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अमीर vs गरीब की गणेश विसर्जन की कहानियाँ _ Ganesh visrjan _ Hindi Kahani _ Moral Stories _ kahani_transcript

किसी गांव में ललिता अपने पति अशोक के साथ रहती थी अशोक गांव के सेठ जी के घर पर नौकर था वह सेठ जी के घर का सर काम करता था ललिता रोज सुबह भगवान गणेश की पूजा किया करती थी जय गणेश जय गणेश जय गणेश देव माता जाकी पार्वती पिता महादेव है सिध्दीविनायक हर साल सोचती हूं की इस बार गणेश चतुर्थी की पूजा जरूर करूंगी घर में आपकी मूर्ति की स्थापना करूंगी लेकिन पैसे ही नहीं रहते हैं प्रभु क्यों हमें इतना गरीब बनाया की आपकी पूजा तक नहीं कर पाते हैं भगवान गणेश बहुत दयालु हैं देखना इस बार हम गणेश चतुर्थी का त्योहार जरूर मनाएंगे गणपति बप्पा की जय ललिता की तरह अशोक भी भगवान गणेश का भक्ति था उन दोनों का भगवान गणेश पर अटूट विश्वास था मैं काम पर जा रहा हूं अगले हफ्ते गणेश चतुर्थी है मैं सेठ जी से कहकर कुछ पैसे उधर ले लूंगा हम दोनों इस बार अपने झोपड़ी में बप्पा को बुलाएंगे अशोक को एक डिब्बे में दो रोटी और गुड एक टुकड़ा रख कर देती है यह समय पर खाना का लीजिएगा अशोक काम पर चला गया थोड़ी देर के बाद जब वह सेठ के घर पहुंच घर के अच्छे से सफाई कर दे पूरे बगीचे सीढ़ियां छठ सब साफ हो जान चाहिए गणेश चतुर्थी ए रही है भाई इस बार हमारे घर में बब्बा की सबसे बड़ी मूर्ति आएगी मैं अपने हाथों से बप्पा की मूर्ति की स्थापना करूंगा जी मलिक अशोक घर के काम में ग जाता है वह सोचता है की काश वो भी अपने हाथों से अपने घर में बप्पा की बड़ी सी मूर्ति लगा पता और अपने घर में गणेश चतुर्थी का उत्सव माना पता लेकिन जितनी उसकी तनख्वाह थी उसमें तो एक गणेश भगवान की छोटी मूर्ति ए जाए वही बहुत थी उसे दिन अशोक ने सर काम खत्म करने के बाद सेठ से कहा मैं का रहा था की थोड़े पैसे मिल जाते तो वह गणेश चतुर्थी ए रही है ना इस बार मैं भी अपने घर में बप्पा की पूजा करूंगा बाय अशोक पैसे तो तुझे मिल जाएंगे लेकिन अभी नहीं मिलेंगे पहले गणेश चतुर्थी आने तो दे अभी पूरा एक हफ्ता बाकी है अच्छी मलिक अशोक खुशी-खुशी घर आया और ललिता को बताया ललिता हम इस बार अपने घर में बाबा की मूर्ति लगाएंगे क्या मलिक ने पैसे दे दिए नहीं अभी नहीं दिए लेकिन उन्होंने कहा है की गणेश चतुर्थी आने से पहले वो पैसे दे देंगे ये तो बहुत अच्छी बात है लेकिन जब तक पैसे मिल नहीं चाहते हम पूजा की तैयारी कैसे कर सकते हैं तू चिंता मत कर मेरा दोस्त है ना रघु मैं उससे कुछ पैसे उधर लेकर आता हूं अशोक अपने दोस्त रघु से उधर मांगने जाता है रघु भाई भाई कुछ पैसे मिल जाएंगे क्या मेरे सेठ जी गणेश चतुर्थी से पहले मुझे पैसे देंगे तब मैं तुम्हारा उधर चुका दूंगा अभी पूजा की तैयारी करनी है मेरे पास सिर्फ ₹200 पड़े हैं यार इससे तेरा काम हो जाए तो ले जा इसे अशोक अपने दोस्त रघु से ₹200 उधर लेकर ए जाता है और ललिता को दे देता है इतने पैसों में क्या होगा मैं काम करती हूं इन पैसों से भगवान के भोग के लिए मोदक बना लेती हूं सेठ जी जो पैसे देंगे उससे बप्पा की मूर्ति ए जाएगी और मोदक बनाने का समान ले आई है इधर अशोक रूस काम पर जाता और सेठ जी से पैसे मांगता लेकिन सेठ जी कल का कर दाल देते गणेश चतुर्थी का दिन ए गया है मैंने ऑर्डर दे दिया है तू जाके देख मूर्ति अभी तैयार हुई की नहीं अगर तैयार हो गई हो तो उसे ले ए जी सेठ जी अशोक मूर्तिकार की दुकान पर जाता है तो देखा है की मूर्ति तैयार हो गई थी अशोक मूर्ति को एक थेली पर रखकर सेठ के घर ले आता है फिर वो मूर्ति को उठाकर पूजा स्थल पर रखना लगता है मूर्ति बहुत बड़ी थी और भारी भी अकेले अशोक से मूर्ति नहीं समझी और गिर कर टूट गई ये देखते ही सेठ जी का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया उन्होंने गुस्से में अशोक की खूब टी की टी के करण अशोक का डायन हाथ टूट गया निकाल जो यहां से दोबारा अपनी शक्ल मत दिखाना अशोक रोटा हुआ अपने घर ए गया वो रास्ते भर सोच रहा था की उससे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई इधर ललिता ने प्रसाद का मोदक बनाकर तैयार कर लिया था आज सेठ जी ने पैसे दे दिए होंगे ये बप्पा की मूर्ति लेकर आते ही होंगे इस बार हम भी अपने घर में बप्पा की पूजा करेंगे ललिता यह सब सोच कर खुश हो रही थी लेकिन उसकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं रही जैसे ही अशोक दर्द से करता हुआ घर आया ललिता उसे देखकर परेशान हो गए यह आपको क्या हुआ लगता है किसी ने बहुत बिरामी से मारा है अशोक ने ललिता को साड़ी बात बताई और करते हुए बोला मेरे भाई ने हाथ में बहुत दर्द है [प्रशंसा] चलिए मैं आपको अस्पताल ले चलती हूं मुझे जो गलती हुई है उसकी यही सजा है अपनी जानबूझकर कुछ नहीं किया जो भी हुआ वह आपसे गलती से हुआ और यह तो सेठ जी की गलती है मूर्ति अगर बहुत भारी थी तो दो कर लोगों को मिलकर मूर्ति उठानी चाहिए ललिता और अशोक को समझा कर अस्पताल ले जाति है देखिए इनके हाथ में फ्रैक्चर हो गया है प्लास्टर करना पड़ेगा काम से काम 2 महीने तक ही अपने दाहिने हाथ से कोई काम नहीं कर पाएंगे डॉक्टर अशोक के हाथ में प्लास्टर कर देता है दोनों दुखी मां से घर वापस ए जाते हैं तभी अशोक का दोस्त रघु उससे अपना उधर वापस मांगने आता है अशोक कहो कैसे हो मैं तो ठीक हूं भाई लेकिन तेरे हाथ में क्या हुआ अशोक ने रघु को साड़ी बात बताई मैंने तो सोचा था की सेठ जी ने तुझे पैसे दे दिए होंगे इसलिए मैं अपने पैसे मांगने आया था पापा की मूर्ति लानी थी रघु भाई थोड़ी देर रुक जा मैं तुझे शाम तक पैसे लोटा दूंगा ठीक है अच्छा तो मैं चला हूं ललिता कहती है तब तक रघु भैया को पैसे कैसे दे पाओगे हमारे पास जो पैसे थे वो डॉक्टर को दे दिए बप्पा हमारी कोई ना कोई मदद जरूर करेंगे तभी घर के दरवाजे पर एक बालक ने आवाज लगे क्या घर में कोई है मुझमें गरीब को कुछ खाने को मिलेगा क्या बालक की आवाज सुनकर अशोक और ललिता दोनों बाहर आए तुम कौन हो बेटे मेरा नाम देवव्रत है मैं एक अनाथ बालक हूं बहुत दोनों से भूख हूं क्या मुझे कुछ खाने को मिल जाएगा बालक को देख ललिता ने सोचा की जो मोदक मैंने बप्पा को भोग के लिए बनाए थे वो इसे मिला देती हूं क्योंकि अब बप्पा की मूर्ति लाने के लिए पैसे नहीं है घर में मूर्ति की स्थापना नहीं हो शक्ति थी ललिता ने बालक से कहा आओ बेटे हमारे घर में तुम्हारा स्वागत है बालक देवव्रत घर के अंदर ए जाता है ललिता एक थाली में कर मोदक रखकर उसे खाने के लिए देती है लेकिन बालक मोदक नहीं का रहा था जब आते बेटे क्या तुम्हें मोदक पसंद नहीं है ऐसी बात नहीं है मुझे मोदक बहुत पसंद है के कहा लेकिन मैं बाबा के हाथ से मोदक खाऊंगा लेकिन बेटे मेरा दाहिना हाथ टूट गया है मैं तुम्हें अपने हाथ से मोदक नहीं मिला सकता नहीं मैं मुंह तक आपके हाथ से ही खाऊंगा नहीं तो भूख से यही प्राण त्याग दूंगा लेकिन बालक ज़िद पर अशोक ने अपने दाहिने हाथ से एक मोदक उठाने की कोशिश की और उसने अपने टूटे हुए हाथ से मुंह तक उठा लिया और बालक को खिलाया अशोक ने एक-एक करके चारों मोदक बालक को मिला दिए कमल की बात है अभी कुछ देर पहले मेरे दाहिने हाथ में बहुत दर्द था मैं इसे हिल भी नहीं का रहा था और अब ना तो दर्द है बल्कि मैंने बालक को इसी हाथ से मोदक भी मिला दिया भाई मुझे और मोदक खाने और मोदक लेकर आई अशोक अपने टूटे हुए हाथ से बालक को मोदक खिलता रहा धीरे-धीरे करके बालक ने सारे मोदक का लिए मुझे और मोदक चाहिए ललिता बालक के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और बोली है धन गणेश मैं आपको पहचान गई हूं मुझे माफ कीजिए मैं आपको और मोदक नहीं मिला शक्ति मेरे सारे मोदक खत्म हो गए हैं प्रभु अब लीला छोड़िए और हमें दर्शन दीजिए ललिता कितना कहते ही बालक भगवान गणेश के रूप में ए गए और बोले ललिता तुम मेरी सबसे प्रिया भक्ति हो तुम्हारे हाथ के बने मोदक खाने के लिए मैं स्वयं तुम्हारे घर चला आया भगवान गणेश ने अशोक से कहा अशोक तुम्हारा हाथ अब पुरी तरह से ठीक हो चुका है अब तुम दोनों को किसी चीज की कोई कमी नहीं होगी लेकिन भगवान आज मेरे हाथों से आपकी मूर्ति टूट गई मुझे बहुत बड़ा अपराध हुआ अशोक उसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं थी तुमने गलत मंशा से कुछ नहीं किया मेरा आशीर्वाद सदा तुम दोनों के साथ है अब जो होगा अच्छा होगा इतना कहकर भगवान गणेश वहां से अंतर्ध्यान हो गए उनके जान के बाद अशोक और ललिता की झोपड़ी में देर साड़ी धन दौलत रुपए पैसों का देर ग गया और कुछ पैसे लेकर मूर्तिकार के पास गया उसने एक बड़ी सी मूर्ति खरीदी और उसे लेकर सेठ जी के घर गया सेठ जी भगवान गणेश की बड़ी मूर्ति देखकर खुश हो गए उन्होंने अशोक से माफी मांगी और अशोक के हाथों से मूर्ति की स्थापना करवाई सेठ जी ने पत्नी और बच्चों के साथ गणेश भगवान की मूर्ति की पूजा की इधर ललिता और अशोक साक्षात भगवान गणेश के दर्शन करके बहुत खुश थे सुजाता की शादी रमन के साथ हुई थी शादी के बाद सुजाता अपने ससुराल आई है उसके ससुराल में स देवी का जेठ अमन जेठानी सुषमा और उनका तीन साल का बेटा चीकू रहते हैं सुजाता का भारत पूरा परिवार था लेकिन सुजाता को अपने ससुराल में कमी दिखाई पड़ी मां जी हमारे घर में भगवान गणेश की कोई मूर्ति नहीं है मैं रोज भगवान गणेश की पूजा करती हो भगवान गणेश सभी विघ्नहर लेते हैं मेरे लिए भगवान गणेश की एक मूर्ति मंगवा दीजिए ठीक है बहू वैसे तो इस घर में किसी देवी देवता की पूजा नहीं होती है लेकिन तू कहती है तो मैं भगवान गणेश की मूर्ति मंगवा दूंगी दूसरे दिन देवी का अपने बड़े बेटे अमन से कहकर भगवान गणेश की एक मूर्ति मंगवाती है और सुजाता को देती है यह ले बहू भगवान गणेश की मूर्ति ए गई है अब इन्हें जहां चाहे विराजमान कर दे सुजाता घर में एक जगह पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करती है और वह हर रोज सुबह-सुबह भगवान गणेश की पूजा करने लगती है पूरा घर भगवान गणेश के भजनों से गंज उठाता था घर के सभी लोग बहुत खुश थे की सुजाता के आने से घर का माहौल बादल गया और पूजा पाठ से घर में सुख शांति ए गई थी फिर आया गणेश चतुर्थी का त्योहार सुजाता ने बड़े उत्साह पूर्वक भगवान गणेश के मनपसंद मोदक बनाए और धूमधाम से गणपति बप्पा की पूजा की धीरे-धीरे दिन बीट रहे थे एक-एक करके कई साल बीट गए लेकिन सुजाता मां ही बन पी थी सुजाता के प्रति घरवालों का व्यवहार बदलने लगा था स और जेठानी बात-बात पर उसे बैंड होने का तन देने लगे थे एक दिन सुजाता भगवान गणेश की पूजा कर रही थी तभी उसकी जेठानी वहां जाति है क्या बात है भगवान गणेश की पूजा हो गई हो तो घर का काम भी कर लो या पूजा के नाम पर सर दिन यही बैठी रहो चाय नाश्ता तो सही समय पर दे दिया कर मां जी पोता देना इसके बस की बात तो है नहीं पता नहीं कौन से पाप किया हैं इसने की इतनी पूजा करने के बाद भी भगवान गणेश ने इसे माफ नहीं किया और एक औलाद नहीं थी बार-बार इसकी औलाद जन्म लेने से पहले ही भगवान को प्यारी हो जाति है स और जेठानी की बातें सुजाता के दिल में किसी तीर की तरह चपटी थी सुजाता गर्भवती तो होती थी लेकिन उसका गर्भ नहीं रुकता था और कुछ ही मीना में उसका गर्भपात हो जाता था अब तक दो बार सो जाता का गर्भपात हो चुका था सुजाता और रमन ने डॉक्टर से काफी इलाज भी करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ अब तो जैसे सुजाता के माथे पर बाज होने का थप्पड़ ग गया था जेठानी सुषमा अपने बेटे चीकू को सुजाता के करीब भी नहीं जान देती थी जबकि सुजाता चीकू से बहुत प्यार करती थी चीकू भी सुजाता से काफी गुल मिल गया चाचा के पास क्यों नहीं जा सकता क्योंकि सुजाता चाचा एक डायन है इसीलिए तो सुजाता चाचा को अपना कोई बच्चा नहीं है डायन डायन क्या होती है जी औरत को अपना बच्चा नहीं होता है ना उससे डायन कहते हैं सुषमा और चीकू की बातें सुजाता के कानों में पद जाति है सुषमा भाभी क्यों बच्चे के मां में मेरे लिए जहर खोल रही हो मैंने तुम्हारे क्या बिगड़ा है देख सुजाता मेरे चिक्कू के आसपास भी भड़काने की जरूर नहीं है और अगर तुझे डायन एन कहूं तो और क्या कहूं जो अपने ही बच्चे को का गई जेठानी की बात सुनकर सो जाता फूट-फूट कर रन लगती है पहले रामानुज से समझता था और उसका साथ दिया करता था लेकिन अब तो उसने भी सुजाता को बांट मानकर उससे मुंह मोड लिया था धीरे-धीरे दिन बीट रहे थे गणेश चतुर्थी का त्योहार नजदीक ए रहा था सुजाता बहुत खुश थी उसने पूरे घर को दुल्हन की तरह सजा दिया और अपने हाथों से प्रसाद का मोदक बनाया लेकिन गणेश चतुर्थी वाले दिन सुजाता जैसे ही भगवान गणेश की पूजा करने जाति है स देवी का न्यू से रॉक दिया सो जाता बहू क्या बात है मां जी आपने मुझे बप्पा की पूजा करने से क्यों रॉक दिया क्योंकि आज से गणेश चतुर्थी की पूजा तू नहीं करेगी तेरी जेठानी सुषमा करेगी लेकिन मां जी हर बार गणेश चतुर्थी की पूजा मैं ही करती आई हूं करती थी लेकिन अब नहीं करेगी हम पांच बहू से भगवान गणेश की पूजा नहीं करवा सकते भगवान गणेश भी तेरी पूजा स्वीकार नहीं करते हैं इसलिए तो तुझे औलाद का सुख नहीं दिया सुषमा चल भगवान गणेश की पूजा कर गणेश चतुर्थी के दिन सुजाता को गणपति की पूजा करने से रॉक दिया गया था सुजाता सरिता ने तो सा शक्ति थी लेकिन बप्पा की पूजा से वंचित होना वह सा नहीं पे वो रोटी हुए अपने कमरे में ए गए जहां रमन बैठा हुआ था सुजाता ने रमन को साड़ी बात बताई मां ठीक ही तो का रही है भगवान की पूजा एक भरे पूरे परिवार की औरत को करनी चाहिए और तुम तो अधूरी हो तुम्हारी कोई संतान नहीं है तुम्हारी पूजा भगवान गणेश को पसंद होती तब तक तो तुम मां बन गई होती इतना कहकर रमन कमरे से बाहर चला जाता है सजा मैं दुनिया भर के तानी सा रही थी लेकिन पति के मुंह से इतनी कड़वी बातें वह सहन नहीं कर पी उससे भी ज्यादा पीड़ा सुजाता के लिए ये थी की उसे गणेश चतुर्थी की पूजा करने से रॉक दिया गया था उससे बप्पा की पूजा और आरती का अधिकार छन लिया गया था है गणपति अगर मैं आपकी पूजा ही नहीं कर पी तो मेरा इस दुनिया में रहने का क्या मतलब अगर मैं आपकी पूजा नहीं कर शक्ति तो मुझे जीने का भी कोई अधिकार नहीं इतना कहकर सुजाता घर से बाहर निकाल गई सुजाता थोड़ी दूर गई थी की तभी उसे किसी ने आवाज दी सोचा था रुक जो सुजाता ने पीछे मुड़कर देखा तो साक्षात भगवान गणेश उसके सामने खड़े थे प्रभु आप आखिर आप मुझे दर्शन देने ए ही गए प्रभु मुझे भागिन से आपकी पूजा करने का अधिकार छन लिया गया एक भक्ति से उसके भगवान की पूजा करने का अधिकार छन लिया गया मैं अब जीना नहीं चाहती हूं प्रभु मैं अब जीना नहीं चाहती हूं अभी तो तुमने अपना जीवन जिया ही नहीं प्रभु आपसे दूर रहकर मैं कुछ ऐसा कीजिए की आप हमेशा मेरे पास रहे ठीक है सो जाता मैं तुम्हारे गर्भ से तुम्हारे बेटे के रूप में जन्म लूंगा और सदा तुम्हारे साथ रहूंगा और उसके बाद भगवान गणेश एक डॉ के रूप में ए गए और सुजाता के गर्भ में सम गए अब मुझे घर चलना चाहिए सुजाता घर की और आने लगती है इधर सुजाता की जेठानी सुषमा गणपति की पूजा कर रही थी लेकिन जैसे ही उसने आरती के लिए दीपक जलाया दीपक बार बार पूछ रहा था उसने गणपति को जो माला पहने वो माला टूट कर बिखर गई और प्रसाद के मोदक से सड़ने की बदबू आने लगी यह क्या हो रहा है मां जी लगता है गणपति मेरी पूजा स्वीकार नहीं कर रहे हैं हमें सुजाता कोई बुलाना पड़ेगा तू रहने को यहां बुलाकर सब कुछ चौपट करने की जरूर नहीं है दीपिका ने अपने बड़े बेटे अमन से कहा लेकिन अमन ने भी जब आरती के लिए दीपक जलन की कोशिश की तो दीपक जल ही नहीं उसके बाद रमन ने भी गणपति की पूजा करने की कोशिश की लेकिन वह भी बप्पा की पूजा नहीं कर पाया लगता है हमें सुजाता को ही बुलाना पड़ेगा ना शायद बप्पा मेरे हाथों से पूजा करवाना चाहते हैं देवी का आरती शुरू कर देती है लेकिन दीपक की लाउ धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी और देखते ही देखते विकराल रूप ले लेती है देविका की साड़ी में आज ग जाति है और ढूंढ करके जलने लगती है बचाओ कोई मुझे बचाओ आपकी लपट इतनी तेज थी की सब उसे छोड़कर भाग जाते हैं तभी सुजाता घर में प्रवेश करती है और देविका को आज में जलते हुए देख लेती है सुजाता जल्दी से भाग कर अपने कमरे में जाति और एक कंबल लेकर आई है वो उसे कंबल की मदद से देविका की साड़ी में लगी आज बुझा देती है आज में देवी का बुरी तरह से झुला गई थी इस समय अस्पताल ले जाति है जहां पीछे से रमन अमन और सुषमा भी पहुंचने हैं अब क्या करने आए हो तुम लोग मुझे तो आज चलकर बढ़ाने के लिए छोड़कर भाग गए थे हां तीनों देविका से माफी मांगते हैं देविका कुछ दिन तक अस्पताल में रहती है सुजाता अस्पताल में उसकी पुरी तरह से देखभाल करती है कुछ दोनों के बाद देवी का ठीक हो जाति है उसे दिन अस्पताल से देविका की छुट्टियां ने वाली थी सुजाता देवी का को लेकर घर जान की तैयारी कर रही थी तभी सुजाता को चक्कर ए जाता है और वो बेहोश होकर गिर पड़ती है अस्पताल की न से उसे उठाकर बिस्तर पर लिट्टी हैं जिसके बाद डॉक्टर उसका चेकअप करता है डॉक्टर साहब क्या हुआ है मेरी बहू को अभी तक तो कुछ नहीं हुआ लेकिन कुछ मीना में जरूर हो जाएगा क्या मतलब ये आप क्या का रहे हैं डॉक्टर साहब मतलब आप दादी बने वाली है क्या ये तो बहुत खुशी की बात है जी पाल का मैं बेसब्री से इंतजार कर रही थी वो समय ए ही गया बेबी को नहीं खुशी के मारे सुजाता को गले से लगा लिया 9 मीना बाद सुजाता ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया सुजाता के गर्भ से स्वयं भगवान गणेश ने धरती पर जन्म लिया था सुजाता ने उसका नाम गजानन रखा और घर में सब को यह बात बताई की भगवान गणेश ने उसके गर्भ से जन्म लिया है घर के सभी सदस्य गजानन को खूब प्यार करते थे सुजाता रोज पहले की तरह भगवान गणेश की पूजा करती और घर के बाकी सदस्य उसका साथ देते थे सभी मिलकर हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मानते थे एक गांव में गरीब बंटी बुढ़िया अपनी पोती सीमा और बेटा बहू के साथ खुशी से रहती थी वह बहुत गरीब होते हैं पर हमेशा खुश रहते हैं बुद्धि औरत गणेश जी की बहुत बड़ी भक्ति एक दिन उसके बेटा बहू सब्जी बेचकर घर ए रहे होते हैं की रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो जाता है अस्पताल जान से पहले ही दोनों की मौत हो जाति है यह सब देखकर है गणेश जी अब मैं कैसे जंगी मेरी पोती का क्या होगा एक तो ये बुध शरीर और ऊपर से मुझे कुछ दिखाई भी नहीं देता मैं कैसे पलंगी अपनी पोती को ये सब का कर बुद्धि औरत फूट-फूट कर रन लगती है अगले दिन क्या करूं कुछ समझ नहीं ए रहा है पहले बेटा बहू मंडी से सब्जी लाकर बेचते थे पर अब कौन जाएगा मंडी इतने में सीमा बहुत सारे फूल लेकर आई है बुद्धि औरत फूल की खुशबू सुनकर कहती है यह फूल क्यों तोड़ लाई मैंने इन्हें गणेश जी की पूजा के लिए रखा है दादी इतने सारे फूलों से पूजा क्यों करोगी क्यों ना हम इन फूलों को मंदिर के पास जाकर बेचे मैंने अभी आपको गणेश जी के सामने रोटी देखा तो सोचा की आपकी मदद की जाए बुद्धि औरत को पोती की बात अच्छी लगती है और वह कहा करती है अरे ये तो बड़ा अच्छा सुझाव दिया तूने कहां से सोचा ये सब दादी मैं रोज आपके साथ मंदिर जाति हूं मैं वहां लोगों को पैसे देकर फूल खरीदने हुए देखते हूं दादी उसे गले लगा लेती है और अगले दिन से मंदिर के बाहर जाकर फूल बेचे का काम करने लगती है जैसे तैसे दोनों का गुजर होता है एक दिन दादी आप तो इतनी ज्यादा गणेश जी की पूजा करती हो फिर भी वो आपकी नहीं सुनते हैं ऐसा क्यों ऐसा नहीं है बेटी जिसके भाग्य में जो है उसे वह भोगना ही पड़ता है अगर हमारे साथ कुछ गलत हो रहा है तो इसका मतलब यह नहीं की हम भगवान पर से अपनी आस्था काम कर लेने दादी मैंने मंदिर में कुछ लोगों को बातें करते सुना की कुछ दोनों में गणेश चतुर्थी आने वाली है हां मेरी बच्ची तूने एकदम ठीक कहा दादी हर साल की तरह हम गणेश चतुर्थी माना पाएंगे क्या गणेश जी चाहेंगे वैसा ही होगा दोनों दादी पोती मिलकर फूल माला बचती है दिन बीट रहे होते हैं बुद्धि औरत बीमा रहने लगती है तभी एक दिन रात में बुद्धि औरत के प्राण लेने यमराज आते हैं यमराज की आवाज सुनकर आपको है मैं यमराज हूं आपके प्राण लेने आया हूं आप मेरे प्यार नहीं ले सकते मेरे शिवा मेरी पोती का कोई नहीं है पहले आपने उसके माता-पिता को उससे छन लिया और अब मुझे भी है ऐसा मत कीजिए वो अनाथ हो जाएगी मुझे आपके प्राण लेने ही पढ़ेंगे मां कुछ नहीं कर सकता यमराज बुद्धि औरत की बात नहीं मानते वो अपनी ज़िद पर अधिक होते हैं तभी बुद्धि औरत कहती है की मैंने सुना है की करने वाले की आखिरी इच्छा पुरी की जाति है बताओ तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है मैं उसे जरूर पूरा करूंगा यह मेरा वादा है 2 दिन बाद गणेश चतुर्थी है मैं अपनी पोती के साथ अंतिम बार गणेश चतुर्थी की पूजा करना चाहती हूं यमराज जी वादा कर चुके थे इसलिए वह पीछे नहीं है सकते थे यमराज जी बुद्धि औरत को 2 दिन का और जीवन दान देकर चले जाते हैं बुद्धि औरत चिंता में रहने लगती है वह सुबह उठाती है और सीमा को बुलाकर कहती है बेटी मेरी तबीयत आज ठीक नहीं है एक काम कर तू अकेली मंदिर चली जा सीमा दादी से पूछती है की क्या हुआ पर दादी कुछ नहीं बताती तो सीमा अकेले मंदिर चली जाति है और फूल बचती है फूल बेचकर सीमा घर आई है और दादी को चुप चुप देख कर कहती है दादी आप इतनी चिंता में क्यों हो कल गणेश चतुर्थी है और आप तो गणेश चतुर्थी का कब से इंतजार कर रही थी ऐसा क्या हुआ है आप इतनी गुमसुम क्यों है बुद्धि औरत की आंखों में आंसू ए जाते हैं वह अपनी पोती को गले लगा लेती है और अगर सीमा को पता चलेगा की मैं गणेश चतुर्थी के बाद उसे छोड़कर जान वाली हूं तो इसका दिल टूट जाएगा एक काम करती हूं उसे यह सब नहीं बताती हूं उसके बाद बुद्धि औरत पूजा की तैयारी करने में ग जाति है पर उसे बहुत बारिश होने लगती है पूरे आज बारिश को देखकर दादी आज तो मंदिर भी नहीं जा पाएंगे फूल बेचे हमारे पास पैसे भी नहीं है हम कैसे मनाएंगे गणेश चतुर्थी बेटी सब हो जाएगा गणेश जी पर भरोसा रख रात में बारिश रुक जाति है सीमा सुबह उठाती है तो देखते है की बारिश रुक गई होती है ये देखकर दादी बारिश रुक गई है चलो हम भी गणेश चतुर्थी की तैयारी करते हैं सीमा अपनी दादी के साथ मंदिर जाति है और फूल बचती है जो पैसे मिलते हैं उससे सीमा अपनी दादी के साथ गणेश जी की मूर्ति खरीदने जाति है दुकानदार पैसे देखकर उसे भाग देता है और कहता है जब पैसे नहीं होते तो दुकान पर आते ही क्यों हो डैडी ऐसा नहीं है हम जरूर मनाएंगे गणेश चतुर्थी दोनों सड़क के पास एक पेड़ के नीचे बैठ जाति हैं तभी वहां उन्हें गणेश जी की एक मूर्ति मिलती है उसे देखकर दादी यह कितनी सुंदर गणेश जी की मूर्ति है मैंने कहा था ना की गणेश जी सब ठीक करेंगे वैसे भी ये मेरी तेरे साथ अंतिम गणेश चतुर्थी है ये कहकर बुद्धि औरत रुक जाति है पर सीमा ये सब सुन लेती है और दादी से कहती है दादी क्या बात है यह गणेश चतुर्थी आपकी अंतिम गणित चतुर्थी कैसे है मैं देख रही हूं आप दो दिन से बहुत परेशान हो सीमा बार-बार अपनी दादी से यही बात पूछने लगती है बुद्धि औरत साड़ी बातें अपनी पोती को बता देती है यह सब सुनकर दादी आपको कुछ नहीं होगा आप ही कहती है ना जो सच्चे दिल से गणेश जी की पूजा करते हैं उन पर गणेश जी की कृपा बनी रहती है उसके बाद सीमा उसे मूर्ति को लेकर घर जाति है और थोड़े से लड्डू खरीद लेती है और अपने पास रखें फूल माला से बहुत ही आस्था और विश्वास के साथ गणेश जी की पूजा करती है सीमा गणेश जी से अपनी दादी लंबी उम्र मांगती है थोड़ी देर में रात हो जाति है और दादी सोनी चली जाति हैं पर सीमा को नींद नहीं ए रही होती है की तभी एक तेज रोशनी होती है यह सब देखकर यह रोशनी कैसी है यह रोशनी तो मूर्ति से ए रही है मैं [संगीत] तुमसे मां और आस्था के साथ मेरी पूजा की की अब गणेश जी है हां मेरी बच्ची तभी गणेश जी के चमत्कार से बहुत सर पैसा सोना चांदी ए जाता है यह सब देखकर मुझे यह सब नहीं चाहिए तो तुम्हें क्या आज रात को किसी भी समय यमराज जी मेरी दादी के प्राण लेने आने वाले हैं मैं चाहती हूं की आप मेरी दादी के ब्रांड वापस लोटा दें यह सुनकर आवाज तथास्तु कहकर गायब हो जाति है और सीमा भाग कर दादी के कमरे में जाति है तो देखते है की दादी आराम से सो रही होती हैं सीमा दादी को गले लगती है और कहती है दादी अब आप मुझे छोड़कर कहानी नहीं जोगी सीमा साड़ी बातें अपनी दादी को बताती है और उसके बाद दादी उसे गले लगा लेती है तभी बुद्धि औरत कहती है की बेटी मुझे सब दिखाई देने लगा है मैं तुझे देख का रही हूं यह सुनकर सीमा बहुत खुश हो जाति है और कहती है दादी आपने सही कहा था गणेश जी सब अच्छा ही करेंगे उसके बाद दोनों बड़े आराम से अपना जीवन जीने लगता हैं अब उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है दोनों इसी तरह गणेश भक्ति में ली रहते हैं

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