Suvichar _ Emotional Kahaniyan _ New Emotional Story _ Moral Hindi Story Written _ Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम दिव्या है मुझे नहीं पता था कि
मेरी किस्मत ऐसी निकलेगी और अचानक मेरे
साथ इतना बड़ा मजाक करेगी कि जिसकी मैंने
कभी उम्मीद भी नहीं की हो रात हो गई थी जब
मेरी सास ने मेरा हाथ पकड़ा था और मुझे
लेकर चली गई थी जैसे ही मैं इस कमरे के
अंदर गई तो मुझे कमरे के अंदर कुछ अजीब
अजीब सी चीजें नजर आने लगी थी मैंने नजर
दौड़ाकर चारों तरफ देखा उस कमरे में जाने
के बाद मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी
बच्चे के कमरे में आ गई हूं क्योंकि अपने
चारों तरफ मुझे खिलौने ही खिलौने नजर आ
रहे थे लेकिन यह तो मेरे पति का कमरा था
कुछ देर पहले ही तो मेरी शादी हुई थी इसका
मतलब यह था कि मेरी सारी ख्वाहिशें मर
चुकी थी और मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया
गया था जबकि इस बारे में तो कभी मैंने
सोचा भी नहीं था कि मेरे साथ ऐसा भी हो
जाएगा मुझे तो बहुत ज्यादा अफसोस हो रहा
था और मुझे उस इंसान से नफरत हो रही थी
जिसने मेरे साथ यह सब कुछ किया था और
जिसके खातिर मैंने इतने सैक्रिफाइस किए थे
वह मेरे अपने ही थे जिन्होंने मुझे इस
मुसीबत का शिकार बना दिया था कुछ देर बाद
मेरा पति हंसता खेलता उस कमरे में आया और
वह मुझे देखकर बहुत खुश हो गया था मुझे
देखते ही वह कहने लगा कि तुम मेरी बेस्ट
फ्रेंड हो तुम मुझे बहुत प्यारी लग रही हो
उसकी यह बात सुनकर तो मेरे सर पर जैसे
आसमान ही टूट पड़ा था कहने को तो वह मेरा
पति था लेकिन वह तो हम चार बहन ने थे मेरी
दो बहनों की शादी हो चुकी थी अब हम दो
बहने ही कुवारी बचे हुए थे मेरी तीनों ही
बहनें बहुत ज्यादा खूबसूरत थी मुझसे मेरी
दो बड़ी बहनें थी और मैं तीसरे नंबर की थी
मेरे बाद मुझसे एक छोटी बहन और थी लेकिन
फर्क इतना था कि मेरी सबसे छोटी वाली बहन
बहुत ज्यादा खूबसूरत और पतली सी थी और मैं
बदसूरत होने के साथ-साथ बहुत मोटी और
भद्दी से दिखती थी मेरी बड़ी दो बहनों की
शादी काफी सालों पहले हो चुकी थी हम दोनों
छोटी बहनों में सिर्फ ढ़ साल का ही फर्क
था इसलिए हम दोनों एक दूसरे के साथ
खेल-खेल करर बड़े हुए थे कभी भी मेरी छोटी
बहन ने मुझे अपनी तरह नहीं समझा था इसकी
वजह सिर्फ मेरी बदसूरती और मेरा मोटापा था
मैं बचपन से ही ऐसी थी और मेरी बहनें शुरू
से ही बहुत खूबसूरत थी मेरे पिता इस
दुनिया में नहीं थे सब कहते थे कि मैं
अपने पिता पर गई हूं मैं बिल्कुल अपने
पिता जैसी दिखती थी जबकि मेरी मां तो बहुत
ज्यादा खूबसूरत थी मेरी छोटी वाली बहन
जिसका नाम अंशिका था वह तो बिल्कुल किसी
हीरोइन की तरह दिखती थी मेरी बदसूरती और
मेरा मोटापा मुझे हर चीज में पीछे धकेल
देता था मैं जैसे ही आगे बढ़ने की कोशिश
करती आईने में अपनी शक्ल और अपने शरीर को
देखकर पीछे हट जाती थी मेरी इस हालत ने
मुझे शर्मिंदगी का कई जगह शिकार बनाया था
ऊपर से मेरी मम्मी और मेरी बहन के ताने
मुझे जीने नहीं देते थे मैं आज तक अपनी
जिंदगी में कुछ नहीं कर सकी बस अपनी
पर्सनल लाइफ में ही अपनी पर्सनल ख्वाहिशों
को पूरा किया करती थी बस यही सोचती रहती
कि काश मेरा भी कोई चाहने वाला होता जिसको
मेरी चाहत होती और वह मुझसे शादी करके
मुझे अपने साथ ले जाता मेरी इस हालत की
वजह से मेरे रिश्ते भी नहीं लग पा रहे थे
काश मेरी भी ऐसी ही कहानी होती जैसे मेरी
बहन की थी हर लड़का मेरी बहन को देखते ही
उस पर फिदा हो जाता था पर मेरे जैसी
बदसूरत और मोटी लड़कियां तो सिर्फ सपने ही
देख सकती हैं हकीकत में तो उनके साथ ऐसा
कुछ भी नहीं होता यह तो सब भाग्य की बात
होती है मेरी बहन हमेशा शीशे के सामने
खड़े होकर अपनी खूबसूरती पर घमंड किया
करती थी और बात-बात पर मुझे ताने देती थी
मैं यह कड़वे घूट बड़ी मुश्किल से पीती थी
कभी भी मैंने किसी को अपनी बदसूरती और
मोटापे के तानों पर पलटक जवाब नहीं दिया
था मैं अपनी बहन से ढ़ साल बड़ी थी मैं
चाहती तो अपनी बहन को अपने हिसाब से डांट
सकती थी लेकिन मेरे घर में मेरी बड़ों
वाली कोई इज़्ज़त ही नहीं थी मैंने फैसला
कर लिया था कि मैं अपने लिए कोई स्टैंड
लूंगी अंशिका ज्यादा खूबसूरत थी इस वजह से
मेरी मम्मी उसे घर में ही रहने देती थी
जबकि मम्मी मुझे जॉब करने की राय देती थी
क्योंकि हमारे घर में कोई कमाने वाला मर्द
नहीं था पहले तो मेरी मम्मी लोगों के घरों
में जाकर काम किया करती थी लेकिन अब उनकी
तबीयत खराब रहने लगी थी तो इसीलिए उनका
ध्यान मुझ पर जाता था कि मैं कोई जॉब कर
लूं मैं पढ़ी-लिखी थी और और शुरू से ही
डॉक्टर बनना चाहती थी मैं डॉक्टर तो नहीं
बन सकी लेकिन मैंने नर्सिंग की जॉब शुरू
कर दी थी मुझे काम मिल गया था और इसी तरह
से जॉब करते-करते हमारे घर के हालात काफी
बेहतर हो गए थे एक दिन मुझे एक बड़े से घर
में एक पेशेंट का ध्यान रखने के लिए जाना
था मेरी ड्यूटी वहां पर सुबह 11:00 बजे से
लेकर शाम के 6:00 बजे तक होती थी मैं उस
दिन बहुत ही खुश थी यह बहुत बड़ा बंगला था
यह एक औरत थी जिनकी तबीयत खराब रहती थी और
उन्हें हमेशा एक नर्स की जरूरत होती थी
इसलिए उन्होंने मुझे नौकरी पर रख लिया था
सुना था कि मैडम के दो बेटे हैं लेकिन
मैंने नोटिस किया था कि सिर्फ एक लड़का ही
मैडम के साथ रहता था वह लड़का बहुत ही
स्मार्ट था और मेरी उम्र का था मैं जब भी
उस लड़के को देखती थी तो मेरी यही चाहत
होती थी कि काश मेरी शादी इसी तरह के
स्मार्ट लड़के से हो पर मैं जानती थी कि
मेरे साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा
क्योंकि मेरी बदसूरती और मेरा मोटापा मेरी
जि जिंदगी के बीच में टांग अड़ा दिया करते
थे मुझे यहां पर नौकरी करते हुए काफी दिन
हो गए थे एक दिन मेरी बहन अंशिका मुझसे
बहुत जिद करने लगी कि मैं भी तुम्हारे साथ
तुम्हारी मैडम का ख्याल रखने के लिए चलती
हूं मेरी मम्मी ने उसे सख्ती से मना किया
कि तुम वहां पर नहीं जा सकती इस तरह से तो
दिव्या के काम में भी रुकावट आ सकती है
तुम घर पर ही रहो यह काम दिव्या का है वही
करेगी और फिर जो पैसे आते हैं उनमें से
आधे पैसे मैं तुम्हें भी तो देती हूं तो
तुम्हें किस बात की फिक्र सता रही है अपनी
मम्मी की बात सुनकर मैं हैरान रह गई कि
मेरे कमाए हुए पैसे मेरी मम्मी अंशिका को
देती हैं लेकिन आज तक उन्होंने मुझे मेरी
ही कमाई का एक रुपया भी नहीं दिया था जबकि
मेरे भी तो 10 खर्चे होते थे क्या हमेशा
सारी सखियां मुझे ही बर्दाश्त करनी है
जबकि अंशिका को तो मम्मी घर से बाहर ही
नहीं निकलने देती थी पर अंशिका मेरे साथ
बंगले पर जाने के लिए बहुत ज्यादा जिद्द
करने लगी उस दिन तो मैंने अंशिका को
जैसे-तैसे टाल दिया था लेकिन एक दिन मम्मी
की तबीयत अचानक बहुत ज्यादा खराब हो गई और
मम्मी दवाई खाकर सो गई उस दिन अंशिका को
अच्छा मौका मिल गया था और उसने मुझसे कहा
कि दिव्या मैं तुम्हारे साथ आज तुम्हारी
मैडम के बंगले पर जाना चाहती हूं मैं भी
देखना चाहती हूं कि बड़े लोगों की
लाइफस्टाइल कैसी होती है उसका इरादा जानकर
मैंने उससे कहा अगर मम्मी को इस बारे में
पता चल गया तो वह तुम्हें कुछ नहीं कहेंगी
लेकिन मुझ पर बहुत डांट लगाएंगी इसलिए मैं
बिल्कुल भी नहीं चाहती कि मैं तो मैं अपने
साथ लेकर बंगले पर जाऊं दिव्या कहने लगी
तुम अपने काम से काम रखो मैं भी तो पढ़ी
लिखी हूं मैं भी तो नर्स की नौकरी कर सकती
हूं मैं तुम्हारी वजह से मैडम के घर नहीं
जा रही बल्कि अपनी वजह से जा रही हूं वह
जबरदस्ती करके मेरे साथ मैडम के बंगले पर
चली गई मैडम ने जब मेरे साथ अंशिका को
देखा तो वह कहने लगी कि दिव्या यह
तुम्हारी बहन है तुम दोनों बहनों में तो
जमीन आसमान का फर्क है मैडम तो मेरी बहन
से बहुत खुश हुई थी और अंश को अपने साथ
बिठाने लगी थी उनका कहना था कि तुम मुझे
टाइम पर दवाइयां देकर मेरा इलाज कर रही हो
लेकिन तुम्हारी बहन तो अपनी बातों से ही
मेरा इलाज कर रही है उन्हें अंशिका बहुत
पसंद आई थी और इधर जब मैडम को मुझसे कोई
काम होता तभी वह मुझे बुलाती थी अब मेरी
बहन हर दिन मेरे साथ मैडम के बंगले पर आने
लगी थी इस टाइम तक मेरी मम्मी रोज दवाई
खाकर सो रही होती थी ऐसा कहना गलत नहीं
होगा कि वह मैडम की पर्सनल लाइफ में
इंटरफेयर करने लगी थी मैं तो बस एक नर्स
के तौर पर वहां पर टिकी हुई थी अंशिका को
मैडम के घर की और उनकी फैमिली के हर
मैटर्स के बारे में अच्छी तरह से जांच हो
गई थी क्योंकि मैडम मेरी बहन से अपनी हर
बात शेयर करने लगी थी एक दिन मैंने देखा
कि मेरी बहन कमरे में बैठी हुई ना जाने
क्या सोच रही थी उसके चेहरे में मुझे कुछ
अजीब सा नजर आ रहा था मैंने जैसे ही अपनी
बहन को देखा तो मैं हैरान रह गई थी
क्योंकि मेरी बहन जब भी मैडम के घर से आ
ती तो बहुत ज्यादा खुश नजर आती थी मैं
उससे इस सबकी वजह पूछती तो वह मेरी किसी
भी बात का कोई जवाब नहीं देती थी अब तो वह
हर रोज चुप-चुप रहती और मेरे साथ मैडम के
बंगले पर चली जाती थी एक दिन मेरी नजर
अंशिका पर गई वह इस बंगले के कोने वाले
रूम में बैठी हुई थी जबकि उसके साथ कमरे
में कोई और भी मौजूद था मुझे यहां पर
नौकरी करते हुए काफी टाइम हो गया था लेकिन
अभी तक मुझे किसी भी कमरे में जाने की
परमिशन नहीं थी इसीलिए मैं कम कमरे के
अंदर नहीं जा सकी अभी तक मैं बंगले के
किसी भी कमरे में नहीं गई थी सिर्फ मैडम
के कमरे से ही मतलब रखती थी मैं जब घर गई
तो फौरन मैंने जाते ही सबसे पहले अपनी बहन
से सवाल किया कि तुम कमरे में क्या कर रही
थी और तुम्हारे साथ वहां पर कौन था वह
कहने लगी कि प्लीज दिव्या तुम अपने काम से
काम रखो मैं जो मर्जी चाहे करूं तुम्हें
इससे क्या मतलब है मैं हैरान हो गई थी
मैंने उसे कहा अगर तुमने मुझे नहीं बताया
तो मैं यह सारी बातें सच-सच मम्मी को बता
दूंगी कि तुम छुप-छुप कर मेरे साथ मैडम के
बंगले पर जाती हो मेरी बात सुनकर तो वह डर
से कांपने लगी थी क्योंकि वह अच्छी तरह से
जानती थी कि अगर मम्मी को यह बात पता चल
गई तो उसकी काफी धुलाई होगी वह कहने लगी
प्लीज दिव्या ऐसा मत करो मैं तुम्हें सारी
बात बता देती हूं उसने फिर मुझे जो बताया
उसे सुनकर तो मुझे अपने कानों पर विश्वास
नहीं हो रहा था और मेरे होश पूरी तरह से
उड़ चुके थे मैंने अंशिका से कहा कि तुम
यह सब कुछ क्या कह रही हो मैं हैरान रह गई
थी मैंने उससे कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा
था कि तुम इस तरह की भी हरकत कर सकती हो
तुम्हें पता भी है अगर मम्मी को इस बारे
में पता चल गया तो उसकी खैर नहीं है मैंने
अंशिका से कहा कि तुम्हें पता भी है तुम
क्या कर रही हो यह हमारी इज्जत का सवाल है
प्लीज तुम ऐसा मत करो अंशिका कहने लगी
देखो मैं खुद कुछ भी नहीं कर रही उस लड़के
ने ही मुझे बुलाया था और जब मैं उसके पास
गई तो वह कहने लगा कि वह मुझसे प्यार कर
बैठा है फिर मैं क्या करती मैंने भी उसे
अपना मोबाइल नंबर दे दिया और कह दिया था
कि मैं शाम को फ्री होती हूं इसलिए वह
मुझे शाम को कॉल करता है और रात को मैसेज
करके हम बातें करते हैं अंशिका की यह
बातें सुनकर तो मेरा पूरा शरीर ही कांपने
लगा था मैं जानती थी कि मेरी बहन ऐसी ही
है अगर कोई उसकी खूबसूरती की तारीफ कर
देता है तो उसका दिमाग आसमान पर चढ़ जाता
है उस लड़की ने भी जरूर मेरी बहन की तारीफ
की होगी और मेरी बहन उसकी में आकर उससे
बातें करने लगी और उसने मैडम के बेटे को
फंसा लिया पर मेरी बहन का कहना था कि पहल
तो मैडम के बेटे ने ही की है जिसकी वजह से
मैं भी खामोश हो गई थी अब मेरी बहन हर रोज
मेरे साथ बंगले पर जाती थी मैं जैसे ही
मैडम के बेटे को देखती तो वह मेरी बहन को
देखकर मुस्कुरा रहा होता था यह देखकर तो
मुझ में एक जलन सी पैदा होने लगी थी कि
काश मैं भी खूबसूरत और पतली होती अपनी बहन
की जितनी सुंदर होती तो मेरी भी एक अलग ही
दुनिया होती हर लड़का मुझे भी प्रपोज करता
और मेरी खूबसूरती की तारीफ करता लेकिन सच
में तो ऐसा कुछ भी नहीं था मैंने इग्नोर
किया और मैं मैडम के रूम में उनके पास चली
गई थी मैंने अपनी बहन को काफी समझाया था
कि कहां हम गरीब लोग और कहा मैडम का अमीर
बेटा तुम दोनों का कोई मेल नहीं वह मुझ पर
गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि तुम शुरू
से ही मुझसे जलती रही हो तुम नहीं चाहती
कि मैं अपनी जिंदगी में खुश रहूं तभी तो
तुम ऐसी बातें कर रही हो और देखना तुम मैं
मैडम से खुद बात करूंगी कि वह मेरी शादी
अपने बेटे से करवा दें क्योंकि उनका बेटा
मुझसे बहुत प्यार करता है मैंने अंशिका से
कहा तुम मैडम से ऐसी कोई भी बात नहीं
कहोगी अगर उन्हें गुस्सा आ गया तो वह हमें
नौकरी से भी निकाल सकती है यह कहकर मैं
खामोश हो गई क्योंकि मैं जानती थी कि अगर
मैंने उसे समझाने की और कोशिश की तो उसे
यही लगेगा कि मैं उससे जल रही हूं जबकि
मैं तो उसका भला ही चाहती थी एक दिन
अंशिका बहुत परेशान नजर आ रही थी वो मेरे
साथ बंगले पर नहीं गई मुझे ऐसा लगा जैसे
उसने मैडम से बात कर ली होगी और शायद मैडम
ने उसे मना कर दिया होगा मैं अभी यही सब
कुछ सोच रही थी कि अचानक हमारे घर का
दरवाजा बजा मम्मी तो इस टाइम पर सो रही थी
लेकिन अंशिका जाग रही थी जैसे ही मैंने
दरवाजा खोला तो अपने सामने मैडम को देखकर
मैं हैरान रह गई थी कि वो इस टाइम पर
हमारे घर कैसे आ गई मैंने अंशिका का फेस
नोटिस किया तो अंशिका का चेहरा तो खुशी के
मारे खिल गया था था मैडम घर के अंदर आई तो
वह मुझे बड़े प्यार से देखने लगी वह मुझे
काफी प्यार करने लगी थी उनको आते हुए
देखकर अंशिका ने मम्मी को भी जगा दिया था
मैडम ने मम्मी के सामने मेरी बहुत तारीफ
की मैडम की तबीयत अब पहले से काफी बेहतर
हो गई थी लेकिन फिर भी उनका ख्याल रखने के
लिए मुझे उनके घर ड्यूटी देने जाना होता
था मैडम ने मेरी मम्मी को बताया कि दिव्या
मेरा बहुत ख्याल रखती है और इसी की वजह से
मैं ठीक हो पाई हूं मम्मी बहुत ज्यादा
हैरान थी कि आखिर मैडम को ऐसा कौन सा काम
आ पड़ा जिसकी वजह से वह हमारे घर पर आई
हमने अपने घर में उनकी खूब खातिर की कुछ
देर बातें करने के बाद मैडम ने मम्मी से
कहा कि देखिए भाभी जी आपकी दोनों ही
बेटियां बहुत सुंदर हैं आपकी छोटी बेटी का
भाग्य तो बहुत अच्छा है जो वह इतनी सुंदर
है लेकिन आज मैं आपकी बेटी का रिश्ता अपने
बेटे के लिए मांगने आई हूं यह बात सुनते
ही हम सब लोग हैरान रह गए थे मेरी मम्मी
ने मैडम से कहा लेकिन मैडम जी आप मेरी किस
बेटी का रिश्ता मांगने आई हो जब मैडम ने
मेरी तरफ देखा मेरे तो होश ही उड़ गए थे
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे भाग ी
खुल गए हो मेरी तो खुशी के ठिकाने ही नहीं
रहे थे मैडम ने बड़ी प्यार से मेरी तरफ
देखकर कहा कि मैं आपकी बड़ी बेटी दिव्या
का रिश्ता अपने बेटे के लिए मांगने आई हूं
यह बात सुनकर तो पहले मेरी मम्मी परेशान
हो गई थी उधर मेरी बहन बहुत बेफिक्र थी
उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसे सब कुछ
मालूम हो मैं हैरान थी क्योंकि मुझे लगा
था यह सब मेरी बहन को बिल्कुल भी अच्छा
नहीं लगा होगा लेकिन मेरी बहन तो खुश नजर
आ रही थी मेरी मम्मी ने जैसे ही अंशिका को
खुश होते हुए देखा तो उन्होंने मैडम से
कहा कि ठीक है मुझे यह रिश्ता मंजूर है इस
तरह मेरा रिश्ता मैडम के बेटे के साथ तय
हो गया और यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा
दिन था पर मैं कहां जानती थी कि यह मेरी
जिंदगी का सबसे बड़ा दिन नहीं बल्कि यह
मेरी जिंदगी का सबसे बुरा दिन है जिसके
बाद मेरी किस्मत और भी बदल जाएगी न जाने
मेरा और किन-किन परेशानियों से सामना होना
था यह तो मैं भी नहीं जानती थी मेरी शादी
की तैयारी होने वाली थी और मैं दिल ही दिल
में अपने और अपने होने वाले पति के बारे
में सोच सोच कर खुश होने लगी थी क्योंकि
मुझे मैडम का बेटा पहले से ही अच्छा लगता
था मेरे इस रिश्ते से अंशिका भी खुश थी
इसी वजह से मैं बेफिक्र हो गई थी और मुझे
भी अपनी बहन से अब कोई ऐतराज नहीं रहा था
वो मेरी शादी की खूब शॉपिंग कर रही थी
मेरा भी हर सामान अपनी पसंद से लेकर आ रही
थी और मेरी सास के साथ वह खुद ही मेरी
शादी के कपड़े सिलेक्ट करने गई थी और फिर
कुछ दिन बाद ही मेरी शादी का दिन भी आ गया
था अंशिका बहुत खुश थी बल्कि अंशिका ने ही
तो मुझे तैयार किया था और फिर मेरी शादी
मैडम के बेटे के साथ हो गई थी सारे मेहमान
चले गए थे जब मैडम मुझे मेरे कमरे में
लेकर गई लेकिन यह कमरा देखकर तो मैं हैरान
रह गई थी और आंखें फाड़ फाड़कर कमरे को
चारों तरफ से देख रही थी इस कमरे को देखकर
मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा
था यह कमरा किसी नई नवेली दुल्हन का नहीं
बल्कि किसी बच्चे का कमरा लग रहा था और
सोच रही थी कि मुझे इस बच्चे के कमरे में
क्यों लाया गया है यह कमरा तो हर तरफ से
बच्चों के टॉय से भरा हुआ था मुझे समझ
नहीं आ रहा था कि मैडम मुझे मेरे कमरे में
क्यों नहीं लेकर जा रही मैंने बड़ी बेचैन
नजरों से मैडम की तरफ देखा और उनसे कहा कि
यह किसका रूम है मैडम मैडम ने कहा तुम अब
इसी कमरे में रहोगी मैंने कहा लेकिन मैडम
मैं तो अपने पति के साथ रहना चाहती हूं
मेरी यह बात सुनकर मैडम हंसने लगी थी और
कहने लगी कि दिव्या यह तुम्हारा ही कमरा
है बल्कि यह तुम्हारे पति का ही कमरा है
यह सुनकर तो मुझे अपने कानों पर विश्वास
नहीं हो रहा था मैं इस कमरे को फिर से
चारों तरफ से घर-घर कर देखने लगी हर तरफ
मुझे खिलौने और बच्चों के इस्तेमाल की
चीजें ही नजर आ रही थी ऐसा लग रहा था कि
जैसे ही किसी छोटे बच्चे का कमरा है मैडम
मुझे इस तरह से रिएक्ट करते हुए देखकर
कहने लगी देखो तुम अपने दिमाग पर ज्यादा
दबाव मत बनाओ और चुपचाप इस बैड पर दुल्हन
बनकर बैठ जाओ थोड़ी देर के बाद ही
तुम्हारा पति भी आ जाएगा फिर तुम्हें
तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे
मैंने मैडम की तरफ मुस्कुराते हुए देखा
जैसे मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो और
फिर मैं जल्दी से घूंघट डालकर मासूम सी
अदाओं से बेड पर बैठ गई मैडम तो कमरे से
जा चुकी थी और मैं अपने पति का इंतजार
करने लगी थी मेरे दिमाग में अजीब अजीब तरह
के सवाल पैदा हो रहे थे कि यह कमरा कहीं
से भी नई दुल्हन का नहीं लग रहा क्योंकि
नई दुल्हनों के कमरे तो फूलों से सजे हुए
होते हैं ना कि खिलौनों से कहीं ऐसा तो
नहीं कि मेरा पति पहले से ही शादीशुदा हो
और उसके पास बच्चा भी हो यह रूम भी उसी
बच्चे का ही हो लेकिन फिर इन गलत ख्यालों
को अपने दिमाग से निकालकर सोचने लगी कि
नहीं ऐसा नहीं हो सकता थोड़ी देर के बाद
ही कमरे का दरवाजा नॉक हुआ था मेरा दिल तो
तेज तेज धड़क रहा था और जल्दी से मैं ठीक
से होकर बैठ गई शर्म की वजह से मेरी तो
नजरें ही नहीं उठ रही थी कि मैं अपने पति
को देख सकूं लेकिन जैसे ही मैंने अपने पति
को देखने के लिए अपनी नजरें ऊपर की तरफ
उठाई मेरा पति कमरे में आते ही मेरे पास
बैठ गया और उसने जल्दी से दो-तीन खिलौने
उठाए और सब बेड पर फैलाकर खेलने लगा उसके
हाथ में एक कार थी जिसे वह बैड पर चला रहा
था अपने पति की इस तरह की हरकतें देखकर तो
मेरे होश उड़ गए थे मैं सोच रही थी कि ये
बच्चू जैसी हरकतें क्यों कर रहा है वो
छोटी सी कार को बिल्कुल मासूम बच्चों की
तरह चला रहा था मैंने जल्दी से अपना घूंघट
हटाया और अपने पति की तरफ देखने लगी मेरे
पति ने मुझे देखते ही जोर-जोर से तालियां
बजाना शुरू कर दिया और वह इस तरह से खुश
हो रहा था जैसे छोटे-छोटे बच्चे खुश होते
हैं उसने कहा तुम कौन हो तुम मेरी बेस्ट
फ्रेंड हो ना तुम्हें पता है मेरी बेस्ट
फ्रेंड खो गई है अपने पति की बातें सुनकर
तो मैं हैरान रह गई थी यह इंसान मुझे कहीं
से भी नॉर्मल नहीं लग रहा था इसका दिमाग
बिल्कुल बच्चों वाला था और ऐसा लग रहा था
कि जैसे मेरी शादी किसी बच्चे के साथ हो
गई मुझे याद है यह मैडम का ही बेटा है जो
हमेशा मैडम के साथ रहता था मैंने सुना था
कि मैडम के दो बेटे हैं लेकिन एक बेटे को
तो मैंने कभी देखा ही नहीं था मेरी शादी
तो मैडम के उस बेटे के साथ होने वाली थी
जो उनके साथ हमेशा रहता था और जिसे मैं
पसंद पसंद करती थी वह तो बिल्कुल भी ऐसी
हरकतें नहीं करता था लेकिन फिर यह कौन है
मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मैं
यही सब कुछ सोच रही थी कि तभी अचानक मेरी
नजर डेस्क पर रखे हुए फोटो फ्रेम पर गई
इसमें दो जुड़वा लड़कों की फोटो थी इस
फोटो को देखकर मैं समझ गई थी कि यह दोनों
जुड़वा हैं यह मैडम का दूसरा बेटा है
जिसकी शक्ल बिल्कुल मैडम के उस लड़के के
साथ मिलती है जिसको अक्सर मैंने देखा था
मैडम का दूसरा बेटा मेरे सामने मौजूद था
इसका मतलब यह था कि मेरे साथ धोखा किया
गया था उसकी हरकतें देखकर तो मेरा दिल
जोर-जोर से धड़क रहा था वो मेरे पास आकर
कहने लगा बेस्टी तुम बहुत प्यारी लग रही
हो मेरी मम्मी ने बताया था कि आज मेरी
शादी होने वाली है और मुझे मेरे साथ खेलने
के लिए एक बेस्ट फ्रेंड मिलने वाली है तुम
ही वह बेस्ट फ्रेंड हो जो मेरे साथ खेला
करोगी मैं जल्दी से गुस्सा होकर बैठ से
उठी और उससे कहने लगी यह तुम क्या कह रहे
हो कैसी बातें कर रहे हो तुम होश में तो
हो जबकि वो मेरी इतनी तेज आवाज सुनकर सहम
गया था और खामोश हो गया फिर वह मुंह बनाने
लगा और कहने लगा बेस्टी तुमने मुझे डांटा
है मैं तुम्हारी शिकायत अपनी मम्मी से
करके आता हूं मैं समझ गई थी कि मैडम का
दूसरा बेटा दिमागी तौर पर बिल्कुल भी ठीक
नहीं है और उसी के साथ मेरी शादी हुई है
लेकिन इतना घिनौना खेल मेरे साथ रचाया गया
था मैंने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा
था कि मेरे साथ इतना बड़ा धोखा भी हो सकता
है मेरा दिमाग बुरी तरह से चकरा कर रह गया
था मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं अभी और
इसी वक्त मैडम के पास जाऊं और उनसे
चिल्लाकर कहूं क्या मेरी इतनी औकात थी कि
उन्होंने अपने पागल बेटे की शादी मेरे साथ
कर दी और मुझसे पूछा भी नहीं मैं खुद को
ही कसूरवार समझ रही थी कि मैंने ही खुद
क्यों नहीं सोचा कि मेरी शादी किससे की जा
रही है मैं इतनी अंधी हो गई थी कि मैंने
जानने की कोशिश भी नहीं की कि मैडम का एक
और बेटा भी है मुझे तो यही लगा था कि मेरी
शादी मैडम के उसी बेटे के साथ हुई है
जिसको मैं हमेशा से देखती आई हूं लेकिन
अचानक से उनकी इसी शक्ल वाले पागल बेटे को
देखकर तो मैं हैरान रह गई थी और मैं यह
भूल गई थी कि इतनी बदसूरत और मोटी हूं कि
उनके इतने स्मार्ट लड़के के साथ कैसे
रहूंगी वो लड़का मुझे डिजर्व नहीं करता
मेरे लिए तो शायद इस पागल लड़के जैसा ही
पति डिजर्व करता था जिसके साथ मेरी अब
शादी हो गई थी मैंने बिल्कुल इस बारे में
नहीं सोचा और यही समझी थी कि मेरी शादी
उसी के साथ हो रही है जिसे मैं पसंद करती
थी यह चेहरा तो वही था लेकिन यह वह इंसान
नहीं था मेरी गलतफहमी का पर्दा अब मेरे
सामने से उठ गया था अब मेरे सामने सच्चाई
थी मैंने यह क्यों नहीं समझा कि मैडम के
दो जुड़वा बेटे भी तो हो सकते हैं मैं अब
ऐसा नहीं कर सकती थी कि अपना गुस्सा अपने
इस पागल पति पर निकालती और मेरी गलती यह
मेरा पागल पति अपनी मां को बता देता मैंने
अपने पागल पति का हाथ पकड़ा और उससे प्यार
से कहने लगी कि मुझसे गलती हो गई मेरी
शिकायत अपने अपनी मम्मी से मत करना मैंने
अपने हाथ जोड़ लिए कान पकड़ लिए और कहा कि
प्लीज मुझे माफ कर दो मैंने तुम्हें डांट
दिया लेकिन मैं आगे से तुम्हें कभी नहीं
डांटूर ठीक कहा तुम्हारी शादी तुम्हारी
बेस्टी के साथ हुई है मैं तुम्हारी बेस्टी
ही तो हूं देखो तुम्हारी बेस्टी कितनी
प्यारी लग रही है और तुम्हारी बेस्टी अब
तुम्हारे साथ ही खेला करेगी मैं अंदर ही
अंदर अपनी किस्मत पर रो रही थी मैंने कभी
नहीं सोचा था कि ऐसी बातें भी मुझे अपने
पति के साथ करनी पड़ेंगी
मेरे पति ने जैसे ही मेरी बातें सुनी वह
खुशी से उछलने लगा और कहने लगा कि थैंक यू
मेरी बेस्टी चलो हम दोनों ट् वाइस के साथ
खेलते हैं मैं दिल ही दिल में खून के आंसू
रो रही थी व रात तो मेरी जैसे-तैसे गुजर
गई थी अगले दिन जैसे ही मेरी आंख खुली तो
मेरी बहन आई हुई थी मैंने उसे नफरत भरी
नजर से देखा वो मुझे बहुत खुश नजर आ रही
थी वो मेरे पास आकर कहने लगी दिव्या
तुम्हारी रात कैसी गुजरी है अपने पागल पति
के साथ यह कहकर वो खूब जोर-जोर से हंसने
लगी इसका मतलब कि वह मेरे जख्मों पर नमक
छिड़कने के लिए आई थी जबकि मैं तो इतनी
ज्यादा परेशान थी और यही सोच रही थी कि
मुझे अपनी बहन की बातों का बुरा नहीं
मानना चाहिए बस इसी वजह से मैं खामोश रही
थी अचानक ही उस लड़की की आवाज आई जिसके
साथ मैंने अपने सारे सपने सजाए थे वोह
मेरे पति का भाई था जिसकी शक्ल हूबहू मेरे
पति से मिलती थी उसके बोलने के अंदाज से
मैं सोच में पड़ गई थी कि मैं तो इससे
शादी करना चाहती थी थी लेकिन मेरी शादी
इसी की शक्ल जैसे पागल लड़के के साथ हो गई
उसने मेरी बहन से कहा अब तो तुम्हारा
रास्ता साफ हो गया अब देखना मैं जल्द से
जल्द तुमसे शादी कर लूंगा और फिर तुम इस
घर में राज करोगी यह सुनकर तु मेरे पैरों
तले से जमीन निकल गई मैं जान गई थी कि ये
सब कुछ मेरी बहन का ही किया धरा है उसी ने
ही इस शर्त पर मेरी शादी उस पागल लड़की से
करवा दी थी ताकि वह अपनी पसंद से इस लड़के
के साथ शादी कर सके मैं हैरान हो गई थी
लेकिन अब मैं और यह सब कुछ खामोशी से
बर्दाश्त नहीं कर सकती थी अचानक मैं उठी
और अपनी बहन को झंझोट कर कहने लगी तुम
क्या सच में मेरी बहन हो क्या हम दोनों
सगी बहनें हैं तुमने तो मेरी जिंदगी ही
बर्बाद कर दी है मुझे नहीं पता था कि तुम
मेरे साथ इतनी बड़ी चाल भी चल सकती हो
तुमने ही धोखे से मेरी शादी इसके पागल भाई
के साथ करवाई है ना तुम जानती थी कि इसकी
ही शक्ल जैसा इसका एक और भाई है और वह
पागल है लेकिन फिर भी तुमने यह सब कुछ
होने दिया अंशिका कहने लगी कि हां मैंने
तुम्हारी शादी अपने होने वाले जेठ के साथ
करवाई है क्योंकि मैडम ने शर्त रखी थी कि
वह सबसे पहले अपने बड़े बेटे की शादी
करेंगी अब दिक्कत यह थी कि उनका बड़ा बेटा
तो पागल है जिसका रिश्ता नहीं लग पा रहा
था और ना ही कभी उसकी शादी हो सकती है
जैसे हमारे घर में तुम्हें ही देख लो मैं
इतनी खूबसूरत हूं लेकिन तुम मेरी बड़ी बहन
हो तुम इतनी बदसूरत और मोटी भद्दी सी
दिखने वाली लड़की मेरी बड़ी बहन हो जिसकी
वजह से से मम्मी मेरा रिश्ता नहीं करना
चाह रही क्योंकि मुझे शादी करने का बहुत
शौक है और बहुत ही जल्दी है मैं तो अजय से
प्यार करती हूं अब जैसी कंडीशन हमारे घर
पर थी ऐसी ही कंडीशन अजय की भी फैमिली में
भी थी जब मैडम हमारे यहां अपने बड़े और
पागल बेटे का रिश्ता तुम्हारे लिए लेकर गई
तो मम्मी ने आसानी से तुम्हारे रिश्ते के
लिए हां कर दी थी मैडम की तो बहुत बड़ी
परेशानी हल हो गई थी वह तो वैसे भी अपने
बड़े बेटे से बहुत प्यार करती हैं वह पागल
है उसे लोग पागल कहते हैं तो उन्हें बहुत
तकलीफ होती है इसलिए तो उन्होंने अपने
पागल बेटे को शुरू से ही किसी के सामने
नहीं आने दिया अब वह बंद कमरे में ही जवान
हो गया तो वह चाहती है कि वह सबसे पहले
उसी की शादी करें क्योंकि उनका बेटा अजय
विजय से 1 मिनट बाद पैदा हुआ था इन दोनों
की पैदाइश में एक मिनट का फर्क है मैडम तो
मम्मी के इस रिश्ते से हां करने पर बहुत
ज्यादा खुश हो गई थी उन्हें लगा था कि
उनके पागल बेटे की शादी एक नॉर्मल लड़की
के साथ हो रही है यही बहुत बड़ी बात है
वरना तुम जैसी को कौन अपने मुंह लगाता तुम
बदसूरत और अजय का भाई विजय पागल और तुम
दोनों ही हम दोनों के रिश्ते में रुकावट
पैदा कर रहे थे इसलिए हम दोनों ने प्लान
बनाया कि क्यों ना तुम दोनों की ही आपस
में शादी करवा दी जाए इस तरह से हम दोनों
के आगे का रास्ता भी साफ हो जाएगा हमारी
शादी से पहले हमारे बड़े भाई बहनों की भी
शादी हो जाएगी और फिर हम दोनों एक दूसरे
से आसानी से शादी भी कर सकेंगे अंशिका की
बातें सुनकर तो मैं बुरी तरह से रोने लगी
थी मैं उसे कोसने लगी थी कि तुम फिक्र मत
करो तुम्हारे साथ भी एक दिन इतना ही बड़ा
धोखा होगा तुम देखना मैं तुम्हें छोडूंगी
नहीं मैं ऐसी हूं तो इसमें मेरी कोई गलती
नहीं मुझे भी उसी भगवान ने बनाया है जिसने
तुम्हें बनाया तुम फिक्र मत करो मेरा
भगवान तुमसे बदला लेकर ही रहेगा मैं अपनी
बहन को बुरा भला कहकर रोती हुई अपने कमरे
में आ गई थी इधर आई तो मेरा पागल पति अपने
खिलौनों के साथ खेल रहा था उसे देख देखकर
तो मुझे और ज्यादा गुस्सा आ रहा था और मैं
सोचने लगी थी कि शुरू से लेकर अब तक मेरे
साथ किस्मत ने काफी मजाक किया है लेकिन अब
यह मजाक में सहन नहीं कर पा रही हूं मैं
दरवाजे पर खड़ी हुई रो रही थी और मेरा
पूरा चेहरा आंसुओं से भीगा हुआ था मेरे
पति का नाम विजय था जैसे ही विजय की नजर
मुझ पर पड़ी तो वह मेरे करीब आया और मेरे
आंसू पोछने लगा कहने लगा बेस्टी तुम क्यों
रो रही हो मैंने जल्दी से अपने आंसू साफ
किए तो वह कहने लगा बेस्टी मैं समझ गया
हूं तुम रो रही हो तुम्हें किसी ने मारा
है या फिर तुम्हें किसी ने डांट लगाई तो
मुझे बताओ मैं मम्मी से उसकी शिकायत कर
दूंगा मैंने मुस्कुराकर विजय से कहा नहीं
नहीं विजय मुझे किसी ने डांट नहीं लगाई
मैंने विजय के मासूम चेहरे की तरफ देखा व
बिल्कुल छोटा सा बच्चा लगता था उसकी उम्र
तो 25 साल थी लेकिन उसे देखकर कोई भी नहीं
कह सकता था कि वह 25 साल का जवान लड़का है
मैंने विजय से कहा विजय मैं तुमसे एक बात
पूछना चाहती हूं तो वह कहने लग लगा कि हां
हां पूछो मैंने कहा विजय क्या मैं तुम्हें
पसंद हूं मैं इतनी बुरी हूं कि हमेशा मेरे
साथ बुरा ही होना चाहिए विजय ने कहा सच
कहूं बेस्टी तो तुम बिल्कुल भी बुरी नहीं
हो तुम बहुत अच्छी हो तुम दुनिया की सबसे
प्रेटी गर्ल हो तुम मुझे बहुत पसंद हो और
सबसे अच्छी तो तुम्हारी आदत है जिस तरह
तुम मुझसे प्यार से बात करती हो ना इस तरह
तो मुझसे कोई भी बात नहीं करता सिवाय मेरी
मम्मी के उसकी यह बात सुनकर मेरी आंखों
में आंसू आ गए थे क्योंकि जितनी तारीफ आज
वह मेरी कर रहा था इससे पहले कभी किसी ने
मेरी तारीफ नहीं की थी उसने मुझसे कहा अरे
बेस्टी तुम फिर से रोने लगी उसने मुझे
टिशू दिया और कहा कि अपने आंसू साफ करो
मैं अफसोस कर रही थी कि मेरी सारी जिंदगी
अब ऐसे ही गुजरने वाली है और सोचने लगी थी
कि शायद मेरी जिंदगी और विजय की जिंदगी
में कोई फर्क नहीं है दुनिया उसे पागल
कहती है और मुझे बदसूरत इसलिए हम दोनों का
कांसेप्ट अच्छा है धीरे-धीरे मेरा पागल
पति मेरे बहुत काम आने लगा था वह मेरा
बहुत ख्याल रखता था मुझसे बहुत अच्छे
तरीके से बात करता था लेकिन मेरी जिंदगी
बिल्कुल बर्बाद हो गई थी एक दिन मेरा पागल
पति मुझसे कहने लगा बेस्टी तुम क्यों
परेशान रहती हो तुम्हें परेशान देखकर तो
मैं भी परेशान हो जाता हूं तुम मुझसे कोई
बात क्यों नहीं करती क्या मैं बहुत छोटा
बच्चा हूं तुम मुझसे सारी बातें शेयर किया
करो मैं उसकी यह बात सुनकर हैरान रह गई थी
मैं उसे पागल पागल कहती थी और फिर मैंने
उससे जज्बात में आकर अपनी पूरी कहानी बता
दी थी कि मेरी उससे शादी किस तरीके से की
गई है वह कहने लगा इसमें गलती तुम्हारी
बहन की नहीं है इसमें गलती मेरे भाई की है
वह मेरे साथ भी ऐसा ही करता है वह बहुत
गंदा है मैंने कहा तुम्हारे भाई ने
तुम्हारे साथ क्या किया उसकी बात सुनकर तो
मैं हैरान रह गई थी उसने कहा कि भाई मुझे
दवाई खिलाता है कहता है कि तुम बिल्कुल
मेरी तरह ठीक हो जाओगे मैं दवाई नहीं खाना
चाहता लेकिन फिर भी वह मुझे जबरदस्ती दवा
दवाई खिला देता है और दवाई से मुझे कोई
फर्क भी नहीं होता जब से तुम आई हो भाई को
कमरे में आने का मौका ही नहीं मिलता लेकिन
तुम अगर किसी काम में लग जाती हो तो भाई
मुझे दवाई खिला देता है मैंने उससे कहा
विजय तुम्हारा भाई तुम्हें कैसी दवाई
खिलाता है क्या तुम मुझे वह दवाई दिखा
सकते हो तो वह फौरन ही अपनी अलमारी में
गया और दवाई का बैग उठाकर मेरे पास ले आया
मैंने जैसे ही व मेडिसिन देखी मेरे सर पर
तो आसमान टूट पड़ा था क्योंकि व दवाइयां
तो गलत थी और ऐसी ही दवाइयों की वजह से ही
तो मेरे पति का दिमाग सुन रहता था मैं सोच
में पड़ गई थी कि ना जाने अजय मेरे पति के
साथ ऐसा क्यों कर रहा है इसका मतलब यह था
कि मेरी बहन ने मेरी जिंदगी का मजाक बना
दिया था और इधर विजय का भाई भी उसकी
जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहा था अब मैंने
सोच लिया था कि मैं सच्चाई का पता लगाकर
ही रहूंगी मैंने विजय को बता दिया कि ये
दवाइयां गलत हैं और तुम्हारा भाई तुम्हें
दिन बदन इन दवाइयों से पागल कर रहा है
मेरी बात सुनकर विजय की आंखों में आंसू आ
गए थे उसने मुझे बताया कि हमें इस बारे
में मम्मी को बताना चाहिए मैंने इस बारे
में अपनी सांस को बताया तो यह सुनकर मेरी
सास के होश उड़ गए थे और तो और मैंने उनको
मेडिसिन भी दिखाई थी जो उनका बेटा मेरे
पति को दिया करता था पता नहीं मेरी बहन और
मेरा देवर हम दोनों से किस बात का बदला
निकाल रहे थे मेरी सास ने अजय को अपने पास
बुलाया और उन्हें वो दवाइयां दिखाई अजय
पहले तो झूठ बोलने लगा लेकिन फिर मेरी सास
ने जोरदार थप्पड़ अजय के मुंह पर मार दिया
और कहा कि मैं तो समझती थी कि तुम सुधर गए
हो लेकिन मुझे नहीं पता था कि तुम अभी भी
वही के वही हो अपनी सांस की बात सुनकर मैं
हैरान रह गई थी अभी यही सब हंगामा चल रहा
था कि इतनी देर में मेरी मम्मी और अंशिका
भी वहां पर आ गई उसके बाद जो मेरी मम्मी
ने बताया उसे सुनकर तो मुझे अपने कानों पर
विश्वास ही नहीं हो रहा था मेरी मम्मी ने
बताया कि अजय ने मेरी बेटी की जिंदगी खराब
कर दी इधर अंशिका का चेहरा उतरा हुआ था और
उसकी आंखों में आंसू बह रहे थे मेरी सास
ने अजय से पूछा कि बताओ तुमने अंशिका के
साथ क्या किया जल्दी बताओ वरना मैं पुलिस
को कॉल कर दूंगी अजय डर गया और उसने सारी
सच्चाई बता दी उसने कहा कि मैं तो अंशिका
का फायदा उठाना चाहता था इसलिए उसे अपने
प्यार के जाल में फंसाया हुआ था लेकिन यह
अभी तक मुझे मौका नहीं दे रही थी मैंने
इससे वादा किया कि मैं इससे शादी करूंगा
और मिलने के लिए एक होटल में ले गया वहां
जाकर मैंने इसकी इज्जत खराब कर दी मैं
मेरी सास ने फौरन पुलिस को कॉल की और अपने
बेटे को अरेस्ट करवा दिया मेरी बहन को तो
सजा मिल गई थी उसने जो मेरे साथ किया था
क्योंकि यह प्लान मेरी बहन का ही था कि
विजय की शादी मेरे साथ करवा दी जाए लेकिन
अजय के दिल में ख्याल था कि वो कभी भी
अंशिका से शादी नहीं करेगा वो सिर्फ उसका
फायदा उठाना चाहता था मेरी बहन ने मुझसे
माफी मांगी और वो बहुत शर्मिंदा हो रही थी
उसकी जिंदगी बर्बाद हो चुकी थी लेकिन मैं
अभी भी परेशान थी कि अजय ने विजय के साथ
ऐसा क्यों किया था मैंने अपनी सास से सवाल
किया तो मेरी सास ने बताया कि दरअसल मैं
अजय और विजय की सौतेली मां हूं विजय शुरू
से ही पागल नहीं है विजय सिर्फ कम दिमाग
का लड़का है मैंने इन दोनों को शुरू से ही
अपनी सगी औलाद की तरह प्यार किया मैंने
कभी इन दोनों को सौतेली औलाद नहीं समझा
मेरे पति जब मरे थे तो उन्होंने आधी
प्रॉपर्टी अजय के नाम और आधी प्रॉपर्टी
विजय के नाम कर दी थी जैसे-जैसे अजय जवान
हुआ अजय के दिमाग में यह बात आ गई कि
क्यों ना वह अपने भाई को पूरी तरह से पागल
कर दे और उससे हिस्से की जायदाद भी अपने
नाम कर ले उसने इसी चालाकी की वजह से अपने
भाई का दिमाग खराब करने वाली दवाइयां देनी
शुरू कर दी एक बार मैंने अजय को ऐसी हरकत
करते हुए देख लिया था तब उसने मुझसे बहुत
माफी मांगी थी और कहा था कि वह ऐसी गलती
अब दोबारा कभी नहीं करेगा लेकिन अब उसने
दोबारा से वही गलती दोहराई मेरे लिए दोनों
ही बच्चे बराबर हैं लेकिन मुझे यह नहीं
पता था कि अजय इतना ज्यादा बिगड़ जाएगा कि
उसे दौलत के आगे अपना बड़ा भाई भी दिखाई
नहीं देगा मेरी बहन को तो उसके किए की सजा
मिल चुकी थी मेरी सास ने कहा था कि वह अजय
को अब दोबारा इस घर में घुसने नहीं देंगी
अगर वह जेल से रिहा होकर भी आ गया तो मेरी
सास उसे उसकी प्रॉपर्टी का हिस्सा देकर
उसे घर से निकाल देंगी और उसे सारे संबंध
खत्म कर देंगी मैंने एक ऐसी सौतेली मां
जिसने अपने दोनों सौतेले बच्चों की परवरिश
सगी मां की तरह की थी पहली बार देखी थी
लेकिन शायद एक बेटे ने ही यह बात नहीं
समझी कि यह औरत सौतेली मां होते हुए भी
उनको सगी मां की तरह समझ रही है मेरी बहन
तो अपने किए पर बहुत ज्यादा पछता रही थी
उधर अजय को भी उसकी गलती की सजा जेल में
मिल रही थी मैंने अपने पति का इलाज एक
अच्छे से डॉक्टर से करवाना शुरू कर दिया
और धीरे-धीरे मेरे पति की हालत बेहतर होने
लगी और एक दिन मैं जिस इंसान से प्यार
करती थी वही मुझे वापस मिल गया विजय को
मेरी बदसूरती और मेरे मोटापे से कोई
शिकायत नहीं थी उसे तो सिर्फ मेरी सीरत
पसंद आई थी मेरी बहन दिन रात अपनी गलती पर
अफसोस करती रहती थी उसने अजय पर आंखें बंद
करके भरोसा किया था और इधर अजय ने उसे
धोखा दिया था मेरी बहन दिन रात रोती रहती
थी एक दिन उसके लिए भी एक अच्छा रिश्ता आ
गया मेरी मां ने उसकी शादी कर दी और मेरी
बहन भी अब अपनी ससुराल में बहुत खुश है और
इधर मैं अपने पति के साथ बहुत खुश हूं
मेरी सास ने अजय से सारे संबंध खत्म कर
दिए अब अजह से हमारा कोई रिश्ता नहीं और
मेरा पति मुझसे बहुत प्यार करता है
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