अनाथ बच्चों की दिवाली _ Anath Bachon ki diwali _ Emotional Moral Story _ Diwali story _ hindi story_transcript
कि
दीवाली का त्योहार आने वाला था हर तरफ
होनी थी लेकिन इस रौनक के बीच एक जगह ऐसी
भी थी जहां एकदम सन्नाटा था किसी भी चेहरे
पर खुशी नहीं थी दिवाली की रोशनी इस जगह
तक पहुंच नहीं पा रही थी युद्ध शहर का
पुराना अनाथालय
छोटे-बड़े हर उम्र के बच्चे थे वहां कहने
को तो सब एक दूसरे के साथ हैं मगर फिर भी
इनका कोई नहीं था शहर के बड़े कारोबारी
काशीलाल ने कई साल पहले इस अनाथालय की
नींव रखी थी लेकिन उनके देहांत के बाद से
ही अनाथालय खुद अनाथों गया काशीलाल के
बेटों ने कभी इस अनाथालय की सुध नहीं ली
जिस वजह से यहां के बच्चों का जीवन बहुत
मुश्किल हो गया था
तरफ बहुत पहले ही बच्चों को उनके हाल पर
छोड़ कर जा चुका था अनाथालय की सारी
बच्चों में सबसे बड़ा राज्य था जो एक ढाबे
पर काम करने लगा था और किसी तरह सब कुछ
संभाल रहा था वह अक्सर ढाबे का बचा हुआ
खाना अनाथालय के बच्चों के लिए हुआ था और
काम करके उसे जो भी पैसे मिलते थे उन्हें
भी वह सारे बच्चों पर खर्च करता था अरे
चंदू यहां क्यों बैठा है और यह क्या तू रो
रहा है क्या हुआ तुझे भैया मुझे मां की
याद आ रही है और बाबा की भी मां होती तो
कभी मुझे भूखा नहीं रहने देती देखो ना
बाहर वह बच्चा कितने मजे से जलेबी खा रहा
है मुझे भी कहानी है जलेबी चंद्र की बात
सुनकर राजा हो अपनी चीज टटोलता है और उसे
कुछ नहीं मिलता उसने चंदू से हुआ थोड़ा
सब्र कर ले चंदू कल दीवाली है न मालिक
मुझे जैसे कि दीवाली के पैसे देंगे मैं
सबके लिए जलेबी लेकर आऊंगा ठीक है राजू की
बात सुन कर चंदू और जोर से रोने लगा कि
देखकर राजू ने उससे पूछा अरे मैंने कहा तो
तुझसे कल ले आऊंगा जले ईजी अब बस कर तुझे
समझना होगा दूसरे बच्चों जैसी जिंदगी नहीं
है हमारी अब या तब शुरू हो रहा हूं पिछले
साल दीवाली पर कितना कुछ टाइम है बाबा
दोनों साथ मेरे दीवाली पर यह कपड़े
उन्होंने मुझे दिलाए थे कितना अच्छा होता
अगर उस दिन उठकर के नीचे मां पापा के साथ
भी
मुझे ऐसे उनके बिना नहीं रहना पड़ता
[संगीत]
भगवान ने भी दीवाली मनाएंगे दिवाली पर
जलेबी जरूर का यह वादा है मेरा तुझ
को गले लगा लेता
ही नहीं बल्कि अनाथालय में रहने वाला हर
बच्चा इसी दर्द को झेल रहा था तो अपनों से
बिछड़ने का गम ऊपर से भूख और गरीबी की मार
से बची
मिश्रा जी बच्चों का सहारा था कि राजू खुद
सिर्फ 12 साल का था और उसने अपने
माता-पिता को बहुत छोटी उम्र में दिया था
लेकिन इतने सालों में उसने खुद को संभालना
सीख दूध अपनी जरूरतों से ज्यादा उसे
अनाथालय के दूसरे बच्चों का ख्याल था अगले
दिन ढाबे का सारा काम करने के बाद उसने
अपने मालिक से का मालिक वह दीवाली है तो
कुछ राजू की बात सुन कर ढाबे के मालिक ने
उसके हाथ में ₹10 का नोट रख दिया और वापस
अपने काम में लग गया राजू ₹10 देखकर उदास
हो गया वह चुपचाप वहां से चला गया राजू को
मेथी के उसका मालिक उसे इतने पैसे तो दे
ही देगा जिससे अनाथालय के बच्चे दिवाली
मना सकेंगे लेकिन उसकी यह उम्मीद बुरी तरह
टूट गई थी वह बहुत उदास था फिर भी ड्राई
के काम में लगा था वह ग्राहक के लिए खाना
लेकर जा रहा था तभी अचानक उसका पैर फिसल
गया और वह बहुत जोर से गिर पड़ा सारा खाना
भी जमीन पर गिर गया कि कंधे का मालिक
गुस्से से बोला और यह क्या
होता तो पैसे मांगने के लिए सबसे पहले यह
जो इतने
पैसे आप अपने मालिक की बात सुनकर राजू
रोने लगा गिरने की वजह से पहले ही चोट लगी
थी लेकिन ढाबे के मालिक उस पर बिल्कुल भी
तरस नहीं आ रहा था वह लगातार बातें सुनाई
जा रहा था तो जरूर और रखना पड़ेगा लोगों
पर सुबह जो भी मैंने तुझे दिए थे वापस कर
और सुना तू आज घर तू नहीं जाएगा पूरी रात
बर्तन होगा और पूरा ढाबा साफ करेगा अच्छे
से समझा
मालिक मालिक मिश्रा करूंगा पर वह पैसे
वापस मतलब मालिक उन्हें वापस मतलब
मालिक राजू
राजू राजू
के लिए लेकर जा रहा था उसका नाम था और वह
पास ही बैठा यह सब कुछ देख रहा था उसे की
हालत देखी नहीं गई और गुस्से में
खबरदार जो तुमने इस बच्चे को
बहुत हो गया तो कब से देख रहा हूं तुम इस
बच्चे के साथ बहुत बुरा बर्ताव कर रहे हो
अरे मेरा नुकसान करेगा तो बोलूंगा ही ना
एक तो अपने ढाबे पर काम देखकर एहसान किया
इस पर मैंने और यह काम चोर कहीं का
क्या-क्या आइटम एहसान किया तुमने पर जानते
हैं बाल मजदूरी करवाने की सजा का
मालिक
राजू को राख कहते हैं
और बताओ बेटा क्या खाओगे क्या मंगवा
तुम्हारे लिए
जुड़े भी अच्छा तो जज भी अच्छी लगती हो
कि अरे भैया जरा एक प्लेट देसी घी की
बढ़िया जलेबी लेकर आओ तो
6 4 प्लांट 4 प्लांट जिलेबी राजू की बात
सुन कर राकेश जाता है प्रभु राजू से कुछ
नहीं कहता और उसके लिए चार प्लेट जले भी
मंगवा लेता है राजू उसमें से कुछ भी नहीं
खाता बल्कि सारी जलेबी या बांधकर अपने साथ
ले लेता है और राकेश के सामने एक बार फिर
हाथ जोड़ते हुए कहता है बहुत-बहुत
शुक्रिया आपका भगवान आपका भला करें राजू
के चेहरे पर उसका दर्द साफ झलक रहा था
राकेश जी उससे कुछ भी पूछने की हिम्मत ही
नहीं हुई राजू वहां से जाने लगता है और
जाते हुए ढाबे के मालिक से हाथ जोड़कर के
रहता है मालिक माफ कर दो गलती हो गई मुझसे
आगे से ऐसा कभी नहीं होगा और हम ठीक है अब
ज्यादा ड्रामा मत करो मेरे सामने कल आ
जाना टाइम पर
आने लगता है
और का पीछा करने लगता है वह जानना चाहता
था कि बिजली बिलों का आखिर राजू क्या करने
वाला था कुछ देर में राजू अनाथालय पहुंच
गया वहां पहुंचकर उसने सारे बच्चों को
आवाज लगाइए कहां हो सारे जल्दी आओ और चंदू
देख में क्या लाया हूं जल्दी से लेकर आओ
सबको राजू की आवाज सुनकर सारे बच्चे वहां
जाते हैं चंदू राजू से पूछता है कि है
भैया क्या लाए हो जल्दी बताओ ना मैंने
वादा किया था तुझसे कि दीवाली पर तू जले
भी जरूर का यह देख मैं सबके लिए जलेबी
लाया हूं राजू के हाथों में चले भी तय कर
सारे बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं वह राजू
के गले लग जाते हैं लेकिन वह जैसी जलेबी
उठाने की कोशिश करते हैं तभी राजू ने
रोककर उनसे कहता है अरे रुको तो सही आज
दिवाली है और जो है बस यही है तो इसके लिए
सबसे पहले हम भगवान को शुक्रिया कहना
चाहिए और तुम लोगों को पता है आज मुझे एक
बहुत ही अच्छे अंक मिले थे कि उन्होंने ही
मुझे यह सारी जलेबी खरीद कर दी हमें उनके
लिए भी भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए सभी
बच्चे हाथ जोड़कर भगवान का शुक्रिया अदा
करते हैं और फिर सभी मिलकर चली भी खाते
हैं जलेबी खा कर बच्चों के चेहरे खिल उठे
थे दीवार की आड़ में खड़ा राकेश यह सब देख
रहा था उसकी आंखों में आंसू थे अब उसे
राजू से कुछ भी पूछने की जरूरत नहीं थी वह
तुरंत वहां से निकल गया और कुछ देर में
वापस अनाथालय लौट आया उसे देखकर राजू चौंक
गए और उससे बोला
साहब
बर्फ यह अब शुरू में गिनती नहीं आती
इतने सारे बच्चे और सिर्फ चार प्लेट जलेबी
मैंने किसी को भी
चलो ऐसा करो जल्दी से
मुझे
बच्चों को और राकेश के बारे में सारे
बच्चे को कहते हैं
तो फिर राकेश कहता है नीम शुक्रिया तो
बनता है पर अभी नहीं दिवाली मनाने के चलो
जल्दी बताओ और
यह
इसे तो मैं भूल गया यह अनार का जूस का यह
पटाखे जलाने के इतनी सारी मिठाइयां भी तो
है
इन्हें अगर किसी ने नहीं खाया तो यह
सुनकर सारे बच्चों ने
बच्चों के साथ मिलकर पटाखे चलाता है और सब
को मिठाइयां भी
[संगीत]
सब्सक्राइब
एक जगह बैठकर सबको देख रहा था कि उसके पास
गया और बोला क्या
मैं तुम्हें दिवाली नहीं मनाने क्या साथ
इससे अच्छी दीवाली तो आज तक नहीं मना इन
सब ने और ना ही मैंने इन सबको इतना खुश
पहली बार देखा है मैंने आप भगवान बनकर आए
हो साहब नहीं बेटा अच्छा यह बताओ वह ढाबे
वाला तुम्हारे साथ इतना बुरा बर्ताव करता
है तो उसके यहां काम क्यों करते हो साहब
अगर मैं काम नहीं करूंगा तो इन सब का पेट
कैसे भरेगा बहुत तो यह भी ठीक है अब हम
मेरे पास तुम्हारे लिए काम है जहां तुमसे
कोई भी बुरी तरह से बात नहीं करेगा और
तुम्हारे साथ साथ इन सबके लिए दिन में तीन
टाइम के खाने का इंतजाम हो जाएगा पर शर्त
यह है कि तुम्हें पूरी मेहनत से वह काम
करना होगा और तुम्हारे साथ इन बच्चों को
भी वह काम करना होगा क्या आप सच कह रहे
हैं साहब तीन टाइम का खाना मैं करूंगा
साहब लेकिन यह सारे इनमें से कई बहुत छोटे
हैं साहब काम नहीं कर पाएंगे तुम सबके रात
कल सुबह तैयार है ना तुम्हें लेने आऊंगी
ठीक है
वहां से चला गया अगले दिन रात एक बस में
सभी बच्चों को बिठाकर एक बड़े से स्कूल
में लेकर आता है बस से नीचे उतरकर राजू
राकेश अच्छा तो यहां काम करना है बताइए
कहां से शुरू करना है ऐसा करते हैं मैं और
मेरे जैसे बड़े अंदर साफ कर लेंगे और बाकि
यह छोटे-छोटे अरे रुको तो सही तुमसे किसने
कहा कि तुम सबको यह
तुम सब स्कूल के हॉस्टल में और इसी स्कूल
में पूरी मेहनत से पढ़ाई करोगे तो
यहां पर हम सब कैसे
तो
और तुम सब जिम्मेदारी यह मत सोचना
कि मैं आपके साथ
ज्योतिष की बात सुनकर सारे बच्चों की
आंखों में आंसू आ जाते हैं सभी राकेश को
शुक्रिया कहते हैं उस दिन के बाद से सब
कुछ बदल गया वह राकेश का जिसने दीपक बनकर
इस दीवाली सारी बच्चों की जिंदगी रोशन
करती थी उनमें से अपना तो कोई उदास था और
ना ही या नात
हुआ है
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