Suvichar _ Emotional Kahani _ Moral Story _ Motivational Hindi Story Written _ Hindi Kahaniyan 2.o_transcript
मेरा नाम सुप्रिया है मैं वह बदनसीब थी
जिसे जिंदगी में कोई भी खुशी नहीं मिली और
ना ही कभी सुकून मिल सका यहां तक कि मेरी
इज्जत भी दाव पर लग गई थी मगर इसके बाद भी
किसी ने मेरे लिए कुछ नहीं किया और
आखिरकार जिंदगी ने मुझे वहां पहुंचा दिया
इसके बारे में कभी शायद मैं सोच भी नहीं
सकती थी मगर मेरा मुजरिम कौन था मेरी
कहानी सुनकर किसी का भी दिल रोने लगेगा
काश जिंदगी कभी तो मुझ पर मेहरबान हो जाती
काश मैं भी कभी किसी के दिल की खुशी बनकर
रहती मैं कौन थी और मुझे दुनिया में लाने
वाला मेरा पिता कौन था यह मुझे पता ही
नहीं था मैं तो बस इतना जानती थी कि इस
दुनिया में आंख खुलने से पहले ही मेरे
पिता हमेशा के लिए मुझे छोड़कर चले गए थे
मगर मैं सारी जिंदगी पिता के प्यार के लिए
तरसती रही थी मेरा सारा बचपन ही अनाथो की
तरह गुजरा था हालांकि मम्मी तो मेरी अपनी
ही थी मगर उन्होंने भी मुझे पराया कर दिया
था मुझे अच्छी तरह से वह खतरनाक दिन याद
है जिस दिन मेरी मम्मी दूसरी बार दुल्हन
बनी थी मैं भला वह दिन कैसे भूल सकती हूं
मेरी बर्बादी की शुरुआत तो उसी दिन से हो
गई थी जब मेरी मम्मी की दूसरी शादी हमारे
मोहल्ले में ही रहने वाले सक्षम अंकल के
साथ हो गई थी जो सारे मोहल्ले में अपनी
गुंडागर्दी और बदतमीजी की वजह से फेमस थे
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कोई भी उन्हें
मोहल्ले में पसंद नहीं करता था मगर इसी
मोहल्ले के रहने वाले लोगों ने मेरी मम्मी
की शादी सक्षम अंकल के साथ करवा दी थी मैं
उस टाइम 11 साल की थी जब यह शादी हुई थी
सक्षम अंकल तो मुझे पहले भी अच्छे नहीं
लगते थे वह एक पांव से लंगड़ा करर चलते थे
जिसकी वजह से हर टाइम उनके हाथ में एक
लाठी उनके साथ रहती थी और वह रास्ते में
करीब से गुजरते हुए बच्चों को अक्सर अपनी
लाठी से मार दिया करते थे इस वजह से सारे
ही बच्चे उनसे बहुत ज्यादा चिड़ते थे और
बच्चों को मारने की वजह से उनके माता-पिता
का झगड़ा सक्षम अंकल के साथ हो जाता था सब
मोहल्ले वाले उनसे बहुत तंग आ चुके थे कोई
भी नहीं चाहता था कि वह इस मोहल्ले में र
मगर उनका अपना घर हमारी गली में बना हुआ
था जिसकी वजह से कोई जोर जबरदस्ती करके
उन्हें यहां से निकाल नहीं सकता था और वह
किसी भी हाल में अपना मकान बेचने के लिए
राजी नहीं होते थे क्योंकि उनका इस दुनिया
में कोई भी नहीं था सिर्फ एक बूढ़ी मां थी
जो घर संभालती थी और अपने बेटे के सर पर
सहरा बांधने के सपने देखती थी सक्षम अंकल
शुरू से ही काफी लड़ाई झगड़े वाले
बिहेवियर के थे मगर 22 साल की उम्र में एक
रोड एक्सीडेंट की वजह से उनका एक पैर बुरी
तरह से जख्मी हो गया था और लोगों ने
उन्हें लंगड़ा लंगड़ा कहकर पुकारना शुरू
कर दिया था इस बात से वह बहुत चिड़चिड़ी
यहां तक कि छोटी-छोटी बातों पर वह लोगों
को गाली देने पर उतर आते थे एक्सीडेंट के
बाद भी वह उसी दुकान पर काम करते रहे जहां
पर पहले किया करते थे वो एक बड़े से जनरल
स्टोर के मालिक थे और अपने घर के अकेले ही
कमाने वाले थे लाचार होने के के कुछ
महीनों बाद तक तो उन्होंने घर से बाहर
निकलना ही छोड़ दिया था बड़ी मुश्किल से
उनकी मां ने लोगों के घरों में काम करके
अपने घर का गुजारा किया मगर फिर सक्षम
अंकल ने हिम्मत की और लाठी का सहारा लेते
हुए अपने दिल को पक्का किया और लोगों की
बातों पर ध्यान देना छोड़ दिया क्योंकि
उनकी मां बीमार रहती थी जब से उन्होंने
दूसरों के घरों में काम करना शुरू किया था
तो उनकी बीमारी भी बढ़ गई थी इसी वजह से
सक्षम अंकल ने अपनी मां को घर बैठा दिया
और खुद पहले की तरह काम पर जाने लगे थे
मगर बहुत कोशिश के बावजूद सक्षम अंकल की
मां उनकी शादी नहीं करवा सकी क्योंकि
मोहल्ले और उनके आसपास के रहने वाले लोग
सक्षम अंकल के बिहेवियर को अच्छी तरह से
जानते थे और फिर वह इतना ज्यादा कमाते भी
नहीं थे कि कोई उनके गलत बिहेवियर को
इग्नोर करके अपनी बेटी का रिश्ता उनके साथ
कर दे मगर जिंदगी तो इस तरह से नहीं गुजर
सकती थी आखिरकार सक्षम अंकल की मम्मी की
बहुत ज्यादा कोशिशों के बाद एक बहुत गरीब
घर की लड़की लड़की के साथ सक्षम अंकल का
रिश्ता तय हो गया इस शादी से सक्षम अंकल
बहुत खुश थे और उनकी मां भी अपने बेटे को
दुल्हा बनते हुए देखना चाहती थी उन्होंने
बड़े अरमानों के साथ अपने बेटे की शादी के
इंतजाम किए और बहू को खूब धूमधाम के साथ
अपने घर ले आई थी जब मोहल्ले वालों ने
सक्षम अंकल की पत्नी को देखा तो वह हैरान
रह गए थे क्योंकि उनकी पत्नी तो बहुत
ज्यादा खूबसूरत और गोरी चिट्टी और बिल्कुल
ही सही सलामत थी मतलब कि उसमें कोई भी ऐसी
कमी नहीं थी कि कोई भी पेरेंट्स अपनी बेटी
की शादी सक्षम अंकल जैसे आदमी के साथ कर
दें मोहल्ले वालों का ख्याल था कि लड़की
वालों ने इनका अपना घरबार देखते हुए ही
अपनी बेटी सक्षम अंकल को दे दी वरना ऐसा
कौन था जो इस तरह से अपनी बेटियों को नर्क
में धकेल सकता है इसी तरह सक्षम अंकल भी
अपनी किस्मत पर बहुत ही घमंड कर रहे थे कि
उन्हें बैठे बिठाए इतनी खूबसूरत पत्नी मिल
गई मगर हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती
है बिल्कुल इसी तरह से सक्षम अंकल की
खूबसूरत और खूबियों से भरपूर पत्नी वो
नहीं थी जो सबको नजर आती थी शादी के शुरू
शुरू के दिनों में तो कुछ दिन तक वह थोड़ी
दबी रही क्योंकि उनके घर में हर वक्त उनकी
सांस मौजूद रहती थी इस वजह से वह बेचारी
खुलकर किसी के सामने नहीं आ सकी और ना ही
सक्षम अंकल की पत्नी को किसी ने घर से
बाहर आते जाते हुए देखा था बाहर के सारे
कामकाज तो सक्षम अंकल ही देखा करते थे या
फिर उनकी मां खुद सारे काम किया करती थी
मोहल्ले वालों को भी सक्षम अंकल की शादी
के बाद काफी सुकून हो गया था क्योंकि शादी
के बाद सक्षम अंकल का बिहेवियर कुछ बदल सा
गया था वह पहले की तरह ना तो किसी से
बदतमीजी करते थे और ना ही किसी से झगड़ा
करते थे और तो और उन्होंने बच्चों को भी
डांटना बंद कर दिया था सबको यही लगने लगा
था कि शायद अब वह हमेशा ऐसे ही अच्छे बनकर
रहेंगे लेकिन सक्षम अंकल की जिंदगी में
शादी के बाद पहला तूफान उस समय आया जब
उनकी मां का अचानक देहांत हो गया वह
बेचारी बहुत जदा ज्यादा बीमार हो गई थी वह
शायद वॉशरूम जाने के लिए अपने बिस्तर से
उठी थी और ना जाने किस तरह से उनका पैर
फिसल गया और वह जमीन पर गिर गई फिर उन्हें
दोबारा होशी नहीं आया था और इस दुनिया को
छोड़कर चली गई उस दिन पहली बार सक्षम अंकल
को लोगों ने रोता हुआ देखा था और तो और
उनको तसल्ली भी दी थी मगर कुछ दिन के बाद
ही सक्षम अंकल के घर से लड़ाई झगड़े की
आवाजें आनी शुरू हो गई थी मोहल्ले के लोग
कहते थे कि सक्षम अंकल की पत्नी उनसे बहुत
लड़ाई करती है और इसी वजह से सक्षम को भी
गुस्सा आ जाता है यहां तक कि वह अपनी
पत्नी पर हाथ भी उठाने लग गए थे अब तो आस
पड़ोस के लोगों ने दिन और रात के किसी भी
टाइम पर मारपीट की आवाजें भी सुनी थी और
दोनों पति-पत्नी के झगड़े की आवाज जोर-जोर
से सुनाई देती थी और इस बात को कंफर्म
सक्षम अंकल के पड़ोस में रहने वाले शुक्ला
अंकल ने ही किया था उन्होंने और उनकी
पत्नी ने एक दिन खुद अपने कानों से सुना
था कि सक्षम अपनी पत्नी से कह रहा था कि
तूने मेरी मां को जमीन पर धक्का दिया था
तभी तो वह मर गई क्योंकि तू उन्हें मारना
चाहती थी उनके होते हुए तू इस घर पर अपना
राज नहीं जमा सकती थी ना और ना ही तेरी
कोई मर्जी पूरी हो रही थी जो अब तू उनके
मरने के बाद पूरी करती है यह बातें शुक्ला
अंकल की पत्नी ने पूरे मोहल्ले में फैला
दी थी और फिर ऐसा वक्त भी आ गया जब सक्षम
अंकल की गैर मौजूदगी में उनकी पत्नी घर से
बाहर भी जाने लगी थी जब लोगों ने यह बात
सक्षम अंकल को बताई तो उन्होंने काम पर घर
से बाहर जाते हुए अपने घर के दरवाजे पर
ताला लगाना भी शुरू कर दिया और फिर एक रात
कुछ ऐसा हुआ कि सक्षम अंकल ने किसी को
अपने घर में उनकी पत्नी के साथ देख लिया
और उसी टाइम सक्षम अंकल ने अपनी पत्नी को
घर से निकाल दिया और उनको डिवोर्स भी दे
दी लेकिन वह इतनी बेशर्म औरत थी कि अपने
बॉयफ्रेंड के साथ उसी वक्त घर छोड़कर
खुशी-खुशी चली गई शायद यह सब कुछ उसने
पहले से ही प्लान किया हुआ था क्योंकि कुछ
दिन बाद ही सच्चाई सामने आ गई थी दरअसल
सक्षम अंकल की पत्नी का शादी से पहले ही
ही किसी से अफेयर चल रहा था और वह उसके
साथ ही घर से भाग गई थी फिर उस लड़की के
घर वालों ने उसे बहुत तलाश किया और वापस
घर ले आए थे और उसके फौरन बाद ही उन्होंने
अपनी बेटी की शादी सक्षम अंकल से करवा दी
थी ताकि उनकी इज्जत भी बच जाए और उनकी
बेटी का घर भी बस जाए लेकिन वह लोग हमारे
मोहल्ले में रहने वाले नहीं थे इसलिए यह
बात किसी को पहले से पता ही नहीं चल सकी
मगर सक्षम अंकल की शादी के बाद भी वह
लड़का उनके घर उनकी पत्नी से मिलने के लिए
आने लगा था जो पह सक्षम अंकल की मां की
मौजूदगी की वजह से नहीं आ पाता था और शायद
यह बात भी सच थी कि सक्षम अंकल की पत्नी
ने अपनी सास को खुद ही धक्का देकर मार
दिया था और तो और वह खाने में भी उनको कुछ
ऐसा मिलाकर दे रही थी जिससे उनकी तबीयत
खराब रहने लगी थी इस हादसे ने सक्षम अंकल
को अंदर से बिल्कुल तोड़कर रख दिया था और
उनका औरत से भरोसा ही उठ गया था मोहल्ले
वालों को सक्षम अंकल से बहुत ही हमदर्दी
हो गई थी मगर इस हमदर्दी को भी वह गलत
समझने लगे थे और अब तो सक्षम अंकल पहले से
भी ज्यादा चिड़चिड़ी क्योंकि उन्हें लगता
था कि लोग उनकी मजाक बनाते हैं और उन पर
हंसने लगे हैं मगर ऐसा कुछ भी नहीं था
क्योंकि जो कुछ भी हुआ था इसमें सक्षम
अंकल की ना तो कोई गलती थी और ना ही उनका
कोई कसूर था मगर जिस इंसान पर एक साथ इतनी
परेशानियां आ पड़े उसे कुछ होश कहां रहता
है उसे तो पता ही नहीं चलता कि वह क्या
सही कर रहा है और क्या गलत करता जा रहा है
यही सब कुछ शम अंकल के साथ भी हो रहा था
पहले उनकी मां की मौत और फिर पत्नी की
उनके साथ बेवफाई ने उनको एक बार फिर से
ऐसा इंसान बना दिया था जिस इंसान को कोई
पसंद नहीं करता था सक्षम अंकल की तरह ऐसी
ही कुछ कहानी मेरी मम्मी की भी थी मेरी
मम्मी जो इस मोहल्ले में नई दुल्हन बनकर
आई थी मेरी मम्मी एक बहुत ही गरीब फैमिली
से बिलोंग करती थी जब मेरे नाना का देहांत
हो गया उस समय मेरी मम्मी की उम्र 18 साल
थी और वह अपनी बूढ़ी मां के साथ घर में
अकेली रह गई थी मेरी नानी ने दूसरों के
घरों में काम करके अपना गुजारा करना शुरू
कर दिया था मगर जवान बेटी का साथ उन्हें
बहुत बेचैन रखता था उन लोगों का तो घर भी
अपना नहीं था वह किराए पर रहती थी इसलिए
घर के खर्चे बड़ी मुश्किल से हो रहे थे तब
मेरी नानी ने सोच समझकर अपनी बेटी की शादी
करने का फैसला कर लिया और एक जानने वाले
की मदद से मेरी मम्मी का रिश्ता मेरे पापा
के साथ फिक्स हो गया मेरे पापा जो अपने
माता-पिता के इकलौते बेटे थे और अपने
माता-पिता के साथ ही उस घर में रहते थे
जहां पर शादी के बाद मेरी मम्मी आ गई थी
मेरे पापा साइकिल और इलेक्ट्रॉनिक सामान
के मैकेनिक थे उन्होंने यह काम अपने शौक
की वजह से बहुत ही कम उम्र में सीखना शुरू
कर दिया था इसलिए मेरे पापा वक्त गुजरने
के साथ-साथ एक बेहतरीन मैकेनिक बन गए थे
और एक बहुत बड़ी दुकान पर काम करते थे
जिसकी वजह से घर की कहानी बहुत अच्छी चल
रही थी फिर मेरे पापा की शादी की तैयारी
शुरू हो गई थी और उनका रिश्ता मेरी मम्मी
के साथ फिक्स हो गया था दादा दादी जब मेरी
मम्मी को अपने घर लेकर आए थे तो दादी ने
मेरी मम्मी को अपनी तरह की गिरस्ती सिखाने
की कोशिश शुरू कर दी थी मेरी मम्मी ने भी
पूरी कोशिश करके अपनी सास के बताए हुए
नियमों का पालन किया था और उनके हिसाब से
अपने काम को बहुत तड़ तरीके से बहुत जल्दी
उनके साथ सीख लिया था लेकिन मेरी मम्मी को
अपनी मां की तरफ से बहुत परेशानी रहती थी
इसलिए मेरे दादा दादी ने मम्मी से खुद कहा
कि तुम अपनी बूढ़ी मां को अपने साथ यहीं
पर ले आओ और उनकी सेवा करो इस तरह मेरी
नानी भी मेरी मम्मी के घर पर आकर रहने लग
गई थी मगर 2 साल के बाद ही मेरी नानी का
देहांत हो गया था उनके जाने के बाद मम्मी
का इस दुनिया में कोई भी नहीं रहा था दूर
के कुछ रिश्तेदार थे जो बहुत पहले ही उनको
अकेला छोड़ चुके थे उनके लिए अब जो कुछ भी
थे मेरे पापा और उनके ससुराल वाले ही थे
मम्मी और पापा की शादी को पूरे 3 साल हो
गए थे मगर अभी तक उनको कोई गुड न्यूज़
नहीं मिली थी फिर मेरे दादा भी इसे इंतजार
के साथ इस दुनिया से चले गए मगर उनके
भाग्य में अपने इकलौते बेटे के बच्चे की
शक्ल देखने का सुख नहीं लिखा था दादाजी के
देहांत के बाद अब मेरे पापा ही घर के
अकेले मर्द बचे थे और अब उन्हें ही सारी
जिम्मेदारियां अकेले निभानी थी वह ना
सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा
रहे थे बल्कि इसके साथ-साथ अपनी पत्नी और
बूढ़ी मां की सेवा भी करते थे मेरी मम्मी
ने भी अपनी सास की सेवा में कोई कमी नहीं
रखी थी क्योंकि जब दादा के देहांत के बाद
दादी को अचानक हार्ट अटैक हुआ तो वह
बिस्तर से लग गई थी उनकी अब हर दिन तबीयत
खराब रहने लगी थी ऐसे वक्त में मम्मी ने
दादी का ख्याल एक छोटे बच्चों की तरह रखा
था और दादी मेरी मम्मी को दिन रात
आशीर्वाद देती रहती थी और उन्हीं के
आशीर्वाद से वह वक्त भी आ गया था जिसका
सबको बड़ी बेचैनी के साथ इंतजार था मेरी
मम्मी प्रेग्नेंट हो गई थी लेकिन ऐसी हालत
में मम्मी अगर दादी को संभालती तो उनकी
सेहत पर बुरा असर पड़ सकता था पापा ने कुछ
महीने मम्मी की सहूलियत के लिए दादी की
देखभाल करने के लिए एक नर्स का इंतजाम कर
दिया था जो हर टाइम दादी के साथ उनके कमरे
में रहती थी और पापा ने उस बढ़े हुए खर्च
को एडजस्ट करने के लिए डबल शिफ्ट लगाना
शुरू कर दी थी उन्होंने खूब मेहनत की और
अपने दिन रात एक कर दिए थे मगर वह अपने घर
वालों को किसी चीज की कमी का एहसास नहीं
होने देना चाहते थे जैसे-जैसे मेरे जन्म
का वक्त करीब आता गया मेरी म ममी और पापा
की आंखों में सपने भी सजने लगे थे मगर
उन्हें क्या पता था कि उनके सारे सपने सच
होने से पहले ही टूटने वाले हैं जब अचानक
मेरी दादी की तबीयत बिगड़ गई तो पापा
उन्हें अस्पताल लेकर जा रहे थे जैसे-जैसे
दादी की सांस उखड़ रही थी मेरे पापा का
दिल भी उदास होता चला जा रहा था पता नहीं
क्यों उन्हें आईडिया हो गया था कि अब उनकी
मां उनका साथ छोड़कर जाने वाली है वह
गाड़ी वाले को और तेज गाड़ी चलाने के लिए
कहने लगे ले लेकिन तभी अचानक गाड़ी का
एक्सीडेंट इतना बुरा हुआ कि कोई भी नहीं
बच सका था मम्मी को जब यह खबर मिली तो वह
बेहोश होकर गिर गई थी क्योंकि ये दुख बहुत
बड़ा था मां जैसी सास के साथ-साथ उनकी
जिंदगी का इकलौता सहारा भी उनसे छिन गया
था उन्होंने तो यह सोचा तक नहीं था कि
उनका सुहाग इस तरह से उजड़ जाएगा मम्मी की
हालत बहुत खराब होती जा रही थी व अस्पताल
में एडमिट थी और उनके पास एक पड़ोसन
हॉस्पिटल में रहती थी जो मम्मी की देखभाल
भी कर रही थी थी और अब उनकी हालत देखकर
दिल से परेशान भी थी बड़ी मुश्किल से
दो-तीन दिन तक मम्मी की हालत संभलने में
लगी थी वह पड़ोसन मम्मी को अस्पताल से घर
लेकर चली गई मगर उसके बाद मेरी मम्मी ने
हंसना बोलना बिल्कुल ही छोड़ दिया था
मम्मी को समझ नहीं आ रहा था कि वह जाने
वालों का दुख मनाए या फिर आने वाली जिंदगी
के बारे में सोचे जिसका अब इस दुनिया में
मम्मी के सिवा कोई और सहारा नहीं था यही
सब कुछ सोचते-सोचते हर टाइम मम्मी को
परेशानी होती रहती थी अगर मोहल्ले की
औरतें मम्मी का साथ नहीं देती तो शायद वह
खुद अपने हाथों से ही अपनी जिंदगी को खत्म
कर लेती खास तौर पर पड़ोस में रहने वाली
सुनैना आंटी ने मम्मी को बिल्कुल बड़ी
बहनों की तरह समझाया भी और संभाला भी था
मम्मी ने सिर्फ और सिर्फ अपने आने वाले
बच्चे की खातिर जिंदा रहने का फैसला किया
और दिल पर पत्थर रख लिया मगर वह यह नहीं
जानती थी कि आगे चलकर कौन-कौन से तूफान
उनके और उनके बच्चे की जिंदगी में आने
वाले हैं जैसे-तैसे नौ महीने पूरे हुए और
मैं दुनिया में आ गई थी मेरे जन्म पर
खुशियां मनाने वाले तो सब लोग दुनिया से
जा चुके थे जिस पर मेरी मम्मी भी ठीक से
खुश नहीं हो पाई थी क्योंकि उन्हें जाने
वालों की याद सताने लगी और आने वाले टाइम
की परेशानी के बारे में सोच सोचकर मेरी
मम्मी का दिमाग खराब हो रहा था इन्हीं
हालात में उन्होंने मुझे पालना शुरू कर
दिया छोटा सा वो घर जिसमें मम्मी शादी
करके आई थी इस घर के ऊपर का पोर्शन
मोहल्ले वालों की मदद से किराए पर देने के
काबिल बना लिया था और फिर सुनैना आंटी के
पति ने ही हमारे घर का ऊपर वाला हिस्सा
किराए पर दे दिया था कि हर महीने मिलने
वाले किराए की मदद से हमारा गुजारा हो सके
मगर सिर्फ किराए से जिंदगी कहां काटी जा
सकती थी इसलिए मम्मी मोहल्ले वालों की मदद
लेने पर भी मजबूर हो गई थी कोई भी उन्हें
अपनी खुशी से कपड़े या पैसे देकर चला जाता
था मम्मी दिल पर पत्थर रखकर वह सामान लेती
और बहुत रोती रहती थी क्योंकि इसके सिवा
और कोई चारा भी तो नहीं था मेरी 27 साल की
जवान मम्मी पर अब अपने अलावा एक बेटी का
भी बोझ था जिसे अब उन्हें खुद ही उठाना था
और संभालना भी था अगर सुनैना आंटी साथ
नहीं देती तो शायद मेरी मम्मी कभी इतनी
हिम्मत नहीं कर पाती लेकिन सच कहते हैं कि
जिंदगी सब कुछ सिखा देती है मेरी वो मम्मी
जो पति की मौजूदगी में कभी घर से बाहर तक
नहीं निकली थी अब उन्हें छोटी-छोटी
जरूरतों के लिए घर से बाहर निकलना पड़
जाता था सब्जी से लेकर दवाई और जरूरत का
हर सामान मम्मी को खुद ही लाना पड़ता था
शुरू शुरू के दिनों में सुनैना आंटी का
बेटा या फिर पति सामान ला दिया करते थे
मगर मम्मी को यह सब कुछ अच्छा नहीं लगता
था कि वह हर टाइम अपनी वजह से दूसरों को
परेशान करती रहे और आखिर ऐसा कब तक चलता
सारी जिंदगी तो किसी का बोझ नहीं उठाया जा
सकता इसलिए मम्मी ने खुद ही हिम्मत की और
जितना मुमकिन हो सका था अपने काम खुद करना
शुरू कर दिया था जिसका नतीजा यह निकला था
कि मम्मी धीरे-धीरे अब आत्मनिर्भर बन गई
थी और उन्होंने हालात का सामना करना भी
सीख लिया था धीरे-धीरे वक्त गुजरने लगा था
और मैं स्कूल जाने के काबिल हो गई थी तो
मम्मी ने सुनना आंटी की मदद से मेरा पास
के ही एक सरकारी स्कूल में एडमिशन करवा
दिया था जहां पर फीस का खर्चा भी नहीं था
और बुक्स वगैरह भी फ्री में मिल जाती थी
बाकी की मदद मोहल्ले वाले कर दिया करते थे
मैं सुनना आंटी के पोते और पोती के साथ
स्कूल चली जाती थी और उन्हीं के साथ वापस
भी आ जाती थी थी मगर मेरी जिंदगी में शुरू
से ही हर चीज की कमी थी घर में दादा-दादी
कोई चाचा बुआ या बहन भाई में से किसी भी
रिश्ते का कोई साथ नहीं था और सबसे बड़ा
सहारा तो पिता होता है जो मेरे जन्म से
पहले ही मुझसे छिन गया
था मैंने कभी अपने पापा को देखा ही नहीं
था और उन दिनों मोबाइल भी आम नहीं थे कि
उसमें पापा की कोई फोटो होती जो मम्मी
मुझे दिखा देती एक बार जब मैं 7 साल की थी
उस वक्त मम्मी ने संदूक में से अपनी और
पापा की शादी की फोटो निकाल कर मुझे दिखाई
थी तो मैंने उन फोटोस में से एक फोटो को
अपने तकिए के नीचे रख लिया जो मैं रोज
देखती और उस फोटो से बातें करती थी इससे
ज्यादा मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे पापा
कैसे थे और कौन थे क्योंकि सिर्फ फोटो
देखकर या नाम जान लेने से तो कुछ नहीं
होता मेरा भी दिल चाहता था कि मेरे भी
पापा होते जैसे मोहल्ले में सब बच्चों के
थे वह सब अपने-अपने पापा के साथ दुकान पर
चीज लेने के लिए जाते थे मगर मेरा तो कोई
कोई भाई भी नहीं था जिससे मैं चीज मंगवा
लेती या जो मुझे स्कूल छोड़ने जाता दुनिया
में सिर्फ मैंने एक ही रिश्ता देखा था और
वह मेरी मां थी लेकिन पता नहीं क्यों
मम्मी बहुत उदास और खामोश सी रहा करती थी
मैंने कभी मम्मी को ठीक से हंसते बोलते
नहीं देखा था बल्कि वह तो मुझे भी खेलते
हुए शोर तक नहीं करने देती थी हमेशा मुझे
हल्की आवाज में बोलने के लिए ही कहती थी
और थोड़ा सा खेलने के बाद ही मना कर दिया
करती थी ना ही मुझे मम्मी मोहल्ले में
किसी के घर जाने देती थी और ना ही किसी के
साथ खेलने की परमिशन देती थी वह तो जब से
मैंने स्कूल जाना शुरू किया था तब से मेरी
कुछ फ्रेंड्स भी बन गई थी और मुझे उनके
साथ खेलने का मौका भी मिल जाता था क्योंकि
मैं सुनैना आंटी की पोती के साथ स्कूल
जाती थी और फिर मैंने ट्यूशन भी जाना शुरू
कर दिया इसीलिए मम्मी मुझे उसके साथ खेलने
और चीज लाने के लिए मना नहीं करती थी मगर
मैं जब भी अपने फ्रेंड के साथ दुकान पर
चीज लेने जाती और रास्ते में आने वाले
सक्षम अंकल का घर हम दोनों के लिए एक ऐसा
रास्ता था जहां से गुजरते हुए हमें बहुत
डर लगता था क्योंकि एक बार जब मैं और मेरी
फ्रेंड चीज लेने जा रहे थे तो गलती से हम
दोनों खेलते खेलते सक्षम अंकल के दरवाजे
के करीब कुछ देर के लिए रुक गए थे तभी वह
अंदर से निकल कर आए और हमें बेवजह ही डांट
करर वहां से भगा दिया था और एक दिन तो
उन्होंने हमें मारने के लिए अपनी लाठी भी
उठा ली थी यही वजह थी कि हम वहां से
गुजरते हुए भी डरते थे मगर एक दिन बहुत ही
अजीब सी बात हो गई मैं स्कूल से वापस आ
रही थी कि गली के नुक्कड़ पर सक्षम अंकल
से मेरी मुलाकात हो गई मैं हमेशा की तरह
उन्हें देखकर भागने लगी तो उन्होंने आवाज
देकर मुझे रोक लिया और अपने हाथ में पकड़ा
हुआ एक थैला मेरी तरफ बढ़ाकर कहने लगे कि
यह कुछ सामान है अपनी मम्मी को दे देना
मैंने खामोशी से वह सामान लिया और घर जाकर
मम्मी के हवाले कर दिया था इस थैले में
दाल चावल आटा और शायद घर के राशन का ही
कुछ सामान था मैंने यही सोचकर वह सामान रख
लिया क्योंकि कि मोहल्ले वाले हमेशा मेरी
मम्मी को कोई ना कोई सामान देते रहते थे
तो सक्षम अंकल ने भी इसी वजह से दिया होगा
मगर मम्मी को हैरानी हुई थी इतने सालों
में पहली बार उन्होंने हमारे लिए मदद के
लिए कुछ भेजा था लेकिन उसके बाद हर दूसरे
तीसरे दिन यही सब कुछ होने लगा यहां तक कि
एक दो हफ्ते गुजरने के बाद सक्षम अंकल
दरवाजे पर दस्तक देकर मम्मी को सब्जी भी
देकर जाने लगे शुरू शुरू में तो किसी ने
इस बात पर कोई ऐतराज नहीं किया लेकिन फिर
एक दिन सु ना आंटी ने मम्मी से कहा कि इस
तरह सक्षम का तुम्हारे दरवाजे पर आना
अच्छी बात नहीं मोहल्ले वाले तुम्हारे
बारे में बातें बनाएंगे तो मम्मी ने अगले
ही दिन सक्षम अंकल को दरवाजे पर आने के
लिए मना कर दिया इस बात पर उन्हें बहुत
गुस्सा तो आया मगर वह चुपचाप वहां से चले
गए क्योंकि वह जानते थे कि जरूर यह बात
मोहल्ले वालों ने ही कही होगी वरना किसी
की मदद करना तो कोई बुरी बात नहीं फिर एक
रात ऐसा हुआ कि अचानक से मेरे पेट में
दर्द होने लगा तेज बुखार भी था मगर पेट का
दर्द रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था
मम्मी घर में अकेली थी और बहुत परेशान हो
गई बराबर में सुनैना आंटी का घर भी खाली
पड़ा हुआ था क्योंकि वह लोग कहीं शादी में
गए हुए थे मम्मी को यह बात पता थी इसलिए
मदद मांगना मुश्किल था मम्मी ने परेशान
होते हुए दूसरे वाले घर का दरवाजा बजाया
लेकिन रात के 3:00 बजे किसी ने दरवाजा
नहीं खोला जरूर इतने टाइम पर तो लोग अपने
बिस्तर में सो रहे होंगे मम्मी ने फिर से
दरवाजा बजाया मगर मायूस होकर मम्मी घर में
आने ही वाली थी कि अचानक सक्षम अंकल ने
पीछे से मम्मी को आवाज लगा दी और पूछा कि
सब ठीक तो है तो मम्मी ने परेशान होते हुए
बताया कि मेरी बेटी की तबीयत बहुत खराब है
और उसे अस्पताल लेकर जाना होगा तब सक्षम
अंकल मुझे उठाने के लिए घर के अंदर आ गए
मगर उसी टाइम पड़ोसी भी जाग गए जिनका
मम्मी दरवाजा बजा रही थी और उन्होंने
सक्षम अंकल को रात के इस टाइम हमारे घर
में जाते हुए देख लिया तो पता नहीं क्या
सोच लिया हालांकि वह तो हमारी मदद करने के
लिए आए थे उन्होंने ही मुझे और मम्मी को
अस्पताल पहुंचाया और सारी रात हम दोनों
मां बेटी अस्पताल में रहे फिर जब अगले दिन
घर आए तो मोहल्ले में अजीब अजीब तरह की
बातें हो रही थी मोहल्ले की एक औरत ने घर
आकर बताया कि तुम्हारे बारे में कुछ लोग
अजीब बातें कर रहे हैं कि सक्षम और
तुम्हारा कोई चक्कर चल रहा है तभी तो व
तुम लोगों के साथ हमदर्दी दिखाता है यह
सुनकर मम्मी के होश उड़ गए थे क्योंकि ऐसी
तो कोई बात भी नहीं थी सक्षम अंकल ने ममी
से कोई फालतू बात नहीं की थी और ना ही
उनकी तरफ कभी नजर उठाकर भी देखा था मगर
कहने वालों की जबान कौन पकड़ सकता है ऊपर
से सुनैना आंटी और उनके घरवाले भी मौजूद
नहीं थे कि वह मम्मी का साथ दे पाते दो
दिन बाद वह वापस आए और मोहल्ले में होने
वाली बातें उनके कानों में पड़ गई तो वह
भी परेशान होते हुए मम्मी से मिलने चली आई
उन्होंने मम्मी को हौसला दिया और कहा कि
सब ठीक हो जाएगा मगर कुछ दिन बाद सब ठीक
होने के बजाय और बिगड़ गया जब सुनैना आंटी
ने मम्मी को आकर बताया कि मोहल्ले के सारे
लोग इस बात पर ड़ गए हैं कि तुम्हारी शादी
सक्षम के साथ कर दी जाए क्योंकि तुम कब तक
अकेली अपनी बेटी के साथ गुजारा करोगी कल
को कोई भी परेशानी आने पर जब भी कोई
तुम्हारी मदद करेगा तो उसमें लोग तुम्हें
बदनाम जरूर करेंगे सुनैना आंटी की बात
सुनकर मम्मी खामोश हो गई क्योंकि मम्मी
सक्षम अंकल से तो क्या किसी से भी शादी
नहीं करना चाहती थी लेकिन सबकी बातों और
अजीब से बिहेवियर ने मम्मी को मजबूर कर
दिया था और फिर उन्होंने मोहल्ले वालों की
बात मान ली सक्षम अंकल भी मेरी मम्मी की
तरह मजबूर हो गए थे क्योंकि लोग तो पहले
ही उनके खिलाफ थे और उन्हें मोहल्ले में
रहने देने पर तैयार भी नहीं थे जबकि उनका
घर अपना था इसलिए कोई भी उन्हें यहां से
निकाल नहीं सकता था मम्मी के साथ जब सक्षम
अंकल की शादी हो गई तो हम दोनों मां बेटी
अपना घर छोड़कर उनके घर में शिफ्ट हो गए
थे हमारे घर का ऊपर वाला पोर्शन तो पहले
से ही किराए पर था सक्षम अंकल के घर जा
जाने के बाद मम्मी ने हमारे घर का नीचे
वाला पोर्शन भी किराए पर दे दिया और
जिंदगी की नई शुरुआत की शुरू शुरू में तो
सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा था रोज की तरह
सक्षम अंकल अपनी दुकान पर जाते थे और वापस
आते हुए घर के लिए राशन भी ले आते थे जो
मम्मी घर में बैठे-बैठे घर चलाने के लिए
इस्तेमाल करती थी यहां तक कि वह सब्जी भी
मम्मी को खुद ही लाकर दिया करते थे मम्मी
को किसी भी काम के लिए बाहर नहीं जाना
पड़ता था और मैं पहले की तरह सुनने आंटी
की पो के साथ स्कूल जाती थी मुझे सक्षम
अंकल से बहुत डर लगता था इसलिए मैं उनसे
दूर-दूर ही रहती थी मगर वह मेरे लिए हर
चीज लाते थे और मुझसे बात करने की कोशिश
भी करते थे ताकि मैं उनके साथ अटैच हो
सकूं फिर मम्मी ने भी मुझे कई बार यह बात
समझाई थी कि वह तुम्हारे सौतेले ही सही
मगर अब तुम्हारे पिता तो हैं इसलिए मैं
उनको पापा कहकर पुकारा करूं मगर मैं उनसे
बातें कब करती थी ना तो मैं उनसे कभी कोई
चीज मांगती थी और ना ही उनके पास जाती थी
मम्मी ने सोचा कि टाइम के साथ-साथ मुझे भी
आदत हो जाएगी और मैं समझ जाऊंगी मगर इससे
पहले कि वक्त बदलता सक्षम अंकल की आदतें
कुछ बदलने लग गई थी वह पहले की तरह लड़ाई
झगड़ा और गुस्सा तो नहीं करते थे मगर
उन्होंने जुआ खेलना शुरू कर दिया था और यह
लत पता नहीं उनको कैसे लग गई थी मगर वह
अपनी दुकान से फ्री होने के बाद जुए के
अड्डे पर चले जाते थे मुश्किल से हमारे 2
साल सुकून से गुजर गए थे मगर जब मम्मी और
सक्षम अंकल की शादी को तब यह नई परेशानी
खड़ी हो गई थी पहले तो मम्मी को यह सब पता
नहीं था क्योंकि सक्षम अंकल झूठ बोलते थे
कि मैं किसी और दुकान पर भी काम करता हूं
लेकिन जब उन्होंने घर में पैसे देना बंद
कर दिए तो मम्मी को शक हो गया मम्मी ने
सुनैना आंटी से कहकर पता करवाया तो मालूम
हुआ कि वह जुए की लत में पड़ गए हैं यह
खबर सुनकर मेरी मम्मी बहुत परेशान हो गई
थी क्योंकि व तो पहले ही हालत की मारी हुई
थी ऊपर से अब मैं भी बड़ी हो रही थी ऐसे
में सौतेले पिता के साथ रहना ठीक नहीं था
अब हमारी बर्बादी के दिन शुरू हो चुके थे
क्योंकि कुछ महीनों के अंदर ही सक्षम अंकल
ने मम्मी के साथ लड़ना झगड़ना शुरू कर
दिया था वह सारे पैसे जुए में हारने लगे
थे और घर में मौजूद कीमती सामान भी बेचकर
जुआ खेलने चले जाते थे मम्मी ने उनको
समझाने की बहुत कोशिश की मगर वह नहीं समझे
इसी परेशानी की वजह से मम्मी का ब्लड
प्रेशर एकदम से इतना हाई हो जाता था कि
मम्मी को होशी नहीं रहता था डॉक्टर ने
मम्मी को पाबंदी से दवाई लेने की एडवाइस
दी थी सक्षम अंकल के साथ रोते धोते जिंदगी
गुजर रही थी उन्होंने कुछ ही महीने में सब
कुछ बर्बाद कर दिया था यहां तक कि
उन्होंने अपना मकान भी बेच दिया जो कल तक
वह किसी कीमत पर भी बेचने के लिए तैयार
नहीं होते थे मगर अब सक्षम अंकल को किसी
का भी ख्याल नहीं था कुछ साल इसी तरह से
गुजर गए थे मैं भी जवान हो चुकी थी और
हालात को समझने लगी थी मम्मी की परेशानी
मुझसे सही नहीं जाती थी जब सक्षम अंकल ने
अपना घर बेचा था तो हम लोग दोबारा अपने घर
में शिफ्ट हो गए थे मगर सक्षम अंकल भी
हमारे साथ ही थे और ऊपर वाले पोर्शन से
किराया मिलता रहता था इसी से जिंदगी गुजर
रही थी मगर सक्षम अंकल कभी कोई काम नहीं
करते थे और सारा सारा दिन बस अपने दोस्तों
के साथ गुजार देते थे अब तो ऐसा होने लग
गया था कि अक्सर रात को वह घर भी नहीं आते
थे और मम्मी को मेरी फिक्र सताती थी मेरी
मम्मी ब्लड प्रेशर की बीमार बन चुकी थी थी
और फिर उनको शुगर भी लग गई फिर वह दिन
बदिउ जा रही थी मैंने घर के हालात और अपनी
मम्मी की हालत को देखते हुए काम करने की
जिद की हालांकि नवी कक्षा पास करने के बाद
मैंने स्कूल छोड़ दिया था और इसके
जिम्मेदार भी हमारे हालात ही थे मगर नवी
पास लड़की को कोई जॉब नहीं मिल सकती फिर
मैंने किसी की मदद से एक बंगले में काम
करना शुरू कर दिया और मम्मी से झूठ बोल
दिया था कि मैं किसी क्लिनिक पर काम करती
हूं मम्मी की हालत तो ऐसी ऐसी थी कि वह
कहीं आती जाती भी नहीं थी फिर ना चाहते
हुए भी मम्मी ने मुझे काम करने की परमिशन
दे दी मगर जब तक मैं घर से बाहर रहती
मम्मी मेरे लिए परेशान रहती थी सुनैना
आंटी भी बूढ़ी हो चुकी थी अब वह हमारे घर
तो नहीं आती थी लेकिन मम्मी उनके घर जाकर
उनकी खबर ले लेती थी मुझे बंगले में काम
करते हुए 3 महीने हो गए थे और वैसे तो सब
कुछ ठीक चल रहा था मैं हर महीने मिलने
वाली सैलरी भी मम्मी को दे दिया करती थी
और इसके अलावा मालकिन मुझे जो भी पैसे
देती थी मैं वह भी मम्मी को यह कहकर दे
देती थी कि मुझे अच्छा काम करने पर कमीशन
मिला है मम्मी भी खामोशी से पैसे रख लेती
थी क्योंकि मेरी सैलरी से ही घर का गुजारा
हो रहा था फिर मेरी जिंदगी में अचानक से
एक तूफान आया मैं एक दिन बंगले में काम
करने गई तो मालकिन वहां पर मौजूद नहीं थी
सिर्फ मालिक ही बैठे हुए थे उन्होंने मुझे
देखकर कहा कि तुम्हारी मालकिन कहीं गई हुई
है इसलिए तुम भी छुट्टी कर लो मैं वापस
आने ही वाली थी कि मालिक ने कहा अब जब आ
ही गई हो तो मेरे लिए कप चाय बना दो मैं
चुपचाप किचन में चली गई मैं चाय बनाकर
मालिक के कमरे में गई तो उन्होंने मेरे
साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की मैं चीखने
लगी मगर मेरी मदद के लिए कोई नहीं आया था
मैंने टेबल पर रखा हुआ फ्लावर पॉट मालिक
के सर पर मारा और वहां से भागने में
कामयाब रही मुझे हैरानी हुई कि उस दिन
चौकीदार भी ड्यूटी पर नहीं था शायद मालिक
ने पहले ही सबको छुट्टी दे दी थी और मेरे
लिए वह जाल बिछाए हुए बैठे थे मैं बड़ी
मुश्किल से अपनी इज्जत बचाकर वहां से
भागती हुई घर तक आई थी घर जाते ही मैंने
मम्मी को सीने से लगाकर रोना शुरू कर दिया
मेरे हाल को देखकर मम्मी बहुत परेशान हो
गई थी मम्मी मुझसे बार-बार पूछने लगी क्या
हुआ है बेटी तब मैंने मम्मी को सारी बात
बता दी मगर मम्मी को यकीन ही नहीं आ रहा
था कि मैं सही सलामत आ गई हूं क्योंकि
मेरी मम्मी बहुत ज्यादा डर गई थी मम्मी
मेरी हालत देखकर और बात सुनने के बाद सोच
में खो हो गई थी उन्हें लग रहा था कि अब
मेरी जिंदगी भी अपनी मम्मी की तरह बर्बाद
हो जाएगी उस दिन के बाद मम्मी ने मुझसे
खामोश रहने के लिए कहा मैं खुद भी बहुत
ज्यादा डर गई थी मैंने घर से निकलना भी
छोड़ दिया था और दोबारा नौकरी करने के
बारे में सोचा तक नहीं था जो मेरे साथ हुआ
था उसको सोचकर मैं डर जाती थी कुछ दिन
गुजरे तो मम्मी ने मुझे अजीब अजीब सवाल
पूछना शुरू कर दिया और मेरा बहुत ज्यादा
ख्याल भी रखती थी मैंने मम्मी को यकीन
दिलाया कि मैं बिल्कुल ठीक हूं मगर मम्मी
बहकी बहकी बातें करने लग जाती थी मुझे समझ
नहीं आता था कि मैं अपनी मम्मी को कैसे
संभालूं फिर एक दिन अचानक खाना खाने के
बाद मेरा दिल घबराया और मुझे उल्टी आ गई
तब मम्मी की परेशानी देखने के लायक थी
मम्मी ने तो मुझे एक ही बार में ना जाने
कितने सवाल पूछ लिए थे जो कि मेरी समझ में
नहीं आ रहे थे मम्मी ने मुझे अपने कमरे
में आराम करने के लिए कहा और खुद सुनैना
आंटी के घर चली गई मैं भी परेशान हो गई थी
कि रात के इस टाइम पर पर उन्हें सुनना
आंटी के घर जाने की क्या जरूरत थी वह एक
घंटे के बाद घर आई थी लेकिन उन्होंने मुझे
कुछ नहीं बताया था अगले दिन मैं हैरान रह
गई जब मम्मी ने मिठाई मंगवाई और सारे
मोहल्ले में बांट दी थी और साथ ही यह कह
दिया था कि मैंने अपनी बेटी का रिश्ता
फिक्स कर दिया और अगले हफ्ते ही उसकी शादी
है मम्मी ने यह काम इसलिए किया था ताकि
मोहल्ले वाले मेरी शादी की वजह से मेरी
मम्मी का साथ दे सके और ऐसा ही हुआ था
दूसरे ही दिन मोहल्ले की औरतें हमारे घर
पर आ थी और मम्मी के हाथ में पैसे रखकर
चली गई या फिर कोई ना कोई सामान लेकर आ गई
मगर मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि
मम्मी ने किसके साथ मेरी शादी पक्की की है
और ऐसा कौन है जो एक ही हफ्ते में मुझसे
शादी करने के लिए तैयार हो गया मुझे तो
लगता था कि मम्मी को मेरे लिए सक्षम अंकल
जैसा ही कोई मिल गया होगा जिसके पल्ले
मुझे बांधकर वह अपनी जान छुड़ाना चाहती है
हालांकि मेरे साथ तो कुछ गलत हुआ भी नहीं
था और इसके बारे में किसी को पता भी नहीं
था पर पता नहीं क्यों मेरी मम्मी ने छोटी
सी बात को अपने दिमाग पर सवार कर लिया था
मैं मम्मी से कुछ पूछती तो वह मुझे खामोश
करवा देती थी कहती थी कि चुपचाप शादी करने
के लिए तैयार हो जाओ मैं खुद तुम्हारी
शादी के इंतजाम कर लूंगी और बड़ी इज्जत के
साथ तुम्हें विदा कर दूंगी फिर सब कुछ ठीक
हो जाएगा मम्मी की इस बात से मैं परेशान
हो जाती थी कि आखिर वह मेरे साथ क्या करना
चाहती थी जो सब कुछ ठीक हो जाना था और फिर
मेरी शादी का दिन भी आ गया था मम्मी ने
मुझे तैयार कर ने के लिए मोहल्ले की एक
लड़की को बुलाया मुझे हैरानी हुई मेरी
सबसे पक्की फ्रेंड जो बचपन से मेरे साथ थी
वह भी उस दिन मेरे पास नहीं आई थी और
सुनैना आंटी भी नजर नहीं आ रही थी मगर
शादी के टाइम जब मुझे मंडप में ले जाया
गया तो वहां पर सुनैना आंटी और उनका बेटा
भी साथ था और मैं हैरान रह गई थी जब मैं
सुनैना आंटी के पोते को जो मेरी ही उम्र
का था उसे दूल्हा बने हुए देखा मेरी शादी
सुनैना आंटी के पोते के साथ हो गई थी
मम्मी ने मुझे गले से से लगाया और कहने
लगी कि मैं तुम्हारी मम्मी हूं तुम्हारे
लिए कभी कुछ बुरा नहीं सोच सकती यह सच है
कि मैं बहुत परेशान थी और अपनी परेशानी
बांटने के लिए सुनैना भाभी के घर गई तो
उन्होंने मुझे बताया कि मैं तुम्हारे घर
आने ही वाली थी क्योंकि मेरा पोता
तुम्हारी बेटी को बहुत पसंद करता है जब
मैंने यह बात सुनी तो मैंने उनको कोई भी
बात नहीं बताई और इस रिश्ते को पक्का कर
दिया और कहा कि अगले ही हफ्ते शादी कर
देनी चाहिए इसी तरह से तुम्हारी शादी हो
गई क्योंकि वह तुम्हें बहुत पसंद करने लगा
था इससे बड़ी मेरे लिए खुशी की बात क्या
हो सकती है कि तुम्हारी शादी उस इंसान के
साथ हो रही है जो तुम्हें पाने की हसरत
करता है मेरी मम्मी ने कहा कि मुझे खुशी
इस बात की है कि शादी के बाद भी तुम मेरे
करीब रहोगी अब मेरी शादी को 5 साल हो गए
हैं मेरे पास दो बेटे हैं सक्षम अंकल की
तो मौत हो चुकी है मगर मेरी मम्मी अभी भी
हमारे घर में अच्छी तरह से जिंदगी गुजार
रही है और मेरी जिंदगी भी अपने पति के साथ
बहुत अच्छी गुजर रही है मैं अपनी मम्मी को
देखकर सोचती हूं कि चलो उम्र के आखिरी
हिस्से में ही सही मगर उन्हें भी कोई सुख
नसीब हुआ क्योंकि वह अपनी बेटी के बच्चों
के साथ बहुत खुश नजर आती हैं और सुनैना
आंटी के बाद वही मेरी मम्मी का सहारा बने
हमारी लाइफ में अब सब कुछ ठीक हो गया और
जिंदगी बहुत अच्छी गुजर रही है दोस्तों
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