5 बहू की एक बेटी _ Hindi Kahani _ Moral Stories _ Bedtime Stories _ Saas Bahu _ Hindi Kahaniya_transcript
कानपुर शहर में पंच भाई रहते द उनके माता
पिता नहीं द धीरे-धीरे पांचो भाई अपनी
अपनी पसंद की लड़की से शादी कर लेते हैं
बाजू की शादी को कई साल बीट जाते हैं पर
किसी को भी बच्चा नहीं होता एक दिन बड़ी
बहु कविता अपने पति से कहती है सुनिए
कितने साल हो गए पर हमारे घर में एक भी
बच्चा नहीं हुआ है
सब ठीक हो जाएगा एक दिन हमारे घर में
बच्चे की किलकारी जरूर gunjegi थोड़ी देर
बाद शाम में पांचो बहु एक साथ बैठी होती
हैं तभी कविता को उल्टी जैसा महसूस होने
लगता है यह देखकर दूसरी बहु कमला बोलती है
क्या हुआ दीदी तबीयत ठीक है ना इतने में
कविता भाग कर वॉशरूम जाती है और उल्टी
करने लगती है चारों बहुएं कविता को देखने
के लिए वॉशरूम जाती हैं और उसको कमरे में
लाकर आराम से लिटा देती है तभी तीसरी बहु
राम डॉक्टर को फोन करके कविता की जांच
करवाने के लिए घर बुलाती है
डॉक्टर जांच करके बताते हैं की कविता मैन
बनने वाली है यह सुनकर राम बोलती है भगवान
ने हमारी सन ली अब हमारे घर में बच्चे की
किलकारी gunjegi उसके बाद चारों बहु में
मिलकर कविता का बहुत ध्यान रखने लगती है
देखते ही देखते 9 महीने बीट जाते हैं और
कविता एक बहुत प्यारी सी बेटी को जन्म
देती है चारों बहु में बच्ची को लेने के
लिए अस्पताल में लड़ने लगती है यह सब
देखकर चारों के पति उन्हें समझते हैं और
थोड़ी देर बाद कोई मुझे भी तो मेरी बच्ची
को दे दो मैं भी उसे थोड़ा प्यार कर लूं
दीदी मेरा तो मैन ही नहीं कर रहा है इसे
देने का इतना प्यारी है कभी पांचवी बहु
विमला सीमा से बच्ची को ले लेती है और
कविता को देती है कविता अपनी बेटी को बहुत
प्यार करती है तभी वह देखती है की उसकी
चारों devraniyon से लेने के लिए उत्सुक
हो रही है यह सब देखकर कविता कहती है की
यह हम पांचो की बेटी है आज से जितना
अधिकार मेरा इस पर है उतना ही तुम चारों
का भी है
यह सुनकर चारों खुश हो जाती है और राम
बोलती है सच दीदी यह हमारी भी बेटी है हान
यह हम पांचो की बेटी है उसके बाद चारों
कविता और बच्ची को लेकर घर ए जाते हैं सब
मिलकर उसका नाम प्रतिभा रखते हैं अब हर
समय चारों देवरानियां प्रतिभा के साथ-साथ
ही रहती थी कविता को प्रतिभा के साथ खेलने
का मौका ही नहीं मिलता था एक दिन चारों एक
साथ बैठी होती हैं और तभी प्रतिभा खेलते
खेलते गिर जाती है यह देखकर चारों एक
दूसरे से लड़ने लगती है कविता उसे समय घर
पर नहीं होती है चारों प्रतिभा को लेकर
डॉक्टर के पास जाती है और डॉक्टर मेरी
बेटी को चोट लग गई है एक बार उसे देख
लीजिए डॉक्टर साहब एक बार देखिए ना क्या
हो गया मेरी बेटी को
ये ये तो मामूली सी खरोच है ये आपको
मामूली चोट दिखती है डॉक्टर को समझ नहीं
आता की चारों इतना ज्यादा बच्चे को लेकर
परेशान क्यों है पर डॉक्टर कुछ नहीं बोलता
चारों प्रतिभा को घर ले जाती है और सारी
बात कविता को बताती है कविता प्रतिभा को
देखती है और बोलती है ये तो मामूली सी
खर्च है इसके लिए डॉक्टर के पास जाने की
क्या जरूरत थी यह सुनकर चारों को अच्छा
नहीं लगता और विमला बोलती है यह आप क्या
का रही हो दीदी कविता कोई जवाब नहीं देती
और कमरे में चली जाती है और
ये चारों कुछ ज्यादा ही परेशान है प्रतिभा
को लेकर धीरे-धीरे समय बिताता है और
प्रतिभा बड़ी हो जाती है पांचो के इतने
ज्यादा प्यार के कारण वह बहुत ही घमंडी और
जिद्दी हो जाती है एक दिन सीमा प्रतिभा के
लिए आलू के पराठे बना कर लाती है प्रतिभा
देख मैं तेरे लिए आलू के पराठे लेकर आई
हूं
और सीमा के हाथ में आलू का पराठा देखकर
बोलती है
क्या चाची रोज रोज आप आलू के पराठे ले आती
हो आपको कितनी बार कहा है की मैं डाइटिंग
पर हूं मैं इतना ऑइली खाना नहीं खा सकती
प्रतिभा यह तुम किस तरीके से बात कर रही
हो अपनी चाची से मैन अभी मैं आपकी बात
नहीं सुनना चाहती मुझे कॉलेज जाना है बाद
में बात करते हैं यह बोलकर प्रतिभा कॉलेज
की तो vimlav उसके लिए पकौड़े
बना उसके आते ही विमला कहती है ए गई मेरी
बेटी नहीं चाची अभी रास्ते में हूं
बहुत मजाक करने लग गई है
[संगीत]
दोनों प्रतिभा को देखकर बहुत खुश हो जाती
है तभी विमला रसोई से प्रतिभा के लिए
पकौड़े लेकर आती है प्रतिभा पकौड़ी खाती
है और
कितनी गंदे पकोड़े हैं ना मिर्च है ना
मसाला कोई बात नहीं मैं तेरे लिए दूसरे
पकोड़े बना कर लाती हूं प्रतिभा इसी तरह
सबसे बात करती थी बाजू की एक बेटी होने के
कारण सब उससे कुछ ज्यादा ही प्यार करते द
जिसके कारण वो इतना बिगड़ गई वो सुबह देर
तक सोती और एक भी कम नहीं करती थी एक दिन
राम और प्रतिभा को छोड़कर चारों बहु में
मार्केट जाती हैं अचानक राम की तबीयत खराब
हो जाती है राम प्रतिभा को आवाज़ लगाते
हुए बुलाती है और बेटी प्रतिभा इधर ए
प्रतिभा कोई जवाब नहीं देती है राम
प्रतिभा के कमरे में जाती है तो देखती है
की वो फोन चला रही है यह सब देखकर बेटी
मेरे लिए कप चाय बना दे मेरी तबीयत ठीक
नहीं लग रही है
[संगीत]
प्रतिभा एक बार भी उसका हाल पूछना नहीं
जाती है थोड़ी देर में चारों बहु में घर ए
जाती है चारों राम को ऐसे देखती हैं और
क्या हुआ राम सर पड़कर क्यों बैठी हो
काफी समय से प्रतिभा तो घर में ही थी उसके
साथ डॉक्टर के पास चली जाती राम की आंखों
में आंसू ए जाते हैं और वह सारी बातें उन
सबको बताती है ये सब सुनकर चारों को बुरा
लगता है और ये सब हमारी वजह से हुआ है
हमने उसे अपने लाल और प्यार से बिगाड़
दिया है हान आप एकदम ठीक का रही हैं बचपन
में जब कभी वो कोई गलती करती या किसी के
साथ गलत करती तो हम उसे नहीं डांटे द
हमने उसे सही और गलत के बारे में नहीं
समझाया शायद इसीलिए वो ऐसी हो गई है अब
हमें प्रतिभा को सही रास्ते पर लाना होगा
यह बोलकर वह पांचो अपनी क्लॉथ की बेटी को
सुधारने के लिए प्लान बनाती है और अगले
दिन मैन चाची नाश्ता दे दो कविता नाश्ता
लेकर आती है प्रतिभा नाश्ता देखती है
खाना मुझे नहीं खाना यह खाना खाना तो खाओ
नहीं तो भूखे रहो मा आपको क्या लगता है
अगर आप मेरी पसंद का नाश्ता नहीं बनोगी तो
मुझे नाश्ता नहीं मिलेगा मैं अभी अपनी
चुचियों को आवाज़ लगती हूं चारों अभी मेरे
लिए मेरी पसंद का नाश्ता बना देंगी
प्रतिभा चारों का आवाज़ लगती है चारों
बाहर आती है प्रतिभा चारों को अपना नाश्ता
बनाने को कहती है ये सुनकर प्रतिभा कविता
दीदी ने नाश्ता बना लिया है तुम वही खा लो
यह सुनकर प्रतिभा को बहुत अजीब लगता है
उसके बाद उसकी तीनों चाची भी यही जवाब
देती है ये देखकर आप बच्चों को हुआ क्या
है पहले तो मेरे आगे पीछे रहती थी और अब
ये सब अब से तुम्हें अपना कम खुद ही करना
है तुमने हमारे प्यार का गलत फायदा उठाया
अब से तुम्हें जो मैन करें वो करो अब
प्रतिभा को अपना कम खुद करना पड़ता है यह
सब देखकर पांचो को बहुत बुरा लगता है पर
पांचो को प्रतिभा को सुधारने के लिए यह सब
करना पड़ता है प्रतिभा को कम करने की आदत
नहीं होती है इसलिए उसे बुखार हो जाता है
वह अपने कमरे से पांचो का आवाज़ लगती है
पांचो प्रतिभा की आवाज़ सुनकर उसके कमरे
में जाती हैं तो देखती है की उसे बहुत तेज
बुखार है यह सब देखकर दीदी इसका शरीर तो
बुखार से तप रहा है इतना सुनते ही राम
डॉक्टर को फोन करके बुला लेती है डॉक्टर
प्रतिभा को दवाई देती है उसके बाद पांचो
प्रतिभा की दिन रात सेवा करती है दो दिन
में प्रतिभा एक दम ठीक हो जाती है उसके
बाद आप पांचो मुझे माफ कर दो मुझे अपनी
गलती का एहसास हो गया है ये सुनते ही
पांचो की आंखों में आंसू ए जाते हैं पांचो
प्रतिभा को गले लगा लेती है उसके बाद
पांचो अपनी इकलौती बेटी के साथ खुशी-खुशी
रहने लगती है
[संगीत]
मंगलपुर में देवी अपनी पत्नी शांति और मैन
कांता के साथ रहता था विवेक पढ़ा लिखा
समझदार नौजवान था और कपड़े बनाने वाली एक
कंपनी में मैनेजर था
शांति भी समझदार और बहुत व्यवहार कुशल थी
देवेश पुरी मेहनत से नौकरी करता और शांति
भी पुरी लगन से घर संभालती थी उनके पास सब
कुछ था सिवाय एक औलाद के शांति और देवेश
की शादी को सात साल हो गए द लेकिन शांति
की गोद अब तक सुनी ही थी काफी इलाज करवाने
के बाद भी समस्या का हाल नहीं मिला शांति
की सास कांता को भी बस इसी बात का दुख था
वो हर वक्त पूजा पाठ में लगी रहती और तो
और मन्नत से लेकर झाड़ फूंक तक वह हर
तरीके
[संगीत]
प्रसाद की पोटली में लाई थी वह कहां है वह
पोटली माजी मैंने वह पोटली आपके कमरे में
रख दी थी अभी लेकर आती हूं शांति जाकर उसे
पोटली को लेकर आती है और उसे कांता को दे
देती है कांता उसे पोटली को खोलकर उसमें
से कुछ गेहूं के दाने निकलती है और उन्हें
शांति को देते हुए कहती है ले बेटा वो घाट
वाले मंदिर के बाबा जी हैं ना बड़ी सिद्धि
है उनके पास उनसे लेकर आई हूं उन्होंने
मंत्र जाप करके यह गेहूं के दाने तेरे लिए
दिए हैं रोज खाली पेट गेहूं के साथ दाने
खाने हैं अच्छे से चबा चबाकर बाबा जी का
रहे द अगर 21 दिन तक बहु ने ये नियम पूरा
कर लिया तो सब अच्छा हो जाएगा जी ठीक है
मैन जी शांति कांता से उनके दोनों को ले
लेती है और अगले ही दिन से उन्हें खाना
शुरू कर देती है 21 दिनों तक पूरा नियम
करने के बाद भी उनकी मुराद पुरी नहीं हुई
जब यह बात देवेश को पता चली तो उसने
गुस्से से शांति से कहा यह क्या शांति तुम
ही मैन की बातों में ए गई उनकी उम्र हो गई
है वह किसी की भी बातों में ए जाती है
पर तुम तो समझदार हो अरे आप नाराज मत होइए
मैन जी बड़ी उम्मीद से लाई थी वो गेहूं के
दाने और उन्हें खा लेने से मुझे कोई
नुकसान थोड़ी हुआ है बस दुख तो इस बात का
है की एक बार फिर मैन जी के साथ साथ मेरी
भी उम्मीद टूट गई पता नहीं क्यों भगवान
हमसे नाराज हैं इतना कहकर शांति की आंखों
में आंसू ए जाते हैं और वो वहां से चली
जाती है देवेश भी उदास हो जाता है वो घर
से बाहर टहलने के लिए निकल जाता है थोड़ी
ही दूर उसे शिव मंदिर दिखाई देता है वो
मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करता है और
हाथ जोड़कर थोड़ी देर वहीं बैठ जाता है
उसके पास में ही बैठे दो दोस्त आपस में
बातें कर रहे द
मेरी दुकान बढ़िया चल रही है मेरी मुराद
महादेव ने पुरी कर दी सावन का महीना आने
वाला है मैं तो जाऊंगा कावड़ लेकर अब तू
चलेगा ना हान भाई मैंने भी मन्नत मांगी
हुई है दोनों साथ चलेंगे उन दोस्तों की
बात सुनकर देवेश को कावड़ यात्रा पर जाने
का मैन करता है वो हाथ जोड़कर मणि मैन
भगवान शिव से प्रार्थना करता है महादेव
मेरा यहां आना और कावड़ यात्रा के प्रति
प्रेरित होना शायद आपका ही इशारा है मैं
प्राण लेता हूं की इस बार सावन के महीने
में कांवड़ यात्रा पर जाऊंगा आपकी कृपा से
कोई कमी नहीं है मुझे बस एक औलाद देती है
प्रभु मुझे और कुछ नहीं चाहिए देवेश
प्रार्थना करते हुए रोने लगता है काफी देर
मंदिर में रुकने के बाद वो घर जाता है और
शांति को अपने फ्रेंड के बारे में बताता
है यह जानकर शांति बहुत खुश होती है वह
देवेश से कहती है यह तो बहुत अच्छी बात है
जी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए आपका वर्ड
यात्रा पर निश्चिंत होकर जाएगा मैं यहां
सब संभल लूंगी शांति की बात सुनकर देवेश
मुस्कुराता है और शांति के सर पर हाथ रखता
है फिर वहां से चला जाता है ऐसे ही कई दिन
गुजर गए जैसे-जैसे सावन का महीना नजदीक ए
रहा था कावड़ यात्रा को लेकर देवेश का
उत्साह भी बढ़ता जा रहा था लेकिन एक दिन
अचानक कम पर से घर लौटते हुए देवेश की
मोटर साइकिल पर से उसका संतुलन खो गया
उसके सामने अचानक एक बच्चा ए गया जिसे
बचाने के चक्कर में देवेश ने अपनी मोटर
साइकिल पर से संतुलन खो दिया और काफी दूर
तक मोटरसाइकिल के साथ ही घिस चला गया
उसके सर पर कई गहरी चोटियां वहां मौजूद
लोगों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचा और
जैसे ही शांति और कांता को इस बारे में
पता चला वो दोनों तुरंत ही अस्पताल की तरफ
था की अस्पताल जाकर शांति ने डॉक्टर से
देवेश के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया
[संगीत]
इसलिए उनकी जान तो बच गई है लेकिन
लेकिन लेकिन क्या डॉक्टर साहब वो कॉम में
चले गए हैं उन्हें कब हो जाएगा पता नहीं
ये सुनते ही शांति वही बेहोश होकर गिर गई
डॉक्टर ने उसकी जांच की तो पता चला की वो
मैन बनने वाली है अजीब वक्त था शांति और
कांता के लिए एक तरफ इतनी बड़ी खुशखबरी
मिली थी और दूसरी तरफ देवेश बेशक अस्पताल
में पड़ा था
शांति और कांता ने मंदिर जाकर पूजा की और
देवेश के ठीक हो जाने की मन्नत मांगी कभी
शांति ने कुछ लोगों को कावड़ के साथ मंदिर
में पूजा करते देखा सावन का महीना शुरू हो
चुका था शांति को देवेश के कावड़ यात्रा
पर जाने का प्राण जाते वह रोने लगी और
रोते-रोते अपनी सास कांता से बोली
[संगीत]
यात्रा पर जाने का फ्रेंड लिया था वह तो
महादेव जी ने पुरी कर दी
महादेव की लीला अपरंपार है उन्होंने हमारी
इतनी बड़ी मन्नत पुरी की है वह देवेश को
कुछ नहीं होने देंगे और मुझे तुझ पर भी
भरोसा है मैं जानती हूं तू सब संभल लेगी
अपनी सास की बातें सुनकर शांति कुछ सोचने
लगती है और फिर अपनी सास से कहती है आपकी
सही कहा जी मुझे ही सब संभालना होगा मेरे
पति कावड़ यात्रा पर नहीं जा सकते तो क्या
मैं जाऊं की उनकी जगह मैं उनका प्रिंट
पूरा करूंगी और साथ ही महादेव को मेरी एक
इच्छा भी पुरी करनी होगी मेरे पति को
बिल्कुल पहले जैसे ठीक करना होगा मेरा वह
मतलब नहीं था बेटी तू तू इस हालत में कैसे
अब मेरी चिंता मत कीजिए माजी महादेव मेरे
साथ है बस आप इनका ख्याल रखिएगा कांता
शांति को समझने की कोशिश करती है पर वह
नहीं मानती वो घर जाकर तुरंत ही कंवर
यात्रा की तैयारी करती है और अगले ही दिन
अपनी सास का आशीर्वाद लेकर अकेले कमरे
लेकर घर से चल पड़ती है शांति ने कमरिया
पर जाने का फैसला तो कर लिया था है लेकिन
यह उसके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था वह
मैन बनने वाली थी ऐसे में थोड़ी दूर चलने
के बाद ही वह थक जाती थी कुछ देर रुक कर
आराम करती और फिर उसी जोश के साथ फिर से
चल पड़ती उसे यात्रा को देवेश के लिए पूरा
करना था लेकिन मौसम से लेकर भूख प्यास से
भी उसे अभी लड़ना था शांति को घर से निकले
2 दिन बीट चुके द घर से लाया हुआ खाना
पानी सब खत्म हो चुका था वो भूख प्यास से
बेहाल एक मंदिर के बाहर बैठ गई तो उसकी
नजर एक महिला पर पड़ी जो गरीबों को खाना
खिला रही थी और उसका 1 साल का बच्चा मंदिर
के आंगन में खेल रहा था वह बच्चा खेलते
खेलते बड़े गड्ढे की तरफ बढ़ाने लगा
शांति ने जैसे ही उसे देखा वह बच्चे की
तरफ भागी और उसे गोद में उठा लिया
महिला ने शांति को ऐसा करते देखा तो तुरंत
उससे अपने बच्चे को छीना और गुस्से से
बोली क्या कर रही हो मेरे बच्चे से दूर
रहो नहीं बहन जी आप मुझे गलत समझ रही हैं
आपका बच्चा उसे गड्ढे की तरफ जा रहा था
इसलिए मैंने महिला उसे गड्ढे को देखती है
और उसे अपनी गलती का एहसास होता है वह
शांति से कहती है ओहो माफ करना बहन मैंने
बहुत गलत समझा तुम्हें अरे तुम कंवर लेकर
जा रही हो वह बहुत हिम्मत है तुम्हें
मैंने कभी किसी औरत को ऐसा करते नहीं देखा
कहां से हो और साथ में कौन है तुम्हारे
शांति उसे महिला को अपने बारे में सब कुछ
बताती है यह सब जानकर महिला डांग रह जाती
है और शांति से कहती है सच में महादेव का
आशीर्वाद है तुम्हारे साथ वर्ण इतना साहस
हर किसी में नहीं होता लेकिन तुम मैन बनने
वाली हो तुम्हें अपना ख्याल भी रखना होगा
देखो मेरे पति एक समाज से संस्था चलते हैं
यह लोन का फोन नंबर पुरी यात्रा के दौरान
तुम्हें कोई भी परेशानी हो तो तुरंत फोन
करना ठीक है अब चलो चल कर खाना खा लो
शांति उसे महिला से फोन नंबर ले लेती है
और उसे शुक्रिया कहकर पेट भर खाना खाती है
वो महिला शांति को काफी सारा खाना फल और
पानी बांधकर दे देती है शांति फिर से उसे
शुक्रिया अदा करती है और आगे बढ़ जाती है
अब शांति में पहले से ज्यादा जोश था वो
भोले बाबा का नाम जपते हुए चली जा रही थी
और साथ ही देवेश की चिंता भी उसे सत रही
थी कई मुश्किलों ने उसका रास्ता रोका कभी
बारिश तो कभी ताप्ती धूप कभी पैरों में
छोटे आई तो कभी पूरा शरीर हिम्मत तोड़ने
लगा लेकिन शांति का दृढ़ निश्चय नहीं टूटा
और आखिरकार हरिद्वार पहुंच गए उसने पूरे
विधि विधान से महादेव की पूजा अर्चना की
और गंगाजल लेकर वापस घर की तरफ चल दी
उधर देवेश की हालत सर बनी हुई थी उसकी जान
को तो कोई खतरा नहीं था लेकिन उसे होश भी
नहीं ए रहा था यह देखकर कांता की हिम्मत
टूटी जा रही थी एक तरफ उसका इकलौता बेटा
besod अस्पताल के बेड पर था तो दूसरी तरफ
गर्भवती बहु कामद यात्रा पर गई हुई थी एक
दिन कांता के सब्र का बढ़ टूट गया वो
देवेश को देखकर रोने लगी और रोते हुए बोली
ही महादेव इतनी कड़ी परीक्षा मत लीजिए
मेरे परिवार की मेरे बेटे की यह हालत है
और मेरी बहु के हालत में है मुझे यह भी
नहीं पता उसकी कोख में मेरे परिवार का वंश
है कुछ तो दया कीजिए प्रभु कुछ तो दया
कीजिए
कांता रो रही थी तभी पीछे से शादी की
आवाज़ आती है
[संगीत]
मैं ए गई हूं मैं और मेरा बच्चा दोनों
महादेव की कृपा से बिल्कुल ठीक है और
मैंने कंवर यात्रा भी पुरी कर ली है
देखकर कांता को बहुत सुकून मिलता है वह
शांति को गले से लगा लेती कावड़ यात्रा के
बाद हरिद्वार से ले हुए गंगाजल की कुछ
बूंदे देवेश के मुंह में डालती है और हाथ
जोड़कर महादेव से अपने पति के लिए
प्रार्थना करने लगती है तभी उसके कानों
में देवेश की आवाज़ बढ़ती है
[संगीत]
मैन देवेश को होश ए गया था इस चमत्कार को
देखकर हर कोई डांग रह जाता है लेकिन शांति
और कांता की खुशी का तो कोई ठिकाना ही
नहीं था
देवेश फिर से बोलने की कोशिश करता है
और उसका हाथ अपने पेट पर रखते हुए बड़े
प्यार से कहती है कुछ मत कहिए आराम कीजिए
कावड़ यात्रा हो चुकी है मैंने और आपके
अंश ने मिलकर आपका फ्रेंड पूरा कर दिया है
और महादेव
[संगीत]
को सार्थक बना दिया है जय भोलेनाथ
[संगीत]
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