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अनाथ बच्चों के गणेश जी _ अनाथ बच्चों की कहानियाँ _ Hindi Kahani _ Moral Stories _ Hindi Kahaniyan_transcript

मैं सूरज दो भाई थे उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था अनिल सोनू का बड़ा भाई था छोटे-मोटे काम करके वह सोनू को पढ़ा करता था बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए मांग रहा हूं उंधियू के लिए पैसों को लेकर और लाकर देता बहुत चाव से खाता है और उसकी खुशी देख कर बहुत खुश होता हुआ बोला पिछली गर्मियों में चोट लग गई थी क्यों नहीं लेते हैं वह छोटे समझ गया तुमने अपने दवाइयों से लिया था अबे कुछ नहीं छोटे यह दर्द तो थोड़ी देर में चला जाएगा चल आराम कर लेते हैं अनिल दर्द से कराह होता है और सोनू उसके लिए कुछ भी नहीं कर पाता सुबह सोनू स्कूल जा रहा होता है तो उसे गणेश जी की एक मूर्ति दिखती है वह स्मृति को देखकर रुक जाता है मैंने सुना अ तुम सब कुछ प्रश्नों को लेते हो तो हम गरीबों के कष्टों को क्यों नहीं तुम केवल अमीरों के बारे में सोचते हो कि हम जैसे गरीबों के भगवान नहीं करा मेरी नियुक्ति तो मेरे भाई ने मुझे मेरे पापा ने और फिर स्कूल पढ़ने जाता स्कूल से पढ़कर आ रहा होता है तो इसे कट कर आज कि और उसके ऊपर गिरती है जी यह तो बहुत ही सुंदर पतंग है तो उसे सुंदर प्रथम तो मैंने कभी भी नहीं देखिए इसको घर ले जाकर भैया को दिखाता हूं भैया बहुत खुश होंगे उस पतंग को अनिल को लगता है कि सोनू पतंग चोरी करके सब्सक्राइब तुम्हारे तुम मुझे रोशनी में आखिर क्यों तुमने तो नहीं कि संस्कार में जो आपने मुझे सिखाया है उसमें चोरी करना भी शामिल है मैंने चोरी नहीं की तो रास्ते में चल रहा था तो यह मेरे ऊपर विश्वास कर लेता और उस पतंग को निहारता अनिल सोचता है कि यह क्योंकि 15 अगस्त से इस बारे में बात करता है तो भी रजामंदी दे देता है यह बहुत अच्छा है पर पतंग बनाने के लिए कागज की जरूरत पड़ती है और सामान चाहिए होता है हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि सारा सामान जुटा पाए व्यवहारिक होते हुए हर चीज डुबो सकता है रुक मैं अभी आता हूं कहां जा रहे हो भैया इस दर्द में अरे नहीं छोटू और दर्द नहीं है पड़ोस की अम्मा जी ने देसी दवाई दी थी जिससे अब दर्द कम है फिर जरा देर में अनिल गुल्लक लेकर आता है तो मैंने कुछ पैसे बचा कर रखे थे अब यहीं से काम लें और उसमें पैसे निकालते हैं उससे बाजार जा कर सामान लिया और फिर अनिल मिलकर तक बनाते हो गई और क्यों नहीं अनिल और सोनू सड़क के किनारे तो कभी स्कूल के बाहर मॉल के बाहर पतंग और पतंग घर की ओर लौट रहे अपनी हैं तभी एक अमीर लड़का उनसे टकरा जाता है वह क्या करने चलते दिख नहीं रहा सामने आ रहा है मुक्त अनुभव तुम लोग मुझे जानते हो तुम किससे बात कर रहे हो हुए लड़के से जिसे अपने पैसे का घमंड है तो यह बात बहुत बुरी लगी और घृत छीनकर फाड़ देता है और अपने घर की तरफ चल पड़ता है घ्र कर अपने घर की तरफ चल को शुरू करने से पहले पतंग से लड़ गई पतंग को लेना नहीं चाहता था भविष्य के लिए पैसे बचा कर रखे थे वह बर्बाद हो गए और समय से पहले कुछ नहीं मिलता छोटू सो जाते हैं परसों की वजह से उनको जल्दी नींद आ जाती फुल कर दो में काम करने में बहुत सारी रंग-बिरंगी पतंगों की सजी हुई होती है शीघ्रपतन कह रहे होंगे तो कोई पतंग नहीं पता नहीं भैया मुझे तो पता भी नहीं आती तभी दरवाजे पर दस्तक देता है दरवाजा खोलता है तो दरवाजे पर राम नाम का एक लड़का दस्तक दे रहा था बहुत तेज बारिश हो रही थी और ज्यादा बीमार हो जाएगा राम घर के अंदर आता है तो वह सारी से यह तो बहुत सुंदर लग रही है यह तो नहीं पता नहीं तंग करूंगा अगर आप बुरा ना माने तो मैं कह सकता हूं यह कहना चाहते भैया मेरे पास हथेली पर रखकर यह सारी भेज दूंगा भी नहीं की क्विट कर देख ले सोनू के साथ राम पतंगों को गली-गली बेचना शुरु करता है रास्ते में फिर वही गणेश जी का मंदिर आता है स्वरूप फिर से गणेश जी की मूर्ति से बातें करता है और अंत में पतंग बेचने चल पड़ता है राम की पतंग के हाथों हाथ बिक जाती है यह देखकर तीनों बहुत खुश होते हैं और यह वह तुमने तो सॉरी सॉरी पतंग कि दी आखिर यह सब तुमने कैसे गिरा यह तो सब गणपति जी की कृपा है तुम तो बहुत अच्छी पतंग बेचते हो राम अनिल के द्वारा बनाई गई सारी पतंगों को बेच देता है फिर वह दो पतंगे बनाता है और रात भर में वह पतंगे बहुत सारी पतंगों में परिवर्तित हो जाती है अनिल को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब हो कैसे रहा है एक रात को जागने का निश्चय कर लेता है और मुक्त और लगाओ कर ही रहूंगा क्लॉक शीघ्रपतन कि कौन बनाता है हां मैं भी आज रात को जागकर चौकीदारी करूंगा कि आखिर हमारे घर पर यह पतंगे कौन बना रहा है सोनू और अनिल रात को पता अपने कर सोने का नाटक करते हैं और चुपचाप पतंग बनाने वाली को पकड़ने की कोशिश करते हैं पर यह पतंगे अपने आप बढ़ती चली जाती है जैसे कोई जादू हो रहा है सुबह राम वह आता है और सारी पतंगी बेचकर नोटों का थैला सोनू और अनिल को दे जाता है अनिल को यह सब अजीब लग रहा था आखिर ऐसी क्या बात है इस राम ने तीसरी पतंगे बिक जाती है और हम जब बीच में जाते हैं तो कोई भी नहीं टिकती मुझको एवं इंसान नहीं लगता तो जरूर इसके पीछे कोई राज है अनिल राम को सामने बुलाता है और उससे बात करने की कोशिश करता है हम सब चु एवं इंसान नहीं है अब जरूर कोई शक्ति अ की वजह से हमारी पतंग के हाथों हाथ बिक रही है और हम यह भी नहीं पता कि आखिर ये पतंगे कहां से और है अनिल और सोनू की बात सुनकर राम अपने 80 रूप में यानी गणेश जी के रूप में आ जाता है उन्हें देखकर सोनू और अनिल नतमस्तक हो जाते हैं सोनू तुम दोनों का वॉल प्रेम देगी निर्मल मन पसीज गया और अब तुम होते ही मेरे शिकायत कर रहे थे तब मैंने फैसला कर लिया था कि और रंग-बिरंगी पतंगों तुम्हारे हाथ में शिकायत की थी कि कोई बात नहीं थी तो तुम अच्छी-अच्छी साड़ी 15 अगस्त से [संगीत] अंतर्ध्यान हो जाते हैं और सोनू अपने हुनर से बहुत ही सुंदर सुंदर पतंगे बनाकर बाजार में पतंगों को बाजार में बहुत अच्छा माना जाता है उनकी पतंगे चर्चा का विषय बन जाती है और वह अपनी पतंग का एक कारखाना खोल लेते हैं जिसमें गरीब लोगों को उनकी बनाई हुई पतंग कि विदेशों में भी जाने लगी थी वह दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गए थे पर वह गणेश जी को रोज धन्यवाद करना नहीं भूलते थे कि एक गांव में एक बड़ा जमींदार था धमेंद्र की एक पत्नी और एक साथ साल की बच्ची रिया थी उसके बच्चे रिया का रंग बहुत ही काला था जिस वजह से रिया को अक्सर ताने सुनने पड़ते थे एक दिन वह अपने स्कूल जा रही थी तभी कुछ बच्चे रिया को बोलते हैं देखो देखो कालिया गई अभय जो एल्बम कॉल इमो पर लगती है तब बच्चे उसको कुछ ना कुछ कहकर चिढ़ा रहे थे रिया को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा उसने अपना बैग उठाया और बाहर की तरफ दौड़ में लगे घर आकर उसकी मां से कहती है क्या हुआ मेरी बेटी आज इतनी जल्दी घर कैसे आ गई तू हां और उदास क्यों है मां मैं स्कूल नहीं जाऊंगी तब मुझे कारी कहकर चिढ़ाते हैं मैं घर पर ही रहकर पढ़ाई करूंगी अब मैं स्कूल नहीं जाऊंगी और बेटा ऐसा नहीं होता तो जाना ही पड़ता है बिना पढ़ाई-लिखाई के कुछ नहीं होता मां मुझे कुछ नहीं पता मैं आप कभी उस स्कूल में नहीं जाऊंगी तभी वहां पर रिया के पिता भी आ जाते हैं मां बेटी तुम्हारी मां सही कह रही है पढ़ाई करने के लिए स्कूल तो जाना ही होगा और पढ़ाई नहीं होगी तो बड़ी अस्तर कैसे बनोगी तक पर मैं गांव के स्कूल में नहीं जाऊंगी यहां के सभी बच्चे मुझे काली बोल रॉबी न जाने मुझे क्या क्या कहते रहते हैं ब्रिटिश कोई बात नहीं हम तुम्हारे स्कूल में जाकर प्रिंसिपल से बात करेंगे आज के बाद बच्चे तुम्हें नहीं चिढ़ाएंगे पापा मैंने कहा ना मुझे गांव के स्कूल में नहीं जाना मतलब नहीं जाना आप लोग सुनते क्यों नहीं हो रिया की जिद पर मम्मी बोलती है सुनो जी हमारी बेटी गांव के स्कूल में नहीं जाना चाहती तो मत भेजो ना ऐसा करो इसका शहर के किसी स्कूल में दाखिला करवा दो और वहां पर अच्छी पढ़ाई भी होगी वैसे भी गांव में इतनी अच्छी पढ़ाई कहां होती है बात तो तुम्हारी सही है लेकिन अभी साल खत्म भी नहीं हुआ है अभी कुछ महीने बाकी है तब तक उसका एडमिशन किसी स्कूल में हो ही नहीं सकता और हम बेटी का आधा हिस्सा कैसे बात कर दें या अपने माता पिता की बात सुनकर बोलती है पिताजी कोई बात नहीं मैं कुछ महीने घर पर ही पढ़ लिया करूंगी और बस पेपर देने ही जाया करुंगी ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी पढ़ाई कर ही रही थी तभी वह देती है उसी खिड़की के बाहर एक बकरी का बच्चा घूम रहा था अरे पास कितने के अंदर बकरी का बच्चा है इसके आस पास कोई नहीं दिख रहा है क्यों ना मैं इसको पकड़ कर अपने पास रख लो या जाति और बकरी के बच्चे को पकड़ लेती है और अपने आंगन में बांधती है तो उसके माता-पिता उसे पीछे ट्विटर या यह तुम क्या कर रही हो तेरा काम बकरी पालन थोड़ी ना है इसको छोड़ दो और जाकर अपनी पढ़ाई करो ना मम्मी मुझे इसके साथ खेलना है मुझे कह दो ना बाद में इसको छोड़ दूंगी भी मेरे साथ कोई नहीं है कम से कम यहां तक कि चलो ठीक है बेटा अगर इसका मालिक इसे तो तुझे देनी होगी और उसमें कोई मदद नहीं करूंगी और ना ही के पास इस वक्त रहते रहते कुछ दिन बीत जाते हैं और उनमें से कुछ ज्यादा ही लगाव हो जाता है अरे मेरी प्यारी बकरी अब हम दोनों लिया और हम दोनों कभी मुझसे दूर मत के माता-पिता की खुशी के लिए कुछ नहीं इस क्रिया का एडमिशन शहर के स्कूल में करा दिया जाता है रिया के पिता रिया को लेकर स्कूल जाने लगते हैं तब या होती है नहीं पापा अपनी बकरी को भी साथ लेकर जाऊंगी है और मैप हां बेटा यह तुम क्या कह रही हो बकरी भी भला कभी स्कूल जाती है क्या किसी ने देख लिया तो बिना बात के हंगामा हो जाएगा और अब तुम्हारी बकरीद बच्ची नहीं रही यह बड़ी हो गई है इसके बड़े सिंह आ गए हैं अगर किसी को स्लिम मार दिए तो डैडी मैं अपनी पत्नी के बिना स्कूल नहीं जाऊंगी और यह किसी को भी सील नहीं मारियो चिंता मत करो चल ठीक है वैसे तो स्कूल में जानवर नहीं जानते पर तुम इसको भी ले चलेंगे जो होगा देखा जायेगा लिए अपनी बकरी और पिता के साथ स्कूल पहुंच जाती है फिर यह प्रिंसिपल के रूम में अपनी बकरी के साथ जाती है बकरी को देखकर प्रिंसिपल कहता है और यह तुम क्या कर रहे हो यह लड़की क्लासरूम में नहीं जाएगी पहले इस बकरी को यहां से बाहर निकालो तब इस क्लास में भेज देना मुझे अपनी बकरी को भेजने से मना कर देती है तब उसके पिता कहते हैं प्रिंसिपल सिर हमारी बच्ची पीड़ित है तो आप थोड़े से पैसे और ले लो एक-दो दिन बकरी को आने दो फिर उसके बाद मैं खुद ही बकरी को नहीं लेकर आऊंगा पर आप मेरी मजबूरी को समझ यह सर चार्ल्स और ठीक है गहरा हो तो हम ऐसा कर देते हैं पर तुम्हें थोड़ा ज्यादा पैसे देने होंगे ठीक है प्रिंसिपल जी आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मैं इसके आपको थोड़े पैसे फालतू दे दूंगा प्रिया अपनी बकरी को क्लास की बेंच के नीचे छुपा कर बैठा देती है टीचर आकर उनको पढ़ाने लगती है टीचर को सब बच्चे गुड मॉर्निंग बोलते हैं तरन्नुम MP3 धाम वैकुंठ मैम गुड मॉर्निंग मैडम जी खड़ी होकर गुड मॉर्निंग गुड मॉर्निंग मैम के काले रंग करके यह लड़की किसकी तुम कहां से आई हो तो मुझे गांव गांव से बिलोंग करती हूं लेकिन मैं पढ़ाई में बिल्कुल शहर के बराबर यह शहर वालों की क्या बराबर करोगी लेने से कोई शेर नहीं बन जाता उसके लिए सुंदरता और दिमाग दोनों ही होना जरूरी ब्लैक बोर्ड पर कुछ लिखने की से नीचे गिर जाती है और उसे ऑफिस जाने के लिए झुकती है तो पूरा पेंसिल बॉक्स फिर नीचे गिर जाता है टीचर चलाती है यह कितने की है कौन शोर मचा रहा है बताओ मुझे तब बच्चे रिया की तरफ देखते हैं अच्छा यह गांव की गंवार काली लड़की छोड़कर ये लड़की से रंग ही बेकार हरकतें भी ऐसे ही करती है तू तुम मैडम मैं सिर्फ अपना पेंसिल बॉक्स उठा रही थी मैंने कुछ नहीं किया तुम चुप करो और इस बार कोई आवाज न जाए वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा कि टीचर वापस मुड़कर बोर्ड पर लिखने लगती है पर रिया की बकरी को यह सब सुनकर बहुत गुस्सा आता है एक टैन ने मेरी दोस्त को बेवजह डाल दिया आप इसे मस्त किया कि बकरी जाकर मैडम को पीछे से मार देती है टीचर बहुत टेस्टी लगती है अक्षर तय की है टीचर गुस्से में प्रिंसिपल रूम में चली जाती है इस काली लड़की ने क्लासरूम में लाकर पर हमला करवा दिया अब यह स्पून जाएगी जब मैं रहूंगी टीचर और प्रिंसिपल दोनों के बीच बहुत-बहुत होती है और के बाद रिया के पिता को बुलाकर बकरी को अनुप्रिया को वापस भेज दिया जाता है फिर यह कि पिताजी ने रिया को समझाया बैटरी या और सुबह बकरी में टीचर पर हमला कर दिया अब स्कूल वाले इस बकरी को वहां आने नहीं देंगे और मैं तुझे पढ़ाना चाहता हूं अपने पिता की बात मानकर इस बकरी को स्कूल जाने की जिद छोड़ दें फिर यहां अपने पिता की बात समझ आ जाती हैं और के बाद रिया के लिए स्कूल जाने लगती है और स्कूल के आने के बाद रिया अपनी बकरी के साथ समय बिताती थी उस पर खूब बातें करती थी अ

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