अमीर गरीब सहेलियों की छठ पूजा _ Ameer vs gareeb _ Saas Bahu _ Hindi Kahaniya _ Moral Stories _kahani_transcript
मनमोहन एक किसान था ज्यादा कमाई नहीं थी
बस किसी तरह व घर और अमित की पढ़ाई का
खर्चा उठा रहा था सुजाता की बात सुनकर
उसने कहा सुजाता ख्याल तो अच्छा है पर तुम
तो जानते ही हो ना इस बार आधे से ज्यादा
फसल खराब हो गई पूरे महीने के खर्च लायक
पैसे भी नहीं बचे हैं ऐसे में छट पूजा
कितना भी कम करो पर खर्चा तो होगा ही ना
बात तो आपकी ठीक है जी पर आप ही बताओ मैं
अमित को कैसे मना करूं बहुत उदास हो जाएगा
व अच्छा ठीक है रुक जाओ थोड़ा वैसे मुझे
एक बात और करनी थी तुमसे हां जी बताइए ना
वह मेरा दोस्त है ना कन्हैया जो शहर से
कुछ ही दिन पहले आया है अरे वह बता रहा था
कि उसके सेठ को एक चौकीदार की जरूरत है
मैं सोच रहा हूं कि खेतीबाड़ी में तो अब
वैसे भी कुछ नहीं रखा है जाकर कर वहीं
नौकरी कर लूं यह तो अच्छा है जी अभी तो छट
पूजा के लिए भी पूरा एक महीना है अगर बात
बन गई और कुछ पैसे मिल गए तो बच्चे का मन
रह जाएगा और इस बहाने हम भी छट पूजा मना
लेंगे तो ठीक है फिर मैं कल ही चला जाता
हूं शहर अगले दिन मनमोहन अपने दोस्त के
साथ शहर जाता है और नौकरी शुरू कर देता है
कई दिन बीत जाते हैं फिर एक दिन मां बाबा
को गए हुए कितने दिन हो गए छठ पूजा भी आने
वाली है वो कब आएंगे आ जाएंगे बेटा तेरे
बाबा कह रहे थे कि इस बार छट पूजा अच्छे
से मनाएंगे सच मां फिर तो बहुत मजा आएगा
सुजाता की बात सुनकर अमित बहुत खुश हो
जाता है वह छट पूजा का बड़ी ही बेसब्री से
इंतजार कर रहा था उधर शहर में मनमोहन पूरी
ईमानदारी से अपना काम कर रहा था वह सेठ के
घर पर चौकीदार था और पूरी रात जाकर घर की
रखवाली करता था एक दिन रात के वक्त वहां
कुछ चोर आ जाते हैं वह चुपचाप सेठ के घर
में घुसने की कोशिश करते हैं लेकिन मनमोहन
उन्हें देख लेता है व चिल्लाकर कहता है ए
कौन है वहां ए रुको अभी मजा च खाता हूं
तुझे चोर सेठ के घर पूरा प्लान बनाकर आए
थे मनमोहन के सामने सिर्फ एक आदमी था जबकि
उस चोर के बाकी साथी मनमोहन पर पीछे से
हमला कर देते हैं वो सबसे पहले मनमोहन का
मुंह एक कपड़े से बांध देते हैं ताकि वह
चिल्ला ना सके फिर वह उसे एक कुर्सी से
बांधकर वहीं छोड़ देते हैं मनमोहन खुद को
छुड़ाने की बहुत कोशिश करता है लेकिन वह
उन चोरों को नहीं रोक पाता चोर बड़े ही
आराम से घर में घुसते हैं और घर का काफी
सारा सामान चुराकर वहां से बाहर भी निकल
जाते हैं सेठ और सेठानी उस वक्त घर पर
नहीं थे वह एक पार्टी में गए हुए थे और
रात को देर से घर आने वाले थे चोरों को यह
बात पहले से ही पता थी चोरों को जाते
देखकर मनमोहन पूरी ताकत लगाता है और
आखिरकार वह रस्सी तोड़ देता है लेकिन तब
तक बहुत देर हो गई थी चोर उसकी पहुंच से
काफी दूर थे फिर भी वह उनका पीछा करता है
लेकिन रास्ते में गाड़ी से उसकी टक्कर हो
जाती है हालांकि ड्राइवर के सही वक्त पर
ब्रेक लगाने की वजह से उसे ज्यादा चोट
नहीं आई गाड़ी में वही सेठ और सेठानी थे
जिनके यहां मनमोहन नौकरी करता था सेठ
मनमोहन को देखकर गुस्से से कहता है अरे
मोहन तू तू यहां क्या कर रहा है घर में
कोई घुस गया तो घुस गए साहब घुस गए चोर
घुस गए और चोरी करके भाग भी गए मैं मैं
उन्हीं के पीछे तो भाग रहा था चलिए वह
ज्यादा दूर नहीं गए होंगे गाड़ी से उन्हें
पकड़ लेते हैं क्या क्या बकवास कर रहा है
तू तू तब क्या कर रहा था जब चोर घर में
घुसे तनख्वा किस बात की देता हूं मैं तुझे
साहब मैंने रोका था उन्हें उन्होंने मुझे
बांध दिया था कहानिया मत बना मेरे सामने
चोरों ने तुझे बांधा तो यहां कैसे पहुंचा
तू सच बता तेरे साथ ही थे ना वह और तू भी
उसके साथ भाग रहा था ना नहीं साहब यह सच
नहीं है मैं मैं तो अरे आप जल्दी घर चलिए
हे भगवान ना जाने क्याक ले गए होंगे घर से
और मेरी मानिए तो आप पुलिस भी बुलवा ही
लीजिए वही सिसा चुगल पाएगी अब तो और शायद
तभी हमारा सामान भी हमें वापस मिल पाए मैं
मैं सच कह रहा हूं मेरा विश्वास कीजिए सेठ
मनमोहन की एक नहीं सुनता और उसे पुलिस के
हवाले कर देता है पुलिस मनमोहन को जेल में
बंद कर देती है पुलिस उसका फोन छीन लेती
है सुजाता भी उसका फोन नहीं लगने से बहुत
परेशान हो जाती है पर उसके पास इंतजार
करने के सिवाय कोई दूसरा चारा नहीं था
मनमोहन का दोस्त कन्हैया भी उस वक्त गांव
में नहीं था छट पूजा को सिर्फ दो दिन रह
गए थे सुजाता किसी तरह प्रसाद के लिए राशन
का इंतजाम करती है और जंगल से बांज की
लकड़ी लाकर खुद अपने हाथों से पूजा के लिए
टोकरी और सूप बनाती है अब सिर्फ कुछ फल और
ई की जरूरत थी लेकिन सुजाता के पास उन्हें
खरीदने के लिए बिल्कुल भी पैसे नहीं थे
अमित सुजाता की मुश्किल अच्छे से समझ रहा
था वह पास के खेत से ईक चुराने की कोशिश
करता है खेत का मालिक उसे देख लेता है और
उसे पकड़कर सुजाता के पास ले जाता है
सुजाता बहन कहां हो देखो तुम्हारा लड़का
क्या कर रहा था अरे बिरजू भैया क्या हुआ
क्या किया इसने मेरे खेत से गन्ना चुरा
रहा था रंगे हाथ पकड़ा मैंने इसे माफ करना
भैया मैं मैं समझाती हूं इसे आगे से ऐसा
नहीं होगा खेत का मालिक वहां से चला जाता
है फिर सुजाता अमित से पूछती है अमित क्या
है यह सब तुमने चोरी क्यों की मां मुझे
पता है आपके पास छट पूजा के लिए एक और फल
खरीदने के लिए पैसे नहीं है
बाबा भी पता नहीं कहां है तो मैंने सोचा
तो तुमने सोचा कि चोरी करके त्यौहार मनाओ
ग नहीं बेटा यह बहुत गलत बात है ऐसे छट
पूजा मनाने का कोई फायदा नहीं तो क्या हुआ
अगर हम बिना ईख और फलों के पूजा करते पूजा
में श्रद्धा की अहमियत सबसे ज्यादा होती
है बेटा हां मां आप सही कह रही हो मुझसे
गलती हो गई मैं वादा करता हूं दोबारा ऐसा
कभी नहीं करूंगा पर मां बाबा घर क्यों
नहीं आ रहे वह आज जा तो हम ईक और फल भी
खरीद पाते ना सुजाता के पास अमित के सवाल
का कोई जवाब नहीं था वह खुद मनमोहन की
घरना आने से दुखी थी फिर छट पूजा का पहला
दिन आ जाता है वह पूरे विधि विधान से व्रत
रखती है और अमित भी हर विधान को उसके साथ
पूरा करता है सूर्य भगवान को अर्ग देने के
साथ ही सुजाता प्रार्थना करती है हे सूर्य
भगवान आप तो पूरे संसार का अंधेरा दूर
करते हो मेरे पति कहां है कैसे हैं मुझे
नहीं पता उनके बिना मेरा और मेरे बेटे के
जीवन में भी अंधेरा छा गया है कृपा कीजिए
और उन्हें घर वापस ले आइए उधर शहर में
पुलिस मनमोहन के खिलाफ सबूत जुटाने की
कोशिश में लगी थी लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं
लगा बल्कि सेठ के घर के सामने लग एक
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से उस रात का
पूरा वाकया सामने आ गया और इस तरह मनमोहन
निर्दोष साबित हुआ मनमोहन जेल से बाहर आ
गया और सेठ उसके सामने शर्मिंदा होकर बोला
माफ कर दो मोहन मैंने तुम्हारी ईमानदारी
पर शक किया यह मेरी गलती थी अ मैं तुम्हें
वापस नौकरी पर रखना चाहता हूं वह भी पहले
से ज्यादा तनख्वा पर शुक्रिया साहब पर मैं
सबसे पहले अपने घर जाना चाहता हूं मेरी
बीवी और मेरा बच्चा अकेले हैं उन्हें मेरी
चिंता हो रही होगी सेठ मनमोहन को कुछ पैसे
देकर उसके गांव भेज देता है सुजाता और
अमित मनमोहन को देखकर बहुत खुश होते हैं
मनमोहन उन्हें अपने साथ हुआ पूरा किस्सा
सुनाता है फिर सुजाता उससे कहती है सब
सूर्य भगवान की कृपा है जी आप इतनी बड़ी
मुसीबत से बाहर निकल आए मैं तो कहती हूं
अब से हम हर बार छट पूजा मनाएंगे हां हां
बिल्कुल मनाएंगे और खूब अच्छे से मनाएंगे
क्यों क्यों अमित अमित अपने पिता के गले
लग जाता है फिर सब लोग मिलकर पूरी श्रद्धा
से छट पूजा करते हैं अमित बहुत खुश था छट
पूजा मनाने की उसकी इच्छा पूरी जो हो गई
थी साथ ही अब उसने ईमानदारी के महत्व को
भी समझ लिया
था
बचपन से राधा को फूलों से खेलने का बहुत
शौक था उसके घर के आंगन में बहुत सारे
फूलों के पेड़ थे वह उन्हीं पेड़ों से फूल
तोड़कर खेलती रहती थी कभी वह फूलों से
माला बनाती थी तो कभी फूलों से ड्रेस
बनाकर पहन लेती थी अरे देखो हमारी बेटी को
फूल से कैसे ड्रेस बना रही है बहुत अकलमंद
है हमारी बेटी देखना हमारी बेटी ही हमारी
गरीबी दूर कर
लेकिन वह दिन देखने के लिए राधा के
माता-पिता जिंदा नहीं रहे वह दोनों गरीब
थे और लेबर का काम करते थे लेकिन एक दिन
रास्ता बनाने का काम करते हुए उनके ऊपर से
च और उन दोनों की मृत्यु हो गई राधा नाथ
हो गई मां बापू कहां चले गए आप मां
बापू राधा ने रोते हुए अपने माता-पिता का
अंतिम संस्कार किया लेकिन वह अभी भी छोटी
थी व सिर्फ 5 साल की थी गांव वालों ने उसे
उसके चाचा के हाथ में सौंप दिया उसका चाचा
अमीर तो था लेकिन दिल का अच्छा नहीं था
उसकी चाची अनीता ने कहा लो यह कहां से आकर
हमारे सर पर बैठ गई अब इसका पेट भी पालना
पड़ेगा उसके चाचा रतन ने कहा अरे ऐसे
क्यों सोच रही हो अनीता सोचो कि घर में एक
मुफ्त की नौकरानी आई है काम करवाओ इससे
अनीता राधा से घर का सारा काम करवाने लगी
रतन और अनीता की एक बेटी थी उसका नाम
पूर्णिमा था और पूर्णिमा राधा की उम्र की
ही थी पूर्णिमा स्कूल जाती थी और राधा
बेचारी घर का काम करती थी ऐसे ही समय
बीतता रहा और दोनों बड़ी होने लगी दोनों
जब 18 साल के हो गए तब एक दिन पूर्णिमा ने
राधा से कहा राधा मुझे शॉपिंग पर जाना है
यहां नया शॉपिंग मॉल खुला है तो मेरे साथ
चल मेरे बैग उठा लेना ठीक है पूर्णिमा
राधा पूर्णिमा के साथ चली गई शॉपिंग मॉल
देखकर तो पहले राधा के होश उड़ गए
पूर्णिमा राधा को लेडीज गारमेंट्स की
दुकान में ले गई वहां 100 तरह के ब्रा
पैंटी बिक रहे थे अरे वाह कितने सारे ब्रा
पैंटी बिक रहे हैं तू कौन सा लेगी
पूर्णिमा सबसे महंगी वाली मुझे भी एक दिला
देना चाची ने 2 साल पहले एक खरीद के दी थी
वह भी बर्बाद हो चुकी है हां तो तुझे ब्रा
पैंटी पहनने की क्या जरूरत है तू तो घर पे
ही रहती है और काम करती रहती है मुझे
कॉलेज जाना होता है मुझे इसकी जरूरत है तू
तो घर की नौकरानी है
नौकरानी राधा को बहुत बुरा लगा वह गरीब है
तो क्या उसे ब्रा पैंटी पहनने का हक नहीं
है व अभी भी फूलों से खेलना पसंद करती थी
लेकिन उसे ज्यादा समय नहीं मिलता था सारा
समय घर के कामकाज में ही लग जाता था
शॉपिंग मॉल से लौटकर सबके लिए खाना बनाने
के बाद राधा ने पेड़ों से फूल तोड़ा और
उससे एक ब्रा बना ली अरे वाह यह तो दिखने
में बहुत सुंदर लग रही है बहुत बढ़िया
लेकिन अभी तक राधा को नहीं पता था कि यह
फूलों की ब्रा उस की जिंदगी बदल देगी उधर
पूर्णिमा एक फैशन डिजाइनिंग कॉलेज में
भर्ती हो गई उसे फैशन में ज्यादा कुछ
दिलचस्पी नहीं थी लेकिन पैसों के दम पर वह
कॉलेज में भर्ती हो गई वहां उसके साथ एक
बहुत अमीर लड़का पढ़ता था उसका नाम रौनक
था रौनक के पिता की एक फैशन डिजाइनिंग
कंपनी थी और उसी वजह से वह बहुत अमीर भी
था पूर्णिमा ने सोचा यह रौनक कितना अमीर
है मुझे इसी से शादी करनी है फिर तो पूरी
जिंदगी रानी की तरह रहूंगी उस दिन से
पूर्णिमा रौनक को इंप्रेस करने के चक्कर
में लगी रही लेकिन रौनक को पूर्णिमा उतनी
अच्छी नहीं लगती थी एक दिन पूर्णिमा ने
रौनक को प्रपोज कर दिया रौनक मैं तुझसे
बहुत प्यार करती हूं तुझसे शादी करना
चाहती हूं पूर्णिमा तू मेरी दोस्त है मैं
तुझे उस नजर से नहीं देखता तू यह सब मत
बोला कर मुझे अच्छा नहीं लगता है लेकिन
पूर्णिमा ने हार नहीं मानी व रौनक को
इंप्रेस करने के लिए तरह-तरह के नुस्खे
अपनाने लगी उसका पूरा ध्यान वहीं पर था और
इधर उसकी पढ़ाई राधा कर रही थी राधा
पूर्णिमा के कॉलेज के प्रोजेक्ट कर देती
थी उससे राधा को भी काफी कुछ पता चलने लगा
अच्छा तो ऐसे बनाए जाते हैं फैशन वाले
कपड़े काश मैं भी कॉलेज में पढ़ पाती
लेकिन राधा का नसीब इतना अच्छा कहां था वह
हर सुबह सबसे पहले उठती थी और फूल तोड़कर
अपने लिए फूलों की ब्रा पेंटी बनाती थी और
उसे पहन लेती थी क्योंकि उसे कोई ब्रा
पेंटी खरीद कर नहीं देता था अगले दिन फूल
सड़ जाते तो राधा नए फूल तोड़कर उससे ब्रा
पेंटी बनाती थी ऐसे ही समय बीतने लगा
कॉलेज के तीन साल खत्म होने को थे लेकिन
पूर्णिमा अभी तक रौनक को अपने प्यार के
जाल में फंसा नहीं पाई थी और यह बात उसे
बहुत परेशान कर रही थी उसे परेशान देखकर
उसकी मां ने उससे कहा बेटी तू एक दिन रौनक
को घर बुला मैं उससे बात करती हूं उसे ऐसा
खाना बनाकर खिलाऊंगी कि वह तेरे लिए पागल
हो जाएगा हां हां मां आपने सही कहा
पूर्णिमा ने रौनक को अपने घर पर इनवाइट
किया रौनक आया अनीता ने राधा से ही खाना
बनवाया खाना खाकर रौनक बहुत तारीफ करने
लगा अरे वाह जिसने भी यह खाना बनाया है
उसके हाथों में तो जादू है अरे यह तो मेरी
बेटी पूर्णिमा ने ही बनाया है अच्छा ऐसा
क्या लेकिन वह तो बोल रही थी कि उसे खाना
बनाना नहीं आता वो असल में बात यह है कि
तभी राधा आ गई और राधा को देखकर रौनक विदा
हो गया पूर्णिमा यह कौन है ये यह है तो
मेरे चाचा की लड़की लेकिन इसे इस घर की
नौकरानी कह सकते हो रौनक ने कुछ कहा नहीं
लेकिन उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी उसे
कुछ महसूस हो रहा था वह घर चला गया उसके
पिता ने उससे कहा रौनक अभी तू बड़ा हो गया
है कॉलेज भी खत्म होने को है अब कुछ
जिम्मेदारियां लेना सीख क्या
जिम्मेदारियां लूं पापा बोलिए मेरी कंपनी
सालों से ब्रा पेंटी बनाती आ रही है लेकिन
आज तक इसमें कभी घाटा नहीं देखा लेकिन इस
साल पता नहीं क्या हो गया ब्रा पेंटी बख
ही नहीं र हैं जमाना बदल गया है पापा
फास्ट फैशन का जमाना है हमें कुछ नई
डिजाइन ढूंढनी होगी रौनक नई डिजाइन की खोज
में लग गया कुछ दिनों बाद कॉलेज का आखिरी
एग्जाम था और उसके लिए एक प्रोजेक्ट जमा
करना था लेकिन रौनक का प्रोजेक्ट पूर्णिमा
ने कॉपी करने के लिए लाया था एग्जाम के
दिन सुबह रौनक अपना प्रोजेक्ट लेने के लिए
पूर्णिमा के घर चला गया और उसने देखा राधा
बाहर बैठकर फूलों से कुछ बना रही है वो
चुपचाप देखता रहा और अंत में उसने देखा कि
राधा ने फूलों से ब्रा पेंटी बनाई राधा
तुम जीनियस हो लेकिन राधा शर्मा गई रौनक
ने कहा राधा तुम्हारी फूलों वाली ब्रा
पंटी कमाल की है तुम मुझे आईडिया बेचना
पसंद करोगी उसके बदले मैं तुम्हें बहुत
पैसे दूंगा राधा मान गई रौनक ने अपनी
कंपनी में फूलों वाली ब्रा पेंटी बनाई और
व हिट हो गई शॉपिंग मॉल में भी फूलों वाली
ब्रा पैंटी बिकने लगी राधा को यकीन ही
नहीं हुआ राधा तुम्हें फैशन के बारे में
काफी कुछ पता है तुम्हारा आईडिया हिट है
मेरे पास और भी बहुत सारे आईडिया है तो
फिर तुम हमारी कंपनी में नौकरी ले लो
अच्छा खासा पैसा मिलेगा राधा ने नौकरी कर
ली और उसे बहुत सारे पैसे मिलने लगे रौनक
और राधा के बीच प्यार हो गया और एक साल के
अंदर दोनों ने शादी करली पूर्णिमा यह
देखकर अंदर से जलकर राख हो गई और फ्लर
ब्रा पेंटी की वजह से आज राधा को सब कुछ
मिल गया वह खुशी-खुशी जिंदगी बिताने
लगी
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