवलिंग की यह पूजा सदियों से निरंतर चलती
आ रही है भक्तों का मानना है कि इस मंदिर
में आकर अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से कुछ
मांगता है उसकी वह इच्छा जरूर पूरी होती
है रामेश्वरम रामनाथ स्वामी मंदिर माना
जाता है कि भगवान श्री राम ने लंका से
लौटते समय देवों के देव महादेव की इसी
स्थान पर पूजा की थी इन्हीं के नाम पर
रामेश्वर मंदिर और रामेश्वर द्वीप का नाम
पड़ा ऐसी मान्यता है कि रावण का वध करने
के बाद भगवान राम अपनी पत्नी देवी सीता के
साथ रामेश्वरम के तट पर कदम रखकर ही भारत
लौटे थे एक ब्राह्मण को मारने के दोष को
खत्म करने के लिए भगवान राम शिव की पूजा
करना चाहते थे चूंकि द्वीप में कोई मंदिर
नहीं था इसलिए भगवान शिव की मूर्ति लाने
के लिए श्री हनुमान को कैलाश पर्वत भेजा
गया था जब श्री हनुमान समय पर शिवलिंग
लेकर नहीं पहुंचे तब देवी सीता ने समुद्र
की रेत को मुट्ठी में बांधकर शिवलिंग
बनाया और भगवान श्री राम ने उसी शिवलिंग
की पूजा की बाद में हनुमान द्वारा लाए गए
शिवलिंग को भी वहीं स्थापित कर दिया गया
यह स्थापत्य कला का सुंदर मंदिर है
कांगड़ा बजरेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा के
बजरेश्वरी देवी मंदिर में भैरव बाबा की
अनोखी प्रतिमा है यहां आसपास के क्षेत्रों
में जैसे ही कोई परेशानी आने वाली होती है
तो भैरव बाबा की इस मूर्ति से आंसुओं का
गिरना शुरू हो जाता है स्थानीय नागरिक इसी
से आने वाली समस्याओं का पता लगाते हैं
बता दें कि मंदिर में स्थापित यह प्रतिमा
5000 साल से भी ज्यादा पुरानी है मंदिर के
पुजारी बताते हैं कि जब भी उन्हें प्रतिमा
से आंसू गिरते हुए दिखते हैं वह भक्तों के
संकट काटने के लिए प्रभु की विशेष पूजा
अर्चना शुरू कर देते हैं हालांकि भैरव
बाबा के इन आंसुओं के पीछे का रहस्य आज तक
कोई भी नहीं जान पाया मेहदीपुर बालाजी
मंदिर यह मंदिर राजस्थान में स्थित है इस
धाम में हनुमान जी के 10 मुख्य सिद्ध पीठ
शामिल हैं ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान
हनुमान जागृत अवस्था में होते हैं ऐसा
बताया जाता है कि जिन लोगों के ऊपर भूत
प्रेत का साया रहता है यहां आकर उनकी
आत्माएं शरीर से निकल जाती है काशी
विश्वनाथ मंदिर काशी में स्थित यह
ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पसंदीदा स्थान
में से एक माना जाता है धार्मिक कथाओं के
अनुसार काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर
विराजमान है
माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन करने
से और गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष
की प्राप्ति होती है पुरी जगन्नाथ मंदिर
पुरी जगन्नाथ मंदिर चार धामों में से एक
है पूरी को भगवान विष्णु और उनके परिवार
के घर के रूप में जाना जाता है यह भारत के
सबसे पवित्र स्थानों में से एक है और इसकी
वार्षिक रथ यात्रा काफी प्रसिद्ध है मंदिर
की धूप में कभी भी प्र छाई नहीं बनती है
जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में भगवान
जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां
हैं जो हर 12 वर्षों में बदली जाती हैं जब
मंदिर की मूर्तियों को बदला जाता है तब
मूर्तियों में से ब्रह्म पदार्थ को
निकालकर नई मूर्तियों में लगाया जाता है
ब्रह्म पदार्थ को श्री कृष्ण का हृदय माना
जाता है जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों का
कहना है कि जब वे भगवान का दिल नई
मूर्तियों में रखते हैं तब उन्हें अपने
हाथों में कुछ उछलता हुआ महसूस होता है र
के पुजारियों का मानना है कि यह ब्रह्म
पदार्थ है जो अष्ट धातु से बना है लेकिन
यह ब्रह्म पदार्थ जीवित अवस्था में है इस
ब्रह्म पदार्थ को देखने वाला अंधा हो सकता
है या उसकी मृत्यु हो सकती है इसलिए
ब्रह्म पदार्थ को बदलते वक्त पुजारियों की
आंखों पर रेशमी पट्टियां बांध दी जाती हैं
केदारनाथ मंदिर यह शिव मंदिर देश के चार
धामों में से एक है कहा जाता है कि पांडव
भगवान शिव से दिव्य आशीर्वाद ले के लिए इस
स्थान पर आए थे
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